पीएम के भक्त नहीं मित्र बनें

पीएम के भक्त नहीं मित्र बनें
-----------------------------------
आज बहुत से लोगों से चर्चा हुई, और कई लोगों ने कहा कि देश के इकॉनमी पे या गृह युद्ध जैसी बातें नहीं लिखनी चाहिए। मेरा मानना है इस वक़्त हमारे देश के प्रधान मंत्री ने बड़ा फैसला लिया है और उसके इम्प्लीमेंटेशन में हम सबको सहयोग देना चाहिए। अगर जनता स्कीम नहीं समझ पा रहे हैं तो उन्हें समझाना चाहिए और अगर नेता समझा नहीं पा रहे हैं तो उन्हें बताना चाहिए की नेता समझा नहीं पा रहे हैं। आज हर बैंक के बाहर लाइन लगी है और वो भी 2000 के लिए, जरा सोचिए कि लोग क्या सोच रहे होंगे की कैसे दिन आ गए की अपने 2000 निकालने के लिए 4 - 4 घंटे लाइन लगना पड़ रहा है। बेचैनी और निराशा तो अपनी जगह बना रही होगी ऐसे में अगर किसी असामाजिक तत्व ने जरा सा लहका दिया तो लोग बाग़ बैंक में चढ़ाई कर सकते हैं, और ऐसे में जिसे पीएम ने सीईओ बनाया वही बोले कि 2-3 हफ्ते लगेंगे तो ये बारूद में आग लगाने जैसा है। पीएम ने 50 दिन मांगे तो रिप्लेसमेंट के लिए नहीं बोला उन्होंने काले धन के लिये 50 दिन माँगा था रिप्लेसमेंट की बात एफएम ने की थी। एक ऍफ़एम् पुरे देश को लाइन पे लगा के और देश की ओवरआल 86% और गांव कस्बो की 99% अर्थ व्यवस्था दांव पे लगा के ये नहीं बोल सकता कि 2 से 3 हफ्ते रिप्लेसमेंट में लगेंगे। सिस्टम और देश दोनों कोलैप्स हो सकता है।

इसमें यदि इन खतरों से आगाह कराते हैं तो इसमें कोई बुराई नहीं है। सही में हमें पीएम का मित्र बनना चाहिए इस वक़्त ताकि उन्हें सच्ची सलाह और अगर गलत हो रहा है या कुछ कटु सत्य बोलना  भी पड़े तो बोले ये अच्छा है। भक्त नहीं उन्हें मित्र चाहिए। भक्त कभी आलोचना नहीं कर सकता मित्र कर सकता है। मैं भारत के पीएम को अपना मित्र मानता हूँ।

अब चलते चलते, आज पीएम के भाषण से यह स्पष्ट है कि अब बेईमानों की खैर नहीं। अभी भी जिनके पास पैसा है और लालच भरा पड़ा है उनकी तो खैर नहीं। आयकर ही नहीं ऐसे श्रमरक्तपिपासू लोगों को तो वो छोड़ने वाले नहीं है। व्यापारी तो 90% कर (30% कर और 200% पेनाल्टी मतलब 60% कुल 90%) भरने के बाद भी बोल सकते हैं कि व्यापार में लाभ मैंने कमाया जो उनका मुख्य कार्य है, जरा सोचिये ब्यूरोक्रेट्स और नेता क्या श्रोत बताएँगे, उनका मुख्य कार्य तो लाभ कमाना नहीं है।

शायद जो बाबू का उन्होंने उदाहरण दिया ये फिर इन बिटवीन द लाइन है। अबकी बार अटैक सरकारी बाबू अधिकारी और कर्मचारी पे है जहाँ तक मैं अंदाजा लगा पा रहा हूँ। काला धन और भ्रष्टाचार के खिलाफ अब तक की यह सबसे बड़ी और निर्णायक लड़ाई है। जिस जिस के पास धन की एडिशनल चर्बी चढ़ि थी अब उन सब की चर्बी सही हो जाएगी। हम सहयोग करने को तैयार हैं बस आप रिप्लेसमेंट सही कर दो और कमांड अपने हाथ में लेलो।

Comments

Unknown said…
👌👌👍👍
RAJ KAMAL said…
पंकज भाई, आपने अपने ब्लॉग में बहुत ही उम्दा बात लिखा है-"इसमें यदि इन खतरों से आगाह कराते हैं तो इसमें कोई बुराई नहीं है। सही में हमें पीएम का मित्र बनना चाहिए इस वक़्त ताकि उन्हें सच्ची सलाह और अगर गलत हो रहा है या कुछ कटु सत्य बोलना भी पड़े तो बोले ये अच्छा है। भक्त नहीं उन्हें मित्र चाहिए। भक्त कभी आलोचना नहीं कर सकता मित्र कर सकता है। मैं भारत के पीएम को अपना मित्र मानता हूँ" ...... लेकिन आज के दौर में मामला कुछ हिसा विवेकहीनता की तरफ बढ़ता दिख रहा है की अगर आपने PM मोदी को "मित्र" कहा या मेरी तरह "PM मोदी ने कुछ ऐसे काम जरुर किये हैं या उनका व्यक्तिगत जीवन ऐसा रहा है कि मैं उनसे प्रभावित जरुर रहा हूँ", ऐसा लिखने मात्र से ही मोदी विरोधी "अंधभक्त" की संज्ञा देते हुए नजर आते हैं .... लेकिन अपना सिद्धांत है-"हाथी चले बजार, कुक्कुर भुकस हजार" ... लेकिन ये मामला नजरअंदाज करने वाला अभी नहीं है क्योंकि अगर ये निराधार विरोधाभासी माहौल आगे भी कायम रहा तो इसके परिणाम दुर्भाग्यजनक ही दिखेंगे क्योंकि लोकतंत्र तभी मजबूत होता है जब उस लोकतंत्र की जनता बुद्धिजीवी हो, निष्पक्ष निर्णय या सोचने वाली हो ... ऐसा होता हुआ नहीं दिख रहा, विवेकहीन-तर्कहीन जनता के भरोसे लोकतंत्र की मजबूती देखना तो बस दिवा-स्वप्न के मानिंद ही दिखता है.