Its CoWork Time




चुनाव का समय चल रहा है और चारों ओर गठबंधन का दौर है,कोई प्रीपोल गठबंधन कर रहा है तो कोई पोस्ट पोल की सोच रहा है. यह कुछ नहीं है बदलती हुई परिस्थितिओं की मांग है, कोई अपने आप में सम्पूर्ण नहीं और हर किसी के पास शेष बची हुई शक्ति है जिसका लोग एक दुसरे के साथ शेयर कर उससे लाभ प्राप्त करना चाहते हैं.

बिज़नस में भी आज का माहौल यही है. आज से कुछ साल पहले जब प्राइवेट कार पूलिंग चालू हुई थी तो यह इतना बड़ा बाजार का आधार बनेगा किसी ने सोचा नहीं था. आज ओला एवं उबेर कार पूलिंग एवं शेयर का विकल्प देने लगे हैं अपनी बुकिंग के साथ. अब लोग अपनी बची हुई उर्जा का कहीं न कहीं यूज कर उससे कमाना चाहते हैं. आज सिर्फ कार की खाली सीट ही नहीं जिसके पास बचा हुआ समय भी है वह उसका यूज कर रहा है. आज जिसके पास कार हँ या वो खाली बैठा है और ड्राइविंग आती है तो लोग अपने बचे हुए अवसर को ओला और उबेर के साथ शेयर कर रहें हैं.

इसी के साथ आज के समय में ऑफिस स्पेस में भी को-वर्क का कांसेप्ट चल रहा है.लोग अपने ऑफिस के खाली जगह को भी आय के अवसर में बदल रहें है. और जिस तरह से को-वर्क अपना पैर पसार रहा है ,इससे बाजार को और लोगों को न केवल अधिक से अधिक स्थान उपलब्ध हो रहा है, बल्कि यह बजट के अंदर भी हो रहा है. इस ट्ट्रेंड के विकसित होने के साथ ही इसमें एक से बढ़कर एक  नई अवधारणाएं भी बाजार में आ रही हैं जो एकदम से नया अनुभव दे रहीं है और सबकी आवश्यकताओं के अनुरूप हैं. पहले सुनने में अजीब और डर जैसा लगता था कि हम अपना वर्क स्पेस साझा कर रहें हैं , संभवतः शुरू में तो कई नये लोगों के साथ वर्क स्पेस साझा करना ज्यादे नया और थोड़ा डराने वाला लगता था, लेकिन जब आप को-वर्क में आज का माहौल देखेंगे तो आपको लगता है कि अरे यह उतना डरावना नहीं है जितना लगता था, और पहले से ज्यादा रोमांचकारी है। “को-वर्किंग” शब्द ब्रैड न्युबर्ज द्वारा गढ़ा गया था, जब उन्होंने 2005 में सैन फ्रांसिस्को में स्पेस शेयरिंग शुरू किया था। उनकी विजन था की एक ऑफिस हो जो काम करने की स्वतंत्रता और कार्यालय के संरचनात्मक ढांचे और माहौल को एक साथ मिलाये, और इसके लिए वह एक शब्द ढूंढ रहे थे और उन्होंने तब “को-वर्किंग” शब्द की रचना की जिसमें कि कोई  हाइफ़न नहीं लगा है। MNC कम्पनियों में Google और फेसबुक जैसी कंपनियों ने खुले कार्यस्थानों के महत्व और उत्पादकता के अंतर्संबंधों को सबसे पहले महसूस किया। अपने टीम में विचार और रचनात्मकता के प्रवाह को प्रोत्साहित करने के लिए खुले कार्यक्षेत्रों इस्तेमाल करना चालू किया और धीरे धीरे स्टेटस आधारित या सिंगल वर्कस्टेशन कांसेप्ट खत्म करते गए। 
आज के समय में बाजार का यह प्रयोग सफल रहा , और आज की तारीख भी इस बात का गवाह है कि यह को-वर्किंग कांसेप्ट वास्तव में अधिक उत्पाद्कीय है. यह अवधारणा पश्चिम में अधिक विकसित है, हालांकि भारत भी इन को-वर्किंग स्थानों की ओर तेजी से अग्रसर हो रहा है। भारत में अब घर या काफी शॉप पे काम करने की प्रवृत्ति अब इन कोवोर्किंग स्पेस की तरफ मुड़ गई है. आज ऐसा नहीं है कि सिर्फ ऑफिस स्पेस ही को-वर्किंग कांसेप्ट पे चल रहा है अब तो इसमें किचन को-वर्क भी चालू हो गया है, स्थापित रेस्तौरेंट अपने बचे हुए जगह को, रात के समय को या फ्रिज या ऐसे ही किसी सामान को, को-वर्किंग किचन में बदल दे रहें हैं. किचन को-वर्क में कई स्टार्ट अप भी अब कूद पड़े हैं. बहुत से काफी शॉप भी अब इसके मांग को देखते हुए अपने सेट अप को को-वर्किंग में बदल रहें हैं. वहां आप wifi पा सकते हैं, केबिन पा सकते हैं वाइट बोर्ड से लेकर मीटिंग की कई सुविधाएँ पा सकते हैं. बदलते वक़्त के साथ अब चाय कॉफ़ी शॉप सिर्फ अब चाय काफी शॉप नहीं है. को-वर्किंग की एक और नई अवधारणा है केवल महिलाओं का को-वर्क स्पेस, यह उन्हें ज्यादे सुविधाजनक, आजादी और उत्पादकता देता है। ऐसे को-वर्क उन उद्यमी महिलाओं पर ध्यान केंद्रित करते हैं जो सफल होना चाहती हैं और साथ में कई सफल महिलाओं के साथ जुड़ना भी चाहती है हैं ऐसे में वीमेन को-वर्क उन्हें यह अवसर प्रदान करता है। इसका एक उदाहरण अमेरिका में चलने वाला हेरा हब है, इसका कार्य वातावरण काफी स्वतंत्र एवं अच्छा है स्पा-कांसेप्ट से प्रेरित है। को-वर्किंग में एक और नया कांसेप्ट जुड़ रहा है वह है चाइल्ड केयर का हर व्यक्ति अपने बड़े होते छोटे बच्चों के पास अधिक से अधिक रहना चाहता है, और कार्य के घन्टे ऐसा होने नहीं देते हैं, ऐसे में कई को-वर्किंग कम्पनियां को-वर्किंग और चाइल्डकैअर को एक साथ जोड़ के ला रहीं है और इसका प्रचलन भी अब बाजार में धीरे धीरे पाँव पसार रहा है. कई कम्पनियां तो पालतू जानवरों को रखने की सुविधा के साथ को-वर्किंग को जोड़ रहीं हैं ताकि कार्य करने वाले कर्मचारी को घर भागने की जल्दी ना हो और उसकी उत्पादकता बढ़ जाए.  को-वर्किंग का फायदा है कि यह अत्यंत लागत प्रभावी और कई तरह की परेशानी से मुक्त रहने वाला विकल्प है , जो उन्हें पारंपरिक कार्यस्थानों को खोजने, बनाने और स्थापित करने में लगने वाले समय, प्रयास और धन तीनों की बचत करता है। आप उन जगहों के बारे में भी सोच सकते हैं जो काफी महंगे और पॉश इलाके हैं, आप निरंतर मरम्मत, सेवा शुल्क और कार्यालय रखरखाव के कई झंझटों से मुक्त हो सकते हैं। यह खुला, सामंजस्यपूर्ण और आंतरिक रूप से जुड़ा होने के कारण समान विचारधारा वाले और साथ ही अलग-अलग व्यक्तियों के साथ एक बेहतर बातचीत और मेलजोल का मौका प्रदान करता है। साझा कार्यस्थानों में कैफे और कॉमन एरिया अक्सर अन्य एवं नए लोगों के साथ सूचना और ज्ञान साझा करने, नेटवर्किंग और संपर्क बनाने का एक माध्यम बन जाता है। यह अलग-अलग पेशेवर पृष्ठभूमि के लोगों के साथ भी मेलजोल और बातचीत करने का एक अवसर देता है, जो भविष्य में एक उपयोगी कनेक्शन साबित होता है और या तो यह व्यापारिक या साझेदारी के अवसरों में बदल जाता है। एक पदानुक्रम मुक्त व्यवस्था  होने पर कर्मचारियों के निर्णय लेने पर भी धनात्मक प्रभाव पड़ता है, जो किसी भी उद्यमी स्टार्टअप की आज की तारीख में ताकत है. आस पास  उत्साही माहौल मिलने से काम करने वाले अधिक प्रेरित होते हैं है और कई  बार कई प्रोजेक्ट पर वो बिलकुल नया दृष्टिकोण देते हैं जिन पर कभी विचार नहीं किया होगा। यहाँ पर विकसित हुआ आपसी सहयोग अक्सर व्यावसायिक विस्तार की ओर ले जाता है। हालाँकि यह कोवोर्क कांसेप्ट उन्ही के लिए ज्यादे प्रभावकारी है जो स्वयं प्रेरित हैं.          

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