विश्व की सर्वोत्तम प्रबंधक भारतीय स्त्री

सुनने में ये थोड़ा अटपटा लगेगा लेकिन यह सच है की विश्व की सर्वोत्तम प्रबन्धक भारतीय स्त्री होती हैं। उनके घर चलाने के सारे कियाकलापों में प्रबंध के सारे गुण छिपे होते हैं जिसपे देश के प्रतिष्ठित प्रबंध कॉलेजों में शोध होने चाहिए और बहस होने चाहिए और इस सिद्धान्त और इसके प्रयोग को पाठ्यक्रम में शामिल करने चाहिए। यहाँ यह सवाल हो सकता है की भारतीय महिलाएं ही क्यूँ? तो इसका जबाब यही है की अपने जीवन काल में भारतीय महिलावों की संख्या ज्यादा है जो जीवन को संतुलित जीती जाती हैं और गृह प्रबंधन में ज्यादे रहती हैं।


इनवेंटरी मैनेजमेंट, जी हाँ भारतीय स्त्री सर्वोत्तम इनवेंटरी मैनेजर होती हैं। कभी आप किचन के व्यवस्था में झाँकिए, सभी चीजें आपको व्यवस्थित मिलेंगी और उचित मात्रा में मिलेंगी। उनको घर के प्रयोग में आने वाली सभी चीजों का री ऑर्डर लेवल एवं मिनिमम लेवल पता होता है चाहे वह प्रतिदिन की प्रयोग की वस्तु हो या कभी कभार की, खाने का स्टॉक हो या अन्य सामानों का। सारे समान उचित जगह पर आपको मिल जाएंगे और जैसे ही स्टॉक खत्म होने वाला होता है क्रय रेक्विजीशन तुरंत देती हैं अपने पतियों को या तो खुद खरीद लेती हैं।


क्रय एवं खर्च प्रबंधन में भी उनका कोई सानी नहीं होता है वो पुरुषों के मुक़ाबले कहीं ज्यादे सक्षम क्रय मैनेजर होती हैं। जैसे ही कोई सामान खत्म होने वाला होता है क्रय रेक्विजीशन से लेकर क्रय के सफलता पूर्वक डेलीवरी तक वो काफी एक्टिव रहती हैं। खरीद के समय में भी वह बचत करती हैं अपने मोलाइ तोलाई की क्षमता का इस्तेमाल कर के। अक्सर उनके द्वारा खरीदी गई चीजों में वो रेट कम करवा के ही माल खरीदती हैं और यदि किसी माल या मार्ट में खरीदती है तो आवश्यकता एवं छूट के बीच बराबर संतुलन बैठाती हैं।


संपत्ति प्रबंधन में भी पूरी दुनिया में उनका कोई सानी नहीं होता है सम्पत्तियों के रखरखाव एवं सुरक्षा को लेकर वह ज्यादे सजग रहती हैं। आपने देखा होगा घर की टीवी फ्रिज एसी वॉशिंग मशीन से लेकर पंखे तक का वो लगातार सफाई और रखरखाव करती रहती हैं। घर हो या घर का कोई कोना हो या बाथरूम हो उसकी साफ़ सफाइ मरम्मत आदि वो समय समय पे करवाती रहती हैं। घर में एक महिला के ही होने से घर के सभी सामान सुरक्षित रहते हैं ऐसी बहुत पुरानी कहावत है। बिना स्त्री के घर घर नहीं होता है यह संपत्ति प्रबंधन में उनकी सिद्धहस्तता का प्रमाण है।


उत्पादन प्रबंधन में भी अव्वल होती हैं। जैसे किसी फैक्ट्री में नियमतः उत्पादन होता है वैसे वो प्रतिदिन उत्पादन मे लगी रहती हैं, समय से नाश्ता,लंच, शाम का नाश्ता और डिनर की व्यवस्था करती हैं। घर के सदस्यों के जरूरतों को समझते हुए खाने में चीजों का इस्तेमाल करती हैं जैसे किसको कम नमक किसको कम चीनी पसंद है, मतलब अंतिम प्रयोग कर्ता के हिसाब से ही वो अपना उत्पादन प्लान करती हैं और लगभग उतना ही उत्पादन करती हैं जितना खप जाए सामनों का क्षय कम करती हैं।


 


भारतीय स्त्रियाँ वित्त प्रबंधन में भी सर्वोत्तम रहती हैं। वर्तमान एवं भविष्य को ध्यान में रखते हुए अक्सर वो घर के खर्चों का प्लान करती हैं रॉबिन्स की परिभाषा भारतीय स्त्रियॉं पे एकदम फिट बैठती है जिसके अनुसार वो अपने परिवार की आमदनी को घर की जरूरतों के बीच वैज्ञानिक तरीकें से बांटती है ताकि सर्वोत्तम परिणाम पाये जा सकें या कह सकें तो अपने जरूरतों को अपने आमदनी के हिसाब से समायोजित करती हैं।


बचत का प्रबंधन अगर कोई सबसे सर्वोत्तम करता है तो वह है भारतीय महिलाएं। भारतीय महिला का स्त्री धन पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है। बहुत से लोग तो समझ ही नहीं पाते की खर्चों के बीच महिलाएं इतना बचत कैसे कर लेती हैं और संकट के समय इस्तेमाल भी करने में नहीं हिचकती है। भारतीय महिलावों का भी स्वर्ण प्रेम एक तरह की बचत का ही आदत है और इसके साथ वो दो उद्देश्य साधती हैं। पहला स्वर्ण जैसे बहुमूल्य धातु के रूप में बचत का दूसरा जेवर के रूप में उसे अपने शृंगार के लिए उपयोग में लाती हैं।


इन सब प्रबंधन के अलावा एक भारतीय महिला की सबसे बड़ी खासियत है कि वह विश्व कि सर्वोत्तम मानव संसाधन प्रबंधक हैं। वह केवल संतान को जन्म ही नहीं देती हैं वो उसका पालन पोषण शिक्षा दीक्षा कर उसे परिवार, राष्ट्र और अर्थव्यवस्था में उत्पाद्कीय बनाने का काम करती हैं। एक बच्चे का एक उत्पाद्कीय संतान में निर्माण एक बहुत बड़ा काम है क्यूँ कि यह बच्चा ही परिवार और देश का भविष्य शामिल है। इस प्रबंधन में वह सिर्फ बच्चों को पैदा ही नहीं करती, सिंचित भी करती है, शिक्षित करती हैं कभी घर पर तो कभी स्कूल भेज के। एक घर में वह एक तरफ अपने बच्चों को संभालती है तो दूसरी तरफ अपनी पति को, काम वाली बाई को, सास ससुर को, माता पिता को ,देवर को ननद को मेहमानों को रिश्तेदारों को सबको खुश रखने का प्रयास करती है। भावनावों का प्रबंधन भी इन्हे बखूबी आता है। सर्वोत्तम पक्ष यह है कि जो संबंध पति व्यस्त समयों में संभाल नहीं पाता है उसे महिलाएं ही संभालती है, इसमे गिफ्ट कि तरह विदाई का भी प्रबंधन है।


भारतीय महिला उपरोक्त प्रबंधन को करते हुए अपने समय को बड़े ही वैज्ञानिक तरीके से व्यवस्थित करती है अतः टाइम मैनेजमेंट सीखना हो तो कोई इनसे सीखे, जिसमें सुबह उठ के बच्चों के टिफिन बनाने से लेकर पति के ऑफिस का टिफिन , समय से नाश्ता, खाना डिनर कि व्यवस्था, उसी में बर्तन माँजने से लेकर, कपड़ा धोने से लेकर दोपहर के सीरियल और मायके और पड़ोसियों से भी गप शप के लिए टाइम निकालने कि कला को किसी को इनसे सीखना चाहिए और उनही समयों में से ये अपने बच्चों को पढ़ाती भी है और पति को समय देती है।


भारतीय महिला दुनिया का सर्वोत्तम इवैंट मैनेजर होती हैं और अगर यक़ीन नहीं हो तो आप अपने घर के किसी फंक्शन को याद रखिए कैसे एक महिला सजावट से लेकर, खाने पीने कि व्यवस्था से लेकर लेडीज संगीत, गहने, विदाई के गिफ्ट, सबके लिए कपड़े से लेकर अपने मेकअप के लिए भी टाइम निकाल लेती है और फंक्शन को सफलता पूर्वक सम्पन्न कराती है।


भारतीय महिला एक अच्छा ट्रैवल मैनेजमेंट भी करती है, याद करिए जब भी आप काही यात्रा पे जाते हों तो आपका एक एक जरूरत का सामान पैक मिलेगा और रास्ते में खाने का सामान भी आपको पैक मिलेगा।


स्क्रैप मैनेजमेंट भी इनका शानदार होता है। कबाड़ होते सामानों को अखबार के साथ कबाड़ी को बेचने का हुनर इनका सर्वश्रेष्ठ होता है।


अब उपरोक्त आधार पर आप ही अंदाजा लगा लीजिये कि एक स्त्री जिसे क्रय एवं खर्च प्रबंधन , संपत्ति प्रबंधन उत्पादन प्रबंधन वित्त प्रबंधन बचत का प्रबंधन मानव संसाधन प्रबंधक टाइम मैनेजमेंट इवैंट मैनेजमेंट ट्रैवल मैनेजमेंट से लेकर स्क्रैप मैनेजमेंट भी शानदार और सिद्धहस्त तरीके से करती हो वह सर्व श्रेष्ठ प्रबन्धक तो होगी ही। इसमें से कई महिलाएं तो इन सब के अलावा बाहर काम भी करती हैं और इस तरह दोनों काम सफलतापूर्वक करती हैं। देश के IIM एवं अन्य प्रबंध संस्थानों को भारतीय महिलावों पे एक पाठ्य क्रम भी चलाना चाहिए, यह बिरला ही है कि इतने प्रबंध के गुण विश्व में किसी एक व्यक्ति के पास हों।

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