मुनव्वर राणा जैसे लोगों के लिए आईना है विधिविरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अध्यादेश 

मुहं पर तमाचा तो बोल नहीं सकता इसलिये बोलताहूँ की यह अध्यादेश मुनव्वर राणा समेत तमाम उन बहसबाजों के लिए आईना है जो इसे किसी धर्म विशेष से जोड़ कर देख रहे थे. यह विधेयक विशुद्ध रूप से क़ानूनी तकनीकी संविधान सम्मत नाबालिग अनूसूचित जाति/जनजाति एवं अल्पसंख्यकों के हितों कीसुरक्षा करने वाली है. मुनव्वर राणा समेत तमाम बहसबाज और कुंठित लोगबताएं की यह अधिनियम किस शाहनवाज आलम को किस मुख़्तार अब्बास नकवी को किस शाहरुख़खान को किस फैज़ल खान को हिन्दू लड़की से विवाह करने पर रोकता है या किसी सुनील दत्तको नरगिस से शादी करने पर रोकता है. बताएं इस अधिनियम में कहाँ हिन्दू और मुसलमान शब्द लिखा है, बताएं यह विधेयक किसी धर्म विशेष को कहां टारगेट कर रहा है. कम से कम उन बुद्धिजीवियों और मुनव्वर राणा को कानून आने और पढ़लेने तक का इन्तजार करना चाहिए था. वामान्धों की यह फौज और कुछ नहीं देश में दो वर्गों का निर्माण कर संघर्ष करा मार्क्स के सथ्योरी का प्रैक्टिकल करना चाहती है इसमें लोग आपस में लड़ मर जाएँ इसकी चिंता इन्हें नहीं है इन्हें बस आग सुलागानी हैऔर उसे हौंकना है. यह अध्यादेश विशुद्ध रूप से Mens Rea (आपराधिक मनःस्थिति) की बात करता है, यह ना त ोअंतर्धार्मिक शादियों की मनाही करता है और ना ही धर्म परिवर्तन को निषेध करता है.यह विधेयक बस यही कहता है की जो भी हो विधि सम्मत हो विधि विरुद्ध ना हो. धर्मपरिवर्तन करने वाला किसी दबाब प्रलोभन झांसे में यह न कर रहा हो इसके लिए एक प्रक्रिया रक्खी है की जिलाधिकारी के यहाँ आवेदन कर एक निर्धारित अवधि के प्रतीक्षा के बाद यह अनुमति मिलेगी ताकि इस निर्धारित अवधि में ऐसे निर्णय लेने वाला नागरिक अपने निर्णय की परिपक्वता को प्राप्त कर ले और समझ ले. यह अध्यादेश आपराधिक मनः स्थिति को हतोत्साहित करने हेतु इसे संज्ञेय अपराध घोषित करते हुए प्रथम श्रेणी के न्यायाधीश के कोर्ट में विचारणीय बताया गया है.यह अध्यादेश मुख्य रूप से धर्म परिवर्तन की बात करता है विवाह की बात नहीं करता है . विवाह का उल्लेख एक जगह धर्म परिवर्तन के जरिये के रूप में किया गया है यदि वह कपट से किया गया है तो. इस अध्यादेश के मूल में मिथ्या निरूपण से , दबाब से या असम्यक प्रभाव से प्रपीणन से , कपट रीति से ,बलपूर्वक से प्रलोभन से या विवाह द्वारा एक धर्म से दुसरे धर्म में परिवर्तन कराया जा रहा है तो उसे इस अध्यादेश के द्वारा कानून के समीक्षा और निगरानी में रखा गया है. जो लोग लगातार यह बात बोल रहें थे कि लव शब्द या जिहाद शब्द नहीं आना चाहिए या यह एक धर्म विशेष के खिलाफ है बताइए इनमे से किसी भी एक शब्द का इस्तेमाल है इस अध्यादेश में, मुनव्वर राणा बताएं कहां यह सिर्फ एक ही धर्म पे बंदिशें डालता है. चैनल के वार्ताकार और पत्रकार बताएं कहां यह सिर्फ एक धर्म को सुपीरियर बनाता है और दूसरे पर अंकुश डालता है. यह तो कपट रीति से विधि-असम्मत धर्म परिवर्तन रोकने के लिए बनाया गया है. और उन तमाम  विधि असम्मत तरीकों के इस्तेमाल में कपट से किये गए विवाह के तरीके के सन्दर्भ रूप में सिर्फ विवाह शब्द का इस्तेमाल करता है. और ऐसा नहीं है की इसे सीधे गलत साबित कर दिया गया है यह धर्म परिवर्तन विधि सम्मत है इसे सिद्ध करने का दायित्व कहें या अधिकार कहें यह भी उन्ही के पास है जिन्होंने यह धर्म परिवर्तन कराया है या किया है. जहां तक अंतर्धार्मिक विवाह का मसला है यह अध्यादेश सिर्फ धर्म परिवर्तन के लिए कराये गए या किये गए विवाह को शून्य घोषित करता है क्यों की इस कृत्य में अंतिम उद्देश्य व्यक्ति का धर्म परिवर्तन है ना की प्रेम या विवाह यदि इस विवाह के पीछे धर्म परिवर्तन मूल है तो विवाह शून्य एवं अवैध और यदि ऐसा नहीं है तो विवाह मान्य और वैध. जिन लोगों को लगता है की इससे मिलता जुलता सजा या कानून पहले से ही था, तो उन्हें समझना चाहिए की जब समय के साथ कोई अपराध संगठित रूप धारण करता है या कोई ठोस आकार ले रहा होता है तो उसका मुकाबला सामान्य कानून से नहीं उसके लिए विशेष कानून बनाकर रोका जा सकता है ठीक वैसे ही जैसे आतंकवाद में भी हत्या होती है लेकिन उसे धारा ३०७ से नहीं नियंत्रित कर सकते हैं इसलिए उसके लिए मकोका पोटा टाडा NIA जैसे कानून आये.विवाह को लेकर जो मुनव्वर राणा या उनके जैसे लोग हल्ला मचाये थे उन्हें इसे इस सिंपल उदाहरण से समझना चाहिए की यह किसी के खिलाफ नहीं और धर्म निरपेक्ष कानून है. मसलन यदि कोई हिन्दू लड़का किसी मुस्लिम लड़की से शादी करता है और उसके पीछे उसकी योजना रहती है की इस लड़की को मुझे मुस्लिम सेहिन्दू बनाना है तो ऐसे में उसका मूल उद्देश्य प्यार और शादी नहीं है मूल उद्देश्य उसका धर्म परिवर्तन करा उसे मुस्लिम से हिन्दू बनाना है, ठीक इसके उलट पक्षकारों वाली परिस्थिति भी हो सकती है. बताइए क्या इस विवाह की बुनियाद सही है? क्या यह वैवाहिक अनुबंध विधि सम्मत है? नहीं न , तो बस यही तो यह अध्यादेश कह रहा है. जो इसे अल्पसंख्यकों के खिलाफ बता रहें हैं उन्हें बता दूं कि संविधान की मूल भावना के अनुसार ही यह अध्यादेश उनके हितों की रक्षा करता है, क्यों की उन्ही के गणितीय सिद्धांतों के अनुसार  अल्पसंख्यकों को धर्म परिवर्तन का खतरा ज्यादे है बजाय बहुसंख्यकों के, लिबरल विचारकों के हिसाब से तो बहुसंख्यक द्वारा अल्पसंख्यकोंके धर्म परिवर्तन कराने की सम्भावना ज्यादे रहती है जैसा वो भय दिखाते हैं. यह अध्यादेश ऐसे वामान्धों के लिए खुद आइना है कि वह देख लें. समाज भी ऐसे लोगों को देख और परख रहा है ये लोग कैसे उन्हें बरगला रहें हैं. मेरे हिसाब से यह अध्यादेश विधि सम्मत संविधान सम्मत, पुरुष, महिला नाबालिग, अनुसूचित जाति और जनजाति एवं अल्पसंख्यकों के हितों की सुरक्षा करने वाली है और यदि अल्पसंख्यकों की आड़ लेकर कोई रोटी काट रहा है तो उनका निषेध होना ही चाहिए. 

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