बेनामी की इनामी योजना

बेनामी की इनामी योजना

एनडीए का यह काल तीन चीजों के लिए जाना जायेगा नोटबंदी जीएसटी एवं बेनामी का नया कानून २०१६ जो पिछले कानून के मुताबिक काफी कड़ा है. इस कानून के मुताबिक सरकार किसी व्यक्ति द्वारा बेनामीदार के नाम पर प्राप्त किसी भी संपत्ति को अटैच और बाद में जब्त कर सकती है और ऐसे बेनामी लेनदेन में शामिल सभी व्यक्तियों पर मुकदमा चलाया जा सकता है, जिसमें सात साल की कठोर कारावास भी हो सकता है .

बेनामी संपत्तियों के खिलाफ बड़ा अभियान चलाते हुए काला धन रोकने के इनामी योजना के साथ अप्रैल २०१८ में पुरस्कार योजना के दो पत्र जारी किये जिसमें से एक पत्र बेनामी लेनदेन सूचनार्थी पुरस्कार योजना 2018 के लिए था. बेनामी लेनदेन के सम्बन्ध में सूचना देने के लिए अलग पुरस्कार योजना एवं विधि है और कालेधन के सम्बन्ध में सूचना के लिए अलग पुरस्कार योजना एवं विधि है. आयकर सूचनार्थी पुरस्कार योजना, 2018 की चर्चा हम लोग कर चुके हैं यहाँ बेनामी की इनामी योजना को समझते हैं.

बेनामी योजना के तहत सूचनार्थी बनने की एक विशेष प्रक्रिया है यदि आप उस विशेष प्रक्रिया का पालन करते हैं तो ही आपको इस स्कीम का इनाम मिलेगा कोई भी अन्य तरीका जिसमे जैसे कोई पत्र, ई-मेल, सीडी, व्हाट्सएप, एसएमएस, फोन, मीडिया में खबर या सोशल मीडिया पे कोई पोस्ट के द्वारा सुचना देते हैं आप इनाम के हक़दार नहीं हैं. सूचनार्थी को संपत्ति के सम्बन्ध में एकदम विशिष्ट सूचना सिर्फ निर्धारित प्रारूप A में देनी होगी, इस की प्रकृति साधारण न होकर विशिष्ट होनी चाहिए और कुल चल या अचल सम्पति मिला के उसका उचित बाजार मूल्य १ करोड़ से ज्यादे होना चाहिए. सूचनार्थी द्वारा दी गई जानकारी को केवल इस योजना के तहत विशिष्ट जानकारी के रूप में तभी माना जा सकता है जब यह जानकारी सत्यापन योग्य विवरण के साथ हो बेनामीदार का का नाम और पता हो तथा उस जानकारी के लिए सहायक सबूत सहित विश्वसनीय आधार हो जिससे यह पता चले की संपत्ति वास्तव में बेनामी संपत्ति है।

यह सूचना काले धन की योजना के उलट संयुक्त आयुक्त आयकर या अतिरिक्त आयुक्त (बेनामी निषेध) को देनी होगी वह जिसका अधिकार क्षेत्र वहीँ हो जहाँ बेनामी संपत्ति है. यदि बेनामी संपत्ति कई जगहों पे हैं तो किसी एक जगह के संयुक्त आयुक्त को बताना होगा वह अन्य अधिकार क्षेत्र में आने वाले संयुक्त आयुक्त को गाइड करेगा. जब व्यक्ति किसी अन्य आयकर प्राधिकारी को बेनामी संपत्ति के बारे में जानकारी देता है, तो ऐसे ऐसे अन्य प्राधिकारी इस जानकारी को सक्षम अधिकार क्षेत्र वाले संयुक्त आयुक्त या अतिरिक्त आयुक्त (बेनामी निषेध) को प्रेषित करेगा एवं उन्हें गाइड करेगा. यदि एक स्थान पर एक से अधिक बेनामी संपत्तियां है तो उस सुचनार्थी को को डीजीआईटी (जांच) से संपर्क करने के लिए निर्देशित किया जा सकता है। एक व्यक्ति एक या एक से अधिक बेनामी संपत्तियों के बारे में जानकारी दे सकता है, यह वह एक साथ कर सकता है कई बार कर सकता है वह यदि कई बार करता है तो उसे हर बार फॉर्म A भरना पड़ेगा. एक ही फॉर्म पर वह एक से अधिक संपत्तियों की जानकारी सूचित कर सकता है लेकिन शर्त है की वह एक ही बेनामीदार या लाभार्थी की होनी चाहिए.

सूचनार्थी की सुरक्षा के लिए इनके द्वारा दी गई जानकारी, इनकी पहचान किसी भी व्यक्ति या प्राधिकरण के सामने जाहिर नहीं किया जायेगा जब तक कि वह किसी कानून या कोर्ट के द्वारा बाध्य न किया जाए. निर्धारित प्रक्रिया में सूचना के बाद उसे एक गुप्त कोड दिया जायेगा एक बार कोड का आवंटन के बाद आगे की सभी कारवाई में उसे कोड के नाम से ही जाना जायेगा. यदि यह सूचना सामूहिक रूप से दी गई है तो प्रत्येक व्यक्ति को एक कोड आवंटित होगा. यदि सुचनार्थी को कोई भी कठिनाई होती वह उस क्षेत्र के पीडीआईटी (जाँच) / डीआईटी (जाँच) से संपर्क कर सकते हैं एवं इस योजना के तहत सूचना कोड के आवंटन के मामले में ईनका निर्णय अंतिम होगा। हालाँकि इस योजना का सबसे महत्वपूर्ण पहलु सूचनार्थी की सुरक्षा है और मेरे ख्याल से इसे और पुख्ता किये जाने की जरुरत है. कमिश्नर के समक्ष मैन्युअल इंटरएक्शन अभी भी इसमें है एवं सूचनार्थी को भविष्य में बुलाया भी जा सकता है, ऐसे में जानकारी लीक होने की सम्भावना है. इसे और ज्यादे डिजिटल एवं मैन्युअल इंटरएक्शन ख़त्म किये जाने की जरुरत है OTP एवं कोड के इस्तेमाल से सूचनार्थी को भौतिक रूप से प्रकट होने की गुंजाईश को कम किया जा सकता है और सब कुछ सॉफ्टवेयर आधारित किया जा सकता है आखिर विभाग को तो सिर्फ सूचना ही चाहिए जो वह कूट माध्यम से डिजिटल माध्यम का इस्तेमाल कर कर सकता है. इस डिजिटल माध्यम में सरकार चाहे तो एक समर्पित पोर्टल भी बना सकती है. यदि कोई विदेशी व्यक्ति यदि किसी विदेशी आय या सम्पति की जानकारी देना चाहता है तो वह सदस्य CBDT (जाँच) को पत्र, मेल या व्यक्तिगत तौर पर संपर्क कर सकता है.

इनाम की व्यवस्था दो स्तरों पे की गई है पहला आंतरिक एवं दूसरा फाइनल. आतंरिक इनाम ऐसी जानकारी के बाद इस बेनामी कानून की धारा 24 (4) के तहत अस्थायी रूप से अटैच होने के चार महीने के अन्दर दिया जाएगा. यह बेनामी संपत्ति के उचित बाजार मूल्य के  १ प्रतिशत के बराबर होगा हालाँकि प्रति संपत्ति इनामी राशि १० लाख से अधिक नहीं हो सकती.

फाइनल राशि बेनामी संपत्ति के उचित बाजार मूल्य के  ५ प्रतिशत के बराबर होगा हालाँकि प्रति संपत्ति इनामी राशि १ करोड़  से अधिक नहीं हो सकती और इसमें से पूर्व में भुगतान हुए आतंरिक इनाम राशि को समायोजित किया जायेगा. बेनामी संपत्ति के जब्तीकरण के आदेश के 6 महीने के भीतर अंतिम इनाम दिया जायेगा। यदि जब्तीकरण की तारीख से दो साल बीत चुके हैं और इस तरह के जब्त के खिलाफ कोई मुकदमा लंबित नहीं है, तो भी इस जब्त को अंतिम माना जाएगा और दो साल बीतने वाली तारीख से ६ महीने के अन्दर इनाम का भुगतान करना होगा।
       
हालाँकि इनाम पाना इतना आसान नहीं है सूचनार्थी को इसे पूरी तरह से समझना पड़ेगा. निम्न परिस्थितियों में सूचनार्थी को कोई इनाम नहीं मिलेगा यदि उसने सूचना योजना के तहत और निर्धारित प्रारूप में नहीं दी है, नियम और शर्तें पूरी नहीं हुई हैं , दी गई जानकारी अपर्याप्त अस्पष्ट, गैर-विशिष्ट या सामान्य प्रकृति है या यह जानकारी विभाग के साथ पहले ही उपलब्ध है,  या जो संपत्ति मिला है वह इस विशिष्ट सूचना पर आधारित नहीं है या यदि इस दौरान कोई अतिरिक्त चीजें मिलती है जिससे सरकारी राजस्व की प्राप्ति होती है और वह फॉर्म A पर वर्णित नहीं है तो उसपर भी इनामी राशि नहीं मिलेगी. सूचनार्थी को मामले में प्राप्त किए गए कार्यवाही या नतीजे के संबंध में कोई जानकारी प्राप्त करने का अधिकार नहीं होगा उसे केवल यह अपडेट किया जा सकता है कि उसकी जानकारी पर कार्यवाही किया गया है और यदि हां, तो क्या उसे कोई इनाम मिलेगा इससे ज्यादे नहीं. यदि सूचना देने वाले व्यक्ति को सूचना देने के सम्बन्ध में कोई परेशानी हुई है तो वह संबंधित पीडीआईटी/डीआईटी (जाँच) से संपर्क कर सकता है, जिसका निर्णय इस मामले में अंतिम निर्णय होगा। इस योजना के तहत किसी भी सरकारी कर्मचारी को कोई इनाम नहीं दिया जाएगा, यदि वह अपने सरकारी सामान्य कर्तव्यों के दौरान यह जानकारी प्राप्त करता है और सूचित करता है.यदि कोई अन्याय सुचनार्थी के साथ हुआ है तो असाधारण परिस्थितियों में इसकी समीक्षा हो सकती है.


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