अर्थ के ऋषि मुनि पे सर्जिकल स्ट्राइक कैसे?

जीएसटी के लॉंच और सीए डे के दिन आईसीएआई के भरे समारोह में देश के पीएम ने भारतीय सीए को अर्थव्यवस्था का ऋषि मुनि कहा और शाम को टीवी चैनलों ने सीए पे सर्जिकल स्ट्राइक की ब्रेकिंग न्यूज़ चला दी।ऋषि मुनियों पे सर्जिकल स्ट्राइक कैसे हो सकती है? क्या टीवी चैनलों को ये नहीं पता की ऋषि मुनियों पे पुराणों मे सर्जिकल स्ट्राइक कौन करता है? देश के पीएम ने अपने भाषण में कहीं ऐसी बात नहीं की थी जो सर्जिकल स्ट्राइक जैसी हो। वह आईसीएआई के घर में आकर अपनी, देश की और पेशे की चिंताओं को रख रहे थे, और आईसीएआई के सदस्यों ने ताली बजा के उनके संदेशों को और सीखों को सहर्ष लिया।

यह सच है की चार्टर्ड अकाउंटेंट देश के अर्थ व्यवस्था की रीढ़ हैं आज पूरे देश मे या दुनिया मे भारत की अर्थव्यवस्था भाग रही है वह भारत के चार्टर्ड अकाउंटेंट का उसमें बहुत महत्वपूर्ण योगदान है। यह एक इकलौता संस्थान है और इसके सदस्य देश के ऐसे दूत हैं जो सरकार की आर्थिक, कर एवं वित्तीय नीतियों के और जनता के बीच की महत्वपूर्ण कड़ी हैं। देश के हर वित्तीय नीतियों का सही और सरल तरीके से नागरिकों तक सम्प्रेषण करना, उन्हे समझाना, उन्हे कर के महत्व के बारे में बताना, उनसे कर जमा करवाना, और जमाकराने के साथ उनसे उसकी औपचारिकतावों को पूरा कराने का काम करते हैं।

आज जो जीएसटी लागू हुआ है और जितनी बाजार में अफरा तफरी की आशंका थी, उतनी नहीं हुई क्यूँ की आईसीएआई पिछले 1 साल से लगातार जीएसटी पे काम कर रही थी, फ़ैकल्टि निर्माण के साथ, अब तक देश भर में हजारों सेमिनार वर्क शॉप ट्रेनिंग के कार्यक्रम आयोजित करा चुकी है। आईसीएआई ने अपने सदस्य सीए को इस तरह से दक्ष कर रक्खा था की देश के व्यापारियों के हर आशंका और सवालों का जबाब इनके पास था।


यह सच है और इसे पीएम ने महसूस किया की बिना सीए के ऐसा देश में संभव नहीं था, और सीए डे के समारोह में उनका आना इस बात को रेखांकित करता है की सीए को वो देश का कितना गरिमामयी पेशा मानते हैं। पीएम ने जो सीख दी और जिस व्याप्त अवधारणा की बात कही वो भी एक सच है जिसे स्वीकार करना पड़ेगा, लेकिन यह भी एक सच है की अब सीए पेशा कर सलाह और बही पे सही से बहुत आगे निकाल चुका है अब वह राष्ट्र के निर्माण के हर पहलू मे कदमताल कर रहा है।

देश के नागरिकों को भी अपने दिमाग से यह बात निकाल देना चाहिए की सीए का मतलब कर सलाह या कर बचाने वाला होता है। वह प्रबंध सलाह, उद्योगों के वैल्यू एडिशन में, आंतरिक एवं प्रबंध अंकेक्षण मे एवं स्ट्रेटेजिक कंसल्टिंग के रूप में अपनी सेवाएँ दे रहे हैं। सीए का उपयोग अब उद्योग जगत अपने व्यवसाय विस्तार एवं ग्लोबल होने के लिए कर रहा है न की केवल टैक्स प्लानिंग के लिए ।

नोटबंदी या समय समय पर जो खबरें कुछ आईसीएआई के सदस्यों के संबंध में आई, उनपे संस्थान ने कारवाई की और सही मानें तो इन कुछ सदस्यों का चेहरा पूरे पेशे का चेहरा नहीं हो सकता। देश के सीए और और आईसीएआई संस्थान ने ऐसी हरकतों का पुरजोर विरोध किया और इसे पेशे के मूल्यों के खिलाफ बताया। आज आईडीएस हो या नोटबंदी हो सरकार की नीतियों के बाद उसे समझने के लिए यदि किसी करदाता को जाना हो तो किस के पास जाएगा , लाज़मी है की सीए के पास जाएगा। ऐसे नोटबंदी के महत्वपूर्ण समय में जरा आप कल्पना कीजिये की अगर सीए नहीं होते तो बाजार और देश का क्या हाल होता। बिना किसी बड़े आंदोलन के शांति से नोटबंदी जैसा देश का बड़ा कदम बीत गया तो इसमे सीए का देश की सरकार के साथ हर कदम पे कदमताल करना भी एक प्रमुख कारण था। सरकार के विज्ञापन जागरूकता की चाहे जितनी बातें कर लें लेकिन बिना सीए की सहायता के नोटबंदी जैसा बड़ा फैसला संभव नहीं था।

जहां तक मेरी जानकारी है देश का कोई भी सीए कभी भी कर चोरी की सलाह नहीं देता है, कर चोरी का प्रारूप कर चोर ही तैयार करता है। चूंकि देश के कर कानून प्रतिवर्ष नवीकृत होते रहते हैं और उनमे महत्वपूर्ण संसोधन होते रहते हैं , नोटिफ़िकेशन आते रहते हैं जिस कारण व्यापारी इन संसोधनों से वास्तविक समय पे अवगत नहीं रहता है क्यूँ की उसका प्रथम कार्य व्यापार करना है। ऐसे में कई बार गैर जानकारी के अभाव में व्यापारी गलत या ज्यादा टैक्स भर देता है। ऐसे समय में सीए ही होता है जो अपनी सही सलाह के द्वारा उस व्यापारी द्वारा सही टैक्स भरवाता है, जिसके कारण कई बार व्यापारी को कम कर भरने पड़ते हैं। ऐसी कर बचत को आप कर चोरी नहीं कह सकते हैं, क्यूँ की यह कानून के दायरे , सरकार के प्रावधानों के तहत सही कर की गणना और भुगतान है।

माननीय पीएम ने मंच पे आके अपनी बातें कहीं और मुझे यकीन है की उन्हे सीए की चिंतावों के बारे में जानकारी होगी और मुझे पूर्ण विश्वास है की वह पूरे बातों के अध्ययन के बाद अपनी बातें कहीं होंगी। आज सीए दोहरे मानसिक दबाब से गुजर रहा होता है। जब क्लाईंट उसके पास आता है किसी कर सलाह के लिए तो उसकी यही अपेक्षा होती है की की सीए उसका कर बचाएगा, जबकि कर अधिकारियों की, सरकार की नहीं का यह दबाब होता है की सीए ज्यादे से ज्यादे कर भरवाये, और इन्ही दो लोगों के द्वंद के बीच सही निर्णय लेते हुए सीए मानसिक दबाब में झूलता रहा है। सीए के साथ दूसरा हितों के टकराव वाला दबाब यह है की उसे टैक्स ऑडिट में उसी व्यक्ति से अपनी फीस लेनी होती है जिसकी रिपोर्ट उसे सरकार को करनी होती है। जरा आप सोचिए सीए के लिए कितनी दृढ़ इच्छा शक्ति की जरूरत होती है जब वह उसी क्लाईंट की अनियमिततावों को रिपोर्ट करता है और बाद में उसी क्लाईंट से फीस लेता है, कई बार ऐसा करने पर कई क्लाईंट लोग अपने सीए को निकाल भी देते हैं। एक सीए को अपने पेशे को जीवन की जरूरतों की धार पे चलते हुए इसे व्यवसाय के रूप से बचाते हुए पेशे की उच्च मानदंडों का पालन करना पड़ता है।

वास्तव में सरकार को सीए का ऑडिट के लिए ईमपैनलमेंट संस्थान द्वारा कराना चाहिए ना की इस नियुक्ति का अधिकार क्लाईंट को देना चाहिए, इसके द्वारा हितों के टकराव की समस्या खत्म हो जाएगी ऑडिट रेपोर्टिंग मे इंडेपेंडेंसी एवं पैनापन एवं इसकी धार और मजबूत होगी।

इन सभी बातों के साथ देश को इस बात को स्वीकार करना पड़ेगा की भारतीय सीए आज भी विश्व में सबसे उच्च कोटि का सीए माना जाते हैं। भारतीय सीए फ़र्में आज भी ऑडिट में कंजरवेटिव अप्रोच अपनाती हैं। बही पे सही करने से से पहले जब तक वह बही देख नहीं लेती हैं संतुष्टि भर टेस्ट आधार पर सत्यापन नहीं कर लेती हैं तब तक भारतीय सीए फ़र्में सही करने का जोखिम नहीं उठाती हैं।

भारत में एक सीए प्रैक्टिस का एक सत्य यह भी है की भारतीय वित्तीय कार्य का 80% से ज्यादे कार्य विश्व की 4 बड़ी फ़र्में BIG 4 के पास है, बाकी बचे 20% से कम में भारत की अन्य सीए फ़र्में हैं। बिग 4 फ़र्मों का फीस भी भारतीय फ़र्मों के सीए से बहुत ज्यादे होता है। भारतीय सीए फ़र्मों को बाजार की इस स्थिति , सच्चाई और मिसमैच के बीच काम करना पड़ता है जिसे सरकार को ध्यान देना पड़ेगा। हालांकि भाषणके अंत में मैं माननीय पीएम के उस सम्बोधन का स्वागत करूंगा जिनमे उन्होने कहा था की विश्व मे BIG 4 सीए फ़र्मों की जगह BIG 8 फ़र्में होनी चाहिए और अगली 4 फ़र्में भारत की होनी चाहिए। यह आवाहन भारत के पीएम का भारत के सीए और आईसीएआई के प्रति उनके विश्वास एवं इस पेशे की शक्ति को दर्शाता है।

Comments