आर्थिक गल्प और माया


इकॉनमी की तमाम सकारात्मक और नकारात्मक खबरों के बीच आइये कुछ अर्थ गल्प पढ़ते हैं. पहला गल्प है की एक होटल के काउंटर पर एक यात्री अपना 1000 रुपया भूल से छोड़ आता है, काउंटर वाला वह नोट अपने पास रख लेता है. तभी उसके पास प्रेस करने वाला आता है और प्रेस के हिसाब में बाकी 1000 मांगता है , होटल वाला वही 1000 उसे दे देता है और अपने सिर पर से बकाये का बोझ मिटा लेता है. प्रेस वाला वही नोट लेकर मार्किट में जाता है, दूध वाला उससे अपने बकाये दूध का पैसा मांगता है, प्रेस वाला वही 1000 रुपया उस दूध वाले को दे देता है अब प्रेस और दूध वाले दोनों का हिसाब बराबर हो जाता है, दूध वाला वह पैसा मिठाई के दूकान वाले से लिया अपना 1000 का कर्जा लौटा देता है. मिठाई वाला वह 1000 रुपया लेकर वापस होटल जाता है अपने मेहमान के रहने का जो बकाया उसने लगाया था वह होटल वाले को वही नोट देकर आ जाता है. अब होटल वाले के पास वही नोट घूम कर वापस आ जाता है, तभी कुछ घंटे में ही वह यात्री वापस आ जाता है और आते ही, तपाक से बोलता है, भईया हां यही नोट तो मै काउंटर पर छोड़ आया था, काउंटर वाला उसे वह नोट दे देता है. लब्बोलुवाब यह है की इकॉनमी की माया ऐसी है की कुछ ही घंटे में एक ही नोट ने कईयों के कर्ज को क्लियर कर दिया, जबकि वह था उस यात्री का और वह गलती से काउंटर पे छूट गया था, अगर उसे वह यात्री वाला अपने जेब में रखकर ले जाता तब भी अंत में वह उसके जेब में ही रहता लेकिन इतने बीच के लोगों का हिसाब तब खड़ा ही रहता, चुकता नहीं होता, इकॉनमी की माया और कहने का आशय यह है की पड़ी हुई मुद्रा से ज्यादे फायदेमंद चलायमान मुद्रा होती है.


दूसरी माया यह है की हर व्यक्ति अपने बैंक बैलेंस को नगदी के समतुल्य ही मानता है. आप किसी भी क्षण के पुरे हिन्दुस्तानियों के बैंक बैलेंस का टोटल मार लीजिये आप को छपे हुए नगद नारायण नोट उसके सामने नगण्य ही मिलेंगे, जबकि सब लोग अपने इस नगद को लेकर गदगद ही होंगे असली नगदी औकात तो सिर्फ सर्व शक्तिमान रिजर्व बैंक ही जानता है की बाजार में नगद कितना है. अगर सब लोग एक ही दिन नगद मांग ले तो बैंक से लगायत रिजर्व बैंक भी टांय टांय फिस्स हो जायेगा. कहने का आशय है की नगदी और बैंक बैलेंस भी देश में एक माया है जो देश, नागरिक और  इकॉनमी को अपने मोह माया में बांधे रहती है.

इसे एक और अर्थ गल्प उदाहरण से समझिये, मान लीजिये आपको अन्तरिक्ष में किसी ग्रह के टापू पर जीवन जीने लायक परिस्थिति मिली, आपने एक टापू पर 1000 स्त्री पुरुष, कुछ  हजार जीव जंतु और जीने खाने लायक कुछ बेसिक सामान और १ लाख प्रति व्यक्ति के हिसाब से 10 करोड़ रूपये दिए और कई सालों तक उस ग्रह पर गए नहीं. सालों बाद जब आप उस ग्रह के टापू पर गए तो आपने देखा कि अरे उनकी आबादी तो अब 3000 से ज्यादे हो गई है, लोगों ने रहने के लिए कुछ नियम बनाने लिए हैं जिसे वह उस टापू का संविधान कहते हैं, इकॉनमी के लिए बैंक बना लिए हैं, उसके नियंत्रण के लिए केंद्रीय बैंक भी बना लिए हैं, नागरिक सुविधा विकसित कर लिए हैं. आप एक एक कर सबको बुलाते हैं, सबसे उसके आर्थिक हैसियत के बारे में पूछते हैं, एक से बढ़कर एक लोग आते हैं और गर्व से अपनी बढ़ चढ़ के हैसियत बताते हैं, आपने सबके बैंक बैलेंस का टोटल मारा तो पाया अरे यह तो 1000 करोड़ बता रहा है जबकि आपने तो सिर्फ 10 करोड़ ही दिए थे, आप सोचते हैं और मंद मंद मुस्कराते हैं कि देखों कैसे डींगे हांक हांक अपनी हैसियत सब बता रहें हैं, जबकि मुझे मालूम है इस ग्रह के इस टापू की हैसियत, जिसकी शोधन क्षमता १० करोड़ से एक रूपये अधिक नहीं है, कम हो सकती है. हर व्यक्ति इसी माया में खुश है की उसके पास करोड़ों रूपये हैं, कुछ चुनिन्दा लोगों का बैंक बैलेंस तो १० करोड़ से भी ज्यादे था जबकि उस ग्रह की कुल हैसियत ही १० करोड़ थी और यह सिर्फ आप जानते थे.

आपने गौर किया की सब मुद्रा और संपत्ति की माया में गिरफ्तार हो चुके हैं और उसी के बंधन में बंध कर अपना इतना लम्बा वक़्त इस नए ग्रह पर काट रहें हैं और खुद को, अपने जीवन और अपने आपको व्यस्त रख रहें हैं . एक चीज यहाँ पर आप नोटिस करेंगे की बीते सालों में इन्होने बहुत सी चीजें उत्पादित की और उसकी बिक्री की, उपभोग किया, कुछ जीडीपी जैसा सूचकांक भी बना लिया था, अंत में सब सौदों और उत्पादन का टोटल मारा गया तो 10000 करोड़ आया, जबकि उस ग्रह की कुल नगद हैसियत ही १० करोड़ थी. आपने पाया की कुछ चीजों का इतना उत्पादन उन लोगों ने कर दिया की उसकी मांग बहुत कम हो गई, मौसम के हिसाब से लोग स्टॉक जमा कर वक़्त के हिसाब से सस्ता महंगा बेच रहे हैं और मांग सप्लाई के हिसाब से कमा या गँवा 
रहें हैं.

एक चीज और यहाँ पर आपको दुखी कर गई वह यह की आपने तो सबको एक एक लाख समान रूप से बांटे थे, टापू पर जमीन के हिस्से पर समान अधिकार दिया था, टापू के प्राकृतिक संसाधनों पर भी समान अधिकार दिया था, लेकिन बीतते सालों के साथ कुछ बहुत ज्यादे अमीर हो गए, तो कुछ बहुत ही गरीब हो गए, कुछ बुद्धि,बल, चतुराई , कौशल या लालच जो बन पड़ा, के इस्तेमाल से जो समान अधिकार वाले जमीन या प्राकृतिक संसाधन थे उसका अपने पक्ष में अधिक संग्रह कर लिया और कुछ वंचित रह गए. जीडीपी का सूचकांक तो बना लेकिन खुशहाली का सूचकांक गायब हो गया.  

आप यह सब देख कर बड़े उदास हुए और आपने बोला की चलो मैं एक काम करता हूँ यहाँ एक लोकतान्त्रिक सरकार की व्यवस्था कर वापस पृथ्वी पर जाता हूँ और यह लोकतान्त्रिक सरकार ऐसे नियम कानून और संविधान फिर से बनाएगी जिससे यहाँ इस टापू पर व्याप्त असमानता में समानता आएगी. आप उस टापू पर लोकतान्त्रिक व्यवस्था बना वापस पृथ्वी पर आते हैं और फिर एक लम्बा अन्तराल रखते हैं. एक लम्बे अन्तराल के बाद आप फिर उस ग्रह के टापू पर जाते हैं, और इस बार जाते ही आप अपना सर पकड़ लेते हैं, सबका हिसाब लेते हैं, सबका बैंक बैलेंस अब 2000 करोड़ बता रहा है, लोग या तो खूब अमीर हैं या खूब गरीब हैं, एक बीच वाला वर्ग भी उभर आया है लेकिन उसकी कमर टूटी है, सारे कानून का लोड वही ले रहा है, शोषित और वंचित वर्ग उभर आया है. आप फिर उसका अध्ययन करते हैं, और निष्कर्ष पर पहुंचते हैं की जिस लोकतान्त्रिक व्यवस्था को आप लागू कर गए थे उस लोकतान्त्रिक व्यवस्था में पीछे के दरवाजे से फिर वही कुटिल और लालची वर्ग घुस आया, उसने अपने मनमाफिक नीतियाँ और कानून बना फिर से अपना आर्थिक दबदबा बना लिया है. आप नाराज हो जाते हैं, आपको उस ग्रह की ताकत कमजोरी और वास्तविक हैसियत सब मालूम है जो की 10 करोड़ ही है, आपको मालूम है की पूरा टापू माया का जबरदस्त शिकार हो गया है. आपको ज्ञात हुआ की जो कुछ जीव जंतु जो आपने इकोसिस्टम संतुलन के लिए भेजा था, जो आपकी कृति और प्रिय थी उसे इन लोगों ने स्वाद के लिए मार कर खाना शुरू कर दिया है, कुछ की तो नस्लें ख़त्म हो गई हैं , कुछ बची हैं तो कुछ को खाने के चक्कर में इतना ज्यादे इन लोगों ने पैदा कर दिया है की उनकी डेली हत्या कर उन्हें खाद्य पदार्थ की श्रेणी में डाल दिया जाय ताकि आपके बनाये गए नियम से उन्हें कोई अपराधी न घोषित कर दे.

आप फिर निराश होते हैं और और हमेशा हमेशा के लिए ग्रह छोड़ देते हैं. कुछ लोग जो आपको जानते थे वह एक गुम्बद नुमा टावर की आकृति के कण्ट्रोल रूम में एंटिना लगा लगा पुकार पुकार आपसे सम्पर्क साधने की कोशिश करते हैं, आप दुखी हैं, उन्होंने आपके सपनों का खून कर दिया, समाज में भयंकर असमानता लाई और सबसे बड़ी बात आपके सबसे प्रिय जीव जंतु जिसे आपने उसे ग्रह पर भेजा था जो आपके पुत्र समान था उसका ही हत्या कर ये लोग कण्ट्रोल टावर से आपका प्रार्थना कर रहें हैं, आप काफी क्रुद्ध हैं, आपने अब अपना सारा सम्पर्क तोड़ दिया है और इस ग्रह को अकेला छोड़ दिया है. 

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