घर का किराया = घर की किश्त

जीवन की आपधापी और इस तेज रफ़्तार बदलती जिंदगी में आपने महसूस किया होगा की कई बार आपको एक जगह बैठकर ठहरकर सोचने का वक़्त ही  नहीं मिलता है, वो वक़्त आप तभी पाते हैं जब परिस्थिति वश आपको कहीं रुकना या स्थिर होना पड़ता है . तमाम नकारात्मकताओं के बीच यह कोरोना काल हमारे लिए चिंतन का काल है इस काल का इस्तेमाल हम अपनी  कई चुनौतियों के लिए रणनीतियां बनाने में इस्तेमाल कर सकते हैं. यह कोरोना काल बहुत सी असफलताओं को अपने चादर में ढक देने वाली है, अतः कोरोना काल के बाद वाली अवधि जीवित लोगों के लिए जीवन के रूप में शुद्ध लाभ होगा और दशकों की असफलताओं को भूल एक नयी शुरुवात करने का सुनहरा अवसर होगा. अतः हमें इस चुनौतीपूर्ण परिस्थिति में भी स्थितप्रज्ञ हो इसका मुकाबला करना चाहिये और चिंतन और अर्थ चिंतन कर अपनी परेशानियों से पार पाने की रणनीति बनाना चाहिए. हालात जनित परिस्थिति दुबारा आयेगी नहीं और भगवान करे आये भी नहीं फिर भी इस हालात जनित परिस्थिति को भी आपको लाभ में परिवर्तन कर लेना चाहिए.

 

देश के उद्योग सेक्टर के लिये भी यह चिंतन का विषय है. हम बात करते हैं पहले रियल एस्टेट का, कोरोना से पूर्व भी यह सेक्टर अपने नगदी प्रवाह और मंदी की मार झेल रहा था और रियल एस्टेट उद्यमियों से बात किया जाय तो वह कहेंगे की इस कोरोना काल से उनकी कमर टूट गई. लोग और विशेषज्ञ भी ऐसा मानते हैं. जबकि मेरा मानना है की यह कोरोना काल रियल एस्टेट उद्यमियों के लिए एक अवसर लाया है. इस काल में दो ही तरह की रियल इस्टेट में बिक्री होगी एक जिसके पास अकूत पैसा होगा वह सस्ते दामों में बहुत ज्यादा मोलभाव कर सम्पत्तियां खरीदेगा और दूसरा वर्ग चाहेगा की कोरोना की अनिश्चितततावों के बीच वह किराये के घर से निकल अपने खुद के घर में चला जाय ताकि भविष्य की अनिश्चिततावों के बीच कम से कम उसका अपना घर तो हो और खुद के आशियाने के लिए उसे किराया न देना पड़े। इस तरह के खरीददार वर्ग के लिए अफोर्डेबल हाउसिंग की बिक्री बढ़ेगी अतः इस कोरोना काल में ये दोनों अवसर तो हैं ही रियल एस्टेट के लिए उन्हें इसका इस्तेमाल करना चाहिये । यहां एक चीज का ध्यान देना पड़ेगा आपको की ग्राहक व्यवहार परिवर्तित हो गया है और इसे ध्यान में रख इस क्षेत्र के विपणन चिंतक भी इस आपदा में अवसर निकाल सकते हैं. जिसे निम्न सूत्र से समझा जा सकता है .

 

यदि मकान की किश्त और किराया एक समान सरकारी नीतियों और रिज़र्व बैंक के क्रियान्वयन से कर दिया  जाय तो रियल इस्टेट की समस्या को एक झटके में ही हल किया जा सकता है. हर व्यक्ति (ग्राहक) के दिमाग में इस कोरोना काल में द्वन्द है की वह किराये के मकान की जगह जल्दी से जल्दी  खुद के मकान में चला जाय और यदि ऐसे में उसे मौका मिले की वह अपने वर्तमान किराया भार के बराबर ही किश्त देना पड़े तो रियल इस्टेट में बिक्री की बाढ़ आ जाएगी. हर उस जगह जहां किराया और किश्त का अंतर कम है वहां आप देखेंगे की लोग अपने घर में रहते हैं  घर में निवेश करते हैं और जहां ज्यादा है वहां किराये के घर में ही रहते हैं. इसे कैसे कर सकते हैं उसे एक उदाहरण से समझाते हैं. मान लीजिये आपअँधेरी में एक अपार्टमेंट में किराये पर रहते हैं, आज की तारीख में अँधेरी में २ बीएचके फ्लैट की कीमत २ करोड़ है और किराये पर उसे लें तो वह ५०००० रूपये प्रति माह पड़ेगी. अगर एक व्यक्ति को वह जगह या वह काम्प्लेक्स रास आ गया हो तो वह घर खरीद डेढ़ लाख की किश्त देने की बजाय ५०००० दे उस जगह को प्रयोग करने के विकल्प का चुनाव करेगा और यदि उसे यह विकल्प मिल जाये की भाई तुम इसी एरिया में ऐसे ही घर में उसी नगदी भार से अपने घर में रह सकते हो तो एक बड़ी संख्या ख़ुशी ख़ुशी घर खरीद लेगी और जिस तरह से किराये की सालाना बढ़ोत्तरी होती है वैसे किश्त की भी बढ़ोत्तरी हो तो भी एक बड़ी संख्या में लोगों को स्वीकार्य होगा.

 

अब अगला सवाल होगा की घर की किश्त किराये के बराबर कैसे होगी तो उसका फार्मूला है की होम लोन प्रदाताओं को प्रगतिशील किश्त प्रणाली की अनुमति रिज़र्व बैंक को देनी पड़ेगी. इसमें किश्त वही रख सकते हैं जो किराये की राशि होगी और साल दर साल किराये की तरह किश्त बढ़ा सकते हैं, यह ठीक उसी तरह की सुविधा हो सकती है जो बहुत सी गाड़ियों के लोन में बलून स्कीम या ऐसी ही मिलती जुलती ऋण के रूप में अपनाई जाती है जिसमें लोन लेने वाला शुरू में न्यूनतम किश्त देता है और कुछ सालों के बाद बढ़ी हुई किश्त देता है जब उसकी आय सुधर जाती है. होम लोन में इससे प्रेरणा ले किराया बराबर किश्त कर सकते हैं. इसके लिए ऋण की अवधि को थोड़ा बढ़ाना पड़ेगा हो सकता है ऋण की अवधि ३० से ४० वर्ष की हो जाये लेकिन इसकी चिंता क्यों करना आगे वक़्त के साथ आय भी बढ़ेगी, बच्चे बड़े होंगे उनकी आय भी जुड़ेगी, और किसी अनहोनी की दशा में तो आज के सभी होम लोन पर बीमा होता है तो बीमा कम्पनी पूरी राशि दे देगी और परिवार वालों के पास खुद का घर बच जायेगा। इतनी लम्बी अवधि में आज के दर से खरीदी गई प्रॉपर्टी के मुकाबले आपके पास कुछ बड़ी राशि आ जाए तो आप पूरा लोन या कुछ भाग भाग में लोन भर अपनी किश्त को कम करते हुए शून्य भी कर सकते हैं. कुछ सालों के बाद आप यह महंगा घर बेच कर कोई सस्ता जगह मकान ले सकते हैं इसमें आप पुराने घर पर हुई मूल्य वृद्धि का इस्तेमाल कर आप ऋणमुक्त घर के मालिक हो सकते हैं.

इसीलिए मेरा मानना है की नीति नियंताओं, रिज़र्व बैंक, बैंकों, वित्तीय संस्थानों और सरकार को इस बात पर तत्काल चिंतन की आवश्यकता है की कैसे किराये बराबर किश्त की योजना लायें, इससे सबको घर का सपना तो साकार होगा ही, रियल एस्टेट को कर्ज मुक्त बूस्टर डोज मिलेगा , साथ में जो सहायक उद्योग हैं सीमेंट, लोहा, बिल्डिंग मटेरियल लेबर सबको संजीवनी मिलेगी। बिल्डर और रियल एस्टेट की सभी संस्थाओं को अपने फोरम से इसकी आवाज उठानी चाहिये।                   


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