Coffee Cafe Day - A Case Study

भारत में वी.जी. सिद्धार्थ के चेन खोलने से पहले शायद ही किसी ने सोचा होगा की की एक काफी पर इतना कुछ हो सकता है, काफी कैफ़े डे जिसे शोर्ट में सीसीडी कहते हैं का स्लोगन भी यही है की A Lot Can Happen Over A काफी. भारतीय स्टार्ट अप के आदर्श और मानदंड थे VG सिद्धार्थ. कई स्टार्ट अप अपने विश्लेषण में सीसीडी के विस्तार मॉडल और आईडिया का उल्लेख करते थे.आइये जानते हैं आखिर काफी का इतना बड़ा कारोबार खड़ा करने वाले वी जी सिद्धार्थ ने कैसे ये सफ़र तय किया और उनकी मौत ने क्या संदेश दिया. सिद्धार्थ ने शुरू में कॉफी बिजनेस में इतना आगे जायेंगे वो नहीं सोचा था। मेंगलुरु यूनिवर्सिटी से इकोनॉमिक्स में पढाईके बाद  1982 में उन्होंने मेंगलुरु से मुम्बई की बस पकड़ी। उनके दिमाग में शेयर मार्केट के दिग्गज महेंद्र कम्पानी का नाम था। साहसी बहुत थे वो, एक दिन वो खुद कम्पानी के ऑफिस पहुंच गए। सिद्धार्थ ने इंटरव्यू में कहा, ‘मैं एलीवेटर पर चढ़ना नहीं जानता था सो सीडी से चढ़ कर छठें माले गया,  कोई अपॉइंटमेंट नहीं लिया था, फिर भी कोशिश कर बात करने में सफलता हासिल की और कम्पानी ने उन्हें मैनजमेंट इंटर्न के रूप में रख लिया। सिद्धार्थ ने वहां दो साल तक काम किया।
चिकमंगलूर लौटकर इन्होने अपने सफल निवेश से एक ब्रोकिंग फर्म बना दिया था। इसके बाद करीब दस साल तक उन्होंने फाइनेंस, इन्वेस्टमेंट बैंकिंग और शेयर मार्केट में लगाने के बाद यही पाया कि असली सोना तो उनकी पुश्‍तैनी विरासत कॉफी के बिजनेस में ही है। अपना कारोबार शुरू करने के करीब 15 साल बाद सिद्धार्थ (VG Siddhartha) ने राज्य में कॉफी चेन की शुरुआत की. वह अपने जिले चिकमंगलूर में कॉफी पैदा करते थे. वह सालाना करीब 28 हजार टन कॉफी बाहर भेजने और करीब दो हजार टन कॉफी स्थानीय बाजार में भी बेचते थे. जिसकी बाजार में कुल कीमत 35 करोड़ रुपये थी. सिद्धार्थ (VG Siddhartha) ने 1992 में कॉफी पैदा करने और बेचने के लिए अमलगमेटेड बीन कंपनी (एबीसी) के नाम से अपनी कंपनी शुरू की थी. शुरुआत में इस कंपनी का सालाना टर्नओवर छह करोड़ रुपये का था. लेकिन दिन पर दिन कारोबार में इजाफे के साथ उनकी इस कंपनी का कुछ ही साल में टर्नओवर 25 अरब रुपये हो गया. 12 हजार एकड़ से ज्यादा की जमीन पर कॉफी उगाने वाले इस कारोबारी का मौजूदा समय में देश में 200 से ज्यादा रीटेल थे. जहां से वह अपने ब्रांड की कॉफी पूरे भारत में उपलब्ध करवाते थे.
गौरतलब है कि वीजी सिद्धार्थ के लापता होने के बाद एएनआई ने उनके द्वारा लिखा गया एक कथित पत्र अपने ट्विटर हैंडल से साझा किया था. इस खत में उन्होंने एक प्राइवेट इक्विटी इन्वेस्टर एवं टैक्स ऑफिसर द्वारा प्रताड़ित करने की बात कही थी, हालाँकि अब ये तो जाँच के बाद ही स्पष्ट होगा की क्या बात थी . पत्र के अनुसार  वह इस बात से खुश नहीं थे कि उन्होंने इतनी मेहनत के बाद भी अपने बिजनेस को ऐसा नहीं बना सके कि उससे बेहतर मुनाफा कमाया जा सके. उन्होंने उल्लेख किया “ मैं अपनी तमाम कोशिश के बाद भी मुनाफे वाला कारोबार को स्थापित करने में विफल रहा हूं. मैं बस इतना कहना चाहता हूं कि मैंने ऐसा करने के लिए हर संभव कोशिश की. मैं उन सभी लोगों से माफी मांगना चाहता हूं जिन्होंने मुझपर भरोसा जताया. मैं लंबे समय से लड़ रहा था लेकिन आज मैंने उम्मीद छोड़ दी है. क्योंकि मैं इससे ज्यादा तनाव नहीं ले सकता”. हालाँकि 5 साल पहले ही एक इंटरव्यू में उन्होंने सफलता का मंत्र बताते हुए कहा था कि- कुछ कर गुजरना है तो संकल्प के साथ करो और आसानी से हार मत मानो। वित्त वर्ष 2017-18 में कैफे कॉफी-डे ग्लोबल का रेवेन्यू 1,777 करोड़ रुपए और 2018-19 में 1,814 करोड़ रुपए पहुंच गया। मौजूदा वित्त वर्ष खत्म होने पर कंपनी को 2,250 करोड़ रुपए के रेवेन्यू की उम्मीद है। लेकिन, दूसरा पहलू यह भी है कि पिछले कुछ सालों से सिद्धार्थ कॉफी बिजनेस समेत अन्य कारोबारों में नकदी संकट से जूझ रहे थे। 2 साल पहले उनके ठिकानों पर आयकर विभाग के छापे भी पड़े थे। कुछ महीनों से देश भर में सीसीडी के कई आउटलेट बंद हो रहे थे जैसा लग रहा था की वह अपना घाटे के बिजनेस को समेट रहें हों. हालाँकि सिद्धार्थ ने पिछले दिनों आईटी कंपनी माइंडट्री में अपनी पूरी 20.4% हिस्सेदारी 3000 करोड़ रुपए में बेचकर नकदी इकठ्ठा की थी।
दो दिनों से लापता कैफे कॉफी डे (सीसीडी) के फाउंडर वी.जी. सिद्धार्थ का शव मिलने के बाद शेयर मार्किट में सिद्धार्थ की लिस्‍टेड कंपनी कॉफी डे इंटरप्राइजेज के शेयर 20 फीसदी टूट गए. इससे पहले मंगलवार को सिद्धार्थ के लापता होने की खबर सामने आई थी. इस खबर के आने के बाद बीते कारोबारी दिन भी कंपनी के शेयर में 20 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई थी. यहां यह जानना जरुरी है कि एक कारोबारी दिवस में किसी कंपनी का शेयर अधिकतम 20 फीसदी ही गिर सकता है. इन दो दिनों में कॉफी डे एंटरप्राइजेज के निवेशकों को 2800 करोड़ रुपये से अधिक का झटका लगा है. सिर्फ दो दिन में कंपनी के मार्केट कैप में 2839 करोड़ की गिरावट आ गई है. सोमवार को कंपनी का मार्केट कैप 5442.55 करोड़ रुपये था, जो बुधवार को 2603.68 करोड़ रुपये रह गया. उद्योज जगत भी इस दुर्घटना से चकित है . इनकी मौत पर उद्योगपति आनंद महिंद्रा ने ट्वीट किया कि मैं वीजी सिद्धार्थ  को नहीं जानता था। मुझे उनकी आर्थिक समस्‍याओं के बारे में भी नहीं पता। मैं केवल इतना जानता हूं कि किसी भी उद्योगपति को कारोबारी विफलता को अपने ऊपर इस कदर हावी नहीं होने देना चाहिए कि उसे आत्‍महत्‍या करनी पड़े।.  देश से भागे माल्या ने भी एक ट्वीट किया और  कहा, 'मैं अप्रत्यक्ष रूप से वीजी सिद्धार्थ से जुड़ा हुआ था। बेहद अच्छे इंसान और शानदार उद्यमी। मैं उनके लेटर में लिखी बातों से सदमे में हूं।' अगले ट्वीट में उसने लिखा, 'सरकारी एजेंसियां और बैंक किसी को भी निराशा में डाल सकते हैं। देख लीजिए, पूरे पेमेंट के ऑफर के बावजूद वे मेरे साथ क्या कर रहे हैं। शातिर और बेदर्द।' माल्या ने अगले ट्वीट में लिखा, 'पश्चिमी देशों में सरकार और बैंक कर्ज चुकाने में उधार लेने वाले की मदद करते हैं। मेरे केस में वे मुझे कर्ज चुकाने से रोकने के लिए हर संभव बाधा अटका रहे हैं और मेरी संपत्ति के लिए प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं।'   माल्या ने भारत और पश्चिमी देशों के कर्जदारों की स्थिति की तुलना की है।
जीवित सिद्धार्थ स्टार्ट अप कम्पनियों के लिए आदर्श थे और मरने के बाद भी उनका जीवन स्टार्ट अप की दुनिया में एक लेसन और चैप्टर के रूप में आदर्श रहेगा. जो बताएगा की सपने को पूरा करने हेतु जो शुरुवात की फंडिंग ली जाती है उसके क्या क्या पहलु हैं और कहाँ कहाँ ध्यान देना चाहिए. इनकी मौत भी एक नजीर बनेगी की स्टार्ट अप की फंडिंग और ऑपरेशन और बिजनेस मॉडल में कहाँ चूक रहेगी. भारत में ९०% स्टार्ट अप फेल हो रहें हैं, कारण उनका मुख्य फोकस, विस्तार, वैल्यूएशन, और फंडिंग रहता है, शुद्ध आय के एप्रोच पर बहुत ही कम स्टार्ट अप ध्यान देते हैं, और ऐसा सीसीडी ने भी किया था. किसी भी स्टार्ट अप का वित्तीय रिपोर्ट देख लीजिये कई सालों तक नुकसान होने के वावजूद निवेशक उन्हें सैकड़ों करोड़ निवेश में देते रहते हैं अतः वह शुद्ध आय की जगह विस्तार पर फोकस रहते हैं जो आगे जाकर संभल नहीं पाता है और अंत में व्यापार ख़त्म हो जाता है. स्टार्ट अप को इस घटना से सीख लेते हुए लाभ कमाने पे फोकस रखते हुए आगे बढ़ना चाहिए और टैक्स डिपार्टमेंट को भी ऐसे बिजनेस मॉडल की वास्तविकता को समझते हुए नव उद्यमियों को कष्ट में नहीं डालना चाहिए.

 

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