कौन है ये विकास?

आज के दौर में ये सवाल बड़ा मौजूं है की कौन है ये विकास ? सब विकास विकास क्यूँ चिल्ला रहें हैं? क्या है इस विकास का बिन्दु? आइये इस लेख के माध्यम से समझते हैं की विकास और विकास के बिन्दु को। विकास का बिन्दु होता है पारिस्थितिकीय तंत्र का वह अनुकूलतम बिन्दु जहां पारिस्थितिकीय तंत्र संतुलित हो और आगे की वर्षों की ओर अग्रसर हो और उस ग्रह के पारिस्थितिकीय तंत्र की आयु लंबी होती जाए। कोई भी ऐसा विकास जो पारिस्थितिकीय तंत्र के विकास को अवरुद्ध करता हो, उसे परेशान करता हो, उससे छेड़छाड़ करता हो वह विकास की उल्टी धारा होगी। किसी भी विकास का भोग उस तत्कालीन समय का पारिस्थितिकीय तंत्र ही करता है। मानव के रूप में हम सौ सौ वर्ष के जीवन काल के उसके भोगकर्ता हैं अगर किसी विकास से हमारा जीवन काल सौ वर्ष से कम होता है, या मानव जीवन ही खतरे में पड़ जाता है तो वह विकास नहीं हो सकता है। यही सूत्र इस ग्रह के सभी प्राणियों एवं वनस्पतियों एवं प्रकृति पे लागू होता है। प्रकृति अपने आप में स्वयं ही नियंत्रक की भूमिका में होती है अगर कोई विकास प्रकृति को छेड़ते हुए बनाया जाएगा तो कई बार प्रकृति को आगे आके चाबुक चलाना पड़ता है जिससे मानव जीवन के साथ अन्य प्राणियों को अपनी आहुति देनी पड़ती है।

दरअसल विकास का बिन्दु वही है जो पारिस्थितिकीय तंत्र का सुखमय अनुकूलतम बिन्दु है जहां मानव सुखी हो, मानव के साथ अन्य प्राणी सुखी हों और प्रकृति सुखी हो, पारिस्थितिकीय तंत्र की सुखमय गति बरकरार रहे और पृथ्वी और पृथ्वी पे जीवन का आस्तित्व सुरक्षित रहे और आगे बढ़ती रहे। वह विकास, विकास नहीं कहलाता है जो तत्काल आराम एवं फायदे की कीमत पर अपने उपभोगकर्ता को ही धीरे धीरे खत्म कर देवे।

वर्तमान परिप्रेक्ष्य में देखें तो पृथ्वी एवं मानव जीवन पे सबसे बड़े खतरे के रूप में ग्लोबल वार्मिंग एवं ओज़ोन परत की छेद है।  अगर ग्लोबल वार्मिंग एवं ओज़ोन परत की छेद से आगे आने वाले कुछ सालों में पृथ्वी पे जीवन और जीवन में खासकर के मानव एवं जंतुवों का आस्तित्व ही खत्म हो जाएगा तो ऐसे विकास का कोई मतलब नहीं होता है।जो भी विकास पृथ्वी और ईसपे रह रहे मानव जीवन एवं पारिस्थितिकीय तंत्र के अनुकूल होगा वही विकास , विकास है बाकी विनाश। मानव को, क्यूँ की सिर्फ और सिर्फ मानव ने ही बुद्धि के विकास के साथ प्रकृति एवं पारिस्थितिकीय तंत्र के साथ सबसे ज्यादे प्रयोग किया है , को कोई भी विकास तत्काल फायदे एवं पारिस्थितिकीय तंत्र के खिलाफ नहीं करना चाहिए जो इस पृथ्वी का जीवन ही खत्म कर दे और खतरे में डाल दे। जैसे की परमाणु बम एवं हाईड्रोजन बम का आविष्कार, आखिरकार इस आविष्कार से क्या फायदा जो मानव जीवन को ही खत्म कर दे इससे ज्यादे और बड़ा ताकतवर आविष्कार तो एक शब्द में समाहित है “संवाद”। संवाद के इस्तेमाल से ही हम बहुत सी समस्यावों को समाप्त कर सकते हैं, ऐसे में बमों का आविष्कार थोड़े ही विकास का पैमाना माना जाएगा।

एक छोटा सा देश जहां के सब लोग सुखी एवं प्रसन्न हो भले ही वो बुलेट ट्रेन या हवाई जहाज से न घूमते हो उस किसी भी देश से ज्यादे विकसित कहा जाएगा जहां बुलेट ट्रेन एवं जहाज और बम होने के बाद भी वहाँ के लोग एवं अन्य प्राणी एवं पारिस्थितिकीय तंत्र दुखी, तनाव, रोगयुक्त एवं आसपास की अप्रिय घटनावों से दुखी हो।

एक उदाहरण के तौर पे अगर भारत को लें कि यदि भारत की आबादी 125 करोड़ है तो इसके विकास का बिन्दु क्या होगा। इसका जबाब यही होगा मानव जीवन के परिप्रेक्ष्य में कि भारत का कोई भी कदम जो इन 125 करोड़ लोगों के जीवन को सुखमय बनाए वही विकास का कदम होगा और इस विकास का वह बिन्दु जहां ये 125 करोड़ लोग सुखमय हों वही विकास का बिन्दु होगा। इसमें हो सकता है कि विश्व में उपलब्ध तकनीक का सर्वोत्तम इस्तेमाल हम न कर रहें हो लेकिन जिस किसी भी मॉडेल का इस्तेमाल कर रहें हों वह लोगों के जीवन को सुखमय बनाने के लिए अच्छा हो। उदाहरण के तौर पर नूतन तकनीक के रूप में आजकल कृत्रिम ज्ञान ( artificial Intelligence ) का बहुत उपयोग हो रहा है, यह तकनीक के तौर पर एकदम नूतन है लेकिन इससे बहुत बड़ी संख्या में नौकरी जाने का खतरा है, अतः जब तक इस तकनीक से कम होने वाले रोजगार का अवसर पैदा नहीं हो जाता तब तक कृत्रिम ज्ञान ( artificial Intelligence ) का उपयोग विकास कि तरफ एक और कदम नहीं कहलाएगा, यह विकास को पीछे ही ले जाएगा क्यूँ कि इससे  एक बड़ी आबादी के रोजगार विहीन होने का खतरा है और इससे उनका जीवन सुखमय कि जगह दुखमय हो जाएगा।

दूसरा उदाहरण लें। दो परिवार है , पहले परिवार में दादा दादी मियां बीबी और 2 बच्चे हैं और दूसरे परिवार में दादा दादी मियां बीबी और 10 बच्चे हैं। पहले परिवार का घर भी 4 बीएचके है और दूसरे परिवार का 1 बीएचके। ऐसे में दूसरा परिवार वाला अपने घर में वह सब व्यवस्था करना चाहेगा जो कि पहले घर में है तो संभव नहीं है, क्यूँ की दोनों घर की परिस्थितियाँ और प्राथमिकताएं अलग अलग हैं। दूसरे वाले घर को अपने घर की सम्पत्तियों एवं सामानों एवं खर्चों को अपने जरूरतों और आमदनी के हिसाब से करेगा तभी उसका जीवन सुखी एवं स्वस्थ रहेगा, अगर वह आँख बंद कर के अपने घर के आकार को नजरंदाज कर के पहले वाले घर की व्यवस्था एवं खर्चें को  हूबहू कॉपी करेगा तो उस घर को दुख और संकट में पड़ जाना निश्चित है।

तीसरा उदाहरण लें ,  भारत का व्यापार ढांचा ऐसा है कि उत्पादन से उपभोक्ता के बीच पहुँचने से पहले निम्नलिखित  श्रेणी कि मानव आबादी अपने आपको व्यस्त रक्खी है। उत्पादक, डिस्ट्रीब्यूटर, स्टाकिस्ट, होल सेलर, रिटेलर एवं अंत मे उपभोक्ता। इस सौदे कि चेन में मानव आबादी कि छह श्रेणियाँ व्यस्त हैं। एक आइडिया के तौर पर यह बहुत अच्छा लगता है सुनना कि उत्पादक से उपभोक्ता को डाइरैक्ट कर देने से बीच कि लागत निकल जाएगी। लेकिन यहाँ ध्यान देना चाहिए कि यहाँ सिर्फ बीच कि लागत ही नहीं निकलेगी इन छह लोगों कि सौदे वाली चैन से 4 लोग निकल जाएंगे मतलब टोटल 66% लोगों के हाथ से रोजगार के अवसर खत्म होंगे। और जब तक इस सौदे कि चैन के 66% के रोजगार विस्थापन के बाद इनके रोजगार के नए विकल्प पैदा नहीं होते तब तक यह आइडिया अर्थशास्त्र के व्यापक परिप्रेक्ष्य में आत्मघाती होगा। विकास वही अच्छा होता है जो एक सबके सुख के लिए होता है, सबको काम धंधे में व्यस्त रखता हो, भले ही आप नूतन तकनीक का इस्तेमाल न करते हुए कम तकनीक का इस्तेमाल कर अपने यहाँ कि आबादी को सुखी रख रहें हों और मानव जीवन को आगे बढ़ा रहे हों।

भारतवर्ष में इस बिन्दु कि चर्चा बहुत पहले ही कि चुकी थी निम्न लिखित श्लोक के माध्यम से।

सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामया,
सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चिद् दुख भागभवेत।
ऊँ शांतिः शांतिः शांतिः

जिसका अर्थ होता है "सभी सुखी होवें, सभी रोगमुक्त रहें, सभी मङ्गलमय घटनाओं के साक्षी बनें और किसी को भी दुःख का भागी न बनना पड़े।" दरअसल विकास का बिन्दु यही होता है। न तो अंधाधुंध विकास , विकास का बिन्दु होता है और ना ही धीमा विकास , विकास का बिन्दु होता है। विकास का बिन्दु वही बिन्दु है जहां सभी लोग सुखी रहें, सभी लोग निरोगी एवं अपना पूरा जीवन जिएँ। अपने आसपास और उनके खुद के जीवन में अच्छी घटनाएँ घटें और किसी को भी कष्ट न हो। विकास के बिन्दु कि परिभाषा तो भारतीय पुराण के इस श्लोक में तो पहले से ही मौजूद है।

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