आसन्न गेंहू संकट कितना बड़ा !

रूस यूक्रेन युद्ध ने सुदूर देशों में खाद्यान्न संकट की स्थिति ला दी है. दोनों देश मिलकर पूरी दुनिया की एक तिहाई गेंहू की जरूरतों को पूरा करते हैं. रूस का लगभग आधा गेहूं मिस्र, तुर्की और बांग्लादेश जाता है। वहीं, यूक्रेन का गेहूं मिस्र, इंडोनेशिया, फिलीपींस, तुर्की और ट्यूनीशिया में निर्यात होता था। अब चूँकि युद्ध के कारण आपूर्ति प्रभावित है तो भारत के गेहूं की मांग दुनिया में बढ़ी और नतीजा हुआ कि गेहूं का एक्सपोर्ट भी इस बार रिकॉर्ड स्तर पर हुआ। यह गेंहू संकट पूरी दुनिया को बड़े पैमाने पर प्रभावित कर सकता है. गेंहू से सिर्फ रोटी नहीं बनता है उससे ब्रेड केक बिस्किट पिज़्ज़ा पास्ता मैदा समेत कई चीजें बनती है और बिकती हैं. अगर गेंहू संकट आया मूल्य बढ़ा तो गेंहू और मैदे से बनने वाली इन सब खाद्य श्रृंखलाओं के दाम बढ़ेंगे, इसीलिए बढ़ती महंगाई दर की दस्तक के बीच कहीं देश गेंहू की कमी के संकट में ना फंस जाये, कहीं बाहर के देशों के बेतहाशा खरीद से भारत में कमी ना हो जाए, कहीं अधिक मुनाफा के लालच में व्यापारी अधिकाधिक मात्रा में जमाखोरी और बिकवाली ना करने लगे इसीलिए इसकी कमान सरकार ने अपने हाथ में ले ली है. देश में गेहूं के आसन्न संकट को देखते हुए भारत ने इसके एक्सपोर्ट पर बैन लगाया है। वैसे भी इस बार जल्दी हीटवेव आने से गेहूं की पैदावर में कमी का अनुमान है और अनुमान से कम उत्पादन की वजह से गेहूं और आटे की कीमतें तेजी से बढ़ रहीं है इसलिए सरकार ने बढ़ती कीमतों को काबू में करने के लिए यह कदम उठाया है। सरकार ने इसके लिए भारत और पड़ोसी देशों में खाद्य सुरक्षा का हवाला दिया है। महंगाई के आंकड़े ने सरकार को कड़े कदम उठाने के लिए मजबूर किया है। सरकार के अनुसार अब सिर्फ उसी एक्सपोर्ट को मंजूरी मिलेगी जिसे पहले ही एलसी जारी हो चुका है तथा उन देशों को भी आपूर्ति की जा सकेगी, जिन्होंने भोजन सुरक्षा की जरूरत को पूरा करने के लिए सप्लाई की अपील की है। रूस यूक्रेन युद्ध के अलावा गेंहू संकट का दूसरा कारण गेहूं की पैदावार में कमी की सम्भावना है जो गरम मौसम के कारण है। मार्च से जी हीटवेव स्टार्ट हो गई, जबकि मार्च में गेहूं के लिए 30 डिग्री से ज्यादा तापमान नहीं चाहिए होता है क्यूंकि इसी समय गेहूं में स्टार्च, प्रोटीन और अन्य ड्राई मैटर्स जमा होते हैं। इस मौसम में अनुकूल कम तापमान गेहूं के दानों का वजन बढ़ाने में सहायक होता है। जबकि पाया गया की इस बार मार्च में ही 40 डिग्री को पार कर गया था। जिस कारण गेहूं समयपूर्व ही पक गया और इसके दाने हल्के हो गए और फलस्वरूप पैदावार 25 फीसदी तक घट गई। गेहूं पर बैन के कारण भारत पर अंतरराष्ट्रीय दबाव भी है। भारत के इस कदम का दुनियाभर में चिंता और असर देखने को मिल रहा है। ब्रेड से लेकर नूडल्स तक के दाम बढे दिख रहें हैं। इन बढ़ते हुये दामों से आने वाले समय में कई देशों में गेहूं से बनी खाद्य वस्तुओं के लाले भी पड़ने की सम्भावना है । इसीलिए कई यूरोपीय देशों के बाद अब अमेरिका भी भारत से फैसले पर पुनर्विचार करने को कह रहा है। हालांकि भारत का मानना है की वह इस मामले में कूटनीतिक हितों और जरूरतमंद देशों का ध्यान रखेगा। भारत किन देशों व क्षेत्रों को गेहूं की आपूर्ति जारी रखेगा यह भारत विश्व में अपनी स्थिति को देखते हुए करेगा। क्योंकि भारत को दुनिया के दूसरे सबसे बड़े मुख्य आपूर्तिकर्ता के रूप में है। मौजूदा हालात को देखते हुये भारत कुछ विशेष मामलों में ही निर्यात का फैसला किया है तथा मुनाफाखोरी रोकने हेतु निजी सेक्टर के निर्यात पर भी रोक लगा दी गई है, हालांकि अभी कुछ छूट दी गई है. वैश्विक स्तर पर हालात यह है की तुर्की, मिस्र, इंडोनेशिया जैसे बड़े देशों के व्यापारी जहां भी गेहूं मिल रहा है पूरी दुनिया में , वहां से वह खरीद रहे हैं। यह स्थिति भारत में खाद्यान्न की कमी पैदा कर सकता है. क्यों की जल्दी हीट आने के कारण गेंहू के उत्पादन में कमी आने वाली है ऐसे में निर्यात के माध्यम से गेंहू बाहर चला गया तो खाद्य सुरक्षा संकट में आ जायेगा। भारत के साथ द्विपक्षीय वार्ताओं में कई देशों के नेताओं ने आने वाले दिनों में वैश्विक स्तर पर गेहूं संकट की आशंका जताई है। भारत सरकार द्वारा निर्यात के इस नियमन को लेकर चारों तरफ जब हल्ला होने लगा तो भारत सरकार ने स्पष्टीकरण दिया कि गेहूं का निर्यात पूरी तरह नहीं रोका गया है, बल्कि उसे नियंत्रित करने की कोशिश की गई है और तब तक निर्यात का फैसला सरकार के स्तर पर किया गया है । भारत का यह भी कहना है कि जिन देशों को खाद्य सुरक्षा के लिए गेहूं की जरूरत होगी, उनके प्रस्तावों पर भारत ज्यादा सहानुभूतिपूर्वक विचार करेगा। भारत सरकार ने यह भी कहा है कि जहां कहीं भी गेहूं की खेप को जांच के लिए कस्टम को सौंप दिया गया है अथवा 13 मई से पहले कस्टम में रजिस्टर कर दिया गया है, उन्हें निर्यात की अनुमति मिलेगी। भारत के इस बैन का जी सात देशों ने विरोध किया है। वहीं, आश्चर्यजनक रूप से जी सात देशों के इस विरोध पर चीन ने भारत का बचाव किया है। चीन ने कहा है कि भारत जैसे विकासशील देशों को दोष देने से वैश्विक खाद्य संकट का समाधान नहीं होगा। जी सात देश भारत से गेहूं निर्यात पर बैन नहीं लगाने की बात कह रहे हैं जबकि वे खुद अपने निर्यात में वृद्धि कर खाद्य बाजार की सप्लाई को स्थिर कर सकते हैं । मेरा भी मानना है की यदि जी सात देशों को इतनी ही चिंता है गेंहू संकट की तो ये इन देशों को बायो फ्यूल में इस्तेमाल होने वाले अनाजों में 50% की कमी करनी चाहिये, इससे दुनिया का खाद्य संकट खत्म हो सकता है, सारे दबाब भारत पर ही क्यों । यह संकट का समय है हमें अपने रसद पर कंट्रोल रखना चाहिए क्यों की अगला युद्ध खाद्य संकट पर भी हो सकता है.

Comments