यूपी बिहार के विकास का लॉक खुलने का वक़्त आ गया है



यूपी बिहार के विकास का लॉक खुलने का वक़्त आ गया है।


 

सभ्यता के शुरुवात से ही यूपी बिहार की धरती मानव जनजीवन के लिए सर्वोत्तम रही है। प्राचीन काल में जब नगरों की स्थापना के साथ मानव के विकास युग की स्थापना की शुरुवात हुई तो नदियों के किनारों को सर्वोत्तम माना गया क्यूँ की इसके वजह से जल परिवहन, जल व्यापार, पीने के लिए पानी, मवेशियों के लिए पानी, सिंचाई की सुविधा और उपजाऊ जमीन मिल जाती थी। गंगा यमुना सरयू राप्ती चंबल नारायणी इस क्षेत्र की नदियां नहीं आर्थिक धमनियाँ थी। इसी कारण से विश्व की पुरानी सभ्यतावों में से हिन्दू सभ्यता के सारे प्रमुख नगर इसी क्षेत्र में हैं। विश्व भर में फैले 100 करोड़ हिन्दुवों के आस्था की भूमि भी यही है। आप भारत ही नहीं विश्व के किसी भी देश में चले जाइए वहाँ पे बस रहे हिन्दू जो अब उस देश के नागरिक हैं और उनके बच्चों के जबान जबान पे आप भगवान राम की जन्मभूमि अयोध्या एवं कृष्ण की जन्मभूमि मथुरा का नाम है। आज भी और हजारों साल से अयोध्या मथुरा काशी गोकुल वृन्दावन प्रयाग सारनाथ कुशीनगर कपिलवस्तु पाट्लिपुत्र जनकपुर नालंदा का नाम है। शासन व्यवस्था के जो आदर्श हजारों साल पहले थे वह रामराज्य ही थे पाटलीपुत्र ही थे। गुरुकुल थे तो गुरु वशिष्ठ के थे नालंदा थे। चाणक्य ने अपने शासन व्यवस्था की प्रयोगस्थली पाट्लिपुत्र को ही बनाई,सम्पूर्ण गणराज्य का केंद्र उस काल में पाट्लिपुत्र और त्रेताकाल में अयोध्या था। आप देखें तो सब केंद्र तो इसी प्रदेश में थे। कालांतर में जब यांत्रिक विकास का प्रारम्भ हुआ नदियों के परिवहन की जगह समुद्र के परिवहन ने स्थान ले लिया और बाजार का विस्तार सुदूर विदेशों तक होने लगे। सुविधावों का विकास होने लगा, औद्योगिक नगरों की स्थापना होने लगी। विज्ञान और यंत्र के विकास के साथ साथ जो नगर नदियों के किनारे नहीं थे पठार थे वहाँ जीवन और व्यापार लायक परिस्थितियाँ बनाई जाने लगीं। नई यांत्रिक जीवन एवं उद्योग प्रणाली का विकास हुआ और आबादी की बसावट अब नदियों पे निर्भरता छोड़कर इन नए क्षेत्रों की तरफ बसने लगी। लोगों के नगर अब अपने व्यापार के नजदीक बसने लगे और बड़े व्यापार समुद तटीय हो गए। जिसके कारण कालांतर में यूपी बिहार के अयोध्या मथुरा काशी गोकुल वृन्दावन प्रयाग सारनाथ कुशीनगर कपिलवस्तु पाट्लिपुत्र जनकपुर की जगह गुजरात महाराष्ट्र तमिलनाडु कर्नाटक केरल का विकास होने लगा। ऐसी जगहों पे उत्पादन केन्द्रों की सघनता बढ़ने लगी और यहाँ से विदेशों में माल भेजने में सुविधा होने लगी। अधिक उत्पादन को विदेशों के साथ साथ देश में भेजने के लिए हवाई कार्गो की भी सुविधा विकसित होने लगी। और इस तरह हौले हौले यूपी बिहार एक लैंड लॉक स्टेट में बदलते चले गए और किसी का ध्यान इस तरफ नहीं गया की जो धरा पहले मानव जीवन की सर्वश्रेष्ठ बसावट थी अब वो उपभोक्ता स्टेट में बदल गई है।

एक उद्योग को विकसित होने के लिए क्या चाहिए सर्वोत्तम फैक्ट्री, सर्वोत्तम तकनीक, सर्वोत्तम श्रम, सर्वोत्तम प्रबंधकीय जन शक्ति, सर्वोत्तम जानकारी एवं सहायक संसाधन। आप अगर दृष्टि डालें तो कृषि आधारित उद्योग के लिए विश्व का सर्वोत्तम भाग है यह यूपी बिहार। यहाँ कृषि हब बनाकर पूरे विश्व के खाद्य मार्केट के गुरु बन सकते हैं। कृषि उद्योग के लिए सर्वोत्तम फैक्ट्री यहाँ की कृषि भूमि है , सर्वोत्तम तकनीक यहाँ पे सबसे ज्यादे कृषि विश्वविद्यालय हैं ,यूपी बिहार के श्रम विश्व में सर्वोत्तम श्रम माने जाते हैं यह बस गुजरात महाराष्ट्र औ तमिलनाडु मे ही नहीं अपने श्रम का डंका बजाते हैं इनके श्रम के कारण ही इन्हे मॉरीशस फ़िजी गुयाना त्रिनिदाद ले जाया गया जहां जो पहले ये मजूर बन के गए थे अब हुजूर हैं वहाँ पे, विश्व की सर्वोत्तम प्रबंधकीय जन शक्ति है यूपी बिहार में देश के सबसे ज्यादे सिविल सेवा के अभ्यर्थी यहीं से निकलते हैं आईटी इवान अन्य तकनीक के मामले में देश में और विदेश सबसे अधिक युवा यही से पलायित हुए हैं, कृषि उद्योग के लिए आपको सर्वोत्तम सहायक संसाधन यहाँ मिल जाएंगे जैसे की नदियां मौसम नहरें एवं मिट्टी की विविधता के अनुसार फसलों की विविधता। दिक्कत क्या है की लैंड लॉक होने की वजह से यहाँ ये उद्योग उत्पादन के बाद भी अपना उत्पाद बेच नहीं पाते हैं जिस कारण उत्पादन को लेकर हतोत्साहित होते हैं और किसी कारण अगर उत्पादन कर लिया तो नजदीकी या दूरस्थ बाजार उपलब्ध न होने के कारण खेत में ही फसल जल जाती है।

इन राज्यों के विकास के लिए कुछ चुनौतियाँ हैं जिनका मुक़ाबला कर लिया जाए तो ये प्रदेश अपना प्राचीन गौरव पुनः प्रस्थापित कर पाएंगे। पहला यह है कि यहाँ का कृषि उद्यमिता पूरी तरह प्रकृति पर निर्भर है जो कई बार अनिश्चितता पैदा करता है। दूसरी समस्या है कि फसल बीमा का क्रियान्यवन वैसा नहीं है जैसा अन्य व्यवसाय के बीमा का होता है। तीसरी समस्या है कि यहाँ पे परिवारों का बंटवारा शुरू हो गया है और कृषि जोत के आकार छोटे होते जा रहें हैं। चौथी समस्या है कि कृषि परिवारों के युवा कृषि से विमुख होते जा रहें हैं। पाँचवी समस्या है कि कृषि के उत्पादों का सीधे महंगाई से जुड़ा होना, अगर किसान को ज्यादे मूल्य मिलेगा तो बाजार चिल्लाएगा कि महंगाई बढ़ रही है और कम मिलेगा तो किसानों के साथ अन्याय होगा। छठी समस्या यह है कि यहाँ से राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय व्यापारों तक सुगम मार्गों कि पहुँच नहीं है।

अब इस विकास के लॉक को तोड़ कैसे सकते हैं। दृष्टि देने लायक है कि लगभग कई दशकों के बाद यूपी बिहार एवं केंद्र में एक ही पार्टी कि सरकार है। इन सरकारों के अजेंडे में पहले से भी यह क्षेत्र रहें हैं और यूपी के मुख्यमंत्री पहले से ही इन नगरो कि अवस्था भविष्य एवं भूगोल से परिचित हैं और ये नगर इनके अजेंडे में हैं। इन सरकारों को विकास का लॉक तोड़ने के लिए केवल रोडवेज, एयरवेज़, रेलवेज, वाटरवेज एवं आइ-वेज को खोलना है। इन 5-वेज के खोलने से ही विकास का डेड लॉक खुल जाएगा। देश कि केंद्र सरकार और इन प्रदेशों कि सरकार कई बार यह कह चुकी है कि जब देश और प्रदेश में एक ही दल कि सरकार रहेगी तो ये लोग आपस में सिंक रहेंगे और विकास कि रफ्तार तेज होगी तो अब देर किस बात कि है, तुरंत फुरन्त इस काम को करना चाहिए ताकि हमारे खेत खलिहान सिर्फ देश के बाजार ही नहीं अब यूरोप रूस ईरान के बाजार से जुड़ें। अब समय है कि किसानों को बाजार से सीधे जोड़े जाएँ, कृषि उत्पादों को जीवनावश्यक एवं गैर जीवनावश्यक में वर्गीकरण कर दूसरे को खुले बाजार में छोड़ा जाय। फसल बीमा को जोत वाइज़ दिया जाए कुछ निश्चित भूभाग का प्रतिबंध हटाया जाय और कृषि को उद्योग का दर्जा दिया जाय। लोगों को समूह खेती कि तरफ प्रोत्साहित किया जाए इसके लिए प्रोत्साहन राशि के साथ नीतियाँ भी बनें। यूथ को आकर्षित करने के लिए वेंचर कंपनियों, बैंकों एवं बीमा कंपनियों को सहयोग के लिए निमंत्रित एवं प्रेरित किए जाएँ। जगह जगह कोल्ड स्टोरेज वेयर हाउस खोले जाएँ मुख्य नगरों में कार्गो एयरपोर्ट खोले जाएँ। मुख्य नगरों जैसे कि अयोध्या गोरखपुर काशी पटना में अटर्राष्ट्रीय एयरपोर्ट खोले जाएँ। इसे हिन्दू तीर्थ अंतर्राष्ट्रीय सर्किट घोषित किया जाए। विश्व भर के हिन्दुवों के लिए टूरिज़्म प्लान लाया जाए। अयोध्या से लंका इन्डोनेशिया कंबोडिया बाली थायलैंड आदि नगरों को राम के महत्वपूर्ण नगरों को ध्यान मे रखते हुए हवाई मार्ग से डाइरैक्ट जोड़ा जाए। इन शहरों का विकास इस तरह का किया जाए ताकि विश्व भर के नागरिक जिस दृष्टि से वेटिकन सिटी एवं मक्का मदीना को देखते हैं वैसे ही अयोध्या काशी मथुरा कुशीनगर कपिलवस्तु एवं वैशाली कि तरफ आकर्षित हों जो विश्व के कई करोड़ों लोगो जो कि हिन्दू बौद्ध और जैन धर्म के हैं का आस्था का केंद्र है और उन्हे यहाँ पे आकार वैसी फीलिंग भी हो। अब ये ज़िम्मेदारी यूपी बिहार और केंद्र सरकार के पास है बहुत समय के बाद ऐसा संजोग आया है।   

 

लेखक

पंकज जायसवाल

आर्थिक एवं सामाजिक विश्लेषक

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