जिसका सिक्का उसकी सरकार

सरकार का जो कदम आया है की वह रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया द्वारा जारी की जाने वाली आधिकारिक डिजिटल मुद्रा के निर्माण के लिए एक सुविधाजनक ढांचा तैयार करना चाहती है तथा साथ ही भारत में निजी क्रिप्टोकरेंसी को प्रतिबंधित कर कुछ अंतर्निहित अपवादों के साथ इसके उपयोग को मान्यता देना ताकि प्रचलित क्रिप्टोमुद्रा की तकनीक का इस्तेमाल किया जा सके, मेरे हिसाब से सही कदम है क्यों की जिसका सिक्का उसकी सरकार और यदि सिक्का ही अपना नहीं होगा तो संप्रभु राष्ट्र और उसकी सत्ता कैसे कायम होगी. यह क्रिप्टोमुद्रा तो दरसअल राष्ट्रवाद की बंदिशों को तोड़ने वाला है और और जब तक बॉर्डर नेशन अवधारणा आस्तित्व में है क्रिप्टोमुद्रा का मौजूदा स्वरुप का लीगल मान्यता मुश्किल है इसे अपने फॉर्मेट में कुछ ऐसे बदलाव करने पड़ेंगे ताकि बॉर्डर नेशन अवधारणा को चुनौती ना प्राप्त हो.

 

दरअसल क्रिप्टोकरेंसी शब्द में करेंसी शब्द का इस्तेमाल ही गलत है क्यों की यह करेंसी है ही नहीं करेंसी के दो मूलभूत गुण इसमें नहीं है पहला किसी भी करेंसी का समय के किसी भी पड़ाव पर मूल्य समान रहता है जैसे 100 रूपये का नोट जो आज 2021 में 100 रूपये का है वह 2031 में भी 100 रूपये का ही होगा ना तो 90 का होगा और ना 110 का होगा, जबकि क्रिप्टोकरेंसी में ऐसा नहीं है समय के भिन्न भिन्न पड़ाव पर उसका मूल्य अलग अलग हो सकता है, उसके मूल्यों में उतार चढ़ाव हो सकता है जबकि मान्य मुद्रा का यह गुण है ही नहीं।

 

करेंसी का जो दूसरा मूलभूत गुण है यह रेगुलेटेड होती है, राष्ट्र की कोई संस्था इसे मान्य और रेगुलेट करती है. करेंसी पर उस राष्ट्र की गारंटी होती है जिसमें लिखा होता है की मैं धारक को अमुक रुपया अदा करने का वचन देता हूं, इस लिहाज से प्रत्येक मुद्रा उस राष्ट्र के केंद्रीय सरकार या केंद्रीय बैंक द्वारा दिया गया एक प्रतिज्ञा पत्र  होता है तो तरल रूप में बाजार में चलता रहता है जिसमें यह गारंटी होती है की यह किसी भी परिस्थिति में अंतिम रूप में क्लेम करने पर  उस देश की  केंद्रीय सरकार या केंद्रीय बैंक द्वारा भुगतान किया जायेगा यदि उसके सामने इसे प्रस्तुत किया जाता है तो. ये गुण इस क्रिप्टोकरेंसी में है ही नहीं, ना तो उसे कोई देश रेगुलेट करता है और ना तो कोई देश या उसकी कोई केंद्रीय संस्था इस पर गारंटी देती है, किसी भी परिस्थिति में अंतिम रूप में क्लेम करने पर कौन भुगतान करेगा यह भी स्पष्ट नहीं है, कौन इसका अंतिम मालिक है यह भी मालूम नहीं है. इसलिये मुद्रा के दो मूलभूत गुणों की अनुपस्थिति इसे करेंसी के परिभाषा से अलग करती है इसीलिए सिर्फ सामान्य स्वीकृति के गुण होने से यह मुद्रा नहीं हो जाती है यह चूंकि विनिमय में स्वीकार हो रही है इसलिये यह एक क्रिप्टो एसेट है जो की बार्टर एक्सचेंज का एक विस्तार है मेरे हिसाब से.

 

अब सवाल यह उठता है की यदि यह करेंसी नहीं है तो यह है क्या तो मेरा मानना है की यह बार्टर एक्सचेंज के एक विस्तार के रूप में एक डिजिटल क्रिप्टो एसेट है ना की मुद्रा जिसे आप इन्वेस्टमेंट कह लीजिये या कमोडिटी कह लीजिये।  वैसे भी जैसे ही आप क्रिप्टोकरेंसी में निवेश शब्द बोलते हैं तो तुरंत ही यह करेंसी शब्द के परिभाषा से बाहर हो जाता है क्यों की करेंसी में निवेश नहीं किया जाता है करेंसी को धारण किया जाता है जिसका मूल्य सदैव जी अपरिवर्तित रहता है और इससे लाभ हानि केवल फॉरेन करेंसी एक्सचेंज में होता है जबकि निवेश की अन्तर्निहित शर्त होती है इसमें लाभ हानि का होना और मूल्य परिवर्तित होना।  इसलिए मेरा मानना है की इस क्रिप्टो एसेट के साथ करेंसी शब्द जोड़ कर भ्रम फ़ैलाने जैसा है और इस भ्रम को फैला इसके प्लेटफॉर्म विस्तार का एक अन्तर्निहित उद्देश्य है जिसके भविष्य के खतरे के रूप में किसी राष्ट्र को चुनौती, उसकी सम्प्रभुता को चुनौती, उसके अर्थव्यवस्था को चुनौती और सबसे बड़ा खतरा किसी राष्ट्र के आस्तित्व के चुनौती के रूप में सामने आ सकता है क्यों की यह स्थापित सूत्र है की जिसका सिक्का उसकी सरकार और यदि सिक्का ही दूसरे का हो जायेगा या किसी अज्ञात का हो जायेगा तो राष्ट्र को इस अनजाने खतरे से निपटना ही पड़ेगा।

 

इसलिये मैं भारत सरकार द्वारा लाई गई इस बिल का स्वागत करता हूं। और मेरी राय में इस एसेट को प्रतिबंधित करने की जगह इसे रेगुलेट करना चाहिए क्यों की पूरी दुनिया में ब्लॉक चेन आधारित यह एक नई तकनीक है जिसे दुनिया अपने व्यवहार में ला रही है अतः बजाय इसे बैन के इसे जनता के हित सुरक्षा को ध्यान में रखते हुये ऐसे प्रावधान लाने चाहिये ताकि हम दुनिया से कदमताल कर सकें, राष्ट्रवाद को भी सुरक्षित कर सकें और लोगों के निवेश को सुरक्षित रख सकें. यह है तो एक एसेट ही जो कूट कोड में है समस्या है इसे सरकारी मैप में लाना तो यह तो इसके परिभाषा निर्धारण से पूर्ण हो जायेगी और दूसरा इसका किसी के बुक में आस्तित्व तो इसमें उसके लगाये गये पैसे से ही शुरू होगा और इस संपत्ति को प्राप्त करने के लिये किया गया भुगतान उसके बैलेंस शीट में कहीं ना कहीं तो दिखेगा चाहे वह इन्वेस्टमेंट में दिखे या लोन एंड एडवांस में दिखे। यदि इस संपत्ति के मूल्यांकन का लागत की जगह बैलेंस शीट में फेयर वैल्यू कांसेप्ट लाया जाय तो इस संपत्ति में हुई प्रत्येक वृद्धि को लाभ हानि के रूप में रेखांकित कर इसे टैक्स के दायरे में लाया जा सकता है.

 

इतने सुधार के बाद भी एक प्रश्न अनुत्तरित रह जाता है की इसका मालिक कौन है और सबसे अंत में इसका क्लेम कौन देगा और लगता है इसीके समाधान के लिये सरकार ने सरकारी डिजिटल करेंसी एक्सचेंज लाने की बात कही है लेकिन यहां स्पष्ट कर दूं डिजिटल करेंसी का मूल्य यदि समय के पड़ावों पर मूल्य समान रहता है, इसको जारी करने के बाद इसमें जारीकर्ता का अधिकार रहता है तो यह क्रिप्टो करेंसी नहीं है सिर्फ एक डिजिटल करेंसी है जो मौजूदा करेंसी का डिजिटल रूपांतरण है जबकि क्रिप्टो करेंसी आज के डिजिटल वर्ल्ड की एक नहीं हकीकत जो राष्ट्र की सीमाओं को तोड़ अपनी सत्ता को स्थापित करने के लिये बेचैन है और इसके पीछे कौन की तस्वीर स्पष्ट नहीं है.     

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