अनिवार्य वित्तीय साक्षरता का कोर्स हो

अपने कार्य के दौरान अच्छे अच्छे सहयोगियों से जो गैर वित्तीय पदों पर हैं वित्तीय टर्म को लेकर ऐसे प्रश्नों का सामना होता है जिसे हम वित्तीय पेशे वाले कोई प्रश्न ही नहीं समझते। जैसे किसी ने एक दिन पूछ लिया सर एबिटा (EBITA) क्या होता है क्यूंकि अक्सर मीटिंग में उसने सुना था की कंपनियों के टॉप लोग एबिटा शब्द का इस्तेमाल करते थे. मैं थोड़ा आश्चर्यचकित हुआ की इसे एबिटा नहीं मालूम? यह तो स्पष्ट है इसके शाब्दिक अर्थ से अर्निंग बिफोर इंटरेस्ट डेप्रिसिएशन एंड टैक्स मतलब वह लाभ जो ब्याज ह्रास और टैक्स के घटाने से पहले आया हो, मतलब बिजनेस के आय से सारे खर्चे घटाओ बस यह तीन ना घटाओ और जो आये वही एबिटा है. हम वित्तीय पेशे वालों के लिए तो यह बड़ा आसान सा लगता है लेकिन गैर वित्तीय क्षेत्र वालों के लिये यह बड़ी चीज है, क्यूंकि इस शब्दकोष से उन्हें पहले पाला नहीं पड़ा होता है. इसमें उनकी गलती नहीं है, मेडिकल में तो बहुत सी ऐसी शब्दावलियां होती हैं लेकिन गनीमत है की मेडिकल की शब्दावली आम प्रचलन में नहीं है इसलिये उसकी साक्षरता उतनी जरुरी नहीं जितनी वित्तीय साक्षरता की है. इसके अलावा भी मैंने पाया है की बैंकों में लोन लेते वक़्त, बीमा कराते वक़्त, मकान खरीदते वक़्त या टैक्स के मामले में कई बार वह उन चीजों को खुद से नहीं समझ पाते ऐसे में जिसने विशेषज्ञों की सहायता नहीं ली उसे नुक्सान हो जाता है. मेरा मानना है की स्कूल स्तर की पढाई में चाहे वह किसी भी स्ट्रीम का हो उसमे एक विषय वित्तीय साक्षरता का जरूर होना चाहिए, ताकि आम जीवन में सामना कर रहे रोजमर्रा के वित्तीय टर्म को एक इंसान समझ सके. यह पढाई उसे अंकगणित की तरह जीवन भर सहायता करेगी. वित्तीय साक्षरता व्यक्तिगत वित्तीय प्रबंधन, बजट और निवेश सहित विभिन्न वित्तीय कौशल को समझने और प्रभावी ढंग से उपयोग करने की क्षमता है। वित्तीय साक्षरता आपके पैसे की आपके साथ जीवन भर के रिश्ते की नींव है जिसका सामना आपको जीवन के हर मोड़ पर करना है. इसलिये यह सीखने की एक आजीवन यात्रा है। जितनी जल्दी आप शुरुआत करेंगे, आपके लिए उतना ही बेहतर होगा क्योंकि पैसे के मामले में समय से शिक्षा ही सफलता की कुंजी है अन्यथा बड़े नुक्सान की संभावना बनी रहती है। जब आप खुद शिक्षित हो तो अपने ज्ञान को अपने परिवार और दोस्तों में भी बांटे। बहुत से लोगों को पैसे के मामले में डर लगता है, लेकिन ऐसा होना जरूरी नहीं है, इसलिए सूचित और मार्गदर्शन करके जब भी समय मिले ज्ञान का प्रसार करें। आज वित्तीय निरक्षरता किसी व्यक्ति की दीर्घकालिक वित्तीय सफलता के लिए बहुत हानिकारक हो सकती है, दुर्भाग्य से वित्तीय निरक्षरता बहुत आम है. वित्तीय निरक्षर होने से कई तरह के नुकसान हो सकते हैं, जैसे कि अस्थिर ऋण बोझ, अनावश्यक या गलत खर्च या निवेश के फैसले या दीर्घावधि रणनीति की कमी, खराब ऋण निर्णय, दिवालियापन, व्यर्थ के झगडे मुकदमे समेत अन्य नकारात्मक परिणामों को जन्म दे सकता है। बहुत से लोगों को तो अपने समय की कीमत ही नहीं पता होती और अपना उत्पादकीय समय व्यर्थ के झगड़ों में गंवा देते हैं. वरिष्ठ सीए आशुतोष श्रीवास्तव के अनुसार शेयर बाजार में कई लोग बिना अध्ययन किये और स्किल विकसित किये आ जाते हैं, उन्हें कुछ पैसे खर्च कर पहले शेयर मार्किट का ज्ञान, विश्लेषण और स्किल विकसित कर आना चाहिये अन्यथा शेयर मार्किट का एक नुक्सान उनके कोर्स की लागत से कई गुना हो सकता है और उनकी पूंजी तक गायब हो सकती है. शिक्षा और ज्ञान प्राप्त करने की लागत हमें भविष्य के बड़े हानि से बचाती है. ऐसे ही एक मित्र को व्यवसाय में लगभग एक करोड़ रूपये की हानि हो गई, मैंने पूछा कि कैसे हो गया तो उन्होंने बताया इसे मैंने सीखने की लागत समझा, समझो मैंने 1 करोड़ का नुक्सान कर एमबीए किया है, मैंने बोला यह तो महंगा सबक हुआ है, उसने बोला वह तो है, यदि मैं बिजनेस शुरू करने से पहले कुछ पैसे खर्च कर ज्ञान और कौशल हासिल कर लेता तो इस एक करोड़ के नुक्सान से निश्चित ही बच सकता था. दरअसल जो लोग आर्थिक रूप से साक्षर हैं वे आमतौर पर वित्तीय धोखाधड़ी के कम शिकार होते हैं। वित्तीय साक्षरता की एक मजबूत नींव विभिन्न जीवन लक्ष्यों का प्राप्त करने में मदद कर सकती है. रोजमर्रा के जीवन में कैसे ऐसे कई कौशल हैं जहां वित्तीय साक्षरता महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकते हैं जैसे घरेलू बजट बनाते वक़्त, पर्सनल, बिजनेस या होम लोन लेते वक़्त, अपना टैक्स भरते वक़्त, बचत या पेंशन योजना कब ले कौन सा लें, बच्चों के भविष्य की योजना, उनके शिक्षा और विवाह की योजना, अपने और अपने परिवार के स्वास्थ्य की योजना, बीमा लेना कितना जरुरी और लें तो कौन सा लें, निवेश करें तो कहां करें, क्रेडिट कार्ड, डेबिट कार्ड और नगदी का उपयोग कैसे करें, एप या ऑनलाइन ऋण का उपयोग, अपने समय और टाइम वैल्यू ऑफ़ मनी का ज्ञान, और किसी भी बिजनेस का सही में लाभ हानि गणना करने का कौशल आदि ऐसी बहुत सी चीजें हैं जहां इसका इस्तेमाल कर सकते हैं। दुनिया भर में इस पर काम हो रहें हैं। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कार्यरत आर्थिक सहयोगिता और विकास संगठन (ओईसीडी) ने सामान्य वित्तीय साक्षरता सिद्धांतों के विकास के माध्यम से वित्तीय शिक्षा और साक्षरता मानकों में सुधार के तरीके प्रदान करने के उद्देश्य से 2003 में एक अंतर-सरकारी परियोजना शुरू की। मार्च 2008 में, ओईसीडी ने वित्तीय शिक्षा के लिए अंतर्राष्ट्रीय गेटवे का शुभारंभ किया, जिसका उद्देश्य दुनिया भर में वित्तीय शिक्षा कार्यक्रमों, सूचना और अनुसंधान के लिए एक समाशोधन गृह के रूप में कार्य करना है। यूके में वित्तीय सेवा प्राधिकरण (FSA) ने 2003 में वित्तीय क्षमता पर एक राष्ट्रीय रणनीति शुरू की। अमेरिकी सरकार ने अपनी वित्तीय साक्षरता और शिक्षा आयोग की स्थापना 2003 में की। इसके परिणाम भी आये अमेरिका में श्रमिक लाभों के साथ सेवानिवृत्ति योजना में भाग लेने लगे। भारत में भी वित्तीय साक्षरता को बढ़ावा देने के लिए, राष्ट्रीय वित्तीय शिक्षा केंद्र (एनसीएफई) की स्थापना रिजर्व बैंक, सेबी, आईआरडीए और पीएफआरडीए द्वारा किया गया है। एनसीएफई ने भारत में वित्तीय जागरूकता के स्तर का पता लगाने के लिए 2015 में वित्तीय साक्षरता का एक बेंचमार्क सर्वेक्षण किया था । एनसीएफई वित्तीय प्रबंधन अवधारणाओं को शामिल करने के लिए स्कूलों के साथ सहयोग करने और नए पाठ्यक्रम विकसित करने सहित वित्तीय साक्षरता में सुधार के लिए विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन करता है। यह एक वार्षिक वित्तीय साक्षरता परीक्षा भी आयोजित करता है। एनसीएफई द्वारा अपने जागरूकता कार्यक्रमों में शामिल विषयों की सूची में निवेश, बैंक खातों के प्रकार, बैंकों द्वारा दी जाने वाली सेवाएं, आधार कार्ड, डीमैट खाता, पैन कार्ड, कंपाउंडिंग की शक्ति, डिजिटल भुगतान, वित्तीय धोखाधड़ी से सुरक्षा आदि शामिल हैं। स्कूलों के लिए यह मनी स्मार्ट स्कूल प्रोग्राम और फाइनेंसियल एजुकेशन ट्रेनिंग प्रोग्राम (एफईटीपी) चलाता है जो स्वैच्छिक है. एनसीएफई पूरे भारत में कक्षा 6 से 10 के स्कूली शिक्षकों के लिए एफईटीपी आयोजित कर रहा है। प्रशिक्षण पूरा होने के बाद, इन शिक्षकों को "मनी स्मार्ट टीचर" के रूप में प्रमाणित किया जाएगा और स्कूलों में वित्तीय शिक्षा कक्षाएं संचालित करने में सुविधा होगी और छात्रों को बुनियादी वित्तीय कौशल प्राप्त करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। मेरा मानना है केंद्र और राज्य सरकारों को एनसीएफई के माध्यम से अंकगणित की तर्ज पर न्यूनतम वित्तीय साक्षरता का कोर्स या कुछ चैप्टर हर स्ट्रीम के छात्रों को स्वैच्छिक की जगह अनिवार्य रूप से पढ़ाना चाहिए जिसमें वित्त से लगायत बीमा और निवेश के मूलभूत बातों को बताया जाना चाहिये, यह उनके जीवन में काम आयेगा और उनके और भारत के भविष्य को भी सुरक्षित करेगा.

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