रिवर्स पलायन और गुजरात

रिवर्स पलायन और गुजरात

अब तक आपने सुना होगा की यूपी बिहार से पलायन रोकने की पहल करनी चाहिए लेकिन पहली बार हो रहा है की गुजरात से यूपी बिहार के लोगों के रिवर्स पलायन पर गुजरात सरकार एवं गुजरात चेम्बर ऑफ़ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री सामने से आई है और सरकार से इनके पलायन को रोकने की अपील करते हुए कहा है की इन्हें रोका जाए नहीं तो गुजरात के उद्योग धंधे को बहुत नुक्सान होगा.
गुजरात के सांबरकांठा में हुई घटना बहुत ही घृणित है और अपराध की पराकाष्ठा है, दोषी को सजा मिलनी ही चाहिए लेकिन इसकी सजा उसके सारे समुदाय को नहीं मिलनी चाहिए. वर्तमान में हुए इस हमले का शिकार वहां पलायित हुए मजदूर वर्ग हैं और वहां से इनका पलायन गुजरात के सांबरकांठा में हुई घृणित घटना के बाद उपजी हिंसक प्रतिक्रिया के कारण जारी हो चुका है. इस पलायन से टेबल के दुसरे तरफ के लोगों को अब चिंता होने लगी है और सामने से गुजरात चेम्बर ऑफ कामर्स एंड इडस्ट्री ने चिंता जताते हुए कहा भी है कि गुजरात में 70 से 80 % मज़दूर बाहर से ही हैं, और यदि ये चले जाएँ तो गुजरात के इकॉनमी पे संकट आ जायेगा. नरोडा इंडस्ट्री संघ ने संकट का संज्ञान लिया और बताया है कि मज़दूरों को सुरक्षा हेतु फैक्ट्री कैंपस में ही रुकने का इंतज़ाम किया जा रहा है. कई जगहों पर फैक्ट्री मालिकों ने मज़दूरों के साथ मीटिंग शुरू कर दी है, उन्हें सुरक्षा का भरोसा दिलाया जा रहा है ताकि त्योहारों के समय कारोबार पर कोई बड़ा संकट न आ जाए.
गुजरात चेंबर ऑफ कॉमर्स के सेक्रेटरी के अनुसार सरकार ने अच्छे कदम उठाए हैं, पुलिस ने कामगारों के साथ मीटिंग की हैं, आश्वासन दिए हैं. और ये समझा जा सकता है कि भरोसा बन रहा है. वहां के उद्योगपतियों का कहना है कि वहां के लोग वो काम नहीं कर सकते हैं जो ये मजदूर लोग कर देते हैं. उनके अनुसार कच्चा माल कितना भी हो पर यदि कारीगर नहीं होगा तो फैक्ट्री कैसे चलेगी. कई उद्योगपति कह रहें हैं कि गुजरातीयों को विकल्प मिलना चाहिए लेकिन उनको मालूम है कि गुजरात के लोग इस प्रकार के लेबर का काम नहीं कर सकते हैं. वो लोग धंधा तो कर लेंगे लेकिन बोरी कंधे पर उठाकर नहीं ले जायेंगे. इसे समझना भी पड़ेगा और मानना भी पड़ेगा. यह सच भी है यूपी बिहार या ऐसे ही अन्य पलायित मजदूर जो दुसरे प्रदेशों या देशों में काम करते हैं उनका एकमेव ध्येय यही रहता है कि वह कमाने आये हैं और सिर्फ कमाएंगे, सारा फोकस इसी पे रहता है और कहीं इधर उधर डायवर्सन नहीं रहता है इसलिए १२ से १४ घंटे काम कर यह भी पैसा बनाते हैं और फैक्ट्री मालिक को भी फायदा होता है, और ऐसा हार्ड लेबर स्थानिक श्रमिक नहीं कर पायेगा क्यूँ की स्थानीय स्तर पर उसके कई कमिटमेंट, ऑब्लिगेशन और डायवर्सन रहेंगे और वर्किंग ऑवर से परे जाकर वह कार्य करना अमूमन पसंद नहीं करेगा, जिस कारण पूंजीपति वर्ग के लिए पहली पसंद यहीं है. 
इसीलिए गुजरात चेंबर ऑफ कॉमर्स के अनुसार बिहार यूपी के मज़दूरों के बिना इंडस्ट्री नहीं चल सकती है. इन राज्यों के मज़दूरों ने अपने सस्ते और उम्दा श्रम की बदौलत कई दूसरे राज्यों को समृद्ध किया है. इसलिए जब किसी ने अपराध किया हो, तो उसके लिए पूरे समुदाय को निशाना बनाना ठीक नहीं. खासकर तब जब पुलिस ने बलात्कारी को पकड़ लिया है.
हालाँकि गुजरात के सात ज़िलों में हालात पिछले दो दिनों से काबू में हैं. पुलिस हरकत में आ गई है. रात में गश्त बढ़ा दी गई है. साइबर सेल सोशल मीडिया पर नज़र रख रहा है. पुलिस ने 450 लोगों को गिरफ्तार किया है, 35 एफआईआर हुई है, बड़ी तादाद में उत्तर भारतीयों के पलायन को देखते हुए सरकार ने पुलिस को उन इलाकों में कैंप करने को कहा है, जहां यूपी-बिहार के लोग ज्यादा संख्या में रहते हैं. पुलिस लोगों को समझा-बुझाकर और सुरक्षा का आश्वासन देकर पलायन रोकने की कोशिश कर रही है. महेसाणा, बनास कांथा, साबर कंथा, पाटन में सुरक्षा के मद्देनजर 17 SRP की टीमें तैनात की गई है. यूपी-बिहार के लोग  जिस जगह पर काम कर रहे है वहा पर पेट्रोलिंग की जा रही है.  गांवों मे जाकर पुलिस को बैठक करने के आदेश हैं. डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट भी स्थानीय लोगों को समझाने में जुटे. खुफिया एजेंसियां भी जांच में जुटीं हैं. गैर-गुजराती के निवास क्षेत्रों और उन कारखानों में जहां वे काम करते हैं, वहां सुरक्षा बढ़ा दी गई है. पुलिस ने इन इलाकों में गश्त भी बढ़ा दी है,और गुजरात के गृह मंत्री प्रदीप सिंह जडेजा ने राज्य छोड़ कर गए लोगों से लौट आने की अपील की है. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गुजरात के मुख्यमंत्री से भी इस बारे में बात की है और मुख्यमंत्री विजय रुपानी ने सुरक्षा के आश्वासन के साथ साथ प्रवासी मजदूरों से वापस आने की अपील की है. गुजरात से हज़ारों की संख्या में लौट रहे बिहारवासियों से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी मंगलवार को अपील किया है कि 'आप मज़बूती से वहां रहिए” सरकार सुरक्षा देगी. यूपी से बाहर यूपी के प्रवासियों के लिए कार्य कर रही संस्था UPDF ने त्वरित संज्ञान लेते हुए गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रुपानी को त्वरित कार्य के लिए ट्वीट किया और साथ में यूपी के मुखमंत्री को गुजरात के सीएम से बात करने के लिए निवेदन किया ताकि प्रवासियों के मन में अभय और संतोष का भाव आ सके.
यह पहली बार हुआ है की पलायित मजदूरों का रिवर्स पलायन वहां की सरकारों के लिए चिंता का विषय बना हुआ है. पहले जिस मूल राज्य से यह पलायन करते थे वहां ईस बात का शोर रहता था की ईन प्रदेशों से पलायन रोका जाय और अब पहली बार हो रहा है की जिस राज्य में ये पलायित होकर गए हैं अब वहां की सरकार और उद्योग वर्ग इन्हें रोक रहा है. आखिर ये कौन हैं जो दोनों तरफ से राजनैतिक और आर्थिक चर्चा के विषय हैं ? दरअसल ये वो मेहनतकश लोग है जो अपने मेहनत से किसी उत्पाद या कार्य में मूल्य का सृजन करते हैं जिसके फलस्वरूप वह उत्पाद या कार्य व्यवसायी के लिए फल देने वाला मूल्यवान वस्तु बन पाता है और व्यवसायी एवं उद्योग को लाभ होता है. यह पूंजी, मटेरियल और मशीन की तरह ही उत्पादन के एक महत्वपूर्ण अंग है, इनके न रहने से उत्पादन का चक्र रूक जायेगा और प्रदेश के उद्योग और व्यवसाय में बड़ा संकट आ जायेगा. पलायन और रिवर्स पलायन की चर्चाओं ने इन्हें एक महत्वपूर्ण संपत्ति के रूप में रेखांकित किया है, जहाँ से ये पलायित हुए वहां पर विकास के लिए कठिनाई आई. यूपी और बिहार में विकल्पों के अभाव में जब ये वहां से पलायित किये तो ये प्रदेश अभी तक विकासशील ही हैं विकसित नहीं हो पाए और जब ये गुजरात से पलायित हो रहें हैं तो वहां चिंता हो रही है कि उनके विकसित होने की स्थिति इस रिवर्स पलायन से चेंज हो सकती है. इसलिए इस स्थिति पे तुरंत संज्ञान लेना चाहिए , तथा हिंसा पे कड़ी कारवाई और नजर रखनी चाहिए क्यूँ की मौजूदा दौर में भीड़ की हिंसा का चलन चल रहा है और ऐसे में इनका डरना स्वाभाविक है.

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