पूर्वांचल से रुकता पलायन

आप मुंबई के किसी भी कोने में चले जाइये आपको जौनपुर, प्रतापगढ़, आजमगढ़, सुल्तानपुर वाराणसी और बस्ती के लोग मिल जायेंगे. लेकिन इन लोगों में आप एक चीज कॉमन पाएंगे की ये यहाँ पे नए आये हुए लोग नहीं है कई सालों से हैं है और कई तो कई पीढ़ियों से है. पिछले कुछ दिनों से अब मुंबई की तरफ पलायन रुका हुआ है खासकर मजदूर के रूप में. मजदूर के रूप में पलायन यूपी से गुजरात की तरफ भी रूका हुआ है अब गुजरात या दक्षिण के राज्यों में आपको यूपी के मजदूर शायद ही मिलें और बिहार के भी मजदूर कम मिलते हैं अब उड़ीसा के मजदूरों का पलायन जारी है. किसी भी प्रदेश के विकासशील स्तर को नापना है तो आप वहां से मजदूरों के पलायन का डाटा निकाल लीजिये यदि पलायन ज्यादे है इसका मतलब वहां पे रोजी रोटी का एक बड़ा संकट है. उड़ीसा से पलायन ज्यादे होने पर वहां की सरकार को ध्यान रखना चाहिए क्यूँ की मनरेगा आने के बाद पलायन रूकना चाहिए जबकि वहां से जारी है.

 

पूर्वांचल से पलायन रुकने का कारण सिर्फ मनरेगा नहीं है, पिछले कुछ सालों से वहां बहुत तेजी से विकास कार्य हुए हैं. और जब से यूपी को मुख्यमंत्री के रूप पूर्वांचल के योगी आदित्यनाथ के रूप में प्रदेश का नेतृत्व करने का मौका मिला तब से सीएम की कुर्सी चारो दिशाओं में घूम रही है जबकि इसके पहले के मुख्यमंत्री एक तरह से नॉन रेवोल्विंग कुर्सी पे बैठे थे उनकी कुर्सी पूर्वांचल की तरफ घुमती ही नहीं थी कोई सिर्फ पश्चिमी यूपी देखता था तो कोई सिर्फ मध्य यूपी, बुंदेलखंड एवं यूपी एक तरह से उपेक्षित पड़ा हुआ था. जब से योगी आदित्यनाथ के हाथ में कमान आया है प्रदेश के विकास में पूर्वकाल में उपेक्षित पूर्वांचल एवं बुंदेलखंड अब विकास की प्राथमिकता सूची में आ गया है. अब सिर्फ कहने को आगरा लखनऊ एक्सप्रेसवे या यमुना एक्सप्रेसवे नहीं अब आप पूर्वांचल के किसी हिस्से में सड़क से यात्रा कर लीजिये सब जगह आपको सड़क बना हुआ मिल जायेगा और यात्रा सुगम होगी.

  

आज से ३ साल पहले गोरखपुर से कहीं भी जाने के लिए सिर्फ बस और ट्रेन की सुविधा थी, मुंबई से लोग ट्रेन के लिए कई महीने लाइन में लग के टिकट लेते थे और चार गुना रूपये देते थे तो भी टिकट नहीं मिलता था आज गोरखपुर से आपको दिल्ली कोलकाता, हैदराबाद और बैंगलोर की फ्लाइट मिल जाएगी और इसी ३१ मार्च से मुंबई गोरखपुर की डायरेक्ट फ्लाइट आपको मिलनी शुरू हो जाएगी इस फर्क को यदि कोई सबसे ज्यादे महसूस करेगा तो वह मुंबईकर ही करेंगे क्यों की एक कन्फर्म टिकट की कीमत वो भी फ्लाइट की कीमत से ज्यादे देने के बावजूद भी सिर्फ वही समझ सकते हैं.

 

 

वर्तमान में मौजूदा केंद्रीय सरकार और उत्तर प्रदेश सरकार ने पूर्वांचल और बुंदेलखंड में व्यापक इन्फ्रास्ट्रक्चर और सामाजिक विकास पर जोर दिया हुआ है और इसके परिणाम भी देखने को मिलने लगे हैं खासकर आगमन और पलायन बंद होने के रूप में।

 

नीति आयोग के सीईओ के अनुसार उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल के जिले जिनका कुल क्षेत्रफल 85,804 वर्ग किमी है पहले यह हिस्सा उत्तर भारत के अन्य हिस्सों की तुलना में काफी पिछडा माना जाता था, किंतु पिछले कुछ वर्षो में प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर निवेश, एक्सप्रेसवे, एअरपोर्ट कनेक्टिविटी और लोजिस्टिक क्षेत्र में हुए विकास ने पूर्वांचल के परिदृश्य को अब बदल दिया है। अभी हाल में ही प्रधानमंत्री द्वारा23,000 करोड़ रुपये के निवेश के साथ ३४० किलोमीटर के पूर्वाचल एक्सप्रेस-वे के शुभारंभ की घोषणा उन शहरों और नगरों को के विकास को बदल देगा जो इसके आसपास होंगे. लखनऊ से आजमगढ़,मऊ, गाजीपुर, फैजाबाद, सुल्तानपुर, अंबेडकर नगर और अमेठी को जोड़ने वाला एक्सप्रेस-वे छह लेन का होगा जिसे भविष्य में आठ लेन तक विस्तारित करने की भी सम्भावना है । इसे आगे आगरा-लखनऊ फिर उसके आगे यमुना एक्सप्रेस-वे के साथ लिंकेज के माध्यम से आगरा, लखनऊ और दिल्ली तक आवाजाही तेज और पहले से बेहतर होगी। इस एक्सप्रेस-वे से जुड़े मार्गो के कारण पुरे उत्तर प्रदेश राज्य के संपूर्ण सड़क संपर्क ढांचे में एक बड़ा बदलाव आएगा।

 

अभी हाल में गुजरात से गोरखपुर तक गैस पाइप लाइन की घोषणा हुआ साथ में ‘प्रधानमंत्री ऊर्जा गंगा पाइपलाइन परियोजना’ के अंतर्गत मौजूदा प्राकृतिक गैस ग्रिड को पूर्वी भारत से जोड़ने का प्रयास किया जा रहा है। जगदीशपुर-हल्दिया और बोकारो-धामरा गैस पाइपलाइन परियोजना स्थापित किया जा रहा है। यह पाइपलाइन उत्तर प्रदेश के पूर्वी हिस्सों, बिहार, झारखंड,ओडिशा और पश्चिम बंगाल से होकर गुजरेगी और इससे करीब करीब 40 जिले और 2,600 गांवों की ऊर्जा आवश्यकताएं पूरी होंगी। इससे उत्तर प्रदेश के 336किमी में स्थित 395 गांव प्रत्यक्ष लाभान्वित होंगे। इस पाइपलाइन से गोरखपुर, बरौनी और सिंदरी में उर्वरक संयंत्रों को भी गैस की आपूर्ति होगी। सरकार वाराणसी,पटना, रांची, जमशेदपुर, भुवनेश्वर, कोलकाता, कटक आदि शहरों में नगर गैस वितरण नेटवर्क के विकास की प्रक्रिया में है जो जेएचबीडीपीएल परियोजना के मार्ग में पड़ेंगे। ये वितरण नेटवर्क संबंधित राज्य सरकारों के सहयोग से गेल द्वारा विकसित किए जाएंगे। इन नगरों में रहने वाली लगभग 1.25 करोड़ आबादी को इन सीजीडी नेटवर्क का लाभ मिलेगा। इनसे लगभग21,000 लोगों को प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रोजगार मिलेगा तथा देश के पूर्वी हिस्से में सामाजिक-आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलेगा।

मंत्रिमंडल के निर्णय के अनुरूप उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में बंद खाद कारखाने को हिंदुस्तान उर्वरक एवं रसायन लिमिटेड (एचयूआरएल) द्वारा फिर से पुनर्जीवित किया जा रहा है। एचयूआरएल भी लगभग 7000 करोड़ रुपये के अनुमानित निवेश से प्रतिवर्ष 1.27 मिलियन मीटिक टन की क्षमता वाला एक नया यूरिया संयंत्र स्थापित करने की प्रक्रिया में है। इसके दिसंबर 2020 तक चालू होने की संभावना है। इससे इस क्षेत्र की अर्थव्यवस्था को काफी बढ़ावा देगा। पूर्वी उत्तर प्रदेश की विशेष आवश्यकता के अनुरूप विभिन्न बुनियादी ढांचा परियोजनाओं को पहले ही मंजूरी दी जा चुकी है। नैनी,इलाहाबाद में सरस्वती हाईटेक का विकास एक औद्योगिक मॉडल टाउनशिप के रूप में किया जा रहा है जिसमें औद्योगिक, आवासीय और वाणिज्यिक क्षेत्र शामिल होंगे यह एक गैर-प्रदूषणकारी औद्योगिक,आवासीय, वाणिज्यिक, संस्थागत और खेल क्षेत्रों वाले एक औद्योगिक आदर्श टाउनशिप के रूप में विकसित हो रहा है।

अमृतसर-कोलकाता औद्योगिक गलियारे पर भी काम चल रहा है जिसमें से 1049 किलोमीटर या परियोजना का 57 प्रतिशत हिस्सा उत्तर प्रदेश में होगा और इस पहल से 18 जिले प्रभावित होंगे। कानपुर, इलाहाबाद और अलीगढ़-आगरा में से प्रत्येक में लगभग 25000एकड़ के तीन एकीकृत विनिर्माण क्लस्टर प्रस्तावित हैं। यूपीएसआइडीसी ने कानपुर में डिफेंस पार्क और वाराणसी में टेक्सटाइल पार्क भी स्वीकृत किया है।

बुंदेलखंड के विकास के लिए आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने 4,956 करोड़ रुपये की लागत से425 किलोमीटर लंबी झांसी-मानिकपुर और भीमसेन-खैरार लाइनों के दोहरीकरण और विद्युतीकरण परियोजनाओं को मंजूरी दी है जिनकी 2022-23 तक पूरा होने की संभावना है। इस परियोजना से झांसी,महोबा, बांदा और चित्रकूट धाम लाभान्वित होंगे।

पूर्वांचल में स्वास्थ्य सेवा एक बड़ी चुनौती थी पूर्वांचल के लगभग सभी बड़े शहर मरीजों से भरे रहते थे और कोई बड़ा मेडिकल इन्फ्रा नहीं थे अभी हाल ही में गोरखपुर में एम्स की OPD शुरू हो गई और यह 1750 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से 2020 पूरी तरह से तैयार हो जायेगा ऐसी उम्मीद है। इसके अलावा पिछले साल उत्तर प्रदेश में विशेष रूप से पूर्वी उत्तर प्रदेश में चिकित्सा के शैक्षिक अवसरों को बढ़ावा देने के लिए 25 नए मेडिकल कॉलेजों की घोषणा की गई है। जाहिर है इन सब कदमों से यहाँ से मुंबई, गुजरात की तरफ पलायन रुकेगा और भारत की अव्यवस्थित  विकास की जगह संतुलित विकास होगा और पूर्वांचल और बुंदेलखंड का विकास एक तरह से भारत की हृदयस्थली को मजबूत करेगा.

 

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