अंबेडकर एवं कांशीराम साम्यवाद के सबसे प्रामाणिक स्वरूप हैं

अंबेडकर एवं कांशीराम साम्यवाद के सबसे प्रामाणिक स्वरूप हैं
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भारतीय उपमहाद्वीप मे बाबा साहब अंबेडकर एवं मान्यवर कांशीराम साम्यवाद के सबसे प्रामाणिक स्वरूप हैं, जिन्होने बिना हिंसा ही हजारों साल से चली आ रही सामाजिक विषमता को समता मे बदलने के लिए अभूतपूर्व कार्य किया है, जो की शुरुवातों दौर मे असंभव सा दिख रहा था और 65 वर्ष पूर्व तो कोई भी इस साम्यता की कल्पना भी नहीं कर सकता था, वो भी बिना लाठी बिना बंदूक । वाकई मे इन संतों ने कमाल कर दिया जिसे साबरमती के संत अकाल मृत्यु के कारण नहीं कर पाये। 

भारत के नक्सलवादियों और साम्यवादियों को समता के सूत्र इन दो महापुरुषों से सीखने चाहिए ना की मार्क्स, लेनिन, माओ और नीत्से से। बाबा साहब अंबेडकर एवं मान्यवर कांशीराम का साम्यवाद भारतीय वातावरण के अनुकूल है।

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