जुलाई के प्रथम सप्ताह में भारत की प्रथम महिला वित्त मंत्री पूर्ण बजट पेश करने वाली हैं, इसके पहले चुनाव के चलते सरकार ने फ़रवरी माह में अनुपूरक बजट पेश किया था. चूँकि मोदी सरकार के दुसरे टर्म का पहला बजट है अतः अब उम्मीद है मोदी सरकार ने पिछले पांच सालों में जिन जिन मोर्चे के फाउंडेशन पे काम किया था उसे आगे बढ़ाएगी. इस बजट को लेकर मेरे भी कुछ सुझाव हैं जिसे समय समय पर ट्विटर के माध्यम से मैंने सरकार को तो अवगत कराया ही है, उसके संक्षिप्त सार को यहाँ फिर से कलमबद्ध कर रहा हूँ.
सरकार को सबसे पहला काम जीडीपी को विकास के पैमाने के रूप में अस्वीकार कर GNH को आधार बनाना चाहिए जिसका मतलब होता है सकल राष्ट्रीय खुशहाली सूचकांक. अगर देश के विकास से देश के लोग और देश और पृथ्वी का इकोसिस्टम संगत नहीं है, लोग, देश और पृथ्वी उस विकास से खुशहाल नहीं है तो ऐसे विकास को मान्यता नहीं देना चाहिए. सरकार को चाहिए की इसे लागू करने से पहले एक प्रतिनिधिमंडल भूटान भेजकर इसका अध्ययन कर ले क्यूँ की पुरे दुनिया में GNH को इकॉनमी के मापन में स्वीकार करने वाला पहला देश भूटान है. सरकार को दूसरा काम प्रदुषण फ़ैलाने वाले वाहनों से देश को मुक्ति दिलाने वाला होना चाहिए, इसके लिए डीजल चालित वाहनों के उत्पादन और प्रयोग को हतोत्साहित करते हुए CNG, इलेक्ट्रिक, बैटरी से चलने वाले वाहनों को प्रोमोट करना चाहिए, साथ ही सरकार को देश में लोग साइकिल को फिर से यातायात का साधन बनायें इसके लिए जागरूकता मुहीम चलाना चाहिए और एक राष्ट्रीय साइकिल नीति के लिए इस बजट में प्रावधान करना चाहिए. आज भी देश की ७०% आबादी कसबे और गांवों में रहती है और वहां पर मोटरसाइकिल की बिक्री लगातार बढ़ रही है, जबकि वहां काम साइकिल से भी निकल सकता है, साइकिल के प्रयोग के कई फायदे हैं, खर्चे और प्रदुषण तो कम होंगे ही स्वास्थ्य खर्च में भी यह बड़ी बचत करेगा. सरकार को इस बजट में सभी सरकारियों कर्मचारियों को एक राष्ट्रीय एकीकृत स्केल पे लाकर “योग्य व्यक्ति योग्य पद” के हिसाब से फिर से एक पूल बनाना चाहिए तथा नए सिरे से सबकी नियुक्ति करना चाहिए, यह सरकार के लिए एक ग्लोबल डाटा के रूप में कार्य करेगा, जो देश के विकास की गति को कई गुना करने के साथ साथ ही आपदा के वक़्त एवं वैश्विक टैलेंट एवं श्रम निर्यात में भी बहुत काम आएगा. इसी पूल से ही राष्ट्रीय टैलेंट पूल का निर्माण हो सकता है, इस बजट पे इस कार्य के शुरुवात के लिए भी कुछ प्रस्ताव लाया जाना चाहिए. साथ ही सरकार को एक राष्ट्रीय रोजगार रजिस्टर बनाना चाहिए जो इस ग्लोबल डाटा से व्यापक हो और इसमें गैर सरकारी रोजगार और उद्यम को भी शामिल करें, यह डाटा रोजगार और भारत की प्रगति का सही तस्वीर दे पाने में सक्षम हो पायेगी. हेली टैक्सी और एयर टैक्सी के खर्चीले स्वरुप को देखते हुए देश के जो गाँव कसबे और शहर नदी किनारे बसे हुए हैं वहां वाटर टैक्सी को प्रोमोट करना चाहिए इससे प्रदुषण तो कम होगा ही, अनावश्यक गाड़ी खरीद भी कम होगी और सड़क की बनिस्पत वाटर ट्रांसपोर्ट सिस्टम इन्फ्रा की लागत भी बहुत न्यूनतम होगी. भारत देश बहुत बड़ा होने के कारण इसके सप्लाई चेन में बहुत अनियमितताएं हैं अगर मांग और पूर्ति के संतुलन को सही कर महंगाई को नियंत्रित कर किसानों को फायदा डबल हो तो सरकार को वैज्ञानिक तरीके से सप्लाई चेन को विकसित करना पड़ेगा ताकि लैंडलॉक राज्यों भी विकास में कदमताल कर सकें उन राज्यों से जो समुद्र के किनारें हैं. लोकसभा में बीजेपी के लोकप्रिय सांसद हुकुमदेव नारायण ने किसानों एवं खेतिहर मजदूरों के लिए पेंशन योजना लाने की मांग की थी तथा ये रेखांकित किया था कि किसान और खेतिहर मजदूरों के लिए ऐसी कोई योजना नहीं है कि 60 वर्ष के बाद जब उनका शरीर काम करना बंद करे दे तो और उन्हें पैसों की जरुरत पड़े , तब उन्हें पेंशन या इसके जैसी कोई सामाजिक सुरक्षा मिले, सरकार को कोई ऐसी योजना लानी चाहिए की वर्तमान में किसानों के ऊपर प्रीमियम का शून्य बोझ डालते हुए उनके लिए पेंशन स्कीम लाये, मौजूदा जितने भी स्कीम हैं उसमें कुछ न कुछ प्रीमियम है. किसानों के परिवार एवं स्थानीय रोजगार को ध्यान में रखते हुए सरकार को बजट में स्थानीय एवं कृषि उद्यमिता वाले विषयों पर फोकस करना चाहिए, नए आईटीआई खोलने की जगह मौजूदा सरकारी इंटर कॉलेजों में ही स्थानीय कौशल आधारित व्यावहारिक शिक्षा शुरू कर देनी चाहिए इससे आईटीआई के इन्फ्रा लागत में कमी तो आएगी ही, स्कूली शिक्षा के साथ साथ जिनका झुकाव किसी कौशल पे होगा वह उसी स्कूल में कौशल शिक्षा वाला पाठ्यक्रम पढ़ सकते हैं, अतः आईटीआई अलग से खोलने की बजाय इसे सरकार द्वारा संचालित इंटर कॉलेजों में ही खोल देना चाहिए. सरकारी स्कूलों में गणवेश और बस्ते के लिए एक बड़ी खरीद होती है अगर इस खरीद को यूपी सरकार की नई योजना जिसे योगी आदित्यनाथ ने लागू किया है पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर कि स्कूल के गणवेश, स्वेटर आदि अब खादी ग्रामोद्योग से खोले ख़रीदे जायेंगे, जैसे पुरे भारत में लागू कर दिया जाय तो ना बल्कि खादी का प्रचार और खादी ग्रामोद्योग बोर्ड को पुनर्जीवन मिलेगा वरन पर्यावरण की रक्षा के साथ साथ यह किसानों बुनकरों और स्थानीय उद्यमिता के लिए भी मील का पत्थर साबित होगा. सरकार को इस बजट में कृषि के कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग एवं सहकारिता खेती के लिए भारत का जनमानस आकर्षित हो ऐसा भी प्रावधान लाना चाहिए, जब तक हम इसे लागू नहीं करते हैं किसानों को लागत अधिक और समूह की शक्ति से वंचित होते हुए बाजार से मार खाते रहेंगे. सरकार को पूर्वांचल को जोन के आधार पर बांटते हुए किसी को धान का कटोरा और किसी को चीनी का कटोरा के तर्ज पर विकसित करने चाहिए और इसी आधार पर पुरे देश में एक जिला एक उत्पाद औरAspirational District की जो सरकार की मुहीम है उसे साकार करना चाहिए. इसके लिए जरुरी नहीं की जगह जगह सेज बनाया जाए और सेज के नाम पर बड़े बड़े जमीन अधिग्रहण किये जाएँ, इसके जगह हर जिले में जो गैर कृषि योग्य जमीनें हैं वहां छोटे छोटे औद्योगिक पार्क बनाया जाए और वो सारी छूटें और रियायतें उन्हें भी दी जाएँ जो बड़े औद्योगिक पार्कों को दी जाती हैं. देश का जो विकास, इन्फ्रा एवं स्वास्थ्य का संतुलन गड़बड़ाया है वह अंधाधुंध शहरीकरण के कारण हुआ है इसकी जगह सरकार को इस बजट में ऐसी कुछ योजना लानी चाहिए ताकि आबादी यदि गांवों से पलायन करती भी है तो बगल के कसबे में आकर रूक जाये, उससे आगे पलायन की उसको जरुरत न पड़े. इस अवधारना और कांसेप्ट के आधार पर स्मार्ट सिटी नहीं स्मार्ट टाउन पर इस सरकार को काम करना चाहिए और मार्किट प्लेस की अवधारना जो मेट्रो में स्थान बनाती जा रही है आईटी के इस दौर में मार्किट प्लेस को गाँवो और कस्बों में शिफ्ट करते हुए उसे राष्ट्रीय सप्लाई चेन से जोड़ देना चाहिए. अगर इन सब कार्यों के लिए कई मंत्रालयों का एक नोडल एजेंसी बनाना पड़े तो बनाना चाहिए या मंत्रालयों की मर्जर या डीमर्जर की जरुरत पड़े तो उसे करना चाहिए.
क्रमशः
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