योगी की जीत राजनैतिक करियर को देगी ऊंची उड़ान : एक विश्लेषण

हर व्यक्ति का अपना एक सर्वोत्तम होता है और उस व्यक्ति के लिये कई बार इकोसिस्टम और उसके जीवन में एक बिंदु ऐसा आता है जिसमें वह उस वक्त का या उस वक्त में भी अपना खुद का अपना सर्वोत्तम प्राप्त कर सकता है। योगी आदित्यनाथ के लिये यह 2022 के मुख्यमंत्री का चुनाव उनके खुद के सर्वोत्तम बिंदु का गेटवे है जिसके अंदर घुस गये तो वह अपना सर्वोत्तम प्राप्त कर सकते हैं और लौट गये तो उस सर्वोत्तम को दुबारा प्राप्त करना मुश्किल हो जायेगा क्यों की भविष्य के इकोसिस्टम में क्या बदलाव होंगे नहीं मालूम। इनके मुकाबले अखिलेश यादव के पास उनके अपने सर्वोत्तम के कई मौके आने हैं, आज के मौजूदा हिसाब से अखिलेश 20 साल तक यूपी के मुख्यमंत्री के रूप में ही विकल्प रहेंगे ना की प्रधानमंत्री। यदि हम इस बार भी जनता अखिलेश को मुख्यमंत्री नहीं बनाती तो 2027, 2032 , 2037 या 2042 या उसके आगे भी वही मुख्यमंत्री पद के सपा की तरफ से प्रत्याशी रहेंगे उन्हें कोई चुनौती नहीं है। जबकि योगी आदित्यनाथ के पास ऐसा मौका सिर्फ इस बार है। उनके कैरियर का यह बिंदु उन्हें भारत की राजनीति में सर्वश्रेष्ठ उछाल का मौका देगा और जरा सी फिसलन खाई में नीचे गिराने का काम करेगी। इन दोनों नियति को मतदाता ही तय करने वाले हैं। अतः मतदाताओं को ही निर्णय लेना है की वह योगी आदित्यनाथ के इस महत्वपूर्ण पड़ाव पर उन्हें ऊपर उठने में मदद करते हैं या उन्हें खाई में धकेलने का काम करते हैं. पिछला चुनाव बीजेपी ने बिना मुख्यमंत्री के चेहरे को आगे किये लड़ा था इसलिए 2017 के चुनाव में ना तो इनकी मुख्यमंत्री रूप में प्रतिष्ठा, ना तो इनका परफॉरमेंस और ना ही इनकी प्रदेश स्तर की जननिष्ठा दांव पर थी। लेकिन इस चुनाव में सीधे सीधे इनकी प्रतिष्ठा इनका मुख्यमंत्री के रूप में परफॉरमेंस और जनहित के प्रति इनकी निष्ठा पर जनता क्या मोहर लगाती है वह दांव पर है। और ऐसा नहीं है की इन्हे कसौटी पर जनता या विपक्षी कस रहें हैं इन्हे पार्टी के अंदर भी कसौटी पर कसा जा रहा है। यह चुनाव सीधे सीधे इस चीज को प्रभावित करेगी की योगी आदित्यनाथ के लिये आगे दिल्ली का रास्ता कैसा होगा। सबको मालूम है की योगी प्रधानमंत्री मोदी के बाद नेतृत्व निर्माण हेतु उत्तराधिकारी के विकल्प के रूप में सबसे आगे चल रहें हैं जिनके पास अब विकास की सोच, प्रशासनिक अनुभव होने के साथ साथ मॉस लीडर भी हैं और यदि इन्हे अमित शाह का सांगठनिक कौशल मिल जाये तो बीजेपी में मोदी युग के बाद कौन के प्रश्न हल मिल सकता है। प्रधानमंत्री पद की रेस के लिये इन्हे अभी कोई जल्दबाजी भी नहीं है, इनके पास एक लंबी पारी है और अभी ये युवा हैं। अपने राजनैतिक कैरियर में योगी एक प्रधानमंत्री के रेस में दावेदार के रूप में गिने जायेंगे इसका बहुत कुछ दिशा यह चुनाव तय करने वाला है। यह उनके करियर के लिये सबसे निर्णायक चुनाव है जिसमें वह आंतरिक और बाहरी सारी चुनौतियों का जबाब देंगे। रही बात अखिलेश यादव की तो अखिलेश यादव अच्छे होंगे या अच्छे हैं से ज्यादा इस उत्तर प्रदेश के मतदाताओं को इस विमर्श पर भी जोर देना चाहिये की उनका एक वोट उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के निर्माण के लिये सिर्फ देना है या भारत के प्रधानमंत्री के दावेदारी को भी मजबूत करना है । अखिलेश के वोटरों को भी यह चाहिये की वह एक बार सोचें जरूर क्यों की अखिलेश को मुख्यमंत्री बनाने के मौके तो कई बार आयेंगे लेकिन एक ही वोट से उत्तर प्रदेश के ही किसी के प्रधानमंत्री पद की योग्यता का निर्माण करने का निर्णय करने का वक्त सिर्फ इसी बार आएगा। यह चुनाव योगी आदित्यनाथ के भविष्य के लिये आर पार है. यह तो रहा कैरियर की कसौटी पर योगी आदित्यनाथ को मुख्यमंत्री क्यों बनना चाहिये। दूसरा विमर्श मतदाताओं के बीच यह है की योगी आदित्यनाथ ने बीते 5 सालों में जिस तरह से मेहनत की है और एक प्रदेश के लैंडलॉक तोड़ने के एक विज़न के साथ जिस तरह लॉन्ग टर्म इंफ़्रा पर काम किया है उसे मुकाम पर पहुंचाने और बीच रस्ते में ही अधूरा छोड़ने से बेहतर है की उन्हें 5 साल का और टर्म देकर वह सारे प्रोजेक्ट पूरे कर लिये जायें। मतदाता फिर 2027 में मूल्याङ्कन करें की अखिलेश आने चाहिये या कोई और। प्रधानमंत्री मोदी जब कैरियर की अगली पारी में जायेंगे तो बीजेपी में अगले प्रधानमंत्री के रूप में नेतृत्व निर्माण की प्रक्रिया शुरू होगी और इसके लिये भी समय बहुत दूर नहीं है। ऐसे में यदि योगी आदित्यनाथ यह चुनाव मुख्यमंत्री के रूप में जीत जाते हैं तो उनकी संभावना और दावेदारी दोनों मजबूत होगी और बीजेपी और मोदी जी के लिये भी बीजेपी के भविष्य निर्माण का मार्ग प्रशस्त होगा। संघ भी इस संयोग और अवसर को देख रहा होगा और उसकी भी इच्छा होगी की योगी आदित्यनाथ को यदि प्रधानमंत्री पद के दावेदार के रूप में विकसित करना है तो उन्हें चुनाव जीतना पड़ेगा। हालांकि तमाम लोगों की इच्छाओं और विमर्श के बाद यह उत्तर प्रदेश के मतदाताओं को ही तय करना है की वह इस चुनाव में सिर्फ मुख्यमंत्री चुन रहें हैं या स्थानीय पुत्र के प्रधानमंत्री के रूप में भविष्य की संभावनाओं पर मोहर लगा रहें हैं.

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