भारत के तीन सिग्नेचर नेचर कल्चर एग्रीकल्चर


बीटीआर के तीन सिग्नेचर नेचर कल्चर एग्रीकल्चरयह लाइन मैंने बोली थी बोडोलैंड इंटरनेशनल नॉलेज फेस्टिवल में बोडोलैंड के लिए, क्यूंकि बोडोलैंड भारत के संदर्भ में इस लाइन के लिए फिट बैठता है क्यूंकि उसकी संपत्ति और उसकी ताकत उसका नेचर कल्चर और एग्रीकल्चर ही है. वह दुनिया में एक इकाई के रूप में इन तीन सम्पत्तियों के साथ विकास की एक आदर्श इकाई बन सकता है. अगर यही टेस्ट हम दुनिया के संदर्भ में देखें तो भारत एकदम से इस लाइन पर सटीक बैठता है. सनातन काल से ये तीन चीजें भारत की भी संपत्ति और इसकी ताकत हैं. सॅटॅलाइट व्यू में अगर भारत को यदि आप अंतरिक्ष से देखें तो भारत ही एकमात्र ऐसा सम्पूर्ण देश है जो सर्वत्र हरियाली और उपजाऊ भूमि के साथ दिखाई देता है. इसे ऊपर से देखने पर ऐसा लगता है प्रकृति ने प्राकृतिक संसाधनों को दिल भर कर भारत पर लुटाया है. 

भारत मौसम के मामले में भी काफी धनी है यहां हर तरह के मौसम पाये जाते हैं. ऐसे मौसम की दुर्लभता भारत और पूर्वी क्षेत्रों को छोड़ दिया जाय तो दुनिया में कम ही कहीं मिलता है. कहीं अति गर्मी तो कहीं अति बर्फीला तो कहीं रेगिस्तान ही रेगिस्तान दुनिया के अधिकांश देशों में है. भारत में पर्याप्त मात्रा में पहाड़ तो पर्याप्त मात्रा में समुद्र और उसके तट तो पर्याप्त मात्रा में नदियां तो पर्याप्त मात्रा में खनिज है. प्रकृति ने किसी भी चीज से इस धरा को वंचित नहीं किया है. इस धरा का नेचर ही इसका पहला सिग्नेचर है. 

कल्चर यानी सभ्यता की बात करें तो इस धरा की सभ्यता ही है जो इतने हजारों साल से सनातन है मतलब सस्टेनेबल है और निरंतर है. अपने कल्चर और उस पर विकसित हुई जीवन पद्वति ने यहां हजारों साल की दर्ज यात्रा पूरी की है. सभ्यताओं में विकसित हुई परम्पराएं प्रकृति सरंक्षण, सुरक्षा और उसके प्रति कृतज्ञ होने के सिद्धांत पर आधारित हैं. नेचर से तारतम्य बिठा यहां पर विकसित हुआ कल्चर ही इस धरा का दूसरा सिग्नेचर है.    
 
तीसरा सिग्नेचर है इस धरा का कृषि के अनुकूल होना। मौसम नदियां और मिटटी का प्रकार नदियों से आई उपजाऊ मिटटी यह सब मिलाकर भारत को कृषि के अनुकूल, कृषि संपन्न और समृद्ध बनाती है. कृषि के मामले में भारत अगर पूरे विश्व से कट भी जाए तो अपने पोषण के लिए आत्मनिर्भर और विविधता पूर्ण है. कोरोना काल में भारत ने सिद्ध किया है कि इसके पास सिर्फ अपने लिए ही नहीं पूरी दुनिया के भरण पोषण का भी सामर्थ्य है. भारत का कृषि हजारों से समृद्ध सुरक्षित एवं संरक्षित है. अतः भारत का एग्रीकल्चर ही भारत का तीसरा सिग्नेचर है. भारत में खेती का विकास पूरी तरह से प्रकृति के साथ तारतम्य बिठाते हुए सनातन काल से होता चला आ रहा है. भारत के कृषि विकास का मूल सिद्धांत है की आप प्रकृति से जितना लेते हो उसी अनुपात में उसे वापस भी कर दो. एकदम से एक दूसरे पर आश्रित और एक दूसरे के पूरक जो नेचर और एग्रीकल्चर के इस अंतर्संबंध के साथ साथ कल्चर विकास के लिए यहां के इंसानों के जीवन में सहजीवन और सह आस्तित्व का आधार भी बना जो हमारी सनातन सभ्यता का मूल आधार भी है. भारत का कल्चर अपने नेचर और एग्रीकल्चर से तारतम्य बिठाते हुए सहजीवन सहअस्तित्व के सिद्धांतों को मानते हुए अपने पशुधन समेत समस्त जीवों के कल्याण का संदेश शुरू से देता आ रहा है. देने वाले के प्रति कृतज्ञता के इस भाव से प्रेरित होकर ही भारत में धरती को सभी का भरण पोषण करने वाली 'मां' का दर्जा तथा प्रकृति के विभिन्न रूपों और कारकों को ईश्वर का रूप दिया गया है.

भारत, दुनिया का शायद इकलौता देश होगा जिसके पास इसके 5 हजार साल का लिखित इतिहास किसी ना किसी रूप में मिल जायेगा जो कृषि के सन्दर्भों को भी उद्धृत करता है. दुनिया के भी लोक साहित्य में भी इस बात के प्रमाण मिल जायेंगे की जब आज के विकसित देशों ने कल्चर और एग्रीकल्चर नहीं सीखे थे, तब भी हमारे धरा पर कल्चर और एग्रीकल्चर समृद्ध अवस्था में थी और नेचर तो पहले से ही दैवीय उपहार के रूप में था. 

भारत की खेती का सबसे बड़ी विशेषता इसका सनातन होना है. प्राचीन भारत के इतिहास में खेती की परंपरागत पद्धतियों का कई जगह उल्लेख है. भारत की जैसी कृषि विविधता है वैसी दुनिया के किसी हिस्से में नहीं है। यूपी बिहार पंजाब के धान गेंहू गन्ना, आसाम में अरेका नट धान से लगायत कश्मीर में केसर गुजरात, महाराष्ट्र में कपास, पूर्वी राज्यों में रेशम तथा दक्षिण के राज्यों में जूट केरल में मसाले समूचे भारतीय उपमहाद्वीप के विशाल भूभाग का भरण पोषण और निर्यात हजारों साल से करते आ रहें हैं . कहते हैं कि दुनिया में लगभग 60 प्रकार की मिट्टी पाई जाती है और इसमें से लगभग 40 प्रकार की मिट्टी, भारत के खेतों में लगभग 800 तरह के चीजों को उपजाने की विविधतापूर्ण उर्वरा शक्ति प्रदान करती है. इन उपजों में अन्न, शाक, भाजी, कंद, मूल और फल फूल समेत औषधीय पौधे और वन उपज भी शामिल हैं .भारत की कृषि विविधता के बलबूते ही वस्त्र, आभूषण और सुगंध से लेकर औषधियों तक, भांति भांति प्रकार की खेती का व्यवस्थित विज्ञान और व्यापार भारत से दुनिया भर में फैला.

 
इसलिए यह लाइन एकदम सटीक है कि भारत के तीन सिग्नेचर नेचर कल्चर एग्रीकल्चर। 

 

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