हिन्दू टूरिज़्म भारत की पूंजी

अभी पिछले दिनों मैं सड़क मार्ग से लखनऊ से गोरखपुर जा रहा था और रास्ते में अयोध्या से गुजर रहा था। अयोध्या आया और गुजर गया एक यात्री के तौर पर कुछ पता ही नहीं चला की विश्व के लगभग 15% आबादी का सबसे महत्वपूर्ण केंद्र अयोध्या है और यह भारत के विभिन्न हिस्से ही नहीं लगभग विश्व भर में फैले हिन्दुवों चाहे वो इंग्लैंड , स्कॉटलैंड, अमेरिका, यूरोप के अन्य देश, ऑस्ट्रेलिया , मॉरीशस , फ़िजी, गुयाना, त्रिनिदाद, थायलैंड, कंबोडिया, इंडोनेशिया, सिंगापुर एवं अन्य देश हो, वहाँ बसे हर हिन्दुवों के मनः स्मृति में अयोध्या का नाम कहानी और इतिहास अंकित है, और ऐसे लोग अगर अयोध्या से गुजरें और यह शहर खामोशी से गुजर जाए तो इसे इस देश की नाकामी ही कहेंगे।

राम मंदिर का विवाद एक जगह है इसे अगर किनारे रख देवें तब भी इस शहर पे काम होना चाहिए था। जैसे हमने ताजमहल को धर्म निर्पेक्ष मानते हुए पूरे विश्व में टूरिज़्म के नाम पर प्रचार प्रसार किया। भारत की ऐतिहासिक विरासत हिन्दू धर्म के पौराणिक स्थल को लेकर भी एक विश्व स्तरीय टूरिज़्म प्लान बनना चाहिए। यह भारत के अर्थव्यवस्था में एक नए दृष्टिकोण के साथ बड़ी सफलता के एक अध्याय जैसे जुड़ना होगा। यहाँ जब हिन्दू मैं कह रहा हूँ तो इसमें सिर्फ सनातन धर्म की बात नहीं कह रहा हूँ, संविधान के अनुच्छेद 25 के तहत धर्म को मानने के अधिकार की परिभाषा के तहत बौद्ध जैन और सिक्ख धर्म की भी बात कर रहा हूँ।

भारत में पर्यटन पूंजी के तौर पर अयोध्या और हिन्दूवों के पौराणिक स्थल जिसमें सनातन धर्म के अनुयायियों के लिए अयोध्या मथुरा, काशी, 12 ज्योतिलिंग, 51 शक्ति पीठ, चारों धाम, चारो शंकराचार्य के स्थान , के अलावा  वैष्णो देवी मंदिर, सिद्धिविनायक मंदिर, गंगोत्री एवं यमुनोत्री मंदिर उत्तराखंड,  स्वर्ण मंदिर अमृतसर , अमरनाथ , लिंगराज मंदिर उड़ीसा, गोरखनाथ मंदिर,  कांचीपुरम मंदिर, खजुराहो मंदिर, विरूपक्षा मंदिर हम्पी, अक्षरधाम मंदिर गुजरात, गोमतेश्वर मंदिर कर्नाटक,  साईं बाबा मंदिर, शिर्डी, श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर केरल, लक्ष्मी नारायण मंदिर दिल्ली, रंगनाथस्वामी श्री रंगम, पद्मावती मंदिर तिरुपति, एकमबरेशवर मंदिर कांची, कामाख्या मंदिर असम, कालीघाट मंदिर कोलकाता, छतरपुर मंदिर दिल्ली, सूर्य मंदिर, कोणार्क, बृहदीस्वरा मंदिर तंजावुर, सोमनाथ मंदिर गुजरात, तिरुपति बाला जी देव स्थानम आंध्रा प्रदेश, चिरकुल बाला जी हैदराबाद, मीनाक्षी मंदिर मदुरै, कनक दुर्गा विजयवाड़ा आदि ऐसे अनेक मंदिर हैं जिसकी सरकार चाहे तो अलग अलग टुरिस्ट सर्किट बना के टूरिज़्म विकसित कर सकती हैं और इन शहरों को इनकी धार्मिक प्रसिद्धि के हिसाब से थीम सिटी के रूप में विकसित कर सकती है।

भारत के पास सिर्फ हिन्दू सनातन का ही यह टुरिस्ट सर्किट नहीं मौजूद है, विश्व भर मे फैले बुद्ध समाज के लिए हमारे पास सिद्धार्थनगर, रामग्राम, कुशीनगर, सारनाथ, कलिंग, सांची स्तूप आदि महत्वपूर्ण स्थान है जहां हम विश्व भर के कई देशों जैसे की श्री लंका, थायलैंड, चाइना, म्यांमार जैसे अन्य देशों से इन स्थानों का टूरिस्ट सर्किट बना के अंतर्राष्ट्रीय पर्यटन विकसित कर सकते हैं। 

जैन धर्म के भी अनुयायी पूरे विश्व में फैले हैं और धन से सक्षम भी हैं, उनके लिए हम ईसा से 599 वर्ष पहले वैशाली गणतंत्र के क्षत्रिय कुण्डलपुर में जन्म लिए जैन धर्म के तीर्थंकर महावीर जैन के जन्म स्थान, गुजरात के कच्छ के जैन मंदिरों, दिल्ली का दिगंबर जैन लाल मंदिर, गोमतेश्वर मंदिर कर्नाटक, रणकपुर मंदिर राजस्थान आदि मंदिरों का एक टुरिस्ट सर्किट बना के इन सक्षम तीर्थ यात्रियों को पर्यटन के लिए आकर्षित कर सकते हैं।

जिस तरह से हमने आगरा को, पिंक सिटी जयपुर को प्रचारित प्रसारित किया और लोगों को आकर्षित किया उसी तरह भारत की इस टुरिस्ट पूंजीगत धरोहरों का भी भारतीय इकॉनमी के लिए इस्तेमाल होना चाहिए। भारत के पास ये संपत्तियाँ वर्षों से पड़ी हुई हैं इस पर किसी का आर्थिक आधार पर दृष्टि नहीं गया। दृष्टि डालें तो अयोध्या को हम हवाई मार्ग से उन सभी देशों और नगरों से जोड़ा जाएँ जहां राम के राज्य का विस्तार हुआ था या संबंध था या वनवास के दौरान वह जहां जहां गए, मसलन अयोध्या-नासिक, अयोध्या-जनकपुर, अयोध्या- श्री लंका, अयोध्या-कंबोडिया, अयोध्या-इंडोनेशिया-बाली, अयोध्या-थायलैंड, एवं अन्य संबन्धित देश, कृष्ण की भी एक सर्किट बनाई जा सकती है जिसमे मथुरा-वृन्दावन को को द्वारिका से हवाई मार्ग से जोड़ा जा सकता है । राम , कृष्ण , रामायण एवं महाभारत से संबन्धित स्थानों एवं चीजों का एक अंतर्राष्ट्रीय सर्किट एवं  म्यूजियम का निर्माण किया जा सकता है

अब तक की सरकारों का इस तरफ विशेष दृष्टिकोण नहीं गया है जिसे बहुत पहले चला जाना चाहिए था। इन टूरिस्ट सर्किटों का निर्माण और इनकी धार्मिक विशेषता के आधार पर शहरों का थीम शहर के तर्ज पर विकसित करना कहीं से भी भारतीय संविधान के दायरे में सांप्रदायिक नहीं माना जाना चाहिए, मेरे हिसाब से यह धर्म निर्पेक्ष कार्य हुआ। आपने एक शहर को उसके आर्थिक दोहन के हिसाब से उसकी आर्थिक सम्पत्तियों के आधार पर थीम सिटी के रूप में विकसित करें तो इसमें कोई बुराई नहीं है। दुनिया भर की सरकारें कर रही हैं। सऊदी की सरकार मक्का को विश्व भर में प्रोमोट करती है, अंतरराष्ट्रीय सुविधा एयरपोर्ट, पाँच से सात सितारा होटल विकसित करती है ताकि वहाँ दुनिया भर में फैले मुसलमान लोग आयें और सऊदी का पर्यटन विकसित हो हो उसी तरह विश्व भर में फैले ईसाई समुदाय के लिए वेटिकन सिटी को विकसित किया गया। इन शहरों में आप जाइए मक्का में जाते ही आप एक थीम महसूस करते हैं, वेटिकन सिटी में जाते ही आप ईसा को महसूस करते हैं उनके धर्म को महसूस करते हैं, तो यह अच्छा ही होगा की हम अयोध्या में घुसें और राम को महसूस करें, हिन्दू सनातन हो तो ईश्वर के रूप में गैर हिन्दू सनातन हो तो एक ऐतहासिक पौराणिक चरित्र के रूप में राम को महसूस करें और शहर का विकास और वास्तु भी इसी थीम पे हो। जैसे आप आगरा में घुसते ही मुगल कालीन स्थापत्य कला से परिचित होते हैं, राजस्थान में घुसते ही महलों से वैसे ही इन शहरों में घुसते ही इन शहरों के थीम आपको महसूस हों।

भारत एक धर्म निर्पेक्ष देश है हिन्दू राष्ट्र नहीं है, यह हिन्दुवों को भी वैसे ही समझता है जैसे अन्य धर्मावलम्बीयों को, उसका यह कार्य सिर्फ भारत में बसे हिन्दुवों के लिए नहीं होगा, इसे पूरे विश्व में फैले हिन्दू समुदाय जिसका की संयोग से सबसे अधिक महत्वपूर्ण स्थल, आराध्यों के स्थल भारत वर्ष में पड़ते हैं इसे ऐसा दृष्टिगत करना चाहिए। जब आप भारत को हिन्दू धर्म से जोड़ेंगे तो आप इसे सांप्रदायिक कहेंगे, लेकिन इसे आप देखिये की हिन्दू सिर्फ भारत के नहीं हैं कई देशों के हैं, इन हिन्दू समुदायों के लिए भारत मे कोई पर्यटन योजना बनाना कहीं से भी सांप्रदायिक नहीं होगा आप इन्हे ग्राहक की दिष्टि से वर्गीकृत करें जब पर्यटन योजना बना रहें हों तो । भारत में हिन्दू, जैन, बौद्ध, सिक्ख, अजमेर शरीफ, हाजी अली, ताज सबको पर्यटन की दृष्टि में रखकर कार्य करना चाहिए ताकि भारत विश्व का एक बहुत बड़ा टूरिस्ट स्पॉट बन सके और लोग इन स्थानों मे आराम से यात्रा कर सकें।

दूसरा किसी भी देश का पर्यटन उद्योग वहाँ रहने और बाहर से आने वाले समुदायों की सोच और जीवनशैली के आधार पर ही विकसित होता है। आज भी भारत वर्ष में 90% लोग अगर बाहर घूमने जाते हैं तो कारण धार्मिक ही होता है। लोगों ने जिन स्थानों को बचपन से सुना है उसको देखना और महसूस करना चाहते हैं। धार्मिक पर्यटन के माध्यम से वो दोहरे फायदे में होते हैं एक तो वो परिवार को वो घूमा देते हैं इसी दर्शन के बहाने और दूसरे दर्शन भी हो जाता है। आज भी उत्तर भारत के कई दंपत्ति साल में एक बार घूमने के लिए वैष्णो देवी मंदिर जाते हैं इसी बहाने उनका एक वार्षिक टूर भी हो जाता है और एक धार्मिक अनुष्ठान हो जाता है। सरकार को इसी सूत्र को पकड़ना चाहिए ताकि विश्व भर के हिन्दू यहाँ पर्यटन भी कर सकें साथ मे दर्शन भी कर सकें। यहाँ महत्वपूर्ण जगह जैसे की अयोध्या मथुरा, आगरा, काशी, गोरखपुर, पटना, द्वारिका, अजमेर शरीफ , कुशीनगर जैसे जगहों पे अच्छे सुविधा युक्त एयरपोर्ट विकसित किए जाएँ, फाइव स्टार होटल बनाए जाएँ, अन्य इन्फ्रा विकसित किए जाएँ ताकि यात्रा सुगम हो और इन जगहों के अन्य चीजों का भी व्यापार फले फुले यदि बड़ी संख्या में विश्व भर से तीर्थ यात्री यहाँ आते हैं तो।          

Comments

Unknown said…
Very true but all the places you quoted developed without noise/fuss and took the shape. For ayodhya we learnet from childhood that the Lord Vishnu took birth as human to demise the ill powers at earth. During growing up we found Lord Ram (Maryada Purottam), who teach us humanity, kindness, and all the goodness in life people are destroying by taking his name. Before destroying "Rawan", he tried best to convince him to accept the defeat by accepting the mistake of Ravan. After Ravans death, he tried to follow all the rituals as an hindu. What we are doing these days, any of his characters and good thing either we want to high light. No, just triggering the hinduism by his name. He is a pursottam and we need to high light his characters so that we can make ourself a human before anything.