सैन्य फंड में नागरिक विवेकाधिकार



विगत १४ फ़रवरी को पुलवामा में हुई घटना ने पुरे देश को झकझोर दिया है, पूरा देश कह रहा है कि वह सैन्य बलों, शहीद हुए सैनिक परिवार के साथ खड़ा है लेकिन किसी को कुछ समझ नहीं आ रहा था कि वह कैसे खड़ा हो. सोशल मीडिया पे एक पोस्ट से भी आगे बढ़ के लोग कुछ करना चाह रहे थे. कुछ युवाओं को सूझा की ऐसी परिस्थिति में उन शहीद परिवारों को ही कुछ आर्थिक सहयोग दिया जाय ताकि कृतज्ञ नागरिक की वास्तविक श्रद्धांजली हो सके. ऐसे में बहुत से लोग प्रमाणिक श्रोत दूंढ़ रहे थे जिससे की सहायता सही जगह पहुंचे क्यों की ऐसे माहौल में कुछ गलत लोग भी फर्जी तरीके से फण्ड इकठ्ठा करने में लग जाते हैं. हालांकि प्रधानमंत्री राहत कोष और मुख्यमंत्री राहत कोष सबसे प्रमाणिक श्रोत होते हैं दान देने के लिए क्यूँ की कमोबेश हर उस प्रदेश ने शहीद सैनिकों के परिवार के लिए मदद की घोषणा की थी अतः उस सरकार के कोष में इस निमित्त मदद करना भी एक सार्थक सहयोग हो जाता. हालांकि केंद्रीय गृह मंत्रालय ने शहीद जवानों के परिवार की आर्थिक मदद के लिए वर्ष 2017 में विशेष तौर पर भारत के वीर (Bharat Ke Veer) नाम से वेबसाइट www.bharatkeveer.gov.in और मोबाइल ऐप लॉन्च किए थे. इस वेबसाइट या एप पर दो प्रकार से सहयोग किया जा सकता है, पहला प्रत्यक्ष शहीद के परिवार के खाते में और दूसरा भारत सरकार के वीर कोष में. सरकार वीर कोष का इस्तेमाल शहीद और घायल जवानों व उनके परिवारों की मदद के लिए करती है. इसके तहत आप सीधे व्यक्तिगत शहीद के खाते में दान कर सकते हैं जिसकी अधिकतम सीमा 15 लाख तक हो सकती है या भारत के वीर कॉर्पस फंड में दान कर सकते हैं।
 
इसमें प्रति शहीद अधिकतम मदद 15 लाख राशि की सीमा रक्खी गई है और यदि राशि 15 लाख से अधिक होती है, तो दानदाता को अलर्ट  जाएगा, ताकि वे यदि इस राशि से अधिक योगदान करना चाहते है तो वह राशि दुसरे शहीद के परिवार को दिया जा सके या इस राशि को भारत के वीर कॉर्पस फंड में डाला जा सके जहाँ से अन्य वीर शहीदों को फंड का सहयोग दिया जा सके. जो यह कार्पस फण्ड “भारत के वीर कार्पस” के नाम से होगा  उसका प्रबंधन ख्यातिलब्ध और प्रतिष्ठित व्यक्तियों और वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों द्वारा किया जाएगा, ताकि इसका न्यायपूर्ण और समान इस्तेमाल हो सके. इस व्यवस्था के तहत असम राइफल, सीमा सुरक्षा बल, केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल , केंद्रीय रिज़र्व पुलिस बल , इंडो तिब्बत सीमा पुलिस, NDRF, NSG एवं सशस्त्र सीमा बल शामिल हैं.
 
इसके अलावा कुछ और प्लेटफार्म भी शहीदों के लिए फंड इकठ्ठा कर रहे हैं जिसमे प्रमुख रूप से paytm है, Paytm ने इसके लिए अपने ऐप पर बाकी पेमेंट ऑप्शंस के साथ ‘Contribute CRPF Bravehearts’ का ऑप्शन भी जोड़ दिया है. इसकी मदद से जो भी राशि इसके यूजर्स डोनेट करेंगे, वह ‘CRPF वाइव्ज वेलफेयर असोसिएशन’ के अकाउंट में जाएगी.
 
Google Pay (Tez) ने भी CRPF जवानों के परिवार की मदद के लिए अपने ऐप पर ऑप्शन दे दिया है.Google Pay पर जाने पर एक आइकन ‘CRPF’ दिखेगा. इस पर क्लिक करने के बाद आप डायरेक्ट अपने बैंक अकाउंट से कॉन्ट्रीब्यूट कर सकते हैं. Google Pay का इस्तेमाल करने के लिए आपकी UPI ID होना जरूरी है. 

SBI ने भी अपने ट्विटर हैंडल पर एक QR कोड मुहैया कराया है. आप इस QR कोड को स्कैन कर डायरेक्टली किसी भी UPI बेस्ड पेमेंट ऐप से कॉन्ट्रीब्यूट कर सकते हैं. जैसे Paytm, Google Pay, Phone Pay आदि.

शहीदों के परिवार को किया गया यह डोनेशन इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 80G के तहत पूरी तरह टैक्स फ्री है. यह छूट असेसमेंट ईयर 2019-20 के लिए वैलिड है.

इसके अलावा रिलायंस फाउंडेशन, अमिताभ बच्चन, सलमान खान, कैलाश खेर समेत कई लोगों ने भी अपने स्तर पर शहीद परिवारों को सहयोग दिया है.


इस सम्बन्ध में मेरा एक विचार है अंततः हमारा दिया जाने वाला कर सरकार के कई फंड में जाता है इसमें से एक फंड सेना के लिए भी जाता है तो क्यूँ ना करदाता को कर प्रयोग विवेकाधिकार के तहत एक विकल्प दिया जाए जिसमे वह अपने कर के कुछ निश्चित प्रतिशत का इस्तेमाल अपने इच्छानुसार फंड को फंड करने में कर सके, इसकी एक सीमा निर्धारित की जाए और उस फंड की भी एक सीमा निर्धारित जाए ताकि यदि उस फंड में अधिक फंड आ जाये तो करदाता को दुसरे किसी फंड में योगदान करने का विकल्प हो. सैन्य फंड में जिस तरह से नागरिकों का रूझान और सहयोग आ रहा है उसको देखते हुए भारत सरकार को इसके लिए कर ढांचे में नागरिक कर प्रयोग विवेकाधिकार ( Tax Use Discretion )  की शुरुवात करनी चाहिए. नागरिक टैक्स यूज विवेकाधिकार से देश में नागरिकों की लोकतंत्र में प्रत्यक्ष वित्तीय भागीदारी हो जाएगी और टैक्स का संग्रह और प्रभावी प्रयोग बढ़ जायेगा बढ़ जायेगा. वर्तमान कर ढांचे में जो टैक्स का पैसा जमा होता है उसके प्रयोग को लेकर जो विवेकाधिकार होता है वह सरकारों के पास होता है. सरकारें इसे अपने विवेक के अनुसार सरकारी योजनावों और खर्चों में वितरण करती है. अगर इन पैसों के वितरण में नागरिक सहभागिता बढ़ा दी जाये उन्हें खुद उनके खुद के टैक्स के हिस्से से कुछ भाग यदि खुद के पसंद की योजनावों में टैक्स के द्वारा वित्त पोषित करने की अनुमति दी जाए तो लोग ख़ुशी ख़ुशी ज्यादे टैक्स देंगे और टैक्स सहभागिता भी बढ़ेगी . सरकार यदि यह कानून लाती है कि नागरिक अपने टैक्स का कुछ निश्चित प्रतिशत भाग अपनी मर्जी से अपने स्थानीय फंड जैसे कि आज सैन्य फंड, भारत के वीर कार्पस फंड है पसंद की सरकारी योजनावों पर खर्च करें और इस खर्च राशि की छूट को 80 G के तहत आय से कटौती में नहीं देकर सीधे इसे कर भुगतान ही मान लिया जाय और प्रत्यक्ष कर में से ही कटौती मिले क्यूँ की इसका सीधे प्रयोग तो वहीँ हो रहा है जहाँ टैक्स संग्रह कर के सरकारें अपने विवेकाधिकार से करने ही वाली थीं. इससे वित्तीय लोकतंत्र का ढांचा और मजबूत होगा और करदाता कर देने के सम्बन्ध में ज्यादे से ज्यादे उत्साही रहेगा.

इसका सबसे अधिक फायदा राहत कोष और पंचायतों को मिलेगा. ठीक यही व्यवस्था अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था GST में भी लागू की जा सकती है. पंजीकृत व्यापारी कुछ निश्चित प्रतिशत अपने पसंद के फंड में प्रत्यक्ष भुगतान कर इसे GST भुगतान की गणना में शामिल कर लेंवें. GST के केस में करदाता द्वारा अपने अंतिम कर गणना से अधिक भुगतान करने की सम्भावना नहीं आएगी क्यूँ की करदाता द्वारा कर का भुगतान कर की गणना के पश्चात ही होता है, आयकर में ऐसी सम्भावना आती है क्यूँ की वहां करदाता आयकर की अंतिम गणना के अनुसार नहीं अग्रिम कर की गणना के हिसाब से टैक्स भरता है और विवरणी एकदम लास्ट में भरता है जबकि GST में विवरणी और टैक्स एक साथ होता है लगभग.

यह योजना अंतिम स्तर तक लोकतंत्र को मजबूत करेगी और व्यवस्था को जबाबदेह बनाएगी. नागरिकों के अन्दर लोकशाही और राष्ट्रवाद की भावना विकसित होएगी. पहले वह कर प्रत्यक्ष कर के माध्यम से राज्य एवं केंद्र सरकार के पास जमा करता था. राज्य सरकार और केंद्र सरकार फिर अपने स्तर पे अपनी प्राथमिकतावों की लिस्ट बनाती थीं फिर बजट के माध्यम से फण्ड को निर्गत करती थीं जबकि इस व्यवस्था में नागरिक खुद भी इस प्रक्रिया का भागीदार बन सकता है.

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