मुम्बई यूपी और निवेश


आज से कई साल पहले एक कहावत थी की यूपी के पूर्वांचल में मनी आर्डर इकोनोमी से ही काम चलता है कारण था की तत्कालीन दौर में पूर्वांचल से महाराष्ट्र के विभिन्न शहरों में और खासकर से मुंबई में बहुत बड़ी संख्या में पलायन हुआ था, और लोग यहाँ से कमा कमा के पैसा वहां भेज देते थे और उस पैसे का खर्च वहां होता था, मतलब यहाँ पे की जा रही बचत से खर्च यूपी में हो रहा था न कि मुंबई में . आज भी आपको मुंबई में जौनपुर प्रतापगढ़ सुल्तानपुर बस्ती के अधिकांश लोग मिल जायेंगे जो मुंबई में काम करते हैं और सेटल्ड हैं. हालाँकि अब पहले की तरह मनी आर्डर की व्यवस्था तो नहीं है लेकिन आरटीजीएस निफ्ट मोबाइल बैंकिंग आदि की नयी व्यवस्था ने इसका स्थान ले लिया है लेकिन हालत और दौर बदल जाने के कारण मनी आर्डर इकोनोमी अब धीरे धीरे ख़त्म हो रहा है क्यूँ की अब वहां के लोगों में यही परिवार ले के रहना शुरू कर दिया है अब उनकी बचत धीरे धीरे निवेश की राशि के अनुकूल तैयार हो गई है जिसे वो अब देश विदेश में निवेश करने लगे हैं.

मनी आर्डर इकोनोमी से तो दोनों प्रदेशों को नुक्सान था एक तो मुंबई से बचत बाहर जाती थी और मुंबई में खर्च नहीं होती थी दूसरा यूपी को यह नुक्सान होता था कि यह पैसा किसी उत्पादन या बिज़नस में नहीं लग कर घर खर्च में लगता था जिससे रोजगार नहीं पैदा होता था और लोग वहां से मुंबई या अन्य बड़े शहरों की तरफ परिवार छोड़कर पलायित होकर आते थे. अब तक की सरकारों ने यूपी बिहार से हो रहे इस पलायन को लेकर कोई ठोस कदम नहीं उठाये जिसके कारण एक बड़ी आबादी महाराष्ट्र गुजरात तेलंगाना और कर्णाटक को शिफ्ट होती चली गई और देश का डेमोग्राफिक ढांचा बदल गया.

इस बार उत्तर प्रदेश की सरकार ने पलायन रोकने के लिए जिस गंभीरता से इस दिशा में प्रयास किया है उससे देश में एक उम्मीद जगी है. उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का इस दिशा में की जा रही मेहनत एक एक उद्यमियों से मिलने की प्रक्रिया बता रही है कि व्यक्तिगत तौर पर वो इसे कितना गंभीरता से ले रहें हैं.

अभी २१ और २२ दिसम्बर २०१७ को मुंबई के होटल ट्रिडेंट में हुए रोड शो में जिस तरह रतन टाटा से लगायत मुकेश अम्बानी तक के उद्योगपतियों के साथ हुई वन टू वन मुलाकात के साथ साथ यूपी डायस्पोरा उत्तर प्रदेश डेवलपमेंट फोरम के बैनर तले यूपी मूल के उद्यमियों को इन्होने जो समय दिया वो इस बात का द्योतक है की पिछले सरकार की बजाय इस बार योगी आदित्यनाथ सिर्फ बड़े और हवा हवाई खबरी निवेश की जगह ठोस और भावनात्मक निवेश पे काम कर रही है. यूपी सरकार की पूरी तैयारी, नीतियों की समीक्षा , नई नीतियों का निर्माण और आगामी २१ एवं २२ फ़रवरी को लेकर की जा रही तैयारी से लगता है की प्रदेश से अब पलायन रूक के रहेगा.

यूपी सरकार के इस प्रयास से मुंबई और महाराष्ट्र को बड़ा फायदा होने वाला है. GST के आ जाने के बाद उत्पादक राज्य होने का जो अतिरिक्त फायदा मिलता था अब वो रह नहीं गया है ज्यादे फायदे में अब उपभोक्ता राज्य हो गए हैं. अतः यदि मुंबई या महाराष्ट्र का कोई उद्योगपति यूपी में निवेश करता है तो राज्य को वह नुक्सान अब नहीं होगा. अलबत्ता यूपी जैसे राज्य में श्रम और कच्चे माल की सुलभ उपलब्धता के कारण जिस लाभ का सृजन होगा उस लाभ पे दिए जाने वाले आयकर में महाराष्ट्र का हिस्सा बढ़ जायेगा क्यूँ की जहाँ उपभोक्ता और कच्चा माल ज्यादे हो तो वहां उत्पादन करने से अब पहले से ज्यादे लाभ की मात्रा बढ़ेगी. इस कारण मनी आर्डर इकोनोमी से जो महाराष्ट्र को नुक्सान हो रहा था वो अब यूपी में निवेश से नहीं होगा.

दूसरा यदि यूपी में निवेश होगा तो जो आबादी पलायित होकर मुंबई पुणे बैंगलोर और हैदराबाद शहर की तरफ आ रही है जो शहरी और वातावरण का दबाब बढ़ रहा है वह कम होगा. डेमोग्राफिक संतुलन देश में बरक़रार होगा और पारिवारिक और सामजिक सुख होने से उद्यम के पेशेवर एवं श्रमिक की उत्पाद्कीय क्षमता बढ़ेगी.

दरअसल मुंबई जैसे शहर में आबादी का पलायन अब तक की यूपी बिहार की सरकारों की गलत नीतियों और दृष्टिकोण के कारण हुआ है. अब तक की सरकारों ने वहां पे पोलिटिकल निवेश की तरफ ज्यादे ध्यान दिया है बनिस्पत औद्योगिक निवेश के. विगत कार्यकाल में अखिलेश ने भी प्रयास किए थे पर उससे हासिल कुछ नहीं हो पाया था क्यूँ की वह योगी आदित्यनाथ की तरह लोगों को यूपी से कनेक्ट नहीं कर पाए थे खासकर के यूपी के प्रवासी उद्यमियों को जैसा की योगी इस वक्त कर रहें हैं. साथ ही अखिलेश मौजूदा उद्यमियों में वो भरोसा नहीं जगा पाए थे जैसा होना चाहिए था. मुंबई में इस बार हुए रोड शो के दौरान जब रतन टाटा और योगी आदित्यनाथ की मुलाकात हुई तो रतन टाटा के मुंह से यह निकल पड़ा की हमारी आपकी मुलाकात अब हो रहा है जब मेरे जाने का समय हो रहा है , यह सिद्ध करता है की इस बार यूपी में निवेश के लिए उद्योग जगत की क्या राय है और उसमे खासकर के मुंबई का क्या रोल होगा और मुंबई को क्या फायदा होगा.

योगी के इस प्रयास से यूपी को तो फायदा होगा ही होगा मुंबई को कई फायदे होंगे. पहला फायदा यूपी में पलायन रुकने से मुंबई में प्रतिदिन आने वाली आबादी की संख्या संतुलित रहेगी और नगरीय व्यवस्था ठीक ठाक रहेगी. दूसरा मनी आर्डर इकोनोमी से मुंबई को कोई फायदा नहीं होता था क्यूँ की वह पैसा वहां खर्च होने के लिए जाता था उसपे आयकर का कोई हिस्सा मुंबई को नहीं मिलता था जो की अब निवेश की स्थिति होने पर मुंबई का निवेशक यूपी में कमाई गई आय पे जो आयकर भरेगा वह महाराष्ट्र सरकार के हिस्से में आएगा इससे महाराष्ट्र के राजकोष में बढ़ोत्तरी होगी. चौथे GST आने के बाद व्यावसायिक बुद्धिमत्ता यही कहता है की उत्पादन वहीँ करना चाहिए जहाँ उसकी प्रति नग लागत कम आये क्यूँ की अंत में तो ज्यादे फायदा तो उपभोक्ता राज्य का ही होने वाला है अतः देश की उत्पादन नीति में युक्तिसंगत यही है की उत्पादन उसी राज्य में हो जहाँ उत्पादन लागत कम हो रही हो इससे निवेश करने वाले राज्य और निवेश पाने वाले राज्य दोनों का फायदा है. यूपी में जो कृषि उत्पादन और भूगर्भ और नदियों के जल की सहज उपलब्धता है वह वहां पे फ़ूड प्रोसेसिंग उद्योग के लिए बहुत उपयुक्त है, साथ में सस्ता श्रम और कुशल श्रम के कारण टेक्सटाइल एवं आईटी पार्क की भी बहुत संभावनाएं है और लागत भी वहां कम पड़ने वाली है. इस बार यूपी के सरकार ने ऐसी बहुत सी चीजें की है जिससे भी यूपी में लागत सस्ती पड़ने वाली है मसलन ऋण के ब्याज में छूट, GST की प्रति पूर्ति, स्टाम्प शुल्क में छूट, पीएफ की प्रतिपूर्ति कैपिटल सब्सिडी आदि आदि, यह समय की मांग है की ऐसे प्रदेशों में ऐसे निवेश के प्रयास किये जाएँ ताकि डेमोग्राफी के साथ साथ GST आने के बाद देश की इकॉनमी भी संतुलित रहे.

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