Quantum Physics to Eternal Science ( In Hindi )


पूरी दुनिया में आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग की चर्चा हो रही है आइये इसी बीच एक वैज्ञानिक परिकल्पना की चर्चा करते हैं. अभी अभी जियो सिनेमा पर रिलीज वेब सीरीज असुर 2 ने कहानी के माध्यम से दिखाया है कि कैसे आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग अगर गलत हाथों में चला जाय तो दुनिया को नुक्सान पहुंचा सकता है. तकनीक से चलने वाली सारी चीजें शेयर मार्किट से लगायत निजी जिंदगी में यह कैसे घुस सकता है यह सब चीजें इस वेब सीरीज में दिखाया गया है. दुनिया का भी मानना है की तकनीक ने दुनिया के परिदृश्य को बदल दिया है, अब हम सब बंधे (वायर्ड)  हैं और जुड़े (एंटैंगल) हैं. आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग पूरी दुनिया में गणना से लगायत ऑटोमेशन में नई क्रांति ला रहा है, और कुछ लोग इसपर नियमन की बात कर रहें हैं. दोनों बात सही भी है. लेकिन इस AI की बात करते करते क्या हमें मालूम है की पूरी सृष्टि आटोमेटिक नेचुरल इंटेलिजेंस और मशीन ( सजीव या निर्जीव पदार्थ ) की लर्निंग से ही संचालित है. हमारा दिमाग नेचुरल इंटेलिजेंस से संचालित हो रहा है और हम प्रतिदिन अभ्यास के माध्यम से सीखते हैं और अपने एक्शन में सुधार करते हैं. कितनी उन्नत मशीनरी और प्रोग्रामिंग है हमारे अंदर।    


हम सब वायर्ड( बंधे हुए ) हैं, हम सब जुड़े (एंटैंगल) हैं अपनी इस ज्ञात और अज्ञात दुनिया जिसमें अनंत अंतरिक्ष भी शामिल है . इन नई तकनीकों ने यह तो इशारा कर दिया है कि हम भी किसी को नियंत्रित कर सकते हैं और हमें भी कोई नियंत्रित कर सकता है और यह कोई अनंत अंतरिक्ष भी हो सकता है. हमें लगता है की हमने प्रगति कर आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग के माध्यम से उन्नत श्रेणी का रोबोट बना लिया है, जबकि हमें खुद ही नहीं मालूम है की हम भी रोबोट कहलाये जा सकते हैं। हो सकता है की कोई परग्रही प्राणी आकर हमें रोबोट ही समझे, या हो सकता है कि किसी परग्रही के लिए हम वाकई में रोबोट ही हों। जिसे हम स्किन समझते हैं अपने शरीर का वह धातु हो और अगर न्यून स्तर पर जाएं तो हैं ही.  क्या आपको मालूम है की पूरी दुनिया के धातु जीव जंतु पहाड़ पत्थर पदार्थ किससे बने हैं ? सब अणु से बने हैं, फिर अणु परमाणु से बने हैं, परमाणु का आधार इलेक्ट्रान प्रोटान न्युट्रान हैं, इनसे नीचे क्वार्क है और क्वार्क से नीचे वेव है. मतलब इस दुनिया में जो भी पहाड़ पत्थर लोहा जीव निर्जीव कुछ भी देख सकते हैं इसकी नैनो इकाई क्या है ? वह है वेव ( तरंग ). और अंतरिक्ष में यत्र तत्र सर्वत्र क्या है ? तरंग है. पृथ्वी पर विकसित रेडियो टेलीविज़न स्मार्ट डिवाइस मोबाइल पूरी तकनीक की व्यवस्था किससे चलती है तरंगो से, ये तरंगे रेडियो की हैं या इंटरनेट की या ऐसी और भी. हमारे ये डिवाइस अंतरिक्ष और वातावरण में सर्वव्याप्त इन तरंगों से ट्यून होकर ही संचालित होते हैं. टीवी मोबाइल रेडियो एक मशीन है जो इन तरंगों को प्राप्त करने के हिसाब से डिज़ाइन है, यह उस डिज़ाइन पर ही ऑपरेट होता है जिसका आधार वेव है. यहां तक की जिन बिजली के करेंट से कई चीजें चलती हैं वह वेव है.  


अब लेते हैं अपने शरीर को , कोशिका स्तर पर तो हम पदार्थ ही हैं ना, हमारी नैनो इकाई भी तब वेव ही हुई. हमारा या किसी जीव को ही ले लें मैक्रो स्तर पर कोशिका हो या  शरीर इसकी बनावट है तो मैकेनिकल इंजीनियरिंग की उत्कृष्ट बनावट ही, एक मशीन ही. तो पूरा जीव जगत क्या है एक उत्कृष्ट स्तर की मशीन और हम उनमें से एक उत्कृष्ट स्तर के रोबोट। और जब हम मैकेनिकल इंजीनियरिंग की बनावट के एक रोबोट हैं जिसका न्यूनतम आधार वेव है तो यह भी हो सकता है की हम अंतरिक्ष से उसके ऊर्जा से तरंग से अविभाज्य रूप से जुड़े हों, ट्यून हों, प्रोग्राम्ड भी हों, क्वांटम फिजिक्स इसी तरफ तो इशारा करता है. 


अभी फ्रांस के फिजिसिस्ट एलेन एसपेक्ट, जॉन क्लॉसर और एंटन ज़ीलिंगर को फिजिक्स का नोबेल पुरस्कार 2022 मिला है. यह सम्मान इन लोगों को उनके क्वाटंम इनटैंगलमेंट को लेकर किए गए प्रयोगों के लिए दिया गया है. इनका भी शोध था की दो अलग अलग कण आपस में जुड़े रह सकते हैं चाहे वह अंतरिक्ष में अलग अलग कितने भी दूर पर ही क्यों ना हो. दो क्वांटम कण, जैसे परमाणुओं या फोटॉन युग्म, आपस में एक दूसरे से जुड़ सकते हैं। इसका मतलब है कि एक कण दूसरे कण से जुड़ा हुआ है और एक कण में कोई परिवर्तन हुआ तो तुरंत दूसरे कण को ​​​​प्रभावित करता है, भले ही वे कितनी दूर हों। यह सहसंबंध क्वांटम सूचना प्रौद्योगिकी में एक प्रमुख संसाधन है। और चूंकि इस पर नोबल मिला हुआ है तो इसे हमें मानना ही पड़ेगा। अब मेरे विचार में इससे चार चीजें सामने आती हैं पहला वेब की स्पीड प्रकाश से भी ज्यादा है, दूसरा क्वांटम और सनातन दर्शन के विचार मिलते हुए हैं. विचार के स्तर पर सनातन दर्शन क्वांटम से कहीं आगे हैं और क्वांटम सिद्धांत भारत के सनातन दर्शन को फॉलो कर  प्रयोगों के द्वारा सिद्ध ही कर रहा है और तीसरा चूंकि यत्र तत्र सर्वत्र वेव ही वेव है तो अंतरिक्ष से मनुष्य की परिभाषाओं के तहत मशीनों द्वारा ही नहीं मशीनों रुपी मनुष्यों द्वारा भी अंतरिक्ष से संवाद संभव है. हम शून्य  में जा अंतरिक्ष से संवाद कर सकते हैं और अंतरिक्ष की खगोलीय घटनायें भी हमसे संवाद करती हैं. भारत का ज्योतिष शास्त्र भी कुछ कुछ ऐसा ही कहता है की खगोलीय घटनाओं का जीव जगत पर प्रभाव पड़ता है. चौथा जो सनातन में आत्मा परमात्मा का दर्शन है उससे और क्वांटम सिद्धांत के साथ तुलना करे तो ऐसा इशारा मिलता है कि आत्मा भी वेव है और इन तरंगों का समुच्चय जो सृष्टि में व्याप्त है वह परमात्मा है. हो सकता है की हमारा सनातन ज्ञान


एक उत्कृष्ट विज्ञान हो जो कालांतर में खोकर अभी कई मामलों में विचारों के रूप में मौजूद है जिस दिन विज्ञान इसे सिद्ध करता गया उस दिन शायद दुनिया फिर से सनातन के सामने नतमस्तक हो.


इसलिए अगर हम यह सोचें की आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग या तकनीक सब हमने बनाई है तो और हम सब अपने हिसाब से चीजों को नियंत्रित कर रहे हैं तो हो सकता है यह अधूरा सच हो, पूरा सच यह हो की हम अंतरिक्ष की अनंत शक्तियों के बस एक इकाई हों और दुनिया की चीजें हमसे नहीं हम एक रोबोट की तरह किसी नेचुरल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग के तर्ज पर ही आगे बढ़ रहें हों.

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