यूपी का इकोनॉमिक गेटवे होगा डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर

बीते सप्ताह प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने ईस्टर्न फ्रेट कॉरिडोर के रूप में उत्तर प्रदेश को 2020 की एक बड़ी सौगात दी है। प्रधानमंत्री ने पूर्वी डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर के न्यू भाऊपुर- न्यू खुर्जा खंड को देश को समर्पित किया। साथ ही प्रयागराज में ईडीएफसी के ऑपरेशन कंट्रोल सेंटर का उद्घाटन भी किया। कार्यक्रम में वर्चुअल रूप से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी मौजूद थे। 

उत्तर प्रदेश से जुड़ने वाली 351 किलोमीटर की यह फ्रेट लाइन सिर्फ एक लाइन नहीं है उत्तर प्रदेश के विकास का गेटवे होने वाला है . इतिहास में रिवर इकॉनमी की समृद्धि का इतिहास संजोये हुआ उत्तर प्रदेश कोस्टल इकॉनमी के विकास के कारण दौड़ में पिछड़ रहा था, उद्यम और निवेश ही नहीं यहां से श्रम का भी पलायन समुद्र तटीय राज्यों को होने लगा था. लैंडलॉक के इस दुर्भाग्य को योगी आदित्यनाथ ने मुख्यमंत्री बनने के बाद तोडा. बीते 3 सालों में यदि सबसे ज्यादे सप्लाई चेन सर्वांगीण इन्फ्रा पर काम हुआ है तो वह उत्तर प्रदेश है. प्रदेश में एक्सप्रेसवे, लोजिस्टिक पार्क और एयरपोर्ट और कार्गो टर्मिनस पर युद्ध स्तर पर काम हो रहा है, सप्लाई चेन के इस भगीरथ प्रयास में चार चांद लगाया इस डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर ने . यह सिर्फ 351 किलोमीटर का संपर्क मार्ग नहीं है, यह मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का यूपी को एक ट्रिलियन डॉलर इकॉनमी और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के भारत को पांच ट्रिलियन डॉलर इकॉनमी बनाने के लक्ष्य का मुख्य आर्थिक धमनी मार्ग होगा. इसका केंद्र बिंदु और जंक्शन भी देश का ह्रदय स्थली दादरी होगा जो कि उत्तर प्रदेश में है और कुल 3300 किलोमीटर के फ्रेट कोरिडोर का केंद्र बनेगा जिसका विस्तार लुधियाना से मुंबई लगायत कोलकाता धन्कुनी पश्चिम बंगाल तक होगा और  जिसके पास ही विश्वस्तरीय एयरपोर्ट जेवर भी स्थित होगा. 

यह पट्टी उत्तर प्रदेश में सप्लाई चेन के मिसिंग लिंक को ख़त्म करते हुए प्रदेश को पूरे भारत से ही नहीं दुनिया से भी जोड़ेगी. यह कोरिडोर पूरे प्रदेश का लॉक तोड़ प्रदेश के बाजार का दरवाजा दुनिया के लिए खोल देगा, सिर्फ एक इसी प्रयास से पूरे उत्तर प्रदेश में विकास का करेंट दौड़ जायेगा, संसाधनों में जान आ जाएगी,  सुषुप्त संसाधन क्रियाशील हो जायेंगे और व्यवसाय के अनेकोनेक विकल्प खुलेंगे जिसकी वर्तमान में कल्पना नहीं की जा सकती. इससे सिर्फ  उत्तर प्रदेश के व्यापारी बाहर जाकर माल ही नहीं  बेचेंगे पुरे दुनिया के व्यापारी मार्ग सुगम होने पर उत्तर प्रदेश आयेंगे, यह सिर्फ  24 करोड़ के बाजार का नहीं 800 करोड़ के बाजार का द्वार है जो दुनिया के लिए खुल रहा है. इससे विकास को नया आयाम तो मिलेगा ही, छुपी हुई प्रतिभाएं और कलाएं बाहर निकलेंगी. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की महत्वाकांक्षी योजना एक जिला एक उत्पाद को भी एक नई उड़ान मिलेगी, समय और संसाधन की बचत होगी,बंदरगाहों तक माल शीघ्र पहुचेगा जिससे इनकी कमी से होने वाला नुकसान ख़त्म हो जायेगा और ये बंदरगाह भी उत्तर प्रदेश की ताकत और हिस्सा बन जायेंगे, यूपी पुनः औद्योगिक और लाजिस्टिक हब बन सकेगा. विश्वभर के सप्लाई चेन बाजार के खिलाडी इस फ्रेट कॉरिडोर का उपयोग यूपी समेत  भारत से माल खरीदने और माल बेचने में करेंगे. इसके जुड़ने से सिर्फ  इस्पात, पेट्रोलियम उत्पाद, लौह अयस्क, सीमेंट, उर्वरक, खाद्यान्न का ही निर्यात नहीं होगा किसानों के साथ कारीगरों को भी विश्वबाजार और एक नया विजन मिलेगा लोग नए नए अवसर की तरफ रूख करेंगे और उद्यमशीलता को पंख मिलेगा।

इस समर्पित फ्रेट कॉरिडोर से जुड़े हुए कई अन्य फायदे हैं, आज तक एक ही रेल ट्रैक पर माल और यात्री गाड़ियाँ दोनों चलती थी अब यात्री गाड़ियों और माल भाडा गाड़ियों को स्वतंत्र ट्रैक मिलेगा तो दोनों की गति और संख्या दोनों बढ़ेगी, अपने वर्तमान भार 5,400 टन से 13,000 टन तो तुरंत हो जायेगा आने वाले वर्षों में इसमें कई गुना इजाफा होगा जिससे देश के कुल व्यवसायिक सौदों में कई गुना इजाफा और जीडीपी का साइज़ कम से कम  चार गुना हो सकता है . वर्तमान रेल ट्रैक पर मालगाड़ी की औसत गति जहां 25 किलोमीटर प्रति घंटा है वहीँ समर्पित ट्रैक होने से गति दो से तीन गुना बढ़ जाएगी मतलब देश में आर्थिक रक्त संचार तेज हो जायेगा और देश में  सौदों की गति और मात्रा सिर्फ ट्रैक की गति बढ़ने  से ही दुगुनी हो जायगी, रफ़्तार और फेरे  बढ़ने से माल ढुलाई शीघ्र और सस्ता होगा, माल खराब होने का खतरा भी नहीं रहेगा, शीघ्र ख़राब होने वाले उत्पादों के वाजिब मूल्य मिलने शुरू हो जायेंगे कृषि को दुगुना लाभ मिलेगा. इस  फ्रेट कॉरिडोर के खुलने और से भाडा सस्ता होने से माल की उपलब्धता भी हर जगह बराबर होने लगेगी जिससे मूल्य नियंत्रण भी आसान होगा और महंगाई पर लगाम लगेगी.

रेल की लम्बाई छोटी होने की बजाय लम्बी होगी जिस कारण डब्बे और ट्रेन भी पहले से बड़े लगाये जायेंगे, लम्बी लम्बी पटरियां होंगी जिससे पटरी में वेल्डिंग जोड़ों की संख्या कम, गति तेज और सुगम हो जाएगी। देश में पिछले 18 वर्षों में, माल ढुलाई में 750 मिलियन टन की वृद्धि हुई है, लेकिन वहन करने की क्षमता में कोई वृद्धि नहीं हुई थी । अब तक दिल्ली, कोलकाता, मुंबई और चेन्नई को जोड़ने वाला उच्च ट्रैफिक स्वर्णिम चतुर्भुज गलियारा कुल रेल लंबाई का केवल 16 प्रतिशत ही है लेकिन यह 16 प्रतिशत  52 प्रतिशत यात्रियों और 58 प्रतिशत माल ढुलाई का भार वहन करता है, इससे इस पर पड़ रहे दबाब और ऐसे फ्रेट कोरिडोर की आवश्यकता और महत्ता को समझा जा सकता है । भारत में अभी भी माल ले जाने के लिए  लोग अधिक महंगा साधन सड़क परिवहन ही इस्तेमाल करते हैं , सड़क मार्ग से माल ढुलाई का 57 प्रतिशत और रेल द्वारा 36 प्रतिशत ही है, इसकी तुलना में, अमेरिका रेल द्वारा अपने कुल भाड़े का 48 प्रतिशत और चीन 47 प्रतिशत ले जाता है। भारत के लिए कम प्रतिशत भागीदारी के साथ रेल भाड़ा अभी महंगा पड़ता है जिस कारण यह फ्रेट कोरिडोर योजना अपनी अनूठी स्थिति, अपनी गति, डिजाईन, तकनीक और उच्च वहन क्षमता के फायदे के साथ, माल भाड़ा शुल्क को 50 प्रतिशत तक कम करने में भी मदद कर सकता है.

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