इकॉनमी का बूस्टर पैक


अपने ज्ञात इतिहास में मैंने किसी भी सरकार या वित्त मंत्री द्वारा बजट सत्र के बाद इतने ज्यादे सुधार एक साथ करते हुए नहीं देखा, वो भी ऐसे सुधार जिसे सरकारें शायद १० वर्षों में किश्तों में देती उसे वित्त मंत्री और भारत सरकार ने एक झटके में बूस्टर पैक के रूप में दे दिया. यह बूस्टर पैक बताता है की सरकार ने इकॉनमी की चिंताओं को सूंघ लिया था और चिंतित और गंभीर थी. इस बूस्टर पैक के बाद इकॉनमी एवं बाजार में उछाल आना चाहिए. यह भी एक अच्छा संकेत है की आंकड़ों में भारत का जीडीपी रेट दुनिया की, विकसित एवं विकासशील देशों के औसत जीडीपी रेट से अधिक ही है अभी फिलहाल और सरकार अभी भी स्थिति को नियंत्रित कर सकती है. वित्त मंत्री ने जो सबसे अच्छी चीज अपने प्रस्तुतीकरण में की वो यह की टैक्स को लेकर सरकार के नजरिये में यूटर्न लाया, इसके पहले करदाता चोरी कर सकता है इस दर्शन के हिसाब से कर नीतियाँ एवं नियम बनाये जाते थे जबकि इस बार लग रहा है सरकार ने इस दर्शन के साथ बनाया है की कर अधिकारी प्रताणित कर सकता है नहीं, वह करता ही है. यह सोच का युगांतकारी परिवर्तन है टैक्स को लेकर अब तक के सरकारी दर्शन में. अब नोटिस इशू करने की शक्ति स्थानीय आयकर कार्यालयों एवं कमिश्नरी से छीन ली गई है और कंप्यूटर बेस्ड यूनिक आईडी नोटिस के लिए शुरू किया गया है और जिस नोटिस पर यह आईडी नहीं उसे अवैध माना जायेगा, यह निश्चित तौर पर प्रताड़ना को रोकेगा. सरकार ने MSME, फंडिंग, GST रिफंड, इन्फ्रा सभी समस्याओं को एक एक कर के एड्रेस किया है और काफी आगे बढ़ के किया है. ऐसा लगता है की सरकार 5 ट्रिलियन इकॉनमी के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध हो उस राह पर चल पड़ी है. सरकार के प्रयासों का संक्षिप्त प्रस्तुतीकरण निम्न है ताकि आम जनमानस इसे समझ सके.
आयकर फाइलिंग में पहले से ही आपका आईटी रिटर्न इन्कम टैक्स के वेबसाइट में भरा होगा सिर्फ आपको यदि कुछ गलती होगा उसे करेक्शन करना होगा, इससे वेतनभोगी कर्मचारियों को बहुत राहत मिलेगी क्यों की उनकी पूरी आय उनके फॉर्म १६ के समय गणना कर ही ली जाती है. दशहरे से फेसलेस स्क्रूटनी होगी, देश के हिस्से में कहाँ से कौन अधिकारी स्क्रूटिनी कर रहा है पता ही नहीं चलेगा जिससे सॉफ्ट सबमिशन का चलन बढ़ेगा. आयकर के सभी नोटिसों को १ अक्टूबर तक निपटाने हैं और जो बच जाते हैं उसे १ अक्टूबर को री अपलोड कर पुनः उसे ३ महीने के टाइम बाउंड प्रक्रिया में निस्तारित करना है.  जीएसटी रिटर्न में कमी और फार्म का सरलीकरण होगा, जीएसटी की रिफंड प्रक्रिया फ्री फ्लो, ऑटोमेटिक और सरल होगी, पुराने रिफंड ३० दिन में दे दिए जायेंगे और आगे के रिफंड में ६० दिन में फ्रीफ्लो आटोमेटिक प्रक्रिया के तहत मिलेंगे. सरकार करदाताओं से निपटने में जोखिम आधारित दृष्टिकोण बल्क नोटिस भेज देना जैसे चलन को बंद करेगी. नोटिस भेजने में बिग डाटा का प्रयोग करेगी, फिशिंग एप्रोच को पूरी तरह से रोकेगी, और कर अधिकारी द्वारा टैक्स किसी तरह से लगाना ही है जैसे उत्साही एप्रोच को हरासमेंट की श्रेणी में लाएगी. सरकार जेल भेजना है जैसे कर दर्शन को बदलकर गलतियों के लिए पेनाल्टी आधारित व्यवस्था लाएगी ताकि कर अधिकारीयों द्वारा जो भय का वातावरण बनाया जा सकता था या जा रहा है उसे खत्म किया जा सके. आयकर की धारा ५६(२)(viib) अब पंजीकृत स्टार्ट अप पर लागू नहीं होगी, CBDT एक स्टार्ट अप सेल बनाएगी. लेबर कानून में सहूलियत देते हुए उसमें लचीलापन लाया गया है ताकि रोजगार बढे, ईएसआईसी का योगदान 6.5% से घटकर 4% हो गया, इंस्पेक्टर राज खत्म करने हेतु, अब इंस्पेक्शन वेब-आधारित और क्षेत्राधिकार-मुक्त होंगे, 48 घंटों के भीतर निरीक्षण रिपोर्ट अपलोड की जानी होगी, अपराधों की कोम्पौन्डिंग होगी एवं स्टार्ट-अप के लिए ६ कानूनों में स्व प्रमाणन की व्यवस्था लागू की गई है. कम्पनी एवं उद्योग स्थापना की परेशानियों को दूर करते हुए 1 दिन में कम्पनी निर्माण हेतु केंद्रीय पंजीकरण नाम आरक्षण और निगमन केंद्र, एकीकृत निगमन फॉर्म, विलय और अधिग्रहण के लिए तेज़ और आसान अनुमोदन, डिफ्रेंशियल वोटिंग के प्रावधानों में संशोधन, कम्पनी कानून के 16 प्रावधानों से जेल के प्रावधान खत्म कर उसे भी पेनाल्टी आधारित करने जा रही है सरकार. सरकार ने कम्पनी लॉ के १४००० नोटिसों को कैंसिल कर दिया है. CSR की गलती अब आपराधिक नहीं दीवानी प्रक्रिया के तहत आएगी,, मजबूत IBC ढांचा जैसे बड़े सुधार किये गए हैं.
MSME के लिए सरकार ने राहत का पिटारा खोला है, अब MSMEs के लिए एयर और वाटर के लिए एकल क्लीयरेंस लगेगा, उनके द्वारा  द्वारा कारखाना स्थापित करने के लिए एकल सहमति पे ही काम हो जायेगा कई जगह नहीं जाना पड़ेगा. अपने बकाये वसूली के लिए MSME अब TReDS और GSTN के माध्यम से अपने बकाये बिल का डिस्काउंट कर पैसा प्राप्त कर सकते हैं. MSME की सभी कानूनों के तहत एक परिभाषा का निर्माण किया जा रहा है ताकि भ्रम खत्म हो. यूके सिन्हा कमेटी की सिफारिशों पर निर्णय जैसे कि आसान ऋण, विपणन, प्रौद्योगिकी, विलंबित भुगतान आदि मसलों को सरकार ने एड्रेस किया है.
शेयर मार्किट और निवेशकों में भरोसा जगाने के लिए, FPI पर सरचार्ज को समाप्त किया गया, पूंजी बाजार में निवेश को प्रोत्साहित करने के लिए कैपिटल गेन पर  बढ़ाया क्रमशः धारा 111 ए और 112 ए में वर्णित अधिभार वापस लेने का फैसला किया गया है जो कि इक्विटी शेयरों / इकाइयों के हस्तांतरण से उत्पन्न होता था.
बांड मार्किट और लंबी अवधि के वित्त तक पहुंच और क्रेडिट प्रदान करने के लिए एक संगठन स्थापित करने का प्रस्ताव सरकार ने दिया है जिससे बुनियादी ढांचे और आवास परियोजनाओं में वृद्धि आये. सरकार जल्द ही क्रेडिट डिफ़ॉल्ट स्वैप बाजारों के विकास के लिए आरबीआई और सेबी के साथ परामर्श कर आगे की कार्रवाई करेगी. बॉन्ड में घरेलू बाजार में सुधार करने के लिए वित्त मंत्रालय आरबीआई के साथ मिलकर इसे और अधिक अनुकूल बनाने के लिए काम करेगा. सरकार ने सूचीबद्ध कंपनियों एनबीएफसी और एचएफसी के के संबंध में बकाया डिबेंचर के लिए शेयर पूंजी और डिबेंचर नियम में डिबेंचर रिजर्व के प्रावधानों में संसोधन किया है.
बैंकिंग सेक्टर एवं NBFC में बूस्ट देने के लिए सरकार तुरंत ७०००० करोड़ देने की बात कही है, बैंकिंग अधिकारी OTS या लोन सम्बंधित कोई निर्णय में हिचके नहीं उनके लिए चेकबॉक्स जैसी आटोमेटिक निर्णयन प्रणाली का इस्तेमाल, ऋण आवेदनों का ऑनलाइन ट्रैकिंग सिस्टम, बैंकिंग निर्णयों को उनकी ही एक आन्तरिक कमेटी विजिलेंस वाला और बिना विजिलेंस वाले श्रेणी में विभाजन करेगी जिससे उनके सभी निर्णय जो पहले विजिलेंस की श्रेणी में आ जाते थे अब नहीं आने पर उनके निर्णयन प्रक्रिया में तेजी आएगी और चेकबॉक्स जैसी प्रक्रिया होने पर पारदर्शिता रहेगी. बैंक ग्राहकों को अब कम EMI आएगी और रेपो रेट को सीधे बैंकों के ब्याज दर से जोड़ दिया है जिससे RBI द्वारा दर घटाने पर EMI की राशि और ब्याज दर स्वतः ही घट जाए और बैंक मनमानी न कर पायें. बैंक और NBFC एक सिनर्जी से काम करते हुए एक दुसरे के पूरक बनते हुए बैंकों के पास पड़ी अतिरिक्त तरलता का ऋण वितरण किया जाय इसकी व्यवस्था सरकार लाएगी. बार बार आधार मांगने से मुक्ति देकर वन टाइम KYC व्यवस्था अब बैंकों में हुए KYC का इस्तेमाल NBFC कर सकेंगी. ऋण भुगतान के १५ दिनों के अंदर बैंकों एवं NBFC को प्रतिभूति के सारे कागजात लौटाने होंगे.
डिपॉजिटरी रसीद योजना 2014 जल्द ही सेबी द्वारा परिचालन में लाइ जाएगी। यह भारतीय कंपनियों को विदेश से फॉरेन फंड एडीआर / जीडीआर के माध्यम से धन लेने में सहायता करेगी. शेयर बाजार में सुधार के लिए सरल केवाईसी प्रक्रिया लाइ जाएगी. सरकार / सीपीएसई के पास पड़े विलंबित भुगतान को व्यय विभाग द्वारा निगरानी और कैबिनेट सचिवालय द्वारा इसकी समीक्षा की जाएगी और अभी ३०००० करोड़ तुरंत निर्गत किया जायेगा. मध्यस्थता व्यवस्था के तहत आये निर्णय का ७५% तुरंत भुगतान किया जायेगा. एक अंतर-मंत्रालयी कार्यबल का गठन किया जा रहा है जो बुनियादी ढांचा परियोजनाओं की पाइपलाइन को अंतिम रूप देगी। ऑटो उद्योग के लिए BS फोर गाड़ियों को राहत देते हुए नई गाड़ियों के खरीद पर ह्रास को ३०% कर दिया गया,वन टाइम पंजीयन शुल्क को आगे के लिए धकेल दिया गया, गाडी खरीद पर सरकारी बैन को उठा लिया गया, नई वाहन  स्क्रैप पालिसी बनाई जा रही है, गाड़ियों के लोन के EMI कम किये जा रहें हैं.
और भी कुछ सुधार हैं जो कुल मिला के इकॉनमी के सुधरने में सहायता करेंगे. कुल मिला के खुले मन से सरकार के इस प्रयास का सरकार के साथ मिल कर सहयोग एवं स्वागत करना चाहिए, क्यों की यह सिर्फ भारत की नहीं पुरे विश्व की मंदी है और यदि हमने सुधारों के साथ कदमताल नहीं किया तो हम बहुत पीछे छूट जायेंगे.

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