राष्ट्रीय साईकिल नीति बने

हाल में दो घटनाएँ हुई हैं पहला कुछ दिन पहले अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप का एक बयान आया था कि भारत में ना साफ हवा है और ना ही पीने लायक साफ पानी कई शहर तो सांस लेने लायक नही. इस बयान को हल्के में नहीं लेना चाहिए आज भी कई शहरों में एयर इंडेक्स इतना ख़राब है की अनजाने में लोग कई बिमारियों से ग्रस्त हो रहें हैं.भारत में प्रदूषण को लेकर अगर दूरदर्शी योजना नहीं बनाई जाएगी तो वह दिन दूर नहीं देश की एक बड़ी आबादी, ब्लड प्रेशर,सुगर, श्वसन एवं प्रदूषण से फैलने वाली कैंसर जैसी बिमारियों से जूझ रही होगी. दूसरा नवनियुक्त वित्त मंत्री ने बजट के लिए सुझाव मांगे थे, इस सम्बन्ध में उन्हें सुझाव देना चाहिए की इस बजट में में वह साइकिल के लिए एक राष्ट्रीय नीति की घोषणा करें और इसके लिए फंड निर्धारित करें. उन्हें इसके लिए साइकिल को लेकर यूरोप में जो राष्ट्रीय नीति है और साइकिल टूरिज्म जिस तरह से वहां टूरिज्म का मुख्य हिस्सा है उसका अध्ययन भी अधिकारीयों द्वारा करा लेना चाहिए. इस निर्णय के लिए उन्हें यूरोप द्वारा किये जा रहें लम्बे अवधी की योजनाओं को देखना होगा जो उन्होंने अपने विकास की नीतियों के साथ पर्यावरण एवं प्रदूषण की समस्याओं को समावेशित और संगत कर बनाया है. ये सुनकर भारत में शायद कई लोग विश्वास नहीं करें यूरोप में बड़े से बड़े लोग बिना किसी हिचक के साइकिल चलाते हैं, साइकिल वहां दैनिन्दिनी के जीवन का हिस्सा है और इससे कभी भी अमीर और गरीब की खाई का मापन नहीं होता है.


यूरोप की एक संस्था है यूरोपियन साइकिल फेडरेशन उसने साइकिल नीति पर एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार की है, इसके साथ हीUNECE एवं WHO ने भी पैन यूरोपियन प्लान के तहत सम्पूर्ण यूरोप के लिए एक साइकिल मास्टर प्लान तैयार किया है. इस लेख में मैं उन दोनों रिपोर्ट के मुख्य चीजों को रक्खूँगा की कैसे साइकिल पे यदि राष्ट्रीय नीति बनती है तो वह एक राष्ट्र के साथ मानव एवं जनजीवन को फायदा देती है. साइकिल नीति अपनाने से केवल परिवहन,पर्यावरण जैसे क्षेत्रों में ही लाभ नहीं हैं, बल्कि कई अन्य क्षेत्रों में जैसे वित्तीय नीति, औद्योगिक नीति, रोजगार, स्वास्थ्य और सामाजिक नीति लागू होती हैं वहां भी लाभ है। इन दोनों संस्थाओं ने यूरोप के लेकर एक रिसर्च रिपोर्ट बनाई थी कुछ साल पहले, उसमें साइकिल नीति के फायदे को बहुत ही मात्रात्मक तरीके से बताया गया था. उस रिपोर्ट के मुताबिक, यूरोप में साइकिलिंग अपनाने से कार्बन डाई अक्साईड के उत्सर्जन में कमी आती है जिससे प्रत्यक्ष लाभ के तहत २.२ बिलियन यूरो का बचत लाभ और अप्रत्यक्ष रूप से १० बिलियन यूरो के अन्य जलवायु सम्बन्धी बचत लाभ हैं वायु प्रदूषण कम होने से ०.४३ बिलियन यूरो, ध्वनि प्रदूषण कम होने से ०.३ बिलियन यूरो का बचत लाभ है. मृदा को होने वाले लाभ से २.५ बिलियन यूरो का बचत लाभ होता है. उर्जा में २.८ बिलियन यूरो, अनावश्यक वाहन उत्पादन एवं चालन में खर्च होने वाले संसाधनों में बचत, स्वास्थ्य बचत लाभ १९०.५ बिलियन यूरो, सड़क सुरक्षा से ३.९१ बिलियन यूरो का बचत लाभ, साइकिल निर्माण बिक्री पार्ट बिक्री और मरम्मत से ९.८९ बिलियन यूरो का बाजार बढ़ता है, साइकिल टूरिज्म से ४४ बिलियन यूरो और इसके चलते से शौपिंग से १११ बिलियन यूरो का बाजार बढ़ता है, इससे अर्बन इन्फ्रा और स्मार्ट सिटी इन्फ्रा में जो बचत होती है वह २० बिलियन यूरो के बराबर होती है, जो सामाजिक लाभ होते हैं उनका मूल्य ५० बिलियन यूरो के बराबर है, जाम मुक्ति से ६.६ बिलियन यूरो, इसके अलावा अन्य बचत भी हैं इसकी रिपोर्ट के अनुसार जो कुल लाभ यूरोप को मिलने हैं वो ५१३.९ बिलियन यूरो के बराबर मिलने हैं.      

 

इसके अनुसार साइकिल चलाने के लिए बुनियादी ढांचे की तुलना में कम जगह की जरूरत होती है बनिस्पत कारों के और इससे निर्माण लागत और संसाधन की बचत होती है और मृदा को कम नुकसान पहुँचता है. अगर कार ट्रैफिक कम है, तो वायु एवं ध्वनि प्रदूषण कम होगा, मेंटल स्ट्रेस भी कम होगा उत्पादकता बढ़ेगी. मृदा प्रदूषण की कमी से जल की गुणवत्ता बेहतर होगी। साथ ही कार निर्माण की तुलना में साइकिल एवं ई साइकिल के लिए काफी कम संसाधनों की आवश्यकता होती है जैसे की कम मात्रा में स्टील, एल्यूमीनियम, विभिन्न पॉलिमर एवं अन्य  चीजें जैसे प्लैटिनम या पैलेडियम जिससे पर्यावरण को नुक्सान पहुँचता है, एक अनुमान के मुताबिक कार बनाने की तुलना में साइकिल बनाने में ९८% संसाधनों की बचत होती है. साइकलिंग के बुनियादी ढांचे के निर्माण में भी बहुत कम खर्च है बनिस्पत कारों के लिए बुनियादी ढांचे की तुलना. दुर्घटना से होने वाली मृत्यु को देखें तो साइकिल दुर्घटना से मृत्यु बहुत ही नगण्य है. साइकिल चलाने से तनाव कम होता है और मानसिक स्वास्थ्य भी ठीक रहता है, ब्लड प्रेशर सही रहता है, फिजिकल एक्टिविटी होने से लाइफ स्टाइल से सम्बंधित बिमारियों पे लगाम लगता है. कम उम्र और स्कूल के टाइम साइकिल चलाना भी उम्र भर फायदा देता है.  यूरोप में काम करने के लिए साइकिल चलाने वाले कर्मचारी औसतन 1.3 दिन कम अनुपस्थित रहते हैं बनिस्पत साइकिल नहीं चलाने वालों के और इससे प्रति कर्मचारी बचत 260 € प्रति वर्ष है. कार चलाने वालों के लिए कम और पैदल और साइकिल चलाने के लिए ज्यादे जगह बनाकर अर्बन प्लानिंग में जो चेंज होता है उससे निर्माण लागत की तो बचत होती ही है, यह पैदल चलने या साइकिल चलने के स्वास्थ्य लाभों के अतिरिक्त अडोस पड़ोस की बोन्डिंग मजबूत करता है, सब के लिए सबके पास पहुँच को सुलभ बनाता है, मिलने और बातचीत के ज्यादे मौके प्रदान करता है जिससे आर्थिक गतिविधियाँ बढती हैं और दुकानदारों की बिक्री में अप्रत्याशित इजाफा होता है क्यों की यात्रियों का ठहराव समय ज्यादे होता है. एक सस्ता परिवहन विकल्प के रूप में यह रोजगार में सहायक हो सकती है और सबके लिए सुलभ होने के कारण या अमीर गरीब के बीच वाहन को लेकर फैली सामाजिक खाई कम करता है जिससे सामाजिक समानता आ सकती है. राजस्व में भी यह दो तरह से फायदा पहुंचता है एक तो इंधन की खपत होती है तो आयात बिल, आयात कर कम होता है, चालू खाते का घाटा कम होता है, दूसरी तरफ जो शौपिंग एवं अन्य गतिविधयों में वृद्धि होती है वह अन्य राजस्व में वृद्धि करती है, लोगों के कार खर्च कम हो जाते हैं और उनके CTC का भाग न होने से व्यक्तिगत कर भी कम हो जाता है. स्वास्थ्य एवं अनावश्यक सरकारी बजट में कमी आती है. यूरोप में साइकिल नीति के तहत साइकिल टूरिज्म के बढ़ावे के साथ साथ वहां साइकिल एवं बाइक शेयरिंग सिस्टम भी शुरू हुआ है, इलेक्ट्रिक साइकिल और कार्गो बाइक्स का भी प्रचलन बढ़ा है ताकि कारों का प्रयोग कम हो. यूरोप के प्रमुख देश नीदरलैंड , जर्मनी जिसने 2002 में एक राष्ट्रव्यापी साइक्लिंग योजना विकसित की, चेक गणराज्य और स्लोवाकिया औरहंगरी जिसने हाल ही में राष्ट्रीय साइकिल योजना (2014-2020) विकसित की। साइकिल नीति का पालन करने वाले देशों का दृष्टिकोण बताता कि साइकिलिंग की जरूरतों को समाज में समान रूप से बढ़ावा दिया जाना चाहिए एक एकीकृत परिवहन नीति का यह भाग होना चाहिए और लोगों को इसे आत्मसात करने के लिए प्रेरित किया जाना चाहिए, और इसके लिए  इसके लिए एक शक्तिशाली राजनीतिक समर्थन की आवश्यकता है और जो अभी इस मोदी सरकार के पास है. भारत जैसे देश में "साइक्लिंग संस्कृति" विकसित करने के लिए एक राष्ट्रीय साइकिल नीति को एक रणनीतिक और एकीकृत ढांचे में शामिल करने और इसके निरंतर और प्रभावी और कार्यान्वयन के लिए वित्तीय बजट की उपलब्धता भी होनी चाहिए। राष्ट्रीय नीति के तहत विभिन्न विभागों के साथ सामंजस्य स्थापित करते हुए एक समावेशी नीति बनाई जाने चाहिए. इसके प्रमुख बिन्दुओं में , देश में साइकिल के विकास के लिए स्पष्ट रूपरेखा, इसे बढ़ावा देने और नीतिगत बनाने के लिए समग्र दृष्टिकोण और रणनीति, इसके महत्व का प्रचार प्रसार, राष्ट्रीय स्तर पर अपनाए जाने वाले नए विधायी और राजकोषीय ढांचे पर निर्णय, संयुक्त रूप से विकसित करने के लिए विभिन्न स्तरों (जैसे सार्वजनिक / निजी / स्थानीय / क्षेत्रीय / राष्ट्रीय) में विभिन्न हितधारकों (जैसे परिवहन, स्वास्थ्य, पर्यावरण, अर्थव्यवस्था, नगर निकाय) का एकत्रीकरण और समन्वय, विभिन्न हितधारकों के बीच सहयोग को सक्षम करने के लिए बेहतर नेटवर्किंग-शर्तों का प्रावधान, ,पायलट परियोजनाओं, अनुसंधान और जागरूकता बढ़ाने वाले अभियानों का वित्त पोषण, साइकिल के बुनियादी ढांचे में निवेश के लिए सह-वित्त पोषण आदि आदि. सरकार को यूरोपियन स्टडी का अध्ययन कर इस बजट में इसे राष्ट्रीय नीति में शामिल करना चाहिए.

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