बदलते तकनीक की आहट न सुनने से गायब होते बाजार के दिग्गज

आज के दौर में जिसने भी नवाचार का स्वागत नहीं किया उसे नवाचार ख़त्म कर देगी. आज के दौर में जो सबसे बड़ा बाजार है वो तकनीक के बाजार का है. बदलते बदलाव को जिसने नहीं सूंघा उसका बाजार का साम्राज्य चला जायेगा. आज से कुछ साल पहले मेरु टैक्सी सर्विस और टैब कैब सर्विस का बाजार पे कब्ज़ा होने जा रहा था, जिधर देखों टैक्सी सर्विस में रेडियो टैक्सी सर्विस की बात हो रही थी, उन्होंने काफी बड़ा इन्वेस्टमेंट कर लिया था, लेकिन वो एप बेस्ड टैक्सी सर्विस के दस्तक को समय रहते पहचान नहीं पाए. और आज बिना गाड़ियों में इन्वेस्टमेंट किये एप बेस्ड टैक्सी सर्विस ओला एवं उबेर का समय आ गया और मेरु और टैब कैब का बाजार में नगण्य हस्तक्षेप हो गया.
तकनीक से बाजार के तेजी से  बदलने का अगला उदाहरण ईस्टमैन कोडक कंपनी जो अब दिवालिया हो चुकी है। कोडक वह कंपनी है, जिसने बीसवीं शताब्दी में फोटोग्राफी की दुनिया में एकक्षत्र लगभग राज किया था, उसके द्वारा किसी घटना या व्यक्ति के फोटोग्राफ खींचने को ही ‘कोडक मोमेन्ट’ कहा जाता था। एक समय में तो फोटोग्राफी फिल्म का लगभग 90 % बाजार कोडक के पास था। लेकिन यही कोडक कंपनी डिजिटल दौर का शिकार बन गई। बहुत बाद में और पानी सर से ऊपर जाने के बाद डिजिटल कैमरे, प्रिंटर वगैरह के बाजार में कोडक उतरी तो, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी और वो बाजार से बाहर और नए लोगों का प्रवेश हो चुका था. लोग डिजिटल कैमरे की जगह अब सेलफोन के कैमरे का इस्तेमाल करने लगे. रील वाला फोटो युग, झटपट फोटो आदि का तो युग ही समाप्त हो चला था.
एक समय था मार्किट में मोटोरोला और नोकिया के फ़ोन का ही दबदबा था और वो हौले हौले आ रही स्मार्ट फ़ोन, एंड्राइड एवं एपल के क़दमों की आहट सुन नहीं सके, बहुत देर में जागे तब तक मार्किट में एंड्राइड एवं एपल सपोर्ट मोबाइल की बाढ़ आ गई थी. वो हार्डवेयर सपोर्ट पर ही काम करते रहे जबकि उन्हें पता ही नहीं चला की अब ग्राहक सॉफ्टवेयर सपोर्ट वाले मोबाइल खोज रहा है.आज बाजार में इनकी उपस्थिति नगण्य है. इसके अलावा मोटोरोला ने 3 G मूवमेंट को भी मिस किया था.
मोबाइल की दुनिया में एक गलती माइक्रो सॉफ्ट ने भी कर दी, वह अपने डेस्कटॉप और लैपटॉप के ऑपरेटिंग सिस्टम पे ही ध्यान देती रही और उसे देर से पता चला की कंप्यूटर की दुनिया अब मोबाइल में सिमट गई है अब कंप्यूटर के लगभग सारे काम मोबाइल से ही हो जा रहें है. एंड्राइड एवं एपल ने अपने शुरुवाती दबदबे से माइक्रोसॉफ्ट को देर से जागने के बाद भी बाजार में वो जगह नहीं दी, जिसे बहुत पहले माइक्रोसॉफ्ट को ले लेना चाहिए.
मोबाइल टेबलेट भी अब बाजार से बाहर जा रहें हैं क्यों की अब मोबाइल ही इतने सक्षम हो गए हैं की टेबलेट का काम करने लगे हैं.

अगला उदाहरण याहू का है, एक समय इन्टरनेट मतलब याहू था, ईमेल और चैट मतलब याहू, लेकिन इसने भी बदलते वक़्त के साथ अपने को बदला नहीं और जीमेल के आहट को सुन नहीं सका और आज बाजार से बाहर हो गया. इसके अधिकारीयों ने कई अवसरों को खोया. 1998 में,  Google के लैरी पेज और सर्गेई ब्रिन ने याहू से संपर्क किया था,  और वो अपने पेजरैंक सिस्टम को 1 मिलियन डॉलर में याहू को देना चाहते थे क्यों कि दोनों स्टैनफोर्ड में अपनी पढ़ाई पर ध्यान केंद्रित करना चाहते थे, लेकिन याहू ने इस आहट को नहीं पहचाना और कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई और आज नतीजा क्या है आप सभी जानते हैं. सन 2002 में फिर मौका आया था , ब्रिन और पेज ने फिर से याहू से संपर्क किया। इस बार Google के विस्तार के लिए धन जुटाने के लिए। ब्रिन और पेज को 3 बिलियन डॉलर देने का अर्थ था याहू को Google  में एक बड़ी हिस्सेदारी मिलती लेकिन याहू ने इनकार कर दिया क्योंकि याहू Google के साथ प्रतिस्पर्धा करने के लिए अपने स्वयं के सर्च इंजन का निर्माण करना चाहता था जो उसकी जिसमे वो खुद एक्सपर्ट नहीं था।

आप इसे एक तरह का विडंबना कह सकते हैं लेकिन याहू अपने खात्मे के लिए खुद ही ज़िम्मेदार है। प्रासंगिकता खोने के बाद से खुद को पुनर्जीवित करने के कई प्रयास करने के बाद, याहू ने आखिरकार अपने खात्मे की घोषणा कर दी. ठीक ऐसा ही हश्र ऑरकुट का हुआ था अब गूगल प्लस का भी हो रहा है, हालाँकि गूगल आहट पहचानने के साथ निर्णय लेता जा रहा है जिस कारण वह बाजार में आगे बढ़ रहा है.

आज कैमरे की रील की तरह टाइपराइटर का हश्र क्या हुआ आपको मालूम ही है एक तरफ टाइपराइटर एक महत्वपूर्ण बिज़नस एसेट था लेकिन आज इसका कोई यूज नहीं है और यह कहीं दिखता ही नहीं है.

आज के दौर में कुछ बिजनेस सेगमेंट ऐसे भी हैं जो यदि समय की आहट को पहचान नहीं सके तो उनका भी पतन निश्चित है. उसमे पहला थिएटर और मल्टीप्लेक्स का बिजनेस है. जिस तरह से Netflix , Amazon Prime और youtube ने अपना दायरा बढ़ाया है और उसके साथ स्मार्ट टीवी और होम थिएटर की बिक्री बढ़ी है और जिओ के आने से डाटा सस्ता हुआ है और शहरों में ट्रैफिक और प्रदूषण बढ़ा है वो दिन दूर नहीं जब बड़ी संख्या में लोग थिएटर जाना बंद कर के घर पर ही नई रिलीज हुई मूवी अपने स्मार्ट टीवी पर होम थिएटर सिस्टम लगाकर देखेंगे और मूवी भी रिलीज DTH सेवा प्रदाता, Netflix ,Amazon Prime और youtube या ऐसे ही प्लेटफार्म पर होगी और ये प्लेटफार्म थिएटर से ज्यादे पैसा बनायेंगे.
इसी कड़ी में अगला संकट ईन DTH सेवा प्रदाताओं पे आने वाला है. अभी आपने टाटा स्काई और सोनी का झगडा सुना, लेकिन अब टाटा स्काई जैसी कम्पनियों पे भी संकट आने वाला है. स्मार्ट टीवी आ जाने से लोग अब वही कार्यक्रम इन्टरनेट के माध्यम से अपनी टीवी पे देख सकते हैं टाटा स्काई लगाने की जरुरत ही नहीं होगी. सारे चैनल अपने कार्यक्रम इन्टरनेट के माध्यम से ही चलाने लगेंगे उस दिन उनका सेट अप बॉक्स नहीं राऊटर की डिमांड ज्यादे बढ़ जाएगी. वेब सीरिज क्रांति के आने की वजह से अब मनपसंद सीरियल का इन्तेजार कोई शाम तक या हफ्ते हफ्ते सिर्फ एक घंटे देखने के बाद अगले दिन तक नहीं करना चाहता है, एक वक़्त ऐसा आएगा की प्रतिदिन या पुरे हफ्ते का प्रोग्राम शुरुवात में ही चैनल वाले लोड कर देंगे और कोई समय विशेष पे ही इसे देखने की जरुरत नहीं है आप जब चाहें अपने समयानुसार उस सीरियल को देखते जाएँ. टीवी न्यूज़ बुलेटिन भी अब डिजिटल प्लेटफार्म से ही लाइव होने लगेंगे और ये सेट अप बॉक्स कबाड़ा हो जायेंगे जैसे एक वक़्त के एंटीना की हालत आज हो गई है. इलेक्ट्रिक व्हीकल के इस्तेमाल से आयल कंपनिया , पेट्रोल पम्प और कार कम्पनियों के साथ साथ पुरे गल्फ कंट्री का बिजनेस डायमेंशन चेंज होने वाला है, अभी ये नहीं संभले तो समय इन्हें बाहर कर देगा. इलेक्ट्रिक व्हीकल के इस्तेमाल से आयल पेमेंट बहुत कम हो जायेया, डॉलर कमजोर और रूपया मजबूत हो जायेगा और रूपये और डॉलर से जुडी सारी व्यवस्थाएं भी बड़े पैमाने पर बदलेंगी.
बदलते वक़्त और समय को जिसने नहीं पहचाना उसे समय ने आउट कर दिया है.
  

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