लव जेहाद और प्राइम टाइम

लव जेहाद और प्राइम टाइम ---------------------------------- Ravish Kumar के कल के 29.08.2014 एनडीटीवी के प्राइम टाइम मे प्रोफेसर चारु गुप्ता ने जब बोलना शुरू किया तो पहला शब्द बोला की लव जेहाद का मामला यह स्त्री यौनिकता के स्वतन्त्रता पे हमला है।ऐसी महिला झण्डा बरदारों से मेरा यह प्रश्न है बहस की पहली लाइन मे ही स्त्री को उसके यौनिकता से जोड़ देना शुरू से ही स्त्रियों को एक सेक्स के एक फ्रेम से जोड़ देना नहीं कहा जाएगा।फिर यह बोलना की आप कैसे यह मान लेते हैं की स्त्री को बहला फुसला लिया जाएगा क्या लड़की परिपक्व नहीं है, निर्णयन प्रक्रिया मे आप क्यूँ नहीं उन्हे पुरुषों के बराबर मानते हैं? ऐसे झण्डा बरदारों से मेरा यह प्रश्न है की यह प्रश्न कहाँ चला जाता है जहां दलितों को आरक्षण के तौर पे विशेषाधिकार सिर्फ इसलिए दिया गया है की चूंकि इन्हे हजारों साल से दबाया गया है अतः प्रतिस्पर्धा पे यह टिक नहीं पाएंगे सुविधावों से वंचित और सदियों से दबाये जाने के कारण । जब आप उन्हे समाज के साथ बराबरी पे मुकाबला के लिए आरक्षण की जरूरत समझते हैं तब आप ऐसा क्यूँ नहीं सोचते की महिलाएं भी हजारों साल से दबाई गयी हैं और निर्णयन प्रक्रिया से बाहर हैं, ऐसी महिलावों को परिपक्वता की स्थिति प्राप्त करने मे वक़्त लगेगा। उन्हे शिक्षा और आरक्षण के जरिये मुख्य धारा मे निर्णयन मे भागीदार बनाना चाहिए, साथ मे यह भी ध्यान रखना चाहिए की सदियों से जो मानसिकता दबाई गयी थी उसके कारण निर्णयन की व्यवहारिकता की परख करने मे उनसे चूक हो सकती है और शातिर व्यक्ति पुरुष प्रेमी के रूप मे चाहे वो किसी भी मज़हब का हो उनका शिकार कर सकता है। उनके निर्णयन को परिपक्वता देना क्या हमारी ज़िम्मेदारी नहीं है। क्या किसी को सीमावों मे रहते हुवे सही गलत का सलाह देना हमारी सामाजिक ज़िम्मेदारी नहीं है कब तक हम आइसोलेशन मे जीते रहेंगे। मै कल 29.08.2014 के प्राइम टाइम मे प्रोफेसर चारु गुप्ता की वह लाइन जिसमे उन्होने स्त्री को यौनिकता से जोड़ा था उसे गलत मानता हूँ और मानता हूँ की ऐसी महिलावों के कारण ही स्त्रियाँ यौनिकता के आसपास की ही विषय बनाई जाती है वो भी जानबूझ के । लव जेहाद यूपी मे यौनिकता का मुद्दा है ही नहीं। उत्तर प्रदेश मे तो यह राजनैतिक मुद्दा है। मैंने यह पाया है यूपी मे कि मुस्लिम लड़के हिन्दू लड़कियों को हिन्दू बनके पटाने की कोशिश करते हैं लेकिन उनके द्वारा किया गया यह कृत्य मैंने व्यक्तिगत स्तर पे ही पाया है ना की संगठित स्तर पे, और मेरे हिसाब से यह सामाजिक मुद्दा है ना की राजनैतिक और यौनिक। और साथ ही मै यह चारु गुप्ता से यह कहना चाहूँगा की कोई योजनाबद्ध तरीके से किसी लड़की को अपने जाल मे फंसाना चाहता है तो यह लड़की की स्वतन्त्रता हनन का मामला बनता है जहां उसकी स्वतन्त्रता का बेजा इस्तेमाल वह लड़का उस लड़की को पटा कर करना चाहता है, प्यार कभी भी झूठ बोल के या धोखे मे रखकर नहीं किया जाता वह हो जाता है चाहे वो किसी धर्म का हो और उसे मै लव जेहाद नहीं मानता हूँ। और जहां प्यार मे साजिश है वह अपराध है।

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