सनातन अर्थशास्त्र के मेरे प्रयोग

सनातन अर्थशास्त्र सतत शाश्वत विकास की बात करती है जिसके मूल में होता है की मूल्य निर्माण ही अर्थशास्त्र का मूल गुण है, यदि आप अपने प्रयास, प्रक्रिया, समय के प्रयोग या संयोजन से वैल्यू क्रिएशन कर रहें हैं तो आप सनातन अर्थशास्त्र के सिद्धांतों के तहत कार्य कर रहें हैं. अभी हाल ही में दिवाली की छुट्टियां हुई थी, मैं उत्तर प्रदेश के अपने गृह जनपद महाराजगंज में गया था, मैं चाहता तो इस यात्रा को व्यक्तिगत ही रख छुट्टियों को एन्जॉय करता और वापस मुंबई आ अपने काम में लग जाता, लेकिन मैंने ऐसा नहीं किया मैंने अपने प्रयास, समय, संपर्कों एवं संबंधों का ऐसा संयोजन किया जिससे मैं कम से कम हजार लोगों की जिन्दगी में बदलाव ला सकूं. एक बार इस तैयारियों के बीच महाराजगंज के सभागृह में बैठकर लगा की यार क्या पंगा ले लिया आराम से छुट्टी एन्जॉय करता लेकिन तभी सनातन अर्थशास्त्र का वह सूत्र वाक्य घूम गया की हमें अपने प्रयास, प्रक्रिया, समय के प्रयोग या संयोजन से वैल्यू क्रिएशन करना है ताकि हजारों लोगों की जिंदगियों में बदलाव ला सकूं. मैंने इसके लिए उत्तर प्रदेश सरकार की कुछ योजनाओं का अध्ययन किया उनके एक जिला एक उत्पाद योजना का अध्ययन किया जापान में एक गाँव एक उत्पाद और थाईलैंड में एक तालुका एक उत्पाद का भी अध्ययन किया और भारत के प्रसंग में यह कैसे लागू हो सकता है उसका भी अध्ययन किया. इसी क्रम में पाया की सरकार की विश्वकर्मा श्रम सम्मान एक ऐसी योजना है जो माइक्रो इकॉनमी के एप्लीकेशन के रूप में हजारों लोगों के जीवन में बड़ा बदलाव ला सकती है, अध्ययन के अलावा मैंने उत्तर प्रदेश डेवलपमेंट फोरम के जिला स्तरीय टीम को संपर्क किया की वह जिलाधिकारी कार्यालय के सभागार में एक कार्यक्रम रखें ताकि जिले के सभी प्रासंगिक जिम्मेदार अधिकारी वहां आ सकें, जिले के जनप्रतिनिधि भी आ सकें और और जागरूक नागरिकों की एक टीम आ सके जो बाहर जाकर सरकार की योजनाओं को और प्रयोग में लाने के लिए लोगों को बता सके. मुख्यमंत्री कार्यालय एवं प्रमुख सचिव से निवेदन कर एक जिला एक उत्पाद विभाग से एक प्रेजेंटेशन की व्यवस्था रक्खी ताकि योजनाओं की सम्पूर्ण प्रस्तुतीकरण हो सके, सबने आगे बढ़ कर सहयोग दिया और एक सफल कार्यक्रम का आयोजन हुआ, लोगों को सरकार की ऐसी योजनाओं के बारे में पता चला जो उनके आसपास के समाज में रहने वाले बढई, दर्जी, टोकरी बुनकर, नाई, सुनार, लोहार, कुम्हार, हलवाई, मोची, राजमिस्त्री एवं हस्तशिल्पियों जीवन में बड़ा बदलाव लाने वाला था, जिले के सभी अधिकारी जनप्रतिनिधि और आगंतुक नागरिकों में एक उर्जा एवं उत्साह का संचार हुआ जब उन्हें पता चला की इस योजना से कम से कम प्रत्यक्ष रूप से जिले के २०००० लोगों के जीवन में बदलाव आ सकता है. लोगों को जब मैंने बताया की बगल में ही कुशीनगर एअरपोर्ट बनने और इसके लिए महराजगंज जिले और कुशीनगर को जोड़नेवाली वाली नई सड़क कैसे इस जिले के साथ साथ आसपास के जिलों का भविष्य बदलने वाली है और कैसे कैसे नेपाल बिहार और झारखण्ड का भविष्य बदलने वाला है तो जिलाधिकारी ने भी स्वीकार किया की इससे पहले उन्हें लगता था की कुशीनगर एअरपोर्ट से सिर्फ टूरिज्म का विकास होगा लेकिन आपकी दृष्टि से यह ज्ञात हुआ की हाँ कुशीनगर एअरपोर्ट भी कार्गो का एक बड़ा हब हो सकता है जिससे यहाँ के लोगों के व्यवसायिक दृष्टि में बड़ा बदलाव आएगा और यहाँ का व्यापार राष्ट्रीय परिधि को प्राप्त कर सकेगा. कहने का आशय यह है हम जैसे लोग जो देश विदेश घूमते रहते हैं और वहां पर हो रहे विकास के साक्षी होते हैं उस दृष्टि एवं अनुभव को जब भी संभव हो सकें वहां संप्रेषित करें जहाँ इसकी सबस ज्यादे जरुरत है और वही मैंने इस बार के दिवाली विजिट में किया. इस कार्यक्रम के बाद जिलाधिकारी के निवेदन पर एक टीम भी बनाई जो जिले में कॉमन फैसिलिटी सेण्टर के निर्माण के अलावा १ साल के अंदर कम से कम १००० लोगों को विश्वकर्मा श्रम सम्मान योजना के तहत उन्हें मुफ्त प्रशिक्षण, प्रमाण पत्र, २०००० रूपये के औजार बैंक में ऋण के लिए उनका पंजीयन और मार्जिन मनी उपादान योजना के तहत उन्हें सरकार से मार्जिन मनी भी दिलवाएगी. कहने का आशय यह है की एक व्हाट्सएप से किया गया यह प्रयास १००० लोगों के जीवन में भी बदलाव ला सकता है यदि आप अपने प्रयास समय का संयोजन सनातन अर्थशास्त्र के सिद्ध्नातों के अनुसार करें तो. मेरे पास दो विकल्प थे छुट्टी का एन्जॉय या एक सेमिनार जो १००० लोगों के जीवन में बदलाव लाने वाला हो और मैंने दूसरा विकल्प चुना. आप भी अपना समय निकाल ऐसे छोटे छोटे काम कर सकते हैं जिससे लोगों के जीवन में बदलाव आ सकता लोगों के जीवन में मूल्य निर्माण हो सकता है, हम मुंबई के रहने वाले लोग को विकास का सबस उन्नत दृष्टि ही नहीं देश और विदेशों का भी अनुभव है, हमें बस करना यही है की उन ज्ञान और अनुभव को अपने संपर्कों के बीच साझा करना है जरुरतमंदों तक वह सन्देश अपने आप पहुँचता जाएगा और आपको पता भी नहीं चलेगा और एक वर्ष में आप सैकड़ों लोगों की सहायता कर चुके होंगे. इस अभियान में सोशल मीडिया भी बड़ा सहायक हो सकता है आपके सोशल मीडिया पर हजारों लोग जुड़े रहते हैं और शेयर फॉरवर्ड के माध्यम से यह दायरा कई गुना बढ़ जाता है यदि आपका ज्ञान और अनुभव उपयोगी हुआ तो यह स्वतः ही हजारों लोगों के पास पहुँच जायेगा और कई लोग उसका निर्णय लेंगे. आप यकीन नहीं करेंगे की लॉकडाउन के दौरान मैंने एक पोस्ट की थी “संकटकाल का समय है, अपनी परेशानियों को साझा करिए, शर्म के आवरण को उतार फेंकिये, जो भी मौका मिलता है उसे सहर्ष स्वीकार करिए और अच्छे दिनों का इन्तजार करिए” और यह सन्देश मैंने वैश्विक स्तर पर कोरोना के बाद आने वाले आर्थिक संकट के संकेतों के अध्ययन के बाद कही थी. मैंने वह पोस्ट लिखा और भूल गया जैसे हमेशा हम लोग पोस्ट लिखकर भूल जाया करते हैं. और एक दिन दिवाली की बधाई के लिए फोन आया एक मित्र का और उसने मुझे बहुत धन्यवाद् दिया, मैं थोडा आश्चर्यचकित था की मैंने क्या किया धन्यवाद किस बात का हम तो हजारों किलोमीटर दूर बैठे थे, उसने बताया की वह पहले एक कम्पनी में उच्च पद पर था, कुछ सालों से नौकरी छोड़ अपना रोजगार चालू कर दिया था लेकिन कोरोना के कारण पूरा बिजनेस डूब गया कर्जा बढ़ रहा था और भविष्य भी अंधकारमय लग रहा था आपके उस पोस्ट ने मुझे एक पुश दिया और मैंने झिझक छोड़ी अपनी चिंताएं साझा की और कुछ प्रयास भी किया और मुझे एक जगह पर मेरे पिछले अनुभव के आधार पर नौकरी का ऑफर आ गया और आज मुझे लाखों की सैलरी की नौकरी मिल गई. आपके उस पोस्ट ने मुझे एक दिशा और एक पुश दे दिया. मेरे इस कहने का आशय है ऐसे लाखों लोग होंगे जो कुछ अच्छे निर्णय लेने की सीमा पर खड़े होंगे आप को जब मौका मिले आप हल्का सा पुश दें वह अपने आप अच्छे दिनों के गोले में आ जायेंगे, उन्हें बस आपके पुश दिशा और दृष्टि की जरुरत है. यहाँ भी सनातन अर्थशास्त्र का ही प्रयोग है हमने अपने प्रयासों लेखन और सोशल मीडिया का ऐसा संयोजन किया जिससे लोगों के जीवन में भी बदलाव आ सकता है.

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