आयकर रिटर्न की जरुरी बातें





आजकल आपके मोबाइल और ईमेल पे लगातार मेसेज आते होंगे की आपने अपना आयकर रिटर्न नहीं भरा, और आप मेसेज पढ़ते ही परेशान हो जाते हैं. आलम यह है की पूरा देश इस मेसेज से परेशान है. कई बार तो यह मेसेज उन लोगों के पास भी पहुँच जाता है जिन्होंने रिटर्न भरा है और वो लोग लगते हैं अपने अकाउंटेंट सीए एवं वकील से पूछताछ करना. ऐसा होता इसलिए है कि सरकार एक साथ बल्क मेसेज सेंड कर देती है.

लगातार इस तरह के मेसेज आने से दिमाग में एक चिंता और उत्सुकता तो बनती ही है की अपना रिटर्न कैसे भरा जाय कब भरा जाय. आइये यहाँ पर हम सब इसकी चर्चा करते हैं. सामान्यतया ३१ मार्च के पहले तक आप कभी भी पिचले २ वित्तीय वर्ष का आयकर विवरणी भर सकते थे मतलब ३१ मार्च २०१८ तक आप वित्तीय वर्ष २०१५-१६ एवं २०१६-२०१७ का आयकर रिटर्न भर सकते हैं और इसके बाद यह कालबाधित हो जायेगा. नए कानून से अब इस तिथि के बाद अब आयकर विवरणी सिर्फ एक साल पुरानी तक ही भरी जा सकती है मतलब वित्तीय वर्ष २०१७-२०१८ की आयकर विवरणी अब ३१ मार्च २०१९ तक ही भरी जा सकती है इसके बाद यह काल बाधित हो जाएगी.

 

बहुत से लोग रिटर्न भरने को लेकर अख़बारों एवं टीवी विज्ञापनों से थोडा भ्रम में रहते हैं. देश में रिटर्न भरने को मूल रूप से तीन तारीख है. पहला तारीख ३१ जुलाई जब सिर्फ वेतन से कमाने वाले या वे करदाता जिनका ऑडिट नहीं होता है, हालांकि यह एकदम से अंतिम तारीख नहीं है इसके बाद भी आप ब्याज के साथ रिटर्न भर सकते हैं कालबाधित तारीख से पूर्व. दूसरा तारीख ३० सितम्बर होता है , यह तारीख उन लोगों के लिए है जिनका ऑडिट होता है. हालांकि यह भी एकदम से अंतिम तारीख नहीं है इसके बाद भी आप ब्याज के साथ रिटर्न भर सकते हैं कालबाधित तारीख से पूर्व. अब नए नियम के अनुसार तीसरी तारीख कालबाधित तारीख है जिसके बाद आप उस वित्तीय वर्ष विशेष की विवरणी नहीं भर सकते हैं इसके बाद पोर्टल की विंडो बंद हो जाएगी। पहले रिटर्न जमा करने सामान्य तौर पर 2 वर्ष का समय मिल जाता था। बदले नियमों के चलते अब ऐसा मौका नहीं मिलेगा।. इस प्रकार किसी भी वर्ष की अंतिम तारीख रिटर्न भरने की वह कालबाधित तारीख ही है. हालांकि यदि आप प्रारंभिक नियत तिथि को रिटर्न नहीं भरते हैं तो आप को ब्याज की लागत लगती है. लिहाजा मौजूदा दौर में नए कानून और सख्ती का असर आम करदाता पर भी पड़ने वाला है.

गए दो सालों में देश का जो आर्थिक माहौल है वो GST ,मोबाइल, बैंक खातों से आधार लिंक और नोटबंदी जैसे महत्वपूर्ण वित्तीय सुधार का साक्षी रहा है । लिहाजा इस वर्ष का आयकर रिटर्न और भी महत्वपूर्ण हो जाता है। इस दौरान आपने खातों में कोई भी बड़ी धनराशि का लेन-देन हुआ है तो वह पहले से ही सभी आयकर विभाग की निगाह में है। इस दशा में आयकर रिटर्न भरने में की गई मामूली लापरवाही भी भारी पड़ सकती है और पब्लिक को आयकर की नोटिस,पेनल्टी एवं अभियोजन जैसी कार्रवाई का सामना करना पड़ सकता है। इसलिए यदि किसी ने रिटर्न नहीं भरा है तो वह ध्यान से अपने सारे सौदों को ध्यान में रखते हुए उसे समाहित कर के ही इस बार विवरणी फाइल करे. सामान्य वेतनभोगीकरदाता जो करदेयता की सीमा में आते हैं, लेकिन वेतनभोगी होने से फॉर्म-16 के आधार पर रिटर्न जमा करने से बच रहे हैं वे भी सावधान हो जाएं क्यूँ कि आयकर विभाग रिटर्न जमा नहीं करने पर उन्हें भी कर चोरी का दोषी मानकर कार्रवाई कर सकता है। कई सामान्य वेतनभोगी करदाता ऐसे हैं जिनको यह भ्रम है की चूँकि उनका टीडीएस के रूप में टैक्स कट चूका है इसलिए उन्हें रिटर्न भरने की जरुरत नहीं है जबकि यह सही बात नहीं है. अगर कोई नियोक्ता टीडीएस काटता है तो वह टीडीएस कानूनों के कारण अपनी जिम्मेदारी को निभाता है वह उस करदाता की जिम्मेदारी को नहीं निभाता है. हो सकता है की उस करदाता विशेष की अन्य आय हो जो उस नियोक्ता को बतानी भूल गई हो या वह मार्च के अंतिम समय में करदाता को अर्जित हुई हो तो वह नियोक्ता उसपे टीडीएस कैसे काटेगा,या कोई ऐसी अन्य हानि हो जिसके कारण उस वर्ष उसकी कोई कर देयता न बनती हो और यह आगे कैरी फॉरवर्ड होने वाली हो,  लिहाजा सरकार ने आयकर विवरणी और टीडीएस विवरणी दोनों को अलग अलग ही रक्खा है, यदि किसी करदाता का सम्पूर्ण टीडीएस कटा हुआ है तो भी उसे अपना आयकर विवरणी स्वयं ही दाखिल करेगा जिसमे वह अपने सारे आय जो की वेतन से हैं,ब्याज से है, किसी पूंजीगत संपत्ति के बेचने से है , घर दुकान के किराया से है या अन्य कोई आय है को समाहित कर के आय और कर की गणना करेगा और जो टीडीएस पूर्व में कट गया है उसको समायोजित कर अंतिम देयता निकालेगा जो हो सकता है और कर भरने या रिफंड के रूप में सामने आये.

दूसरा मार्च आते आते बीमा कर्मी भी करदाता के पास मडराने लगते है की आप यह निवेश कर दीजिये वह निवेश कर दीजिये तो आपको कर छूट मिलेगी. जबकि हो सकता है की आपने ऐसे खर्च कर दिए हों कि आपको आलरेडी टैक्स में छूट मिल जाए और इस निवेश की जरुरत ही नहीं पड़े. टैक्स छूट की श्रेणी में आने वाले ज्यादेतर खर्चे आयकर की धारा80सी के तहत आते हैं, इसके अलावा कुछ ऐसे खर्चे भी होते हैं टैक्स की बचत तो करते हैं और 80 C के अलावा  अन्य धाराओं के अंतर्गत आते हैं इसलिए सिर्फ 80 C ही छूट की एक मात्र धारा नहीं है। जैसे शिक्षा ऋण हुआ , अगर आपने अपने लिए, पत्नी या बच्चे के लिए या कानूनी अभिभावक के रूप में  शिक्षा ऋण लिया हुआ है तो 80E के तहत लोन के लिए भुगतान की गई ब्याज राशि पर आप टैक्स कटौती के लिए छूट प्राप्त कर सकते हैं। किसी भी वित्त वर्ष में भुगतान की गई कुल ब्याज राशि बिना किसी लिमिट के इस कटौती के लिए वैध है। स्कूल की ट्यूशन फीस भी सेक्शन 80C के टैक्स बेनिफिट्स के दायरे में आती है।80C के तहत होम लोन रिपेमेंट की प्रिंसिपल राशि पर कर कटौती उपलब्ध है। स्टांप ड्यूटी और रजिस्ट्रेशन फीस की राशि भी इस सेक्शन के अंतर्गत कटौती योग्य होती है। 1.5 लाख रुपये प्रति वर्ष छूट की सीमा केवल 80C की कटौतियों के लिए है बाकि के लिए लिमिट अलग अलग धारावों में हैं । 80D के तहत मेडिकल बीमा के लिए भुगतान की गई प्रीमियम टैक्स छूट के लिए योग्य होती है और इसकी अधिकतम राशि 60,000 रुपये हो सकती है कुछ उप सीमावों के साथ। कोई भी व्यक्ति 25000रुपये की प्रीमियम राशि पर अधिकतम कटौती क्लेम कर सकता है जो उसने खुद के लिए, पत्नी या आश्रित बच्चों के लिए दी है। साथ ही 25000 रुपये की अतिरिक्त कटौती भी वैध होती है अगर प्रीमियम माता-पिता के लिए भुगतान किया गया है। अगर पॉलिसीधारक वरिष्ठ नागरिक है तो कटौती की लिमिट 30,000 रुपये होती है।   होम लोन के ब्याज भुगतान पर टैक्स छूट की सुविधा आयकर की धारा 24 के अंतर्गत दी जाती है। स्वयं की गृह संपत्ति पर अधिकतम टैक्स छूट की सीमा 2 लाख रुपए है। पहली बार खरीददार के लिए के लिए होम लोन की ब्याज राशि पर सेक्सन 80EE के तहत50,000 रुपये की अतिरिक्त कटौती का प्रावधान है। इस स्थिति में लोन राशि 35 लाख रुपये से कम और घर की कीमत 50 लाख रुपये से कम होनी चाहिए। सेविंग्स अकाउंट पर मिलने वाला ब्याज सेक्शन 80TTA के तहत कटौती के लिए योग्य है। क्लेम की जाने वाली अधिकतम राशि 10,000रुपये है। इसके अलावा घर आपने किराया पर लिया हो तो तो 80GG के तहत आपको अधिकतम ६४००० तक की छूट मिलती है.

 

कुल मिला के लब्बोलुवाब यह है की यह मार्च २०१८ आपके आयकर विवरणी के लिए सबसे महत्वपूर्ण है इसमें आपके सारे सौदों जो की नोटबंदी IDS एवं अन्य वित्तीय सुधारों से जुड़े हुए हैं वो रिपोर्ट होने वाले हैं इसलिए इसे सामान्य रूप में न लें भले ही आप छोटे करदाता है ध्यान से समय दे के सही सही भरें.

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