प्रबंधन का वैश्विक मानक स्थापित करते योगी

विश्व की २४ करोड़ की आबादी वाला प्रदेश, उस प्रदेश का प्रबंधन, व्यवस्था, प्रशासनिक दायित्व, आपदा प्रबंधन समेत प्रदेश के भौतिक एवं मानवीय संसाधन के सम्बन्ध में जिस तरह से उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जो काम किया है हो सकता है आने वाले कुछ दिनों में योगी आदित्यनाथ की प्रबंधकीय शैली के बारे में देश और विदेश के बड़े बड़े कॉलेज एवं विश्वविद्यालय में पढाया जाय. कुंभ मेले के आयोजन से लेकर इन्वेस्टर समिट हो या कोरोना काल में आपदा प्रबंधन से ले मानवीय प्रबंधन हो हर जगह योगी आदित्यनाथ ने अपने आपको प्रबंधकीय शैली की कसौटी पर सर्वश्रेष्ठ साबित किया है. टीम ११ का इनका प्रयोग, या दिनचर्या का कार्य के घंटों रूप में इस्तेमाल ये सब ऐसे हैं जिन पर प्रबंधन में काफी कुछ लिखा जा सकता है. आइये वैश्विक प्रबंधन की कुछ कसौटियों पर कसते हैं योगी आदित्यनाथ की प्रबंधकीय शैली को.
किसी भी संस्था के सर्वोच्च प्रबंधक या सीईओ को सबसे पहले संगठन का विजन मालूम होना चाहिए, यहां योगी आदित्यनाथ एकदम स्पष्ट हैं वह है लोक कल्याण, लोक कल्याण ही इनका विजन है, बिना किसी विभेद के सरकारी योजनाओं की पहुंच और लाभ लोक तक पहुँचाना, सरकार तक पहुंच लोक का बनाना यही इनका विजन है और इस विजन की कसौटी पर योगी शत प्रतिशत खरे उतरते हैं.
इसके बाद उस सर्वोच्च प्रबंधक या सीईओ को संगठन का मिशन मालूम होना चाहिए ताकि वह खुद और अपनी टीम को विजन के अनुसार लगा सके, यहां भी योगी आदित्यनाथ शत प्रतिशत खरे उतरते हैं. इनको विजन को पूरा करने हेतु क्या पथ होना चाहिए क्या मिशन होना चाहिए उसका इनके पास पूरा बिन्दुवार खाका तैयार है. उन्हें मालूम था की प्रदेश की पहचान कानून व्यवस्था के नाम पर ख़राब हो रक्खी है जिस कारण ना तो बाहर से निवेशक आ रहें हैं और तो और प्रदेश के उद्यमी बाहर पलायन कर रहें हैं, इसलिए सबसे पहले कमान सँभालते हुए इन्होने प्रदेश की कानून व्यवस्था के सम्बन्ध में सख्त फैसले लागू किये और स्पष्ट संदेश दिया की अपराध करने वाले प्रदेश छोड़ के चलें जाए, प्रदेश से औद्योगिक अपराध या हफ्ता वसूली का समूल खात्मा कर और प्रदेश में माफियाराज ख़त्म करने हेतु बुलडोजर से लेकर भू सुधार कानून  तक लाये, बाहर से निवेशक आयें इसके लिए यूपी इन्वेस्टर समिट कराया तो यहाँ के निवेशक आगे बढे इसके लिए एक जिला एक उत्पाद की योजना लायी, प्रदेश किस सबसे बड़ी समस्या जो मिशन को पूरा करने में आड़े रही थी वह था प्रदेश का लैंड लॉक होना और इसे तोड़ने के लिए अब तक काम ना होना , योगी आदित्यनाथ ने अपनी दृष्टि से सबसे पहले इसको पहचाना और प्रदेश में एक्सप्रेस वे का संजाल बिछाया और एयर कनेक्टिविटी, कार्गो पोर्ट, लोजिस्टिक पार्क, वाटर ट्रासंपोर्ट के विकास के बड़े प्रोजेक्ट शुरू किये जो अब सब पूरे हो रहें हैं, पूरा का पूरा सप्लाई चेन इन्फ्रा खड़ा किया इन्होने ताकि पूरे प्रदेश की रक्त धमनियों में विकास रुपी रक्त का सम प्रवाह हो सके, अपने मिशन में लगते हुए इन्होने कुंभ के अवसर को एक धार्मिक अवसर नहीं माना इसे एक सामाजिक और आर्थिक अवसर माना और १५ करोड़ से ज्यादे आये हुए लोगों के बीच प्रदेश की एक अलग छवि प्रस्तुत कर उत्तर प्रदेश की सबके मन में बसी तस्वीर को दूर करने का इसे जरिया बनाया, एक प्रबंधक क्या करता है यही तो करता है. योगी आदित्यनाथ अपने मिशन में अपने दिन के हर एक एक मिनट का इस्तेमाल करते हैं मेहनत और दिमाग दोनों के मिश्रण से वह आपको प्रदेश की जमीनी विकास के लिए सदैव ही निर्णय लेते हुए मिल जायेंगे.
किसी भी सफल सीईओ को मालूम होता है की अकेले काम करने की अपनी एक भौतिक और शारीरिक सीमा होती है अतः वह अपने साथ काम करने वालों की एक क्लोज टीम बनाता है, योगी आदित्यनाथ का टीम ११ प्रयोग इसी का उदाहरण है. योगी की टीम ११ प्रदेश के क्रिटिकल मुद्दों पर लगातार निगाह है, मंथन करती है और उनके निर्णयों को जमीन पर उतरने का काम करती है.आने वाले दिनों में टीम ११ के सिद्धांत के उदाहरण आपको कई जगह देखने को मिल जायेंगे. सफल सीईओ का काम लगातार अपनी टीम बनाना और उत्साही और योग्य लोगों को अपनी टीम में शामिल करना है यहाँ भी योगी आदित्यनाथ खरे साबित होते हैं अपनी टीम की लगातार समीक्षा  करते हुए काम करने वाले को वह ऊपर की तरफ लेकर आते हैं उन्हें प्रोत्साहित करते हैं उन्हें काम करने का अवसर देते हैं कुछ गलतियाँ होती हैं तो उसे स्वीकार करते हैं और एक प्रशासक के रूप में उसे कार्य करने का पूरा अवसर देते हैं टीम ११ में आपको ऐसे लोग मिल जायेंगे जिसे योगी आदित्यनाथ ने नीचे से उपर उनके उत्साह और प्रतिभा के कारण लाया है.
एक सफल सीईओ का सिद्धान्त है की वह व्यवहारिक एप्रोच से एक कंपनी का नेतृत्व करें ना की किताबी तौर तरीकों से या इसे सिर्फ मैनेज करने की कोशिश करे, वह नई चीज सोचे , आउट ऑफ़ बॉक्स सोचे वह खुद लीड ले और योगी फिर यहाँ सिद्ध करते हैं की लीड लेने में वह सबसे आगे हैं. कोरोना काल में आप सब ने यह देख लिया होगा, हर चीजों में पूरे देश में वह पहले मुख्यमंत्री होते थे जो क्रिटिकल से क्रिटिकल मुद्दे पर भी लीड लेते थे जब प्रवासी श्रमिकों को लेकर सब लोग डरे हुए थे तो इन्होने ही सबसे पहले लीड ले उन्हें बस भेजकर घर बुलाया था, परिस्थितियों को स्वीकार किया था उससे भागा नहीं था उसे मैनेज कर ख़त्म करने की कोशिश नहीं की परिस्थितियों के ऊपर लीड ले उससे लड़कर जीतने की कोशिश की जो की एक सफल सीईओ की निशानी है. सफल सीईओ परिवर्तन को अच्छा मानता है उससे ना तो भागता है और ना ही डरता है उसका डटकर मुकाबला करता है, मंदिर के बाद चाहे २४ करोड़ की आबादी वाला प्रदेश संभालना हो जबकि इससे पूर्व किसी भी मंत्रालय सँभालने का अनुभव ना हो, विरासत में जो प्रदेश मिला था या कोरोना के कारण जो चुनौतियां बदलीं सभी परिस्थितियों का डटकर मुकाबला किया और उससे पार पाया. 
एक सफल सीईओ से अपेक्षा की जाती है की उसे अपने संगठन की जमीनी सच्चाई मालूम हो तथा यदि वह नीचे से ऊपर आया होगा तो उसके साथ ज्ञान के साथ अनुभव और जमीनी जानकारी होगी और इस कारण उसके अधीनस्थ प्रबंधक उसे गुमराह नहीं कर सकते और यहाँ भी योगी आदित्यनाथ प्रबंधन की इस थ्योरी को सिद्ध करते हैं २५ साल का पूरा राजनैतिक संघर्ष का जीवन रहा कृषि से लेकर हर जमीनी सच्चाई को वह जीते और देखते आये हैं यही कारण की प्रदेश का कोई भी अधिकारी इन्हें गुमराह नहीं कर सकता और जमीनी सच्चाई को ध्यान में  रख ही यह निर्णय लेते हैं. जिस कारण इनका लोक कल्याण का विजन है वह प्राप्त होता है.
एक सफल सीईओ का एक और  विशेष गुण होता है की संसाधनों और अवसरों को पहचाने और फिर उसे लाभप्रद बनाये ताकि संगठन के विजन की प्राप्ति हो इसमें योगी आदित्यनाथ शत प्रतिशत खरे उतरते हैं, प्रदेश की क्षमता और संभावनाओं का आंकलन उसके हिसाब से नीतियों का निर्माण हो या कुंभ को एक संसाधन के रूप में पहचानना हो यह या कोरोना के समय बाहर से आई प्रवासी को एक सम्पदा के रूप में पहचानना हो इनका डाटाबेस बनाना हो, या प्रदेश की माइक्रो इकॉनमी के जो लोग इकॉनमी में नीचे से फ्यूल भरते हैं जैसे की प्लंबर बढाई लोहार सुनार नाई कहार आदि हो इन्हें पहचानना और  इनके लिए विश्वकर्मा श्रम सम्मान योजना  लाना यूपी की तीर्थ सम्पदा को पहचानना फिर इनको विकसित करना ताकि ये परिणामदाई हों यह सब काम योगी ने किये हैं. एक सीईओ का काम होता है तथ्यों को स्वीकार करना और इन्हें लाभ के अवसरों ए बदलना इसके नेगेटिव चीजों को दूर भागना और और उपरोक्त उदाहरणों से यह सिद्ध होता है की इसे हमेशा से किया है योगी आदित्यनाथ ने इन्होने समस्याओं को स्वीकार किया उसके लिए काम किया और उसे लाभ में बदला है.
एक सफल सीईओ हमेशा टारगेट पर केन्द्रित रहता है, सुसंगत रहता और हर डिटेल पर निगाह रखता है और योगी आदित्यनाथ में आप ये तीनों गुण पाएंगे. इनका मानव-संपत्ति दृष्टिकोण, रणनीतिक दृष्टिकोण: भविष्य, निकट और दूर तीनों को एक साथ देखने की क्षमता इन्हें विश्व के अग्रणी प्रबंधकों की श्रेणी में लाकर खड़ा करता है. वह दिन दूर नहीं जब प्रबंध की किताबों में आपको योगी शैली के उदाहरण मिलना शुरू हो जायें क्यों की दिमाग समर्पण और मेहनती ऐसे संयोजन दुर्लभ से मिलते हैं.

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