महाराष्ट्र मे आप का नाप बहुत छोटा ही कहा जाएगा। महाराष्ट्र मे ना तो आप की लीडरशिप
परिपक्व है ना तो महाराष्ट्र की राजनीति की समझ है। अब तक इनकी रणनीति मीडिया मे येन
केन प्रकारेण बने रहने और प्रतीकात्मक रूप से मुद्दे को खबर मे बनाए रखने की है। किसी
भी बड़े अभियान के लिए इन्हे दिल्ली के ऑक्सिजन और केजरीवाल पे बने रहने की जरूरत है
क्यूँ की मीरा सान्याल और मेधा पाटेकर को छोड़ इनके किसी प्रत्याशी मे राजनीति मे लंबे
तक मुद्दों पे टिके रहने की ना तो क्षमता है ना ही आकर्षण है। महा आप के प्रमुख मयंक
गांधी प्रतीकात्मक एवं शांत सामाजिक कार्यकर्ता ज्यादे और राजनेता कम है। कुशल संगठनकर्ता
और राजनैतिक रणनीति कार के तौर पे अब तक असफल ही रहे हैं।
अन्ना आंदोलन का अवसान और गिरावट मुंबई से ही शुरू हुआ था वजह मुंबई की जनता के
नब्ज़ और भौगौलीक परिस्थितियों से इतर निर्णय करना और यही नौसिखियापन आप को महाराष्ट्र
मे कमजोर करता है। अन्ना रैली कि असफलता से भी आप कि स्थानीय टीम ने कुछ नहीं सीखा
और अभी भी मुद्दों और काडर कि जगह खुलासा, विरोध और खबरों मे बने रहने जैसे हल्के विकल्प
अपना रहे हैं। संगठन के नेतृत्व का आकर्षण विहीन होना, सम्पूर्ण
राजनैतिक विजन एवं दर्शन कि कमी और अति उत्साही टीम के कारण महाराष्ट्र मे आप कमजोर
दिखाई दे रही है। पार्टी मे विस्तार के लिए राजनैतिक चिंतको और परिपक्व लोगों कि जगह
उन लोगों को जोड़ने पे ज्यादे ज़ोर है जो मीडिया मे ज्यादे छाए रहते हैं।
आप कि यह नीति महाराष्ट्र मे उन्हे लंबे समय का घोड़ा बनने मे बाधक सिद्ध हो रही
है। विदर्भ और मराठवाड़ा मे इनकी राजनैतिक लाइन बहुत कमजोर है और कोई बड़ा संगठन इनसे
समझौता के लिए तैयार नहीं हुआ यहाँ तक कि स्वाभिमानी शेतकरी संगठन भी।
उत्तर भारत की तरह महाराष्ट्र का राजनैतिक ताप और संस्कृति बिलकुल अलग है। महाराष्ट्र
मे काडर आधारित राजनीति चलती है । चाहे शिवसेना हो , मनसे हो, या एनसीपी हो सबकी प्रत्येक मुहल्ले मे एक शाखा है जिसकी ज़िम्मेदारी एक शाखा
प्रमुख और उप शाखा प्रमुख पर होती है। यह शाखा राजनैतिक पार्टियों के मुहल्ला समिति
की तरह काम करती हैं और रोज़मर्रा की जनता की दुश्वारीयों के समाधान मे भागीदार बन के
लगी रहती है। महाराष्ट्र के हर मुहल्ले मे आपको लगभग प्रत्येक राजनैतिक पार्टियों के वाचनालय या लाइब्ररी मिल जाएंगे
जहां प्रतिदिन सुबह के सभी हिन्दी अँग्रेजी और मराठी अख़बार मिल जाएंगे और सुबह अख़बार
पढ़ने के बहाने वाचनालय पे जनता का आपस मे और पार्टियों के साथ संवाद स्थापित हो जाता
है। आप कि जो मोहल्ला समिति कि अवधारणा है वो सदियों से यहाँ पार्टियों के मार्फत पहले
से ही स्थापित है और जनता से कनैक्ट बना हुआ है। यहाँ वोटर और पार्टियों मे वैसी संवाद
हीनता नहीं है जैसी उत्तर भारत मे पायी जाती है।
उत्तर भारत के उलट यहाँ की राजनैतिक पार्टियां रैलियों से ज्यादे जनहित के कार्यक्रम
आयोजित कराती हैं। मसलन सभी राजनैतिक पार्टियां नौकरी मेला, ब्लड डोनेशन
कंप, वडा पाव वितरण, पुस्तक स्टेशनरी वितरण, कैरियर काउंसिलिंग कैंप , विश्व विद्यालत मे प्रवेश
हेतु कैंप साल मे निरंतर अंतर पे आयोजित करती रहती हैं। यहाँ के ग्रामीण इलाके मे कुश्ती
और सांस्कृतिक कार्यक्रम राजनैतिक पार्टियों द्वारा लगातार आयोजित किए जाते रहते हैं
जो जनता और नेता के बीच संवाद बनाए रखता है।
आप का महाराष्ट्र की राजनीति का सबसे कमजोर पहलू संगठन और काडर की वनिस्पत मीडिया
और खुलासा जैसी सस्ते हथियारों पे ज़ोर देना। महाराष्ट्र की प्रमुख नेता अंजलि दमनिया
की कुल एक मात्र राजनैतिक उपलब्धि नितिन गडकरी का विरोध करना। ऐसे व्यक्ति के हाथ मे
आप की कमान जाने से आप का राजनैतिक वजन कम हुआ है। आप की प्रदेश सचिव प्रीति शर्मा
भी मीडिया प्रबंधन के लिए ही जानी जाती हैं वनिस्पत राजनैतिक परिपक्वता के। मयंक गांधी
भी एक शांत सामाजिक कार्यकर्ता के रूप मे ही जाने जाते हैं जिसे जनता और प्रशासन दोनों
गंभीरता से नहीं लेते। बचे दो उम्मीदवार मेधा पाटेकर और मीरा सान्याल की इमेज और जनता
मे भरोसा अच्छा है लेकिन इनका चुनावी राजनीति मे आगमन काफी देर से हुआ है और इनके पास
तैयारी के लिए काफी कम वक़्त है। महाराष्ट्र के पूरे चुनाव मे कहीं से सीट निकलती तो
नहीं दिखाई दे रही है लेकिन मीरा सान्याल और मेधा पाटेकर कड़ी टक्कर देते हुए चुनाव
मे निर्णायक पहलू साबित होएंगी।
आप का प्रभाव मनसे की तरह इस बार बिलकुल नहीं होगा। पिछली बार मनसे ने शिवसेना
का वोट काटा था लेकिन इस बार आप को यह वोट बैंक नहीं प्राप्त होगा क्यूँ की शिवसेना
के वोट बैंक मराठी माणूस भाव या काडर से जुड़े हुए वोट बैंक है जब काडर मनसे शिफ्ट हुआ
तो वोट भी शिफ्ट हो गया । जबकि आप ने काडर पे काम ही नहीं किया। आप को जो भी वोट शिफ्ट
होगा वो ज्यादे से ज्यादे यूपीए के वोट , कुछ दक्षिण भारतीय वोट और बहुत कम अन्य पार्टियों
के वोट होंगे। इस लिहाज से आप महाराष्ट्र मे कोई खास करिश्मा नहीं दिखा पा रही है हाँ
आप के आने से बीजेपी शिवसेना को फायदा जरूर हो रहा है क्यूँ कि सीमांत वोट यूपीए के
कम हो रहे हैं जो एनडीए के प्रत्याशियों को फायदा पहुँच रहे हैं।
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