बजट 2018 : टैक्स पार्ट भारी पड़ गया सोशल पार्ट पे


जब तक माननीय वित्त मंत्री ने टैक्स पार्ट नहीं पढ़ा था तब तक बजट भाषण बहुत अच्छा जा रहा था और देश एक बेहतर सोशल रिफार्म की तरफ बढ़ता दिख रहा था लेकिन जैसे ही टैक्स पार्ट आया उम्मीदों पे पानी फिर गया. सरकार मानक कटौती की जगह अगर टैक्स का स्लैब चेंज कर देती तो ज्यादे अच्छा था पीठ थपथपाने के बाद ट्रासपोर्ट अलाउंस एवं मेडिकल छूट ख़त्म कर देना थोडा निराश कर गया. वेतन भोगियों के लिए ज्यादे कुछ तो नहीं था लेकिन सरकार महिला कर्मचारियों के EPF में 3 साल तक 8 फीसदी का योगदान , वहीं, बड़ी संख्या में नए लोगों को रोजगार देने वाले सेक्टर्स के लिए भी ईपीएफ में सरकार का योगदान 12 फीसदी थोडा राहत पहुँचाने वाला था । बजट 2018 में महिलाओं के लिए मैटरनिटी लीव १२ से २६ सप्ताह करने के अलावा और किसी खास योजना के बारे में घोषणा नहीं की गई है, लेकिन सरकार ने कहा है कि 70 लाख नई नौकरियों का सृजन किया जाएगा। इसके साथ ही 50 लाख लोगों को नौकरियों के लिए तैयार करेगी सरकार। सीनियर सिटीजन का ख्याल रख वित्त मंत्री ने अच्छा किया.


ठीक ऐसा ही छोटे व्यापारियों के साथ हुआ उनकी भी तारीफ़ हुई लेकिन छूट सिर्फ छोटे एवं मझोले कोर्पोर्रेट को ही टैक्स की रियायतीदर २५% मिली नॉन कॉर्पोरेट व्यापारी को नहीं. मुद्रा लोन का लक्ष्य बढ़ा कर ३ लाख करोड़ करने पर थोडा उन्हें राहत मिली लेकिन कर्जे से ज्यादे उन्हें टैक्स छूट का इन्तेजार था. छोटे व्यापारी GST आने के बाद बजट में किसी बड़ी उम्मीद में बैठे थे सरकार कोGST में पंजीयन की संख्या बता के पीठ थपथपाने के बाद एमनेस्टी स्कीम की भी लगे हाथ घोषणा कर देनी चाहिए थी क्यूँ कि अब तो GST स्कीम में पहले से ज्यादे पंजीयन और नियमितता आ गई सरकार को इसका रिवॉर्ड देना चाहिए था. अप्रत्यक्ष कर में इस बजट में ज्यादे कुछ करने का था नहीं इसलिए कस्टम ड्यूटी की सिर्फ चर्चा हो पाई और इसके बढ़ने से बड़ी संख्या में इम्पोर्टेड उत्पादों मसलन मोबाइल हैंडसेट, कारें और मोटरसाइकिलें, फ्रूट जूस, परफ्यूम तथा जूते-चप्पल आदि अब महंगे हो जाएंगे. आमतौर पर बजट के बाद ज्यादातर लोगों की यह जिज्ञासा रहती है कि बजट के असर से कौन कौन सी चीजें सस्ती और महंगी हुईं। यह सस्ते महंगे की मूल वजह दरअसल अप्रत्यक्ष करों में बदलाव से जुड़ी होती है। अब चूंकि जीएसटी लागू होने बाद ज्यादातर अप्रत्यक्ष करों में बदलाव की गुंजाइश खत्म हो गई है इसलिए सस्ता महंगा फैक्टर इस बार के बजट में कम दिखा। हालाँकि ईज ऑफ डूइंग बिजनेस को लेकर भी सरकार कोशिश कर रही है। ये बजट में नजर भी आया है। वित्त मंत्री जेटली ने देश में बिजनेस करने में आसानी हो, इसके लिए 370 से ज्यादा सुधार करने की बात कही। ये सभी सुधार उद्योगों से मिले फीडबैक के आधार पर होंगे।  कंप्लायंस सुधार के क्षेत्र में जो कंपनिया रिटर्न फ़ाइल नही करती है उन्हें अब प्रॉसिक्यूशन का सामना करना पड़ेगा। डीम्ड डिविडेंड पे अब कंपनी ही 30% टैक्स भरेगी। सारी असेसमेंट अब ऑनलाइन होंगे। ट्रस्ट और सोसाइटी को भी अब टीडीएस काटना पड़ेगा नही तो छूट नही मिलेगी फण्ड एप्पलीकेशन पे।



शेयर पे कैपिटल गेन की घोषणा से बाजार थोडा चौंका और शेयर बाजार में गिरावट कर के अपनी प्रतिक्रिया भी दे दी. सोशल प्लेटफार्म पे यह बजट काफी अच्छा था अगर जेटली जी इस छोटे से टैक्स पार्ट पे थोडा लचीला रूख अपनाते तो यह अब तक का सबसे अच्छा बजट होता.


बजट की अच्छी बात है की सोशल रिफार्म में यह अभूतपूर्व बजट है खासकर के कृषि एवं स्वास्थ्य के क्षेत्र में. किसानों को लागत का १५०% देना अपने आप में एक बड़ी घोषणा है और इसके दूरगामी परिणाम आयेंगे. इससे यह तो तय हो गया की किसानों को अब अपनी उपज नुक्सान या औने पौने दाम में नहीं बेचनी पड़ेगी. गन्ना मिलें और अन्य किसान खरीद प्रणाली भी बजट के इस नीति निर्देशक पार्ट से निदेशित होंगी. किसानों को APMC के अलावा बाजार से सीधे जोड़ने की योजना भी इसके तहत काफी अच्छी है. पुरे बजट में वित्त मंत्री का एक पालिसी स्टेटमेंट बहुत ही महत्वपूर्ण हिस्सा था जिसमे उन्होंने कहा था की कृषि को वह उद्यम के तर्ज पर लेते हैं. यह सरकार की तरफ से दिया गया एक नीतिगत वक्तव्य है जो की कृषि क्षेत्र की बहुत पुरानी मांग थी, अब कृषि की गतिविधि में उछाल आएगा और जो गावों से युवावों का पलायन हो रहा था अब युवा गाँव में खेती के लिए रुकेंगे और सरकार की तरफ से डी जा रही फार्मर प्रोडूसर कंपनी और पोस्ट हार्वेस्टिंग छूटों पे लाभ उठाएंगे. कृषि कर्ज की सीमा ११ लाख करोड़ करते हुए  पशुपालन वालों को भी किसान क्रेडिट कार्ड की सुविधा देकर के रोजगार के अवसर उत्पन्न किए गए और उससे बड़े पैमाने पे दलित और अल्पसंख्यक समाज को फायदा होगा जो की जानवरों के पालन में लगे थे इससे डेरी उद्योग को भी फायदा होगा और उन्हें क्रेडिट कार्ड की सुविधा गौ एवं भैंस पालन के लिए भी मिल सकेगी. सरकार का हर जिलों की उनकी अपनी विशेषता के आधार पर डिस्ट्रिक्ट प्लान बना के उस जिलों का वहां के कृषि एवं अन्य उत्पादों का विकास करने की योजना भारत में एक तरह का संघवाद विकास की नींव को मजबूत करेगी.


स्वास्थ्य के बीमा के लिए की गई घोषणा विश्व की अब तक की सबसे बड़ी स्वास्थ्य बीमा स्कीम हो गई है. ५० करोड़ लोगों को इस दायरे में लाना मतलब देश के ४०% आबादी को फायदा पहुंचाना.  कॅशलेस बीमा अपने आप में एक बड़ी सुविधा है जो लोग इलाज के नाम पर लाखों खर्च करते थे अब उन्हें ५ लाख तक जेब से इसके लिए नगदी नहीं निकालनी पड़ेगी. सरकार को इस योजना का खूब प्रचार प्रसार करनी चाहिए. स्वास्थ्य की रक्षा के लिए १५० मेडिकल कॉलेज खोलना जो की हर तीन संसदीय क्षेत्रों के बीच एक मेडिकल कॉलेज हो की अवधारना पे है भविष्य में एक स्वस्थ भारत का निर्माण करेगी. गरीबों को मुफ्त डायलिसिस देना भी एक अच्छा मूव है यदि प्राथमिक स्वास्थ्य केंद् पे भी इसकी व्यवस्था कर डी जाये.


इस बार सरकार ने आठ करोड़ गरीब महिलाओं को गैस कनेक्शन देने का लक्ष्य रखा है। वहीं गरीबों के घर भी बिजली से रोशन हों, इसके लिए मोदी सरकार ने सौभाग्य योजना शुरू की है। इस योजना के तहत चार करोड़ गरीब घरों को मुफ्त बिजली दी जाएगी और अगले वित्तीय वर्ष में दो करोड़ शौचालय बनाने का लक्ष्य और अगले वित्त वर्ष में 51 लाख नए मकान बनाए जाएंगे। वहीं गांवों में आधारभूत ढांचे को विकसित करने के लिए 2018-19 के बजट में सरकार ने 14 लाख करोड़ से ज्यादा का प्रावधान किया है।यह योजना गरीबों और महिलावों के लिए रूट लेवल पे फायदा पहुंचाएगा.


 प्राकृतिक शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए एकलव्य स्कूल को बढ़ावा , नर्सरी से १२वीं तक पढाई की एक नीति और ब्लैक बोर्ड की जगह वाइट बोर्ड का प्रयोग छात्रों को तकनीक के और नजदीक लायेगा. वित्त मंत्री के अनुसार अब तक प्राथमिकमाध्यमिक और उच्च शिक्षा के लिए अलग-अलग नीति होती थी लेकिन अब इसे समग्र रूप से देखना चाहते हैं .रेलवे के लिए विशेष इंजीनियरिंग की पढाई की मंशा पिछली बार ही बताई गई थी इसके लिए बडौदा में रेलवे यूनिवर्सिटी खोलना रेल के विकास में मील का पत्थर होगा.


कुल मिला के सोशल पार्ट बजट का बहुत अच्छा था मंत्री जी को वेतनभोगी और छोटे व्यापारियों के लिए भी कुछ करना चाहिए था.


 


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