बिट कॉइन मुद्रा और राष्ट्र


बिट क्वाइन मुद्रा और राष्ट्र


अभी कुछ दिन पहले भारत की विदेश मंत्री का संयुक्त राष्ट्र संघ में शानदार भाषण हुआ और उसके तुरंत बाद भारत के प्रधान मंत्री ने ट्वीट का सुषमा जी को वैश्विक चुनौतियों और बेहतर पृथ्वी के लिए भारत की प्रतिबद्धता को रेखांकित करने के लिए बधाई दिया। यह सच है की हम अन्तरिक्ष में एक चुंबकीय आधार पे लटके हुए ग्रह पे हैं, और उस ग्रह के हम सबसे समझदार प्राणी है। इस ग्रह पे हमने मानव बस्तियाँ बसा ली हैं और उन बस्तियों के बीच हमने कुछ रेखाएँ खींच ली हैं। छोटी रेखाएँ हमारी घर की चहारदीवारियाँ हैं और बड़ी रेखाएँ देशों की सीमाएं। कालांतर में जब मानवीय सभ्यता विकसित हो रही थी तो इस ग्रह के बुद्धिमान प्राणियों ने विनिमय की शुरुवात की थी। सिंधु घाटी की सभ्यता एवं अन्य सभ्यतावों के अध्ययन से पता चलता है की तत्कालीन दौर में वस्तु विनिमय ज़ोरों पर था। जैसे जैसे मानवों की बसावट बढ्ने लगी, ग्राम राज्य बने, गांवों की संख्या बढ्ने लगी तो राज्य बने और सत्ता या राज्य प्रतिष्ठान का जन्म हुआ। इस राज्य प्रतिष्ठान की प्रमुख जिम्मेदारियों में नागरिक प्रशासन एवं सुविधा के साथ व्यापार एवं लेन देन के नियमन की प्रक्रिया चालू हुआ और यहीं पर वस्तु विनिमय की जगह सत्ता या राज्य प्रतिष्ठान द्वारा मान्यता प्राप्त धातु की एक भौतिक मुद्रा का चलन प्रारम्भ हुआ और शनैः शनैः विनिमय का मानकीकरण मुद्रा के रूप मे होता गया और राज्यों का नियंत्रण मुद्रा के माध्यम से नागरिकों के ऊपर बढ़ता चला गया। वस्तु विनिमय में जहां विनिमय हो रही मुद्रा का मानकीकरण नहीं था और विनिमय हो रही वस्तुओं के मूल्यों का निर्धारण विनिमय कर रहे दो व्यक्तियों के खुद के जरूरत और निर्धारण पे निर्भर करता था और राज्य का हस्तक्षेप कर भार को छोड़ दें तो नगण्य था। जब मुद्रा का जन्म हुआ तो राज्य को इन सौदों को, कर को, राज्य के नागरिकों को और विभिन्न राज्यों के बीच अपने आपको मजबूत करने का एक साधन मिल गया, और इस प्रकार मुद्रा का जन्म हुआ।

मुद्रा की सबसे बड़ी विशेषता जो कि सत्ता या राज्य प्रतिष्ठान द्वारा मान्यता प्राप्त होने के शर्तों से भी ज्यादे जरूरी है वह है सौदों के रूप में इसकी जन स्वीकार्यता। अगर किसी मुद्रा में राज्य प्रतिष्ठान द्वारा मान्यता प्राप्त होने के बाद भी सौदों के लिए जन स्वीकार्यता नहीं है तो वह मुद्रा नहीं हो सकता है और बिट क्वाइन ने इसी सूत्र वाक्य को पकड़ा है।

कालांतर में जैसे भौतिक दुनिया का जन्म हो रहा था और भौतिक विनिमय का जन्म हुआ उसी तरह आजकल आभाषी दुनिया का जन्म हो रहा है और आभाषी विनिमय का जन्म हुआ है बिट क्वाइन के रूप में।

आज के दौर में बिटकॉइन एक आभासी मुद्रा है आज के भौतिक मुद्रा की तरह इसका कोई धातु या कागज का स्वरूप नहीं है ना ही अंतिम तौर पे इसकी गारंटी किसी राज्य एवं उसके केन्द्रीय बैंक द्वारा कोई भौतिक स्वरूप में है। यह विशुद्ध रूप से एक डिजिटल करेंसी है जिसे  आप ना तो देख सकते हो और ना ही आप छू सकते हैं हाँ इसे आप इलेक्ट्रॉनिक स्टोर कर सकते हैं अगर किसी के पास बिटकॉइन है तो वह वर्चुअल बाजार में आम मुद्रा की तरह ही सामान खरीद सकता है

आज के आभाषी दौर में बिटकॉइन काफी लोकप्रिय हो रहा है।  इसका अविष्कार  सातोशी नकामोतो नामक एक इंजीनियर ने वर्ष 2008 में किया था और 2009 में ओपन सोर्स सॉफ्टवेयर के रूप में इसे जारी किया था।

जहां आम डेबिट /क्रेडिट  कार्ड से भुगतान करने में लगभग कुछ लेनदेन शुल्क लगता है वहीं इसके लेनदेन मे कोई अतिरिक्त शुल्क नहीं लगता है इस बजह से भी यह लोकप्रिय होता जा रहा है। किसी अन्य क्रेडिट कार्ड की तरह  इसमें कोई क्रेडिट लिमिट नहीं होती है नहीं कोई नगदी लेकर घूमने की समस्या है  खरीदार की पहचान का खुलासा किए बिना पूरे बिटकॉइन नेटवर्क के प्रत्येक लेन देन के बारे में पता किया जा सकता है

आज दुनिया में ऐसी सैकड़ों हजारों वेबसाइट कंपनीयां है जो बिटकॉइन को मुद्रा के रूप में स्वीकार कर रही है। दुनिया के भौतिक बाजार आजकल इंटरनेट पे और इंटरनेट हमारे मोबाइल पे आ आ गया है और लोग अपने खरीददारी का एक बड़ा भाग आजकल इस आभाषी माध्यम मोबाइल इंटरनेट से कर रहें हैं और भौतिक वैलट कि जगह वर्चुअल वैलट रखने लगे हैं। आज भी कई लोगो के पास बैंकिंग सुविधा नहीं है लेकिन उन लोगों की संख्या अधिक है जिनके पास इंटरनेट के साथ सेल फोन है और यह इंटरनेट के माध्यम से व्यापार नहीं कर सकते । मोबाइल इंटरनेट, लोयल्टी पॉइंट, रिवार्ड पॉइंट एवं वैलट कि विचारधारा ने बिटकॉइन कि विचारधारा को इन्फ्रा सपोर्ट किया है क्यूँ कि इसने राज्य प्रतिष्ठान कि अनिवार्य मान्यता को हटा कर सिर्फ एक सूत्र वाक्य को पकड़ा है वह है जन स्वीकार्यता और हमें ले गया है उस दौर में जब विनिमय के लिए मानवों ने देश कि सीमावों के रूप में बड़ी रेखाएँ नहीं खींची थी। बिना राज्य प्रतिष्ठान कि गारंटी, केन्द्रीय बैंक के नियमन के भी आप आभाषी दुनिया में बिटकॉइन की वजह से लेन देन कर सकते हैं क्योंकि बिटकॉइन पर किसी व्यक्ति विशेष सरकार या कंपनी का कोई स्वामित्व नहीं होता है बिटकॉइन करेंसी पर कोई भी सेंट्रलाइज कंट्रोलिंग अथॉरिटी नहीं है आज बिटकॉइन काफी पॉपुलर इसलिए है क्यूँ कि इसे मुद्रा शक्ति उन हजारों लोगों से मिलती है जिनके पास विशेष कंप्यूटर है जो नेटवर्क को इतना शक्ति संपन्न बनाते हैं कि नेट पर विनिमय सुरक्षित हो और लेनदेन की जांच करते रहते है  हैं इस प्रक्रिया को माइनिंग कहा जाता है। बिटकॉइन के पूरे सौदे कि चेन को आप देख सकते हैं पूरी निजता बनाए हुआ।

आज के राष्ट्र राज्य कि अवधारणा में बिटकॉइन एक नई और बड़ी चुनौती है। यह एक नई आभाषी दुनिया का निर्माण कर रही है, उस आभाषी दुनिया कि करेंसी का निर्माण कर रही है। अब किसी देश के नागरिकों को किसी देश के मान्यता प्राप्त करेंसी को संग्रहीत करने और लेन देन कि जरूरत नहीं है। इस आभाषी दुनिया कि इस आभाषी करेंसी पे न तो राज्य का नियमन है और ना ही ईस पे राज्य का कानून काम कर पा रहा है। यह पूरी तरह पीयर टू पीयर अवधारणा पे काम कर रहा हैं जहां राज्य का हस्तक्षेप नहीं है। आज कि यह आधुनिक करेंसी हमें मानवीय सभ्यता के उस शुरुवाती दौर में ले जा रहा है जब मानवों के विकास एवं सुखमय जीवन के राज्य कि स्थापना हुई थी और राज्य का नियंत्रण जनता पे पूरी तरह स्थापित हो पाया था और कर भार लगाने का एक आधार मुद्रा का जन्म हुआ था।बिटकॉइन का प्रचलन केवल राष्ट्र कि भूमिका और उसके राष्ट्रवाद को ही नहीं खत्म कर रहा है यह उस राज्य के द्वारा लगाए जाने वाले कर के बेस को भी खत्म कर दे रहा है, और यह आगे चल के ब्लैक मनी का बहुत बड़ा हथियार बन सकता है। मानव सभ्यता के बड़े दुश्मन आतंकवादी, ड्रग माफिया एवं तस्कर इसका इस्तेमाल बड़े पैमाने पर कर सकते हैं।

जब तक आभाषी दुनिया लोगों को अपनी गिरफ्त मे लेकर एक नई दुनिया एक नई कानून और एक नई सीमा रेखा को स्थापित करे पूरी  दुनिया को ईसपे शोध एवं चिंतन करने कि जरूरत है ताकि इसका मानव हित में कैसे इस्तेमाल किया जा सके और इसे ब्लैक मनी और माफिया के इस्तेमाल से बचाया जा सके।

 

     

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