Nudge, टहोका या और कुछ


इस वर्ष जब आर्थिक सर्वे में सरकार ने NUDGE थ्योरी का नाम लिया तो बुद्धिजीवियों के बीच इस शब्द को लेकर चर्चा होने लगी. मैंने भी इस शब्द के निहितार्थ समझने के लिए आर्थिक सर्वे का हिंदी वर्जन खंगाला वहां इसका हिंदी रूपांतरण टहोका लिखा था जो हिंदी का और भी कठिन शब्द था. Nudge के निहितार्थ तो समझ में आ रहे थे लेकिन इसके पर्यायवाची और अर्थ से वो निहितार्थ परिलक्षित नहीं हो रहे थे. जब इन्टरनेट, फेसबुक और सोशल मीडिया का सहारा लिया तो कई सुझाओं के बीच गोरखपुर से वरिष्ठ प्रोफेसर अशोक सक्सेना जी का सुझाव की इसके निहितार्थ भोजपुरी के कोंचियाना शब्द के ज्यादे नजदीक लग रहा है तो थोडा मुझे भी नजदीक लगा. हालाँकि यदि सरकार ने इसकी सरल हिंदी खोज के टहोका के जगह प्रयोग किया होता तो आम जनमानस को आसानी से ग्राह्य और समझ में आता. खैर आगे जानते हैं की इस आर्थिक सर्वे में मौजूद ये NUDGE थ्योरी है क्या.

डिक्शनरी में NUDGE एक क्रिया के रूप में निम्न रूप में वर्णित है पहला ध्यान आकर्षित करने के लिए किसी की कोहनी से धीरे से धक्का देकर देखने के लिए इशारा करना दूसरा किसी चीज को धीरे से और सज्जनता से पुश करना और तीसरा कुछ करने के लिए मनाना या धीरे से प्रोत्साहित करना. और NUDGE एक संज्ञा के रूप में एक हल्का स्पर्श या धक्का के रूप में वर्णित है.

हालाँकि विकिपीडिया में और रिचर्ड थेलर के किताब, इनके पूर्व और अन्य जगहों पे इसके कई तरह के वर्णन मिल जायेंगे, लेकिन इसपर बाद में बात करेंगे. यहाँ हमारा मूल मुद्दा है की सरकार ने इसे अपने आर्थिक सर्वे के ध्येय वाक्य के रूप में क्यों प्रस्तुत किया? जब मैंने इसका उत्तर जानने की कोशिश की तो पता चला की इस कांसेप्ट ने बड़े पैमाने पर ब्रिटिश और अमेरिकी राजनेताओं को प्रभावित किया है। राष्ट्रीय स्तर पर यह यूके, जर्मनी, जापान और अन्य देशों में स्वीकृत किया गया है, उसके साथ-साथ अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं जैसे की विश्व बैंक, संयुक्त राष्ट्र और यूरोपीय आयोग में भी स्वीकारा गया है। इसकी महत्ता को समझते हुए 2008 में, अमेरिका ने सनस्टाइन को नियुक्त किया, जिन्होंने इस सिद्धांत को विकसित करने में मदद की। ब्रिटिश सरकार ने 2010 में “ब्रिटिश बिहेवियरल इनसाइट्स टीम” का गठन डेविड हेल्पर की अध्यक्षता में किया जिसे ब्रिटिश कैबिनेट कार्यालय में प्रायः ही  "Nudge यूनिट" कहा जाता था। ब्रिटिश प्रधान मंत्री डेविड कैमरन और अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा भी अपने टर्म के दौरान सरकार के घरेलू नीति के लक्ष्यों को आगे बढ़ाने के लिए NUDGE सिद्धांत को लागू करने की नीति अपनाई. ऑस्ट्रेलिया में भी न्यू साउथ वेल्स की सरकार ने भी Behavioural Insights community of practice की स्थापना की। वर्तमान में दुनिया भर के कई देशों में व्यवहारपरक अर्थशास्त्र और NUDGE सिद्धांत का उपयोग किया जा रहा है तो भारत कैसे अछूता रहता.

सरकारें इसका उपयोग आम तौर पर लोगों और समाज के सुखमय जीवन और भलाई को बेहतर बनाने के लिए करती हैं। दरअसल इसे पालिसी मेकर्स एवं चॉइस आर्किटेक्ट ज्यादे पसंद करते हैं और इसे "बिना-दबाब वाला कंप्लायंस" के रूप में प्रयोग करते हैं, ताकि सरकारी और सामाजिक उद्देश्य आसानी से प्राप्त किये जा सकें, इसे रिचर्ड थेलर और कई लोग “उदारवादी पितृवाद” का भी नाम दे देते हैं।

अब कौतुहल यह है की आखिर कौन सी ऐसी नई चीज खोज ली गई की सरकारें अपने यहाँ इसे लागू करने में रूचि दिखा रही हैं, उसका कारण निम्न है. पहला यह सिद्धांत यह मानता है की मनुष्य हमेशा तर्कसंगत नहीं होता उसे अक्सर प्रोत्साहन या थोड़े से पुश की आवश्यकता होती है, Nudge सिद्धांत इस व्यवहार विशेषता को पहचानती है और सरकारें बड़े पैमाने पर इस बात को ध्यान में रखकर  देश या समाज में पब्लिक नीतियाँ एवं कार्यक्रम लागू करवा सकती हैं।

इसके सार्वजनिक नीति के उदाहरणों में ब्रिटेन में पेंशन योजनाओं में कर्मचारियों का आटोमेटिक नामांकन नीति और स्पेन में आटोमेटिक अंग दान नीति को लागू कर देना और तब लोगों से पूछना की जो बाहर जाना चाहता है वह ऑप्ट-आउट विकल्प का इस्तेमाल कर ले, इससे पेंशन में नामांकन बढ़ गया क्यूँ की शायद किसी से कहा जाता की नामांकन कराओ या अंगदान के लिए फॉर्म भरो तो इच्छा होते हुए भी कई लोग कई कारणों से नामांकन नहीं करते और अब आटोमेटिक नामांकन से वह सभी लोग आ गए जो इच्छा होने के बावजूद बस एक छोटे से पुश की जरुरत थी और वो इस छोटे से पुश से सार्वजनिक नीतियों के कार्यक्रम में शामिल हो गए और बस वही बाहर रहे जो वास्तव में बाहर रहना चाहते थे।

इसलिए कहा गया है की NUDGE कोई अनिवार्य या कानून नहीं है एक प्रोत्साहन है, हल्का सा धक्का है, उनके लिए जो तो करने के लिए तैयार हैं लेकिन हम उनसे करा नहीं पा रहें हैं, यह अनुपालन करने के लिए कोई बाध्यता नहीं है यहाँ अन्य विकल्प चुनने की स्वतंत्रता है। इसे थेलर और सनस्टीन ऐसे समझाते हैं “आंखों के सामने फल रख देना Nudge है बजाय जंक फूड पर प्रतिबंध लगाने के। हॉस्पिटल में जब आप जाते हैं तो वहां बिस्तर के पास ही हैण्ड सैनीटाईजर रक्खा होता है, सबको मालूम है की इसे लगाना चाहिए लेकिन जब तक आँखों के सामने सुविधाजनक स्थान पर नहीं रहता हम प्रेरित नहीं होते.

Nudge थ्योरी के कई अनुप्रयोग हैं जिनका इस्तेमाल सार्वजनिक नीति, नागरिक व्यवहार, स्वास्थ्य सेवा,वित्त और निवेश योजना में किया जा सकता है। उदाहरण के लिए, धारा 80C की छूट लोगों को सोने या संपत्ति के स्थान पर सार्वजनिक भविष्य निधि और इक्विटी-लिंक्ड बचत योजनाओं जैसे वित्तीय साधनों में निवेश करने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए एक हल्का सा पुश है। इस सिद्धांत के माध्यम से नागरिकों के सोचने और कार्य करने के तरीके में हलके से पुश से अंतर्दृष्टि प्रदान करके उन्हें अनुकूल व्यवहार करने और प्रतिकूल कार्रवाई से बचने के लिए तैयार किया जा सकता है, वो भी बिना दंडात्मक कार्रवाई या बाहरी प्रतिबंध जैसे कठोर हस्तक्षेपों का सहारा लिए।

उदाहरण के लिए, दिल्ली में इस दिवाली के मौसम में पटाखों की बिक्री पर इतने प्रभावी सुप्रीम कोर्ट के प्रतिबंध से बचा जा सकता था यदि लोगों को व्यापक रूप से पटाखों के उपयोग के कारण वायु की गुणवत्ता और सार्वजनिक स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव का एहसास प्रभावी ढंग से कराया जाता तो, जैसे भारत सरकार ने सरकार के स्वच्छ भारत अभियान से लोगों को अशुद्ध वातावरण के दुष्प्रभावों को समझने में मदद मिली और वो स्वतः ही स्वच्छता की तरफ बढे। सरकार ने इसका प्रयोग स्वच्छता अभियान के साथ साथ, बेटी बचाओं बेटी पढाओं, उज्जवला, सब्सिडी छोड़ने जैसे अभियानों में किया. सरकार इस का इस्तेमाल सिगरेट और शराब पीकर गाड़ी चलाने के रोक के लिए भी कर सकती है. सरकार टैक्स के अंतिम इस्तेमाल का चार्ट बनाकर टैक्स पेमेंट के लिए जागरूक कर सकती है.

अंत में Nudge सिद्धांत एक लचीला और आधुनिक अवधारणा है जो बताता है कि लोग कैसे सोचते हैं, निर्णय लेते हैं और व्यवहार करते हैं, लोगों को उनकी सोच और निर्णयों में सुधार करने में मदद करता है, और वैसे चीजों को हटाता है या बदलता है जो अप्रभावी होते हैं, और इस अंतर्दृष्टि से सरकारों को सार्वजनिक और जनहित वाले कार्यक्रमों को लागू करने में मदद करता है.   

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