नई सरकार बनने के साथ कई मंत्रालयों के पुनर्गठन की चर्चा हो रही है, इससे आधारभूत सरंचना जैसे कार्यों में गति आएगी और उत्पादकता बढ़ेगी. कई चीजें जो एक ही मंत्रालय के अधीन होनी चाहिए वह कई मंत्रालयों में बंटी हुई हैं जो अनावश्यक विकास कार्यों को धीमा कर रहीं हैं. यह अच्छी बात है की इसपर विचार के संकेत मिल रहें हैं, लेकिन इसके अलावा नीति आयोग को एक विषय पर और मंथन करना चाहिए वह है कार्मिक पूल बनाने को लेकर. पुरे देश में करोड़ों कर्मचारी हैं जो केंद्र या राज्य सरकार के अधीन काम करते हैं. इन कर्मचारियों की नियुक्ति और इनका परफॉरमेंस कई कारणों से प्रभावित होता है, उसमें प्रमुख कारण है कईयों को उनकी पढ़ाई और योग्यता के हिसाब से काम नहीं मिला है तो कई को रूचि के हिसाब से नहीं मिला है , किसी की नियुक्ति स्थान अप्रासंगिक है तो बहुत सारे लोग ऐसे हैं जो सरकारी नौकरी के नाम पर जो भी नौकरी मिली उसे ही करने लगे. आपको आज भी प्राइमरी स्कूल के कई शिक्षक ऐसे मिल जायेंगे जिन्होंने इंजीनियरिंग या एमबीए की है.
हिन्दुस्थान वैसे भी मानव संसाधन के रूप में दुनिया में सबसे धनी है और इसके पास सबसे बड़ी युवा आबादी है. यदि नई चुनी हुई सरकार इस मानव संसाधन को सबसे महत्वपूर्ण संसाधन के रूप में रेखांकित कर इस पर काम करे तो मानव संसाधन के क्षेत्र में क्रांति आ जाएगी, कार्मिक वर्ग पहले से ज्यादे उत्पाद्कीय हो जायेगा और मैकाले शिक्षा पद्वति की जो खामियां हैं उससे भी पार पाया जा सकेगा.
इस कार्मिक पूल में पुरे देश में किसी भी सरकार के तहत काम करने वाले लोगों का एक डाटा तैयार हो जायेगा, जो शैक्षिक योग्यता,कार्य अनुभव, रूचि, वर्तमान कार्य आदि के आधार पर एक बड़ा डाटा होगा और जिसके आधार पर सरकार कई तरह के कार्य कर सकती है. सरकार के कई विभाग पर योग्य परियोजना पर योग्य व्यक्ति की नियुक्ति हो सकती है.
एक बार कार्मिक पूल बन जाने पर इन्हें आधार की तरह यूनिक आईडी दी जा सकती है जो इनके लिए सामाजिक सुरक्षा एवं अन्य मामलों में भी राष्ट्रीय स्तर पर बड़ा काम का साबित होगा. आपातकाल जैसी या अन्य विशेष परिस्थितियों में यदि विशेष कौशल की आवश्यकता पड़ी तो इस डाटा से वैसे कार्मिकों को छांटकर निकाला जा सकता है. डेपुटेशन पे आना जाना भी सरल हो जायेगा.इस पूल से इनकी स्केलिंग का भी मानकीकरण किया जा सकता है और पुरे राष्ट्रीय स्तर पर वेतनमान का एक ही स्केलिंग होगा. इनसे सम्बंधित नीतियाँ एवं योजनायें बनाने में भी सरकारों को सहायता मिलेगी.
इस कार्य के लिए पुरे देश भर के सभी केंद्रीय एवं राज्य के कर्मचारियों का एक सर्वे करा के एक निश्चित प्रारूप में उनसे सूचनाएँ भरकर ली जा सकती हैं जिसके आधार पर अपना ये कार्मिक पूल काफी व्यापक जानकारी और प्रयोग वाला बन सकता है. इसी के आधार पर “योग्य पद योग्य व्यक्ति” के सिद्धांत का पालन करते हुए कर्मचारियों का समायोजन किया जा सकता है. इस अभ्यास के द्वारा यह भी पता लग सकता है की किस विभाग में आवश्यकता से अधिक कर्मचारी हैं और किस विभाग में आवश्यकता से कम, और इस सूचना के आधार पर अतिरिक्त कार्मिकों का हस्तांतरण उस विभाग या जगह पर किया जा सकता हैं जहाँ आवश्यकता से कम कार्मिक हैं, इससे विभाग स्तर पर भी परफॉरमेंस अच्छा होगा और जो जरुरत से ज्यादे लागत होगी वह कम होकर दुसरे जरूरतमंद विभाग को हस्तांतरित हो जाएगी.
हम और आप भी जब कई सरकारी दफ्तरों पे जाते होंगे तो पाते होंगे की कुछ सरकारी विभागों में तो जरुरत से ज्यादे कार्मिक हैं तो कहीं टंटा पड़ा हुआ है. कई जगहों पर तो सिर्फ कार्मिक ही ज्यादे नहीं है, उनके लिए आवंटित कार्यालय एवं बिल्डिंग भी आवश्यकता से अधिक है और कुछ जगहों पर तो एकदम से जगह की कमी है. एक बार कार्मिकों की पूलिंग हो जाए तो सरकार को सरकारी दफ्तरों के स्पेस की भी पूलिंग करनी चाहिए, क्यूँ की बहुत से सरकारी कार्यालय पुराने समय के ऑफिस आर्किटेक्चर के हिसाब से बने हुए हैं जबकि आजकल बहुत से आधुनिक ऑफिस आर्किटेक्चर आ गए हैं जो सब चीजों का ख्याल रखते हुए कम जगह को ही कार्य करने के लायक और उत्पाद्कीय बना दे रहें हैं,इस एक्सरसाइज से जिन कार्यालयों में अतिरिक्त स्पेस पड़ा हुआ है उसका समायोजन दुसरे विभाग को हस्तांतरित कर किया जा सकता है या इस अतिरिक्त जगह को पुनः सरकारी विभाग किसी निजी संस्थान को किराये पर देकर सरकारी राजस्व की कमाई भी कर सकते हैं, और अनावश्यक बिजली के खपत को भी कम किया जा सकता है. इसके अलावा जिन भी विभागों ने भविष्य की प्लानिंग को ध्यान में रखने के बावजूद भी अतिरिक्त भूमि आवंटित करा रक्खी है इस पूलिंग एक्सरसाइज के बाद उस अतिरिक्त भूमि को केंद्रीय या राज्य सरकार दोनों अपनी अंडर में लेकर इसे भविष्य के प्रयोगार्थ रख सकती हैं, ताकि भविष्य में किसी विभाग को जमीनों की जरुरत पड़ने पर वह दुसरे विभाग से जमीन मांगकर देने की जगह वह सीधे सरकार से आवेदन कर प्राप्त किया जा सके.
इस प्रकार कार्मिक मानव संसाधन एवं सरकारी स्पेस संसाधन का एक एकीकृत डाटाबेस बनने से राज्य एवं केंद्र सरकार को अपनी नीतियाँ बनाने एवं लागू करने में भी बड़ी आसानी होगी.
नौकरी डेटा का एक नया सेट इस समय नीति आयोग द्वारा तैयार किया जा रहा है और जल्द ही इस डाटा के बाहर आने की उम्मीद है। हालाँकि इस तरह के डेटा सेट की पारदर्शिता और विश्वसनीयता सुनिश्चित करना नीति आयोग के लिए भी एक लिटमस परीक्षण जैसा होगा, क्यूँ की आजकल रोजगार के मायने एवं प्रकृति का क्षेत्र बहुत बदल और व्यापक हो गया है. नीति आयोग को ध्यान रखना चाहिए की इस तरह के डेटा व्यापक हों, सभी आवश्यक जानकारी से परिपूर्ण हों, पूर्णकालिक, अंशकालिक, स्वरोजगार, फ्रीलांसिंग रोजगार समेत सभी डाटा को समाहित किए वाला हों। कई विकसित देशों ने नौकरी डेटा आंकड़े देने की एक ठीक ठाक प्रक्रिया विकसित कर ली है जो हमारे लिए एक मानक के रूप में कार्य कर सकता है। यदि इस नौकरी डाटा जो की सभी तरह के रोजगार के लिए बनाया जा रहा है, में कार्मिक पूल के लिए आवश्यक चीजें जो ऊपर बताई गईं हैं उसे शामिल कर लिए जाएँ तो यह डाटा बहुपयोगी और सरकारों के लिए बेशकीमती होगा.
सरकार को इस प्रक्रिया को वरीयता में लेते हुए शीघ्रता से उत्साहपूर्वक करना चाहिए ताकि एक प्रामाणिक पूलिंग डेटा सेट रीयल-टाइम रोजगार उत्पादन पर प्रकाश डाले जो नीतियाँ और उसके क्रियान्वयन में सहायक हों और हम अपने मानव संसाधन का आंकलन सबसे सटीक कर पाएंगे जो की भारत की शक्ति है। यह डाटा काफी व्यापक और कुशलता की हर श्रेणी और अनुभव जैसे आंकड़े के साथ होने के कारण सरकारी, गैर सरकारी और वैश्विक संस्थाओं द्वारा भी नौकरी प्रदान करने के लिए एक आधार आंकड़े के रूप में कार्य कर सकता है. जब नौकरी डॉट काम या मोनेस्टर जैसी कम्पनियाँ ऐसे आंकड़े रख सकती हैं तो सरकार के पास क्यूँ नहीं. ठीक इसी प्रकार स्पेस पूलिंग डाटा भी सरकार के पास एक बेशकीमती डाटा सेट होगा जो पुनः स्पेस के आधार पर राजस्व पैदा करने और देश की भविष्य की योजनाओं के बनाने में सहायक होगा.
Comments