GST से रुकेगी आयकर की चोरी

जितने लोग यह समझते हैं कि जीएसटी सिर्फ अप्रत्यक्ष कर कि विषयवस्तु है उन्हे अपनी जानकारी दुरुस्त कर लेनी चाहिए, यह नोटबंदी के बाद आयकर कि चोरी रोकने के लिए सबसे बड़ा कदम है। जीएसटी में कर सिर्फ लाभ वाले पक्ष के लिए नहीं महत्वपूर्ण है यह खर्चे के लिए भी उतना ही महत्वपूर्ण है। अब किसी व्यापारी को कोई खर्चा दिखाने से पहले बहुत से परीक्षणों से गुजरने पड़ेंगे जिससे वह बचता आ रहा था। पहले ये सब परीक्षण नहीं थे तो वे व्यापारी जो कर चोरी करते थे वे इन परीक्षणों का जो कि जीएसटी में लागू किया गया है के अनुपस्थिति का भरपूर फायदा उठाते थे।

इन परीक्षणों में प्रमुख रूप से है खर्चे पक्ष के सभी खर्च हेड की अब स्क्रूटिनी होगी। उसे दो भागों में बांटा जाएगा पहला ऐसे खर्चे जो पंजीकृत व्यापारियों के माध्यम से किया गया है और दूसरा भाग मे ऐसे खर्चे जो अपंजीकृत व्यापारियों के माध्यम से किया गया है। पंजीकृत व्यापारियों के द्वारा किए गए खरीद का समाधान तो हर महीने की 15 तारीख औ 17 तारीख को हो जाएगा लेकिन समस्या आएगी ऐसे खर्चों पे जिसे अब तक व्यापारी अपंजीकृत व्यापारी के नाम से दिखाता आ रहा है। अब तक ऐसे  व्यापारी बहुत से खर्चों को जिनका बिल नहीं होता था उन्हे लेबर खर्च या अन्य खर्च में डाल कर दिखा देते थे, या नकद खर्चों को डाइरैक्ट दिखा देते थे बिना लेनदार के खाते के माध्यम से दिखाये,लेकिन जीएसटी में तो उसे ऐसे अपंजीकृत व्यापारी के माध्यम से हुए सारे खर्चों का बिल वाइज़ डीटेल देना है साथ में उस अपंजीकृत व्यापारी का नाम पता भी देना है अब डाइरैक्ट नकद खर्चा दिखाने का रास्ता बंद। अब कोई भी कर चोरी करने वाला व्यापारी जो अब तक इन खर्चों को किसी परिचित रिश्तेदार ड्राईवर नौकर के नाम से दिखाएगा तो फँसेगा क्यूँ की अब तक के कानून में पहली बार हो रहा है की ऐसे लोगों, परिचित रिश्तेदार ड्राईवर नौकर की सूचना आवश्यक रिटर्न के माध्यम से जीएसटी के पास रहेगी और वहाँ से यह सूचना आयकर के पास आ जाएगी। ऐसे अपंजीकृत व्यापारी जिनका बिक्री 20 लाख से ऊपर चला जाएगा उनके पास जीएसटी विभाग आ जाएगा कि भाई अभी तक पंजीयन क्यूँ नहीं कराया ? और एक बार जब यह रेकॉर्ड में आ जाएगा तो उनके पास आयकर वाले भी आ जाएंगे की भाई तुमने इसे अपने आयकर विवरणी में क्यूँ नहीं दिखाया ?

इस जीएसटी में जीएसटी ऑडिट भी प्रस्तावित किया गया है जिसके द्वारा अगर कोई व्यापारी ऐसे अपंजीकृत खर्चों को लेकर कोई समायोजना मासिक या अन्य आधार पर करता है तो ऑडिट में ही पकड़ में आ जाएगा क्यूँ की अपंजीकृत व्यापारियों के सारे खर्च बिल वार ही होने चाहिए ना की केवल एक मासिक जर्नल एंट्री से। यह जीएसटी सिर्फ जीएसटी ही नहीं अकाउंटिंग के क्षेत्र में भी बहुत बड़ा बदलाव लाने वाला है।

नोटबंदी और जीएसटी को अगर एक साथ देखा जाए तो ब्लैक मनी के खिलाफ अब तक का ये सबसे बड़ा कदम है। नोटबंदी का असर देश को और व्यापारियों को आने वाले 30 सितंबर तक दिखेगा जब वो अपना आयकर रिटर्न और ऑडिट रिपोर्ट जमा कर रहे होंगे। इस बार की आयकर विवरणी में सबको 8 नवम्बर के रोकड़े को रिपोर्ट करना है। अब तक अगर कोई गलत रोकड़ा दिखाता आ रहा है उसपे गाज गिरेगी क्यूँ की ऐसे रोकड़े के दो भाग होंगे एक जो 100 या उससे कम की नोटों में होगा जो साधारणतया 20% ही होते हैं व्यापारी ज्यादेतर 80% पैसा 500/1000 की करेंसी में ही रखते हैं। ऐसे में इन बड़े नोटों की वैल्यू तभी मान्य होगी 8 नवम्बर को जब ये बैंक में जमा होंगे अन्यथा ये कूड़े के बराबर हैं और इन्हे ऐसे कूड़े के रोकड़े का जबाब भी देना होगा। आयकर विवरणी के साथ 8 नवम्बर और उसके बाद के रोकड़े का विवरण भी जमा करना है, मतलब अब सब कुछ मैप हो गया है।

 

जीएसटी के माध्यम से सरकार ऐसे कर चोरों को तो पकड़ेगी ही जो गलत खर्चे दिखा के या बेनामी खर्चे दिखा के अपने आय को कम कर लेते थे और कम कर भरते थे, साथ में उन कर चोरों को भी पकड़ेगी जो अब तक पंजीयन नहीं कराते थे जबकि उनका व्यापार 20 लाख सालाना से ज्यादा था और कईयों का करोड़ों में था और प्रत्यक्ष कर के साथ अप्रत्यक्ष कर वैट सर्विस टैक्स की भी चोरी करते थे। अब जीएसटी रिटर्न के माध्यम से सबका डाटा सरकारी एजेंसी के पास आ जाएगा। इस जीएसटी में ऐसे खरीद को भी पकड़ लिया गया है जिसमें बेचने वाला यह दबाब डालता था कि भाई रोकड़ा ख़रीदों या ब्लैक में ख़रीदो। जीएसटी की व्यवस्था में ऐसे सारी खरीद को जो की आप नकद या इस तरह के व्यापारियों से खरीदते हैं जो पैसा तो ले लेते हैं लेकिन बिल नहीं देते हैं की रिपोर्टिंग की ज़िम्मेदारी खरीददार के ऊपर डाल दी है औ उसके लिए अगर उसके पास उस विक्रेता का बिल नहीं है या उसने बिल नहीं दिया है तो भी कोई बात नहीं अब खरीददार खुद से खुद को सेल्फ इन्वाइस कर के रिवर्स चार्ज में उस अपंजीकृत व्यापारी से खरीद पे जीएसटी भरेगा और इस सेल्फ इन्वाइस के माध्यम से उस अपंजीकृत व्यापारी की सारी जानकारी जीएसटी विभाग के पास आ जाएगी और ऐसे कर चोर व्यापारी को बिना बताए एक व्यापारी ऐसा कर सकता है यदि वह व्यापारी बिल भुगतान के बाद भी पक्का बिल नहीं देता है।

एक बात और गूड्स के केस में तो कर चोरी लगभग असंभव ही होगा क्यूँ की गुड्स के उद्गम से लेकर उपभोक्ता तक की की चेन में अगर एक भी सौदा जीएसटी के नेट में आएगा तो पूरी चेन खुल जाएगी, और ऐसा लगभग असंभव है की गुड्स की चेन का कोई भाग जीएसटी में नहीं आए जब तक कि वह चेन बहुत छोटी न हो।

जब इस तरह की पूछताछ और जांच बढ़ेगी तो सब लोग जीएसटी में पंजीयन कराने मे ही अपना फायदा समझेंगे अगर उनका व्यापार 20 लाख से ज्यादे है तो, और इस तरह भारत के व्यापार का एक बड़ा भाग जो अब तक कई तरह के कर के दायरे से बाहर था जीएसटी के माध्यम से लगभग सभी तरह के करों की दायरे में आ जाएगा। हालांकि तैयारियों के लिहाज से  इसके लिए वक़्त चाहिए था लेकिन कर चोरी रोकने के लिहाज से यह बड़ा कदम है, सरकार से उम्मीद है कि इसका फायदा कर दर नीचे कर के देगी।   

 

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