अब तक हम आर्थिक मंदी सुनते आ रहे थे लेकिन कोरोना के इस विश्वव्यापी प्रसार ने हमें आर्थिक बंदी के करीब लाकर खड़ा कर दिया है. भारत जैसा देश जिसका सूत्र वाक्य अतिथि देवो भव और वसुधैव कुटुम्बकम है वह देश पहली बार विदेशीं नागरिक को भारत आने से रोक रहा है, और इसने १५ अप्रैल तक दिए गए सारे वीजा कैंसिल कर दिए हैं. यह बंदी सिर्फ विदेशीं यात्रियों पर ही नहीं क्रूज पर भी लागू है. भारत सरकार ने 31 मार्च तक सभी विदेशी जहाजों की एंट्री बैन कर दी है। ये प्रतिबंध खासकर ऐसे देशों पर लगाया गया है, जहां कोरोना वायरस का सबसे ज्यादा असर है। मिनिस्ट्री ऑफ शिपिंग के मुताबिक, भारतीय बंदरगाहों पर केवल उन्हीं अंतरराष्ट्रीय क्रूज की एंट्री होगी जिन्होंने 1 जनवरी 2020 तक बंदरगाह पहुंचने की सूचना दे रखी है। इसके अलावा थर्मल स्क्रीनिंग सुविधाओं वाले बंदरगाहों पर यात्रियों व क्रू मेंबर्स को आने की इजाजत दी गई है। मंत्रालय ने यह भी कहा है कि अगर किसी यात्री और क्रू मेंबर में कोरोना के लक्षण दिखाई पड़ते हैं तो उसे तत्काल रूप से वापस भेज दिया जाएगा। बता दें कि सरकार ने फ्रांस, जर्मनी और स्पेन के नागरिकों के देश में प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया है। इसके अलावा इन तीनों दिशों से आने वाले उन नागरिकों के नियमित और ई-वीजा पर भी रोक लगा दी है, जिन्होंने देश में प्रवेश नहीं किया है। सरकारी एयरलाइंस कंपनी एयर इंडिया ने सिंगापुर के लिए अपनी उड़ानों की संख्या कम कर दी है साथ ही कुवैत के लिए सेवाएं रद कर दिया है। एयरलाइंस अपनी अन्य उड़ानें भी रोक सकती है, क्योंकि खाड़ी के देशों ने भारत समेत 13 अन्य देशों के लोगों की एंट्री रोक दी है। अब इतनी सारी बंदी हो रही है तो इसका मतलब मसला गंभीर है. और सिर्फ भारत ही नहीं अमेरिका, आस्ट्रेलिया, खाड़ी देश सभी अपने दरवाजे बाहरियों के लिए बंद कर रहें हैं. यह एक तरह से आर्थिक नाकाबंदी है.
इस कोरोना वायरस से सिर्फ शेयर बाजार ही नहीं अन्य आर्थिक सूचकांक जैसे की जीडीपी आदि सबके गिरने की सम्भावना है. जब व्यापारिक यात्रायें और सौदे नहीं होंगे तो अर्थ की गाडी कैसे भगेगी. कोरोना वायरस की इस वैश्विक आपदा सेंसेक्स और जीडीपी ही नहीं प्रत्यक्ष विदेशी निवेश भी घटने की सम्भावना है। ऐसा ही चीन में हुआ, जहां कोरोना वायरस के कारण फरवरी महीने में एफडीआई 25.6 फीसदी घट गया। देश की अर्थव्यवस्था के लिए एफडीआई का अहम रोल है। और यदि यह प्रभावित हुआ तो पहले से इकॉनमी क्लास में चल रही भारत की विकास दर और गिर सकती है। जीडीपी और एफडीआई में कमी आने से आय दर और रोजगार दोनों कम होंगे। इसलिए सरकार को यदि विकास दर संतुलित रखना है, तो आम जनता की सेहत की सुरक्षा के लिए पूरी तरह से चौकस रहना होगा।
मूडीज एनालिटिक्स के एक रिपोर्ट के मुताबिक कोरोनावायरस ने 2020 की वैश्विक विकास दर को बुरी तरह से प्रभावित किया है और इसकी वृद्धि दर 1.9 प्रतिशत तक धीमी होने की उम्मीद है। इससे पहले इसी महीने जारी किए गए ग्लोबल मैक्रो आउटलुक 2020-21 में मूडी ने वायरस के चलते दुनियाभर की अर्थव्यवस्था को 0.1 से 0.4 प्रतिशत तक धीमा बताया था । मूडीज एनालिटिक्स के नए मूल्यांकन में कहा गया था कि ऐसी उम्मीद थी कि मिड-जनवरी में एक व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर के बाद, 2020 में वैश्विक अर्थव्यवस्था मजबूत हो जाएगी, लेकिन ऐसा हुआ नहीं। कोरोनोवायरस के चलते 2020 में प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं से जीडीपी में अचानक से गिरावट आ गई । मूडी की यह रिपोर्ट वैश्विक इकॉनमी के लिए शुभ संकेत नहीं है आगे वैश्विक अर्थव्यवस्था का निर्धारण इस बात से तय होगा, कि कोरोनावायरस कितने समय तक रहता है जबकि विश्व स्वास्थ्य संगठन इसे महामारी घोषित करने पर भी मजबूर हो गया है और अमेरिका ने आपातकाल घोषित कर दिया है।
कोरोनावायरस के चलते तेल की डिमांड और सप्लाई दोनों को झटका लगा है। अमेरिका, यूरोप, जापान और ऑस्ट्रेलिया सहित लॉन्ग-टर्म बांड की पैदावार दुनियाभर में गिर रही है।यह सब बताता है की वैश्विक मंदी के साथ-साथ हम वैश्विक बंदी की तरफ बढ़ रहे हैं। शेयर मार्किट की बात करें तो कोरोना वायरस के कारण दुनियाभर के शेयर बाजारों में कोहराम मचा हुआ है, लेकिन आश्चर्यजनक रूप से वायरस के मुख्य केंद्र चीन के शेयर बाजार में सबसे कम गिरावट दर्ज की गई है। बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने अपनी एक ताजा रिपोर्ट में कहा कि पिछले करीब 45 दिनों की अवधि में चीन का शंघाई कंपोजिट इंडेक्स सिर्फ 1.78 फीसदी गिरा है। जबकि अन्य एशियाई बाजारों में 7-15 फीसदी गिरावट दर्ज की गई है।
कोरोना ने धनवानों की गणना की गणित भी बदल दी है. बाजार में मचे भगदड़ से सिर्फ छोटे निवेशक ही प्रभावित नहीं हुए हैं। दिग्गज निवेशकों पर भी इसकी आंच पड़ी है। कोरोना की वजह से मुकेश अंबानी की संपत्ति को 15.2 बिलियन डॉलर यानी 1.11 लाख करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है और उनसे सबसे धनी होने का ताज छीन गया है। कोरोना से सिर्फ ऐसा नहीं है की अमीर प्रभावित हुए हैं आम आदमी और मध्य वर्ग प्रभावित हुआ है, माल और सिनेमा में जिनकी दुकाने हैं, ओला, उबर, टैक्सी ऑटो वाले, चिकन और अंडे का व्यापार करने वाले सब की गतिविधियाँ धीमी हुई हैं क्यों की लोग अब ठहर सा गए हैं.
हो सकता है जब दुनिया इस कोरोना वायरस से उबरे उस वक़्त हमें बिलकुल नई कार्य संस्कृति और नए आर्थिक समीकरण देखने को मिलें. कॉर्पोरेट के कार्य करने का तरीका बदल गया हो, वर्क फ्रॉम होम की संस्कृति में बूस्ट आ जाए और हेल्थ पहले और वेल्थ बाद में की अवधारणा प्रचलित हो. विश्वस्तर पर चीन से निर्भरता कम हो और विश्वबाजार में चीन का दबदबा कम हो, इस अवधि में कई देश अपने लिए वैकल्पिक बाजार और सप्लाई चेन विकसित कर चुके हों, युद्ध के बाजार और संयुक्त राष्ट्र में बायो वेपन पर एक विश्वव्यापी बहस हो और कोरोना वायरस के जन्म की असली कहानी पता चल सके फिलहाल तो पूरी दुनिया अभी अपने अपने घर की जान माल बचाने में लगी है और जिस तरह से भारत सरकार और राज्य सरकारें इसे लेकर गंभीर है लगता है इसे जीतने में हम जल्द सफल होंगे.
Comments