हौसले से काम लें


कोरोना का काल है और हालत बेहाल है, सामने यक्ष प्रश्न है की जीवन पहले या जहान है. यत्र तत्र सर्वत्र से अच्छी खबरें नहीं आ रहीं हैं ऐसे में एक ही संबल है जो अपने पास है वह है हमारा हौसला जिससे हम इस जंग को जीत सकते हैं. हमें अपने सोच को बदलना होगा. हालाँकि इस दौर में जैसी संवेदनशीलता बैंक और एनबीएफसी से दिखनी चाहिए थी वह नहीं दिखी, एनबीएफसी के एजेंट लोगों के घरों पर मोरेटेरियम का आवेदन देने के बाद भी लोगों की दरवाजे पर सोसाइटी के बाहर जाकर परेशान करते हुए दिखे और इनके कई विडियो वायरल हुए. इस संवेदनशील दौर में एक बहुत ही दर्दनाक खबर यूपी क महराजगंज जिले से सामने आई जिसमें एक ऑटो चालक ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी , कारण उसने एक ऑटो लोन पर लिया था, कोरोना बंदी में उसका ऑटो नहीं चल रहा था, ऑनलाइन और इन्टरनेट का जागरूक नहीं होने क कारण वह मोरेटेरियम का ऑनलाइन आवेदन नहीं कर पाया था, अनलॉक होने क बाद कुछ कुछ भाडा उसे मिल रहा था लेकिन उससे वह किसी तरह अपना घर चला पा रहा था किश्त नहीं चुका पा रहा था, फाइनेंस कंपनी ने किश्त न चुका पाने के कारण उसका ऑटो खिंचवा लिए जिस कारण से उसके ऊपर दोहरी मार पड़ गई एक घर खर्च चलाने की दूसरी जो आय कमाने का एक जरिया था उसे उस फाइनेंस कंपनी न छीन लिया. यह देश की बहुत ही दर्दनाक तस्वीर है और इस घटना को देश के हुक्मरानों को संज्ञान में लेना चाहिए. लगभग देश के सभी मीडिया संस्थाओं ने जिस तरह से मोरेटेरियम योजना का एनबीएफसी कम्पनियों ने मजाक उड़ाया है उसे छापा है लेकिन नोटिफिकेशन निकालने के अलावा जिस तरह से इसपर नियंत्रण नहीं रक्खा गया उसने जनता को हैरान और परेशान कर दिया जिस कारण जनता का हौसला टूट रहा है. हमें बस इस हौसले को टूटने से रोकना है, क्यों की हमारे या आपके जाने क बाद आपका परिवार वर्तमान से भी घनघोर संकट में चला जाता है और भविष्य में बच्चों की पढाई एवं  शादी ब्याह में या जीवन में आ रही मुश्किलों के लिए माँ बाप का सलाह नहीं मिल पाता है और यदि आप युवा हैं तो आपके माँ बाप को भी आपका सहारा नहीं मिल पाता है अतः यह समय मजबूत होकर समय से लड़ने का है इस लड़ाई से हारने का नहीं हराने का है.   

हौसले की कमी के कारण कई लोग सामने अवसर होने पर भी उसे पहचान नहीं पाते हैं ऐसे में हम अपने आसपास भी किसी के लिए जामवंत बनकर इस भूमिका को निभा सकते हैं और खुद भी हौसला रख दुसरे को संबल दे सकते हैं. इस सम्बन्ध में मैं एक कहानी आपको सुनाता हूँ, एक टेम्पो वाला बड़ा निराश था की उसकी आय नहीं हो रही है और वो घर पर बैठा ग्राहक का इन्तजार करता था जबकि टेम्पो उसने लोन पर लिया हुआ था और हर महीने किश्त और घर का खर्च भारी पड़ रहा था . एक दिन उसको परेशानी में देख उसका दोस्त उसके घर आया और पूछा भाई तुम क्यों परेशान हो, उसने बोला की देखो मरे पास कोई आय नहीं बची है और मै परेशान हूँ की कोई भाडा मेरे पास नहीं आ रहा है . उस दोस्त ने बोला भाई टेम्पो ख़रीदे हो, वह तुम्हारे पास पड़ी है इसे घर पर रख कर सोचोगे की कोई भाडा तुम्हारे पास आएगा तो तुम बाहर जाओगे तो ऐसा होने वाला नहीं है. तुम टेम्पो  लेकर सड़क पर उतरो थोड़ी दूर चलो, जब टेम्पो देखेंगे आते हुए तो लोग  हाथ देंगे, तुम्हे इस वाहन को लेकर सड़क पर उतरना पड़ेगा तुम्हारे ग्राहक रुपी मौका सड़क पर टहल रहें हैं इसके लिए तुम्हे घर से बाहर निकलना पड़ेगा घर में ही बैठे रहोगे तो ग्राहक या मौका चल कर नहीं आएगा तुम्हे खुद चलना पड़ेगा घर से बाहर निकलना पड़ेगा तभी मौके का तुमसे मुलाकात होगा, अब वक़्त बदल गया है पुराना वक़्त नहीं है की लोग खुद आते थे. ठीक यही हाल जीवन का है हमें अपने जड़ स्थिति से बाहर निकलना पड़ेगा तभी हम इसी हालत को तोड़ सकते हैं, हमें कुछ करना पड़ेगा, करने का मौका ढूँढना पड़ेगा, हमें अपनी शक्ति अपनी ताकत पहचाननी पड़ेगी और यदि तमाम संभावनाएं आपके अंदर होते हुए आप कमा नहीं पा रहें हैं तो कहीं न कहीं दोष अपने सोच का भी है जिसे हमने अपनी बंदिशें बना ली है हमने अपने आपको एक छवि में कैद कर लिया है, इस कोरोना काल में हमें अपनी उन बंदिशों और छवि को तोडना पड़ेगा तभी हम जान और जहाँ दोनों बचा सकते हैं.

पूर्वी उत्तर प्रदेश के एक सफल उद्यमी जापान में हैं गणेश यादव, इन्होने कक्षा १० तक की पढाई की और बहुत कम उम्र में जापान चले गए, परिवार से बहुत गरीब थे इसलिए बाहर नौकरी करने गए, इन्होने कम शिक्षा को बाधा नहीं बनने दिया, अपने मेहनत हौसले और चतुराई से इनका कारोबार फैला है. 18 एकड़ में इनके पास निर्माण मशीनरी का कारखाना है बीस से अधिक देशों में माल सप्लाई करते हैं, ५ भारतीय रेस्तरां है जापान में और सब तिरंगे रंग में रंगे हैं. इनसे इस कोरोना काल में एक मैनेजमेंट के छात्र ने एक वेबिनार में पूछा की आप अपने डिप्रेशन को कैसे भगाते हैं, इनका जबाब काफी अच्छा था जिससे हमें सीखना चाहिए, इनका कहना था जब भी मै तनाव में आता हूँ मै दुगुना काम करने लगता हूँ, दुगुना काम करने से थकान आती है, काम से थकता हूँ तो अच्छी नींद भी आ जाती है और दुसरे दिन दिमाग फ्रेश रहता है, काम दुगुना कर दिया तो पैसा भी दुगुना हो गया और जब हाथ में पैसा आता है तो डिप्रेशन ऐसे ही भाग जाता है. अतः यदि मैं डिप्रेशन में घर पर बैठ जाता तो समय का नुक्सान होता तनाव हावी होता और जो पैसा आने वाला था वो भी नहीं आता तो तनाव दुगुना हो जाता अतः तनाव दुगुना करने की जगह हमें मेहनत दुगुना करनी चाहिए काम और मेहनत से ही हम डिप्रेशन को भगा सकते हैं. यदि आपको लगता है की आपके पास कोई काम नहीं बचा है या नौकरी से निकाल दिया गया है या उसपर खतरा आ गया है तो भी आप तनाव में न आयें, अपने दोस्तों से करीबी हितचिंतको से इस मसले को शेयर करें और जो आपको आता है उसके लिए काम को करने के लिए अपने आपको तैयार रखें, काम कोई छोटा बड़ा नहीं होता उसका स्केल छोटा बड़ा होता है और स्केल बड़ा करने के लिए उसे छोटे स्केल से शुरू करना पड़ता है, धीरू भाई जिन्होंने सबसे बड़ी आयल कम्पनी की स्थापना की  उन्होंने पेट्रोल पम्प बॉय बनकर इस काम को शुरू किया है वहां से इस यात्रा को शुरू किया है, आप भी ऐसा कर सकते हैं शुरू करिए कोई भी काम जिसे आप स्केल कर बड़ा कर सकते हैं देखिये आपका तनाव भाग जायेगा.    

 

Comments