कल अयोध्या में
सिर्फ श्री राम मंदिर का शिलापूजन नहीं हुआ यह सनातन अर्थव्यवस्था का भी शिलापूजन
था. किसी भी राष्ट्र के विकास के लिए यह आवश्यक है की वहां सामाजिक विवाद की
शून्यता हो और सामाजिक उत्साह और आनंद उत्कर्ष पर हो, ये
दो मुख्य बुनियाद हैं जिस पर विकास की नींव रखी जाती है. माननीय सुप्रीम कोर्ट के
आदेश के बाद राम मंदिर निर्माण हेतु शिलापूजन कार्यक्रम के माध्यम से इस विवाद का
पटाक्षेप हो गया राष्ट्र का आनंद उत्साह के साथ उत्कर्ष पर पहुँच गया. श्री राम
मंदिर का शिलापूजन दुनिया में धार्मिक सम्पूर्णता और संतुलन स्थापना का प्रतीक है.
जैसे पुरे विश्व में ईस्लाम धर्म का मुख्य धार्मिक स्थल मक्का है, ईसाई धर्म का वेटिकन सिटी है, , बौद्ध धर्म का
लुम्बिनी है उसी तरह इस जगत के सबसे पुराने और व्यापक समाज हिन्दू जो की ईस्लाम,
ईसाई, एवं बौद्ध धर्म के आगमन पूर्व से ही हैं, उनके सबसे
महत्वपूर्ण अवतारी स्वयं ईश्वर श्री राम मंदिर की स्थापना दुनिया की सम्पूर्णता और
संतुलन स्थापना की तरफ बढ़ा एक कदम है. विश्व के लगभग 15% आबादी का सबसे महत्वपूर्ण केंद्र अयोध्या है और यह
भारत के विभिन्न हिस्से ही नहीं लगभग विश्व भर में फैले हिन्दुवों चाहे वो
इंग्लैंड , स्कॉटलैंड, अमेरिका, यूरोप के अन्य देश,
ऑस्ट्रेलिया , मॉरीशस , फ़िजी, गुयाना,
त्रिनिदाद,
थायलैंड,
कंबोडिया,
इंडोनेशिया,
सिंगापुर एवं अन्य देश हो,
वहाँ बसे हर हिन्दुवों के मनः
स्मृति में अयोध्या का नाम कहानी और इतिहास अंकित है, अतः अयोध्या टूरिस्ट इकॉनमी
का एक बड़ा केंद्र है। भारत की ऐतिहासिक विरासत हिन्दू धर्म के पौराणिक स्थल को
लेकर भी एक विश्व स्तरीय टूरिज़्म प्लान रामायण सर्किट, महाभारत सर्किट आदिभारत के
विकास में नींव का पत्थर साबित होगा। यह भारत के अर्थव्यवस्था में एक नए दृष्टिकोण
के साथ बड़ी सफलता के एक अध्याय जैसे जुड़ना होगा।
भारत में पर्यटन पूंजी
के तौर पर अयोध्या और हिन्दूवों के पौराणिक स्थल जिसमें सनातन धर्म के अनुयायियों
के लिए अयोध्या मथुरा, काशी, 12 ज्योतिलिंग,
51 शक्ति पीठ, चारों धाम, चारो शंकराचार्य के स्थान , के अलावा वैष्णो देवी मंदिर, सिद्धिविनायक मंदिर, गंगोत्री एवं यमुनोत्री
मंदिर उत्तराखंड, स्वर्ण मंदिर अमृतसर
, अमरनाथ , लिंगराज मंदिर उड़ीसा, गोरखनाथ मंदिर, कांचीपुरम मंदिर, खजुराहो मंदिर, विरूपक्षा मंदिर हम्पी, अक्षरधाम मंदिर गुजरात, गोमतेश्वर मंदिर कर्नाटक, साईं बाबा मंदिर, शिर्डी, श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर
केरल, लक्ष्मी
नारायण मंदिर दिल्ली, रंगनाथस्वामी श्री रंगम, पद्मावती मंदिर तिरुपति, एकमबरेशवर मंदिर कांची, कामाख्या मंदिर असम, कालीघाट मंदिर कोलकाता, छतरपुर मंदिर दिल्ली, सूर्य मंदिर, कोणार्क, बृहदीस्वरा मंदिर तंजावुर, सोमनाथ मंदिर गुजरात, तिरुपति
बाला जी आंध्र प्रदेश, चिरकुल बाला जी हैदराबाद, मीनाक्षी मंदिर मदुरै, कनक दुर्गा विजयवाड़ा आदि ऐसे अनेक मंदिर हैं जिसकी सरकार
चाहे तो अलग अलग टुरिस्ट सर्किट बना के टूरिज़्म विकसित कर सकती हैं और इन शहरों को
इनकी धार्मिक प्रसिद्धि के हिसाब से थीम सिटी के रूप में विकसित कर सकती है।
भारत के पास सिर्फ हिन्दू सनातन
का ही यह टुरिस्ट सर्किट नहीं मौजूद है, विश्व भर मे फैले बुद्ध समाज
के लिए हमारे पास सिद्धार्थनगर, रामग्राम,
कुशीनगर, सारनाथ, कलिंग, सांची स्तूप आदि महत्वपूर्ण स्थान है जहां हम विश्व भर के कई देशों
जैसे की श्रीलंका, थायलैंड,
चाइना, म्यांमार जैसे अन्य देशों से इन स्थानों का टूरिस्ट
सर्किट बना के अंतर्राष्ट्रीय पर्यटन विकसित कर सकते हैं।
जैन धर्म के भी अनुयायी पूरे
विश्व में फैले हैं और धन से सक्षम भी हैं,
उनके लिए हम ईसा से 599 वर्ष पहले वैशाली गणतंत्र के क्षत्रिय
कुण्डलपुर में जन्म लिए जैन धर्म के तीर्थंकर महावीर जैन के जन्म स्थान, गुजरात के कच्छ के जैन मंदिरों, दिल्ली का दिगंबर जैन लाल
मंदिर, गोमतेश्वर मंदिर कर्नाटक,
रणकपुर मंदिर राजस्थान आदि मंदिरों का एक टुरिस्ट सर्किट बना के इन सक्षम तीर्थ
यात्रियों को पर्यटन के लिए आकर्षित कर सकते हैं।
भारत की इस टूरिस्ट पूंजीगत
धरोहरों का भारतीय इकॉनमी के लिए इस्तेमाल होना चाहिए। भारत के पास ये संपत्तियाँ हजारों
वर्षों से पड़ी हुई हैं इस पर किसी का आर्थिक आधार पर अब तक दृष्टि नहीं गया था। रामायण
सर्किट के माध्यम से हमें अयोध्या को उन सभी देशों और नगरों से जोड़ा जाना चाहिए जहां राम के राज्य
का विस्तार हुआ था या संबंध था या वनवास के दौरान वह जहां जहां गए, मसलन अयोध्या-नासिक,
अयोध्या-जनकपुर, अयोध्या- श्री लंका, अयोध्या-कंबोडिया, अयोध्या-इंडोनेशिया-बाली, अयोध्या-थायलैंड, एवं
अन्य संबन्धित देश, इसी तरह श्री कृष्ण की भी एक सर्किट बनाया
जा सकता है । राम , कृष्ण , रामायण एवं महाभारत से संबन्धित स्थानों एवं चीजों का एक
अंतर्राष्ट्रीय सर्किट एवं म्यूजियम का
निर्माण किया जा सकता है।
अब तक की सरकारों का इस तरफ
विशेष दृष्टिकोण नहीं गया है जिसे बहुत पहले चला जाना चाहिए था। इन टूरिस्ट
सर्किटों का निर्माण और इनकी धार्मिक विशेषता के आधार पर शहरों का थीम शहर के तर्ज
पर विकसित करना कहीं से भी भारतीय संविधान के दायरे में गलत नहीं माना जाना चाहिए।
आपने एक शहर को उसके आर्थिक सम्भावना के हिसाब से उसकी आर्थिक सम्पत्तियों के आधार
पर थीम सिटी के रूप में विकसित किया तो इसमें कोई बुराई नहीं है, दुनिया भर की
सरकारें कर रही हैं। सऊदी की सरकार मक्का को विश्व भर में प्रोमोट करती है, अंतरराष्ट्रीय सुविधा एयरपोर्ट, पाँच से सात सितारा होटल
विकसित करती है ताकि वहाँ दुनिया भर में फैले मुसलमान लोग आयें और सऊदी का पर्यटन
विकसित हो हो उसी तरह विश्व भर में फैले ईसाई समुदाय के लिए वेटिकन सिटी को विकसित
किया गया। इन शहरों में आप जाइए मक्का में जाते ही आप एक थीम महसूस करते हैं, वेटिकन सिटी में जाते ही आप ईसा को महसूस करते हैं उनके धर्म को महसूस
करते हैं, तो यह अच्छा ही है की हम अयोध्या में घुसें और श्री राम
और राम राज्य को महसूस करें, हिन्दू सनातन हो तो ईश्वर के रूप में गैर
हिन्दू सनातन हो तो एक ऐतहासिक पौराणिक चरित्र के रूप में राम को महसूस करें और
शहर का विकास और वास्तु भी इसी थीम पे हो।
भारत एक धर्मनिर्पेक्ष देश है, यह हिन्दुवों को भी वैसे ही समझता है जैसे अन्य को, उसका यह कार्य सिर्फ भारत में बसे हिन्दुवों के लिए नहीं होगा, इसे पूरे विश्व में फैले हिन्दू समुदाय जिसका की संयोग से सबसे अधिक
महत्वपूर्ण स्थल, आराध्यों के स्थल भारत वर्ष में पड़ते हैं
इसे ऐसा दृष्टिगत करना चाहिए। राम तो भारत के हिन्दुवों के ही नहीं यहाँ बस रहे
१३० करोड़ लोगों के नायक हैं अतः राम मंदिर का निर्माण कहीं से भी साम्प्रदायिक
नहीं होगा । भारत में हिन्दू, जैन,
बौद्ध, सिक्ख, अजमेर शरीफ,
हाजी अली, ताज सबको पर्यटन की दृष्टि में रखकर कार्य करना चाहिए
ताकि भारत विश्व का एक बहुत बड़ा टूरिस्ट स्पॉट बन सके.
किसी भी देश का पर्यटन उद्योग
वहाँ रहने और बाहर से आने वाले समुदायों की सोच और जीवनशैली के आधार पर ही विकसित
होता है। आज भी भारत वर्ष में 90% लोग अगर टूर पर जाते हैं तो कारण धार्मिक ही
होता है। लोगों ने जिन स्थानों को बचपन से सुना है उसको देखना और महसूस करना चाहते
हैं। धार्मिक पर्यटन के माध्यम से वो दोहरे फायदे में होते हैं एक तो वो परिवार को
वो घूमा देते हैं इसी दर्शन के बहाने और दूसरे दर्शन भी हो जाता है। आज भी उत्तर
भारत के कई दंपत्ति साल में एक बार घूमने के लिए वैष्णो देवी मंदिर जाते हैं इसी
बहाने उनका एक वार्षिक टूर भी हो जाता है और एक धार्मिक अनुष्ठान हो जाता है।
सरकार को इसी सूत्र को पकड़ना चाहिए ताकि विश्व भर के हिन्दू यहाँ पर्यटन भी कर
सकें साथ मे दर्शन भी कर सकें। यहाँ महत्वपूर्ण जगह जैसे की अयोध्या मथुरा, आगरा, काशी, गोरखपुर,
पटना, द्वारिका, अजमेर शरीफ , कुशीनगर जैसे जगहों पे अच्छे सुविधा युक्त एयरपोर्ट विकसित किए जाएँ, फाइव स्टार होटल बनाए जाएँ, अन्य इन्फ्रा विकसित किए जाएँ
ताकि यात्रा सुगम हो और इन जगहों के अन्य चीजों का भी व्यापार फले फुले यदि बड़ी
संख्या में विश्व भर से तीर्थ यात्री यहाँ आते हैं तो।
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