यूपी बन सकता है वैश्विक मैनुफैक्चरिंग हब

बीते सप्ताह निर्मला सीतारामन ने कॉर्पोरेट टैक्स रेट की परिवर्तित दर की घोषणा कर देश ही नहीं पूरी दुनिया को चौंका दिया. कुछ चुनिन्दा टैक्स आक्रामकता को लेकर जो भारत की छवि दुनिया में बनी हुई थी वो अब बीते कुछ प्रेस कांफ्रेंस से खत्म हो रही  है. अब भारत टैक्स टेररिज्म वाला देश नहीं रहा, अब निवेशकों को लग गया है कि अब वह दौर गया जब पिछले तारीख से टैक्स के कानून बदल जाया करते थे और फ्रिंज बेनिफिट टैक्स जैसे गैर जरुरी टैक्स लाद दिए जाते थे, या कर अधिकारी के उत्साही और आक्रामकता की वजह से कॉर्पोरेट को अदालतों के चक्कर लगाने पड़ते थे. पुरे देश में GST लगाने से भी टैक्स की परिभाषाओं को समझने की जो सहूलियतें मिली और फेसलेस स्क्रूटिनी की जो घोषणा हुई उसका सबने स्वागत किया.


वित्त मंत्री की नई घोषणा के बाद अब घरेलू कंपनियों के लिए कॉरपोरेट टैक्स की प्रभावी दर 25.17 फीसदी हो गई और इसमें सभी प्रकार के सेस और सरचार्ज भी शामिल हैं। यदि कोई घरेलू कंपनी किसी प्रकार का प्रोत्साहन या छूट नहीं ले रही है, तो उनके लिए कॉरपोरेट टैक्स दर 22 फीसदी होगी और यदि ले रही है तो २५.१७ होगा। 22 फीसदी टैक्स का विकल्प चुनने वाली कंपनियों को न्यूनतम वैकल्पिक कर (MAT) नहीं देना होगा। एक अक्टूबर के बाद स्थापित हुई नई घरेलू मैन्यूफैक्चरिंग कंपनी यदि कोई  प्रोत्साहन या छूट नहीं ले रही है तो वह 15 फीसदी कॉरपोरेट टैक्स रेट के हिसाब से टैक्स दे सकती है। ऐसी नई कम्पनियों के लिए सभी सरचार्ज और सेस लगाने के बाद नई मैन्यूफैक्चरिंग कंपनी के लिए टैक्स की प्रभावी दर 17.01 फीसदी हो जाएगी। सरकार ने अब कंपनियों पर लगाए जाने वाले मिनिमम अल्टरनेट टैक्स (MAT) को भी खत्म कर दिया गया है। लेकिन जो कंपनियां सरकारी इंसेंटिव का लाभ लेना चाहती है उन्हें मैट (मिनिमम अल्टरनेटिव टैक्स) देना होगा लेकिन इसकी दर 15 फीसदी होगी जो पहले 18.5 फीसदी थी।


भारत के इस कदम से विश्व में भारत की टैक्स साख खूब बढ़ी है और वैश्विक मैन्युफैक्चरिंग ट्रेंड भारत की तरफ मुड़ने की सम्भावना है जो मेक इन इंडिया के लिए अच्छा होगा. अभी चीन में कॉरपोरेट टैक्स की मानक दर 25 फीसदी है। यदि कोई कॉर्पोरेट चीन की सरकार द्वारा प्रोत्साहन के लिए चिन्हित क्षेत्रों में कारोबार करता है तो उसके लिए कॉरपोरेट टैक्स की दर घटाकर 15 फीसदी की जा सकती है, हालाँकि यह भारत की तुलना में जहाँ सभी नई यूनिट को १५% की दर दी गई हैं चाइना की १५% की दर काफी प्रतिबंधित है और चीन में इसमें प्रोत्साहन वाले क्षेत्रों में नई व अत्याधुनिक तकनीक और कुछ खास एकीकृत सर्किट का उत्पादन ही शामिल है।


कॉरपोरेट टैक्स की दर को घटाकर 25.17 फीसदी किए जाने का अमेरकी कारोबारियों ने भी स्वागत किया है। उनका कहना है कि इससे देश की और विश्व की भी आर्थिक सुस्ती दूर होगी और अमेरिकी कंपनियों को भारत में मैन्यूफैक्चरिंग गतिविधि बढ़ाने का एक नया अवसर मिलेगा। ज्ञातव्य हो कि अमेरिका भारत के सबसे बड़े एफडीआई निवेशकों में शामिल है।


जहाँ तक वित्तीय घाटा का प्रश्न उठाया जा रहा है इस टैक्स कटौती से राजस्व को होने वाले 1.45 लाख करोड़ रुपए के नुकसान से वित्तीय घाटा अधिक नहीं बढ़ेगा, क्यों की एक तरफ तो यह कटौती होगी दूसरी तरफ GST एवं आयकर दोनों कर चुकाने वालों का आधार बढ़ जाएगा और इससे राजस्व की वसूली बढ़ेगी। इस कदम के जो सबसे पहला फायदा है वह यह है कि इससे भारतीय कंपनियों में कैश फ्लो बढेगा, जिसका इस्तेमाल कंपनियां अपने कर्ज को सही करने में और नौकरियां बढ़ाने या उसे स्थिर रखने में कर सकती हैं।


वैश्विक स्तर पर अगर देखेंगे तो जो शीर्ष के १० मैन्युफैक्चरिंग देश हैं उनके यहाँ भी जो कर की प्रभावी दर है निर्माण कारखानों पर, वह वित्त मंत्री के इस घोषणा के बाद हमसे ज्यादे हो गई है मतलब चीन, यूनाइटेड किंगडम, कोरिया,इटली, जापान फ्रांस आदि देशों के कॉर्पोरेट इनकम टैक्स अब भारत के नए प्रभावी कॉर्पोरेट इनकम टैक्स १७% से ज्यादे हो गए हैं और भारत की दर किफायती हो गई है. टैक्स की दर के हिसाब से सिंगापुर को टैक्स फ्रेंडली देश माना जाता है अब भारत की नई निर्माण यूनिट पर लगने वाली १७% की दर और सिंगापूर की दर समान हो गई है. ऐसी दशा में जो वैश्विक निवेशक हैं उनके लिए भारत अब नए ट्रेंड के रूप में सामने आएगा. विदेशी निवेशक भी अब महसूस कर रहें है कि भारत की सोच अब बदल रही है, हो सकता है  कि इस बदलाव को वक़्त लगे. अब भारत सरकार को विदेशों में जाकर अपनी नीतियों का रोड शो करना चाहिए ताकि इस मौके का जल्द से फायदा उठा सके.


इन सब सुखद संयोगों के बीच एक सुखद संयोग यह भी है की उत्तर प्रदेश जो पहले मैन्युफैक्चरिंग में पिछड़ा राज्य था वह भारत ही नहीं विश्व का मैन्युफैक्चरिंग हब बन सकता है क्यों की नई यूनिट लगाने पर उसे सिर्फ इसी टैक्स का फायदा नहीं मिलेगा उसे उसकी पूंजीगत लागत के लिए लिए गए ऋण पर ५% ब्याज की छूट मिलेगी और यदि निवेशक कोई महिला या अनुसूचित जाति या जनजाति का है तो यह ब्याज छूट ७.५% तक जा सकती है मतलब यदि किसी ने १०.३० % की दर से ऋण लिया है तो प्रभावी दर सिर्फ ३% ही होगी यदि ब्याज की दर उससे भी कम है तो ब्याज लागत शुन्य भी हो सकता है. यूपी सरकार नए यूनिट के ऐसे इनपुट क्रेडिट को भी रिफंड कर रहीं है जिसे निवेशक नियमों के तहत प्राप्त नहीं कर पाता है. हॉलिडे अवधी तक निवेशक शुद्ध स्टेट GST का भी रिफंड प्राप्त करेगा. नई यूनिट पे स्टाम्प ड्यूटी १००% माफ़ कर दी गई है. बिजली की ड्यूटी भी १०% से २०% तक माफ़ हो सकती है. पीएफ में छूट है, मंडी शुल्क में छूट, MSME को कई रियायतें, नए उद्योग सरकार की नियमों के तहत अपने निवेश में ३ गुने तक छूट प्राप्त कर सकते हैं और उसके ऊपर से सरकार का यह आयकर का बोनान्जा छूट, ये सारी परिस्थितियां मिलकर भारत और भारत में खासकर यूपी का भविष्य उज्जवल कर सकती हैं. डिफेन्स कारीडोर भी यूपी में मील का पत्थर साबित होगा.

पुरे यूपी में सडकों का जाल बिछ गया है और लैंड लॉक स्टेट होने के कारण मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ लोजिस्टिक नीति पर विशेष ध्यान दे रहें हैं. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ कुर्सी सँभालने के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सभी पुरानी अप्रासंगिक हो चुकी औद्योगिक नीतियों को बदलकर प्रासंगिक और सामयिक औद्योगिक नीति लाकर निवेश मित्र नाम की सिंगल विंडो सिस्टम लाया है ताकि निवेश सुगम हो सके. इसी के साथ कदमताल वाणिज्य मंत्रालय ने भी प्रस्तावित राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स नीति का मसौदा मंजूरी के लिए कैबिनेट के पास भेज दिया है, जिसका मुख्य मकसद देशभर में बिना किसी अवरोध के वस्तुओं के परिवहन को बढ़ावा देना और कारोबारियों के लिए माल परिवहन पर होने वाले खर्च को कम करना है। प्रस्तावित नीति के तहत गोदामों की संख्या और क्षमता बढ़ाई जाएगी। खामियों को दूर की जाएगी, ताकि लॉजिस्टक्स खर्च में कमी आए। चूँकि लॉजिस्टक्स खर्च यदि अधिक होता है तो भारतीय उत्पादकों की कीमत अंतरराष्ट्रीय बाजार में बढ़ जाती है और निर्यात कम हो जाता है अतः सरकार इसे कम करने हेतु प्रतिबद्ध है। भारत में जितना खर्च लॉजिस्टक्स पर होता है, वह जीडीपी के 14 फीसदी के बराबर है। सरकार इस खर्च को घटाकर जीडीपी के नौ फीसदी के बराबर लाने की योजना बना रही है। भारत सरकार के बदलाव और राज्यों के साथ सुसंगतता सिर्फ यूपी ही नहीं महाराष्ट्र गुजरात और अन्य प्रदेशों में भी औद्योगिक क्रांति लाएगी और चीन को टक्कर देगी.

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