आंकड़े बताते हैं डॉलर ही मजबूत हुआ रुपया कमजोर नहीं


पिछले कई दिनों से यह लोक विमर्श में है और यह हालिया डॉलर के मुकाबले रूपये का मूल्य 80 पार जाने के बाद सोशल मीडिया के ट्रोल भी हो रहा है. अमेरिका में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के इस पर बयान के बाद तरह तरह के मीम भी बनने लगे हैं. मैंने इस पर कई बार भी लिखा है की इस बार ऐसा नहीं है की रुपया कमजोर हुआ है, दरअसल डॉलर ही मजबूत हुआ है. अमेरिका के फ़ेडरल बैंक द्वारा ब्याज दरों को बढ़ाये जाने के बाद इसकी मांग और बढ़ गई है. वित्त मंत्री ने सदन में और अब अमेरिका में भी इसी बात को दोहराया है जिसे सोशल मीडिया में ट्रोल कर दिया गया. यहां मैं बताना चाहूंगा की कैसे इस बार की गिरावट रूपये की कमजोरी से ज्यादा डॉलर की मजबूती के कारण है.    


डॉलर बनाम रूपये का विमर्श तो लोक ज्ञान में है, रुपया एक साल पहले 75 रूपये के आसपास था आज 82 के आसपास है मतलब 7 रूपये टूटा है जो फीसदी में 9 फीसदी के आसपास है. आइये देखते हैं रूपये की स्थित दुनिया की अन्य करेंसियों के मुकाबले क्या है. हम तीन बिंदुओं पर अध्ययन करते हैं.  पहला क्या रुपया अन्य मुद्राओं के मुकाबले गिर रहा है? दूसरा डॉलर के मुकाबले अन्य देशों की मुद्राओं का क्या प्रदर्शन है ? और तीसरा पडोसी देशों के मुकाबले हम कहां खड़े हैं.  

   

अब पहला बिंदु लेते हैं, क्या रुपया अन्य मुद्राओं के मुकाबले गिर रहा है? हम इसकी तुलना पौंड स्टर्लिंग से करते हैं. आज से ठीक एक साल पहले 18 अक्टूबर 2021 को 1 पौंड स्टर्लिंग बराबर होता था 103 रूपये के और आज बराबर है 93 रूपये के. इसका मतलब हुआ रुपया प्रति पौंड स्टर्लिंग के मुकाबले  10 रूपये मजबूत हुआ है जो फीसदी में 10 फीसदी के आसपास आता है.        


अब रूपये की तुलना यूरोप की मान्य मुद्रा यूरो से करते हैं. आज से ठीक एक साल पहले 18 अक्टूबर 2021 को 1 यूरो बराबर होता था 87 रूपये के और आज बराबर है 81 रूपये के. इसका मतलब हुआ रुपया प्रति यूरो के मुकाबले लगभग 6 रूपये मजबूत हुआ है जो फीसदी में 7 फीसदी के आसपास आता है


रूपये की तुलना अब हम जापान की मान्य मुद्रा येन से करते हैं. आज से ठीक एक साल पहले 18 अक्टूबर 2021 को 1 येन बराबर होता था 66 पैसे के और आज बराबर है 55 पैसे के. इसका मतलब हुआ रुपया प्रति येन के मुकाबले लगभग 10 पैसे मजबूत हुआ है जो फीसदी में 15 फीसदी के आसपास आता है


रूपये की तुलना अब हम ऑस्ट्रेलिया की मुद्रा ऑस्ट्रेलियन डॉलर से करते हैं. आज से ठीक एक साल पहले 18 अक्टूबर 2021 को 1 ऑस्ट्रेलियन डॉलर बराबर होता था 56 रूपये के और आज बराबर है 52  रूपये के. इसका मतलब हुआ रुपया प्रति ऑस्ट्रेलियन डॉलर के मुकाबले लगभग 4 रूपये मजबूत हुआ है जो फीसदी में 7 फीसदी के आसपास आता है


अब दूसरी महत्वपूर्ण करेंसी लेते हैं सिंगापुर डॉलर जिसके मुकाबले रुपया गिरा है एक साल पहले 18 अक्टूबर 2021 एक सिंगापुर डॉलर 56 रूपये के बराबर था और आज 58 रूपये के बराबर मतलब रुपया 2 रूपये टूटा है जो फीसदी में आता है 4 फीसदी के आसपास।


अब दूसरे बिंदु में पडोसी देश पाकिस्तान बांग्लादेश श्रीलंका और चीन के मुद्रा का मूल्य रूपये के मुकाबले क्या है उसका अध्ययन करते हैं. आज से ठीक एक साल पहले पाकिस्तान बांग्लादेश और श्रीलंका की एक मुद्रा के मुकाबले रूपये का मूल्य क्रमशः 44 पैसे, 88 टका और 38 पैसे था जबकि आज यह क्रमशः 38 पैसे, 81 टका और 23 पैसे है. मतलब  पाकिस्तान बांग्लादेश और श्रीलंका के मुकाबले रुपया क्रमशः 6 पैसे, 7 पैसे और 15 पैसे मजबूत हुआ है जो फीसदी में क्रमशः रूपये की 14 फीसदी, 8 फीसदी और 39 फीसदी मजबूती बताता है. सबसे महत्वपूर्ण तुलना चीन की करेंसी का करते हैं. 1 साल पहले 18 अक्टूबर 21 को एक एक युवान के मुकाबले रुपया 11.67 था जो आज 11.42 है मतलब रुपया चीन के मुकाबले 25 पैसे मजबूत हुआ है जो 2 फीसदी के बराबर की मजबूती है.

 

तीसरे बिंदु में अब देखते हैं की पौंड स्टर्लिंग, यूरो, येन, सिंगापुर डॉलर जैसी मुद्रायें अमेरिकन डॉलर के मुकाबले कैसा प्रदर्शन कर रही हैं. एक साल पहले 18 अक्टूबर 2021 को 1 डालर के मुकाबले  पौंड स्टर्लिंग था 0.73 जबकि आज है 0.88 स्टर्लिंग मतलब 15 फीसदी की गिरावट। यूरो था 0.86 जबकि आज है 1.01 मतलब 17 फीसदी की गिरावट। जापानी येन था 114 के बराबर जबकि आज है 149 के बराबर मतलब 31 फीसदी की गिरावट। सिंगापूर डॉलर था 1.35 के बराबर आज है 1.42 के बराबर मतलब 5 फीसदी यह भी टूटा है अमेरिकन डॉलर के मुकाबले .


अब पडोसी देश की मुद्राओं का अमेरिकन डॉलर से तुलना कर लेते हैं. एक साल पहले 18 अक्टूबर 2021 को 1 डॉलर के मुकाबले पाकिस्तानी रुपया 172 रुपया आज 217 के बराबर मतलब 45 रुपया टूटा जो फीसदी में आता है 26 फीसदी। एक डालर के बदले बांग्लादेश टका था 86 जो आज है 102 टके के बराबर मतलब 16 टका टूटा जो 19 फीसदी के आसपास है. डॉलर के मुकाबले श्रीलंका रुपया था 200 के बराबर जो आज है 363 के बराबर मतलब 163 श्रीलंकन रुपया टूटा जो 81 फीसदी के आसपास है. चीन की मुद्रा युवान भी इस अवधि में डॉलर के मुकाबले 6.43 युवान से 7.20 पहुंच गया मतलब 12 फीसदी की गिरावटहुई है ।                

        

कुछ चुनिंदा देशों के अलावा डॉलर इंडेक्स की भी तुलना करते लेते हैं. डॉलर इंडेक्स पौंड, यूरो एवं येन सहित दुनिया की 6 प्रमुख देशों की मुद्राओं के एक बास्केट के मुकाबले अमेरिकी डॉलर के सापेक्ष मूल्य को व्यक्त करता है। यदि सूचकांक बढ़ रहा है, तो इसका मतलब है कि डॉलर बास्केट के मुकाबले मजबूत हो रहा है. 18 अक्टूबर 2021 को 6 प्रमुख मुद्रा के डॉलर इंडेक्स का मूल्य 94 था जो आज 112 है. 


आंकड़ा आपके सामने है कुछ कहने की जरुरत नहीं है, इंटरनेट की किसी प्रामाणिक सोर्स से इसे जांच सकते हैं. अब आप निर्णय करिये की डॉलर मजबूत हुआ है या वाकई रुपया कमजोर हुआ है. तथ्य आपके सामने है. निर्णय आपको करना है. चूंकि दुनिया में लगभग 200 से कुछ ज्यादा देश हैं।  प्रत्येक की अपनी-अपनी मुद्रा है और सभी मुद्राएं अन्य देशों की मुद्रा के साथ अपना विनिमय दर रखती हैं। इनके मुद्रा की विनिमय दर उनके मुद्रा की आपूर्ति और मांग पर निर्भर करती है. जिसमें डालर का बहुत बड़ा योगदान भी रहता है. रूपये टूटने डॉलर के मजबूती के पीछे दो बड़े कारण है पहला अमेरिकी फेडरल बैंक का निर्णय दूसरा हमारा आयात ज्यादा होना।   


अमेरिकी फेड़रल रिज़र्व दर जो फरवरी 2022 में शून्य थी वह अब 3.25 फीसदी हो गई है. अमेरिकी बैंकों को दैनिक आधार पर यूएस फेड बैंक के लिए एक निश्चित राशि बनाए रखने की आवश्यकता है. वे दूसरे बैंक से ऋण लेते रहते हैं और उस ऋण पर ब्याज दर को फेड ब्याज दर कहा जाता है। जब फेडरल बैंक उस ब्याज दर में वृद्धि करता है तो दुनिया के सभी निवेशक, अपने वर्तमान निवेश से पैसा निकालते हैं और यूएस फेड बैंक में निवेश करते हैं क्यूंकि यह सबसे सुरक्षित निवेश माना जाता है. इस फेड बैंक में केवल यूएसडी में निवेश हो सकता है, मतलब यूएसडी की मांग बढ़ गई. अब यूएसडी की मांग बढ़ने से यूएसडी की कीमतें बढ़नी लगती हैं, जो फिलहाल फेड बैंक द्वारा दर बढ़ाने के कारण हो रहा है। अब सवाल उठता है फेड क्यों ऐसा कर रहा है तो जबाब है भारत की तरह वह भी ब्याज दर बढ़ा महंगाई नियंत्रित करना चाहता है. जैसे-जैसे ब्याज अधिक होता है लोग बैंकों में जमा बढ़ा देते हैं, निवेश करना शुरू हो जाता है और कर्ज  और क्रेडिट कार्ड महंगा हो जाता है लोग कर्ज ले खर्च करना कम कर देते हैं जिस कारण बाजार में मुद्रा का प्रचलन कम हो जाता है, मांग कम हो जाती है और कीमत कम हो जाती है. अब यहां जो डॉलर मजबूत हो रहा है उसका कारण हमारा आंतरिक नहीं है एक बड़ा कारण फ़ेडरल बैंक की नीतियां हैं. 


दुर्भाग्य से वैश्विक परिस्थितियां ऐसी बन गई हैं की कई देशों की मुद्रा की हालत ख़राब हो गई है खासकर के उनकी जो डॉलर में आयात का भुगतान करती है. हमारे भी रूपये की हालत इसीलिए टूट रही है क्यूंकि आयात के रूप में डॉलर का ऑउटफ्लो ज्यादा है. पिछले 1 साल में, रूस यूक्रेन युद्ध के कारण, तेल और गैस की कीमतें आसमान छू रही हैं और हमारा इसका आयात हमारे कुल आयात का 30-40 फीसदी कवर करता है. जब तक हम डालर का स्थानापन्न विकसित नहीं कर लेते और निर्यात बढ़ा नहीं लेते ऐसी परिस्थितियों से दो चार होते रहेंगे. 

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