काले धन की इनामी योजना

काले धन की इनामी योजना

साल २०१८ काले धन के मामले में २ चीजों के लिए जाना जायेगा. एक तो इसी साल अक्षय कुमार अभिनीत रेड मूवी रिलीज़ हुई थी और दूसरा सरकार ने काले धन के खिलाफ २०१८ में पुरस्कार योजना लांच की. जिस सच्ची कहानी पर रेड मूवी बनी थी उसमें उस अधिकारी ने अपने मरते दम तक उस मुखबिर का पता नहीं बताया था. फिल्म में यह स्पष्ट नहीं है की मुखबिर को इनाम मिला की नहीं लेकिन इस स्कीम में सरकार ने इनाम की व्यवस्था की है. ऐसा लगता है कि सरकार वर्ष २०१९ से पहले पिछले चुनाव में लगे नारे को कुछ मात्रा में चुनाव पूर्व सिद्ध करने में लगी है.
अप्रैल २०१८ में पुरस्कार योजना के दो पत्र जारी किये एक पत्र बेनामी लेनदेन सूचनार्थी पुरस्कार योजना 2018 के लिए था और दूसरा आयकर सूचनार्थी पुरस्कार योजना, 2018 थी. इसलिए सबको यह समझ लेना चाहिए की बेनामी लेनदेन के सम्बन्ध में सूचना देने के लिए अलग पुरस्कार योजना एवं विधि है और कालेधन के सम्बन्ध में सूचना के लिए अलग पुरस्कार योजना एवं विधि है. चूँकि दोनों विषय बृहद हैं इसे पहले भाग में यहाँ हम आयकर सूचनार्थी पुरस्कार योजना, 2018 की बात करेंगे जिसके दो भाग हैं एक ब्लैक मनी (अज्ञात विदेशी आय और संपत्ति) अधिनियम, 2015 के तहत सूचना देना और दूसरा आयकर अधिनियम के तहत सूचना देना.

इस योजना के तहत सूचनार्थी बनने की एक विशेष प्रक्रिया है यदि आप उस विशेष प्रक्रिया का पालन करते हैं तो ही आपको इस स्कीम का इनाम मिलेगा कोई भी अन्य तरीका जिसमे जैसे कोई पत्र, ई-मेल, सीडी, व्हाट्सएप, एसएमएस, फोन, मीडिया में खबर या सोशल मीडिया पे कोई पोस्ट के द्वारा सुचना देते हैं आप इनाम के हक़दार नहीं हैं. सूचनार्थी को एकदम विशिष्ट सूचना सिर्फ निर्धारित प्रारूप A में देनी होगी, इस की प्रकृति साधारण न होकर विशिष्ट होनी चाहिए और जो काला धन पाया गया है उसमें से जो काला धन इसी सूचना के आधार पर मिला है सिर्फ उतने ही काले धन से सम्बंधित राशि पर वह इनाम का हकदार होगा. सूचनार्थी को सूचना सिर्फ निदेशक स्तर के तीन विशिष्ट अधिकारीयों को देनी होगी वह हैं महानिदेशक आयकर(जाँच), प्रमुख निदेशक आयकर(जाँच) एवं संयुक्त निदेशक आयकर(जाँच) इसके अलावा अन्य किसी स्तर के अधिकारी को नहीं चाहे वो कमिश्नर ही क्यों ना हो. महानिदेशक आयकर(जाँच) एवंप्रमुख निदेशक आयकर(जाँच) को दी गई सूचना कारवाई हेतु संयुक्त निदेशक आयकर(जाँच) के पास ही आएगी. यदि संयुक्त निदेशक आयकर(जाँच) के पास सूचना देने में कोई परेशानी है तो प्रमुख निदेशक आयकर(जाँच) भी इस पर कारवाई कर सकता है.

सूचनार्थी की सुरक्षा के लिए इनके द्वारा दी गई जानकारी, इनकी पहचान किसी भी व्यक्ति या प्राधिकरण के सामने जाहिर नहीं किया जायेगा जब तक कि वह किसी कानून या कोर्ट के द्वारा बाध्य न किया जाए. निर्धारित प्रक्रिया में सूचना के बाद उसे एक गुप्त कोड दिया जायेगा एक बार कोड का आवंटन के बाद आगे की सभी कारवाई में उसे कोड के नाम से ही जाना जायेगा. यदि यह सूचना सामूहिक रूप से दी गई है तो प्रत्येक व्यक्ति को एक कोड आवंटित होगा. हालाँकि इस योजना का सबसे महत्वपूर्ण पहलु सूचनार्थी की सुरक्षा है और मेरे ख्याल से इसे और पुख्ता किये जाने की जरुरत है. मैन्युअल इंटरएक्शन अभी भी इसमें है तीनों अधिकारीयों के समक्ष एवं सूचनार्थी को भविष्य में बुलाया भी जा सकता है, ऐसे में जानकारी लीक होने की सम्भावना है. इसे और ज्यादे डिजिटल एवं मैन्युअल इंटरएक्शन ख़त्म किये जाने की जरुरत है OTP एवं कोड के इस्तेमाल से सूचनार्थी को भौतिक रूप से प्रकट होने की गुंजाईश को कम किया जा सकता है और सब कुछ सॉफ्टवेयर आधारित किया जा सकता है आखिर विभाग को तो सिर्फ सूचना ही चाहिए जो वह कूट माध्यम से डिजिटल माध्यम का इस्तेमाल कर कर सकता है. इस डिजिटल माध्यम में सरकार चाहे तो एक समर्पित पोर्टल भी बना सकती है. यदि कोई विदेशी व्यक्ति यदि किसी विदेशी आय या सम्पति की जानकारी देना चाहता है तो वह सदस्य CBDT (जाँच) को पत्र, मेल या व्यक्तिगत तौर पर संपर्क कर सकता है. फ़िलहाल संयुक्त निदेशक आयकर (जाँच) निम्न शहरों में बैठते हैं उस परिक्षेत्र से सम्बंधित सूचना इन शहरों में दी जा सकती है,ये शहर हैं मुंबई,दिल्ली, अहमदाबाद, वडोदरा, सूरत, राजकोट, बेंगलुरु, मंगलुरु,हुबली, पणजी, भोपाल, इंदौर, जबलपुर, रायपुर, चंडीगढ़, मोहाली,फरीदाबाद, गुड़गांव, लुधियाना, जालंधर, चेन्नई, मदुरै, कोयंबटूर, हैदराबाद, विजाग,विजयवाड़ा, भुवनेश्वर, जयपुर, जोधपुर, उदयपुर, कोच्चि, तिरुवनंतपुरम, कोलकाता,गुवाहाटी, लखनऊ, कानपुर, आगरा, वाराणसी, मेरठ, गाजियाबाद, देहरादून, पटना, पुणे, ठाणे, नागपुर और कोल्हापुर.

इनाम की व्यवस्था दो स्तरों पे की गई है पहला आंतरिक एवं दूसरा फाइनल. ब्लैक मनी (अज्ञात विदेशी आय और संपत्ति) अधिनियम, 2015 के तहत विदेशी काले धन से सम्बंधित यदि सूचना है तो उसके असेसमेंट की कारवाई पूरी होने के बाद आन्तरिक इनाम चार माह के अन्दर दिया जाएगा. यह अतिरिक्त कर राशि के ३ प्रतिशत के बराबर होगा हालाँकि विदेशी कालेधन की सूचना से सम्बंधित आंतरिक इनामी राशि ५० लाख से अधिक नहीं हो सकती और वो भी तब जब ये लग जायेगा की जो अतिरिक्त कर लगाया गया है वो अपील में भी विभाग के पक्ष में फैसला आएगा और वसूली योग्य है, यदि ऐसा नहीं लगता है तो इनाम नहीं मिलेगा. यदि अन्य काले धन की सूचना उपरोक्त के अतिरिक्त भारतीय आयकर अधिनियम के तहत है तो इसकी आंतरिक इनामी राशि अतिरिक्त कर की राशि के १ प्रतिशत के बराबर होगी और अधिकतम राशि १० लाख होगी हालाँकि यह अधिकतम सीमा १५ लाख हो जाएगी यदि ऐसी विशिष्ट सूचना से जुडी हुई जब्त नकदी १ करोड़ से अधिक है तो और इसका भुगतान असेसमेंट से न जुड़कर सम्बंधित अधिकारी द्वारा अंतिम जांच रिपोर्ट कर निर्धारण अधिकारी को प्रस्तुत करने के ४ माह के अन्दर देनी होगा.

उपरोक्त विदेशी काले धन से सम्बंधित फाइनल इनामी राशि १० प्रतिशत होगी जिसकी अधिकतम सीमा किसी भी सूरत में यहाँ तक की बेनामी संपत्ति की भी जानकारी इस सूचना से होती है तो भी यह राशि पांच करोड़ से अधिक नहीं होगी एवं अन्य काले धन से सम्बंधित फाइनल राशि ५ प्रतिशत होगी जिसकी अधिकतम सीमा ५० लाख होगी यदि इसी सूचना से बेनामी सम्पति की भी जानकारी मिलती है तो दोनों मिला के महत्तम सीमा १ करोड़ हो जाएगी . फाइनल राशि देते समय आतंरिक इनामी राशि जो दिया जा चूका है उसे घटा दिया जायेगा. 

फाइनल राशि, वसूलने के बाद एवं असेसमेंट, सारी तरह के अपील, सुधार, संसोधन, विवाद  की गुंजाईश ख़त्म होने या यदि ऐसी कोई गुंजाईश है और उसकी वैधानिक १२ माह की समय सीमा ख़त्म हो गई है उसके बाद दिया जायेगा. और ऐसी सभी औपचारिकताओं के ख़त्म होने के ६ माह के अन्दर फाइनल भुगतान करना होगा.  

यहाँ अतिरिक्त कर से तात्पर्य आयकर एवं सेस की राशि है इसके अलावा विभाग यदि ब्याज पेनाल्टी या अन्य दंडात्मक वसूली करता है उसपे इनाम के प्रतिशत की गणना नहीं की जाएगी केवल आयकर एवं सेस की राशि पर की जाएगी.  
       
हालाँकि इनाम पाना इतना आसान नहीं है सूचनार्थी को इसे पूरी तरह से समझना पड़ेगा. निम्न परिस्थितियों में सूचनार्थी को कोई इनाम नहीं मिलेगा यदि उसने सूचना योजना के तहत और निर्धारित प्रारूप में नहीं दी है, नियम और शर्तें पूरी नहीं हुई हैं , दी गई जानकारी पर्याप्त कर चोरी का नहीं है , दी गई जानकारी अस्पष्ट, गैर-विशिष्ट या सामान्य प्रकृति है या यह जानकारी आयकर विभाग के साथ पहले ही उपलब्ध है,  जहाँ सूचना सीधे सूचनार्थी से प्राप्त नहीं होती है या जो जो काला धन मिला है वह इस विशिष्ट सूचना पर आधारित नहीं है या जहां विभाग के पास सबूत है कि यह विशिष्ट  जानकारी जानकारीकर्ता उसे या उसके द्वारा अधिकृत किसी अन्य व्यक्ति के माध्यम से इन तीनों अधिकारीयों के अलावा किसी अन्य इकाई, एजेंसी या मीडिया से साझा किया गया है. यदि इस दौरान कोई अतिरिक्त चीजें मिलती है जिससे सरकारी राजस्व की प्राप्ति होती है तो उसपर भी इनामी राशि नहीं मिलेगी.

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