गोरखपुर को योगी के साथ क्यूँ खड़ा होना चाहिए?

जबसे राजनीती को देख रहा हूँ, वीर बहादुर सिंह के बाद दूसरी बार योगी आदित्यनाथ ही हैं जो पूर्वांचल से खासकर के गोरखपुर से सीएम बने हैं. इन दो अंतरालों के बीच लखनऊ की गद्दी पे जो भी बैठा उसकी कुर्सी नॉन रेवोल्विंग ही थी जो गोरखपुर और पूर्वांचल की तरफ घूमती ही नहीं थी, किसी को सिर्फ इटावा सैफई आगरा नजर आता था तो किसी की कुर्सी सिर्फ बागपत सहारनपुर मेरठ की तरफ घूमती थी. मध्य उत्तर प्रदेश और पश्चिमी उत्तर प्रदेश की लोबिंग इतनी जबरदस्त थी की प्रदेश सरकार और राज्य सरकार की जो भी योजना होती थी उसका ९०% हिस्सा ताकतवर लाबी पश्चिमी एवं मध्य उत्तर प्रदेश में खर्च करवा लेती थी और पूर्वांचल को मिलता था बस खुरचन. प्रदेश के एक पूर्व मंत्री ने पूर्वांचल का विकास कैसा हो की एक चर्चा में बताया था की पूर्ववर्ती सरकारों के दौरान बौद्ध परिपथ के नाम से सड़क बनाने का जो फंड था उसे भी पश्चिमी उत्तर प्रदेश में यूज कर लिया गया जबकि नियमतः यह तो पूर्वांचल में खर्च होना चाहिए .


इसका एक और उदाहरण है केन्द्रीय कृषि मंत्रालय की एक वेंचर कैपिटल सहायता योजना थी जिसमें एक अच्छी राशि बिना ब्याज के कृषि आधारित उद्योगों को मिलनी थी, उसमे से १२२ योजनायें यूपी में स्वीकृत हुई, १२२ में से लखनऊ कानपुर को एक एक योजना और शेष १२० पश्चिमी यूपी को और पूर्वांचल को शुन्य योजना. ये तो सिर्फ एक योजना की बानगी है ऐसी तमाम सरकारी योजनायें हैं जिसपे पश्चिम की लॉबी कुंडली मार के बैठी थी . जब तक योगी सीएम नहीं बने थे तब तक पूर्वांचल का दुर्भाग्य ही था और इस तरह के सारे फंड पश्चिम में खर्च हो जाते थे, पूर्वांचल की तरफ पूर्ववर्तियों की कुर्सी घूमती ही नहीं थी.


योगी आदित्यनाथ ने जो सबसे अच्छा काम किया उसमें उन्होंने अपने प्रवास की संख्या गोरखपुर में बढ़ाकर सरकारी मशीनरी जो पूर्वांचल को लेकर गंभीर नहीं रहती थी उसे आटोमेटिक गंभीर बना दिया , ये इनकी सबसे सफल रणनीति थी. दूसरी सफल रणनीति इनकी थी पूर्वांचल के इकोलॉजी के हिसाब से यहाँ का विकास करना, जिसमें प्रमुख रूप से पूर्वांचल एक्सप्रेसवे का निर्माण,कुशीनगर इंटरनेशनल एअरपोर्ट का काम तेजी से चालू कराना, गोरखपुर एअरपोर्ट से देश के कई अन्य शहरों में उड़ान शुरू करवाना, एम्स चालू करवाना, २५ मेडिकल कॉलेज की योजना पे आगे बढ़ना, इन्सफेलाइटीस पे काम कर हस्पतालों और मेडिकल कॉलेज में सीटों को बढवाना, पिपराइच और मुंडेरवा चीनी मिल चलवाना, फ़र्टिलाइज़र का काम तेज करवाना, सरयू नहर का काम करवाना, राप्ती पर नया पुल बनवाना, महेसरा पुल बनवाना, ४ लेन सड़क बनवाना, वेटरेनरी कॉलेज की घोषणा हो चुकी है , प्रेक्षागृह निर्माण की तरफ आगे बढ़ना, चिड़ियाघर बनवाना, वाटर स्पोर्ट्स शुरू करना, रामगढ़ताल और मंदिर में लाइट और साउंड शो से पर्यटन को बढ़ावा देना. 


योगी आदित्यनाथ ने पूर्वांचल के उत्तरी केंद्र गोरखपुर शहर के लिए इतना कर दिया है जितना अब तक इतने कम समय में कभी नहीं हो पाया था. इस शहर और पूर्वांचल को इस समय दरकार है की देश की राजनीती में एक प्रमुख चेहरे और हस्ती के रूप में उभर गए इस युवा नेतृत्व योगी आदित्यनाथ को और मजबूत करे. पूर्वांचल से एक कद्दावर और निर्णायक नेता देश में पूर्वांचल के मान और गौरव को स्थापित करेगा.


मै कई वर्षों से मुंबई में हूँ और इसके पहले दिल्ली में था जब भी लोगों से बोलता था की गोरखपुर का हूँ तो अक्सर सुनने को मिलता था कि तुम क्राइम कैपिटल से हो. जब से योगी आदित्यनाथ सीएम बने हैं, गोरखपुर का बताने पर लोग काफी सम्मान से लेते हैं, इससे सिर्फ गोरखपुर का ही सम्मान नहीं बढ़ा है, हमारे जैसे लाखों प्रवासियों का सम्मान बढ़ा है. मुंबई और देश के अन्य हिस्सों में प्रवासियों के लिए कार्यरत संस्था उत्तर प्रदेश डेवलपमेंट फोरम के माध्यम से इन्होने मुंबई, दमन, अहमदाबाद, कोलकाता, चंडीगढ़ में रह रहे उद्यमी प्रवासियों को जो जोड़ने का काम किया है उससे प्रवासियों के अन्दर आत्मसम्मान के साथ प्रदेश के लिए कुछ करने के उत्साह का संचार हुआ है. उत्तर प्रदेश इन्वेस्टर समिट की जो सबसे बड़ी सफलता इन्होने प्रदेश को हासिल करवाई वो ये की की देश और विदेश के लोगों का प्रदेश के प्रति नजरिया बदल गया , जहाँ इस प्रदेश में क्राइम के कारण लोग उद्योग लगाने से डरते थे वो अब इस बात के लिए बधाई देते हैं की यूपी से औद्योगिक क्राइम खत्म हो गया, अब कोई हफ्ता और रंगदारी नहीं मांगता है. इन्वेस्टर समिट में ४.68 लाख करोड़ के MOU साईन हो जाना ये बताता है की यूपी को लेकर नजरिये और उत्साह में कितना बदलाव आया है. जानकारी के लिए ये भी जानना जरुरी है की ये MOU चरणबद्ध निवेश के लिए आये थे जिसे १ साल से लेकर ५ साल तक के भीतर पुरे होने हैं १ साल के भीतर ही २०% से ज्यादे MOU को धरातल पे ले आना भी एक बड़ी सफलता है.


योगी अगर पूर्वांचल से जीतते हैं तो ये सिर्फ पूर्वांचल की जीत नहीं होगी, देश विदेश में रह रहे सभी पूर्वांचल वासियों की जीत होगी,उनका सर फक्र से उंचा होगा, और यदि हारते हैं तो जीवन में आये ऐसे सुनहरे अवसर को हम खो देंगे जहाँ हमारे बीच का एक नेता राष्ट्रीय क्षितिज पे चमकने वाला था और हम जात पात धर्म के आधार पर बंट कर पूर्वांचल के भविष्य के साथ खेल गए. पूर्वांचल और गोरखपुर के लिए योगी का दिल धड़क रहा है और अपने तई जितना हो सकता है उसमें उन्होंने कोई कसर नहीं छोड़ी है अब बारी हमारी है कि हम उन्हें गोरखपुर और पूर्वांचल की सीटों पे हार जीत की चिंता से मुक्त करें और उनके कैंडिडेट को जितायें और योगी आदित्यनाथ को राष्ट्रीय राजनीती का एक नया  सितारा बनने दें,यदि इस बार हम चूके तो ये अवसर हमें दुबारा नहीं मिलेगा, सनद रहे आगे बढ़ते हुए प्रतिभाओं का टांग खींचने वाले बहुत होते हैं और जरुरी नहीं की वह बाहरी हो, हो सकता है कि वह अपने तर्कों से आपको समझाए, लेकिन आपको उसकी बातें सुनते हुए ये भी ध्यान देना है की हमारे बीच का कोई राष्ट्रीय क्षितिज पर चमक रहा है, पुरे देश में उसकी एक मांग है, लोग उन्हें सुनने आते हैं, एक बड़ा नेता मानते हैं, आपकी एक चूक उन्हें प्रभावित करेगी, शायद उन्हें कचोटेगी भी की गोरखपुर और पूर्वांचल के लिए इतना करने का क्या सिला मिला.

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