बुढ़ापे की प्लानिंग

बुढ़ापे की प्लानिंग अभी से करें

जन्म से मृत्यु तक की यात्रा मेँ उम्र का अंतिम पड़ाव अर्थ योजना के लिए सबसे महत्वपूर्ण है। जब हम छोटे होते हैं तो हमे पैसे या देखभाल की कोई चिंता नहीं होती है क्यूँ की हमारे माँ बाप सब चीज का देखभाल करते हैं, जब हम जवान होते हैं तो हम अपने पैसे और अपना खुद का खुद से ख्याल रखने के लिए सक्षम होते हैं, लेकिन जब हम बूढ़े होते हैं तब हमारे पास हमारे माँ बाप नहीं होते हैं और हमारा शरीर साथ नहीं देता है, कई तो चल फिर नहीं सकते और कई तो नित्य क्रिया भी बिस्तर पे करते हैं। ऐसे जीवन के पड़ाव का सक्षम रहते अर्थ नियोजित करना जीवन मेँ बहुत आवश्यक है, खासकर के तब जब बदलते सामाजिक परिवेश में औलाद आपसे दूर रहता है या जब पास रहता है तो बेटा बहू दोनों काम करते हैं और पोते बाहर स्कूल में पढ़ते हैं। ऐसे समय में आपका आर्थिक रूप से ताकतवर रहना ही आपको सहायक हो सकता है।

आइये चर्चा करते हैं की जीवन के ऐसे पड़ाव की अर्थ आधारित योजना आप कैसे बनाते हैं। पहली बात आप यह निश्चय कर लें की बुढ़ापे मे शायद ही कोई आपके पास रहे क्यूँ की बहुत से हम उम्र रिश्तेदार या मित्र भी बूढ़े हो गए होंगे या गुजर चुके होंगे। इसीलिए दोस्ती जीवन में हम उम्र के साथ साथ छोटी उम्र के लोगों के साथ भी करें ताकि मित्रता निभाने कम से कम बुढ़ापे में कोई शारीरिक सक्षम दोस्त आपके पास रहेगा।

अपनी सारी संपत्ति कभी भी पूरी तरह से संतानों के नाम पर मत करें, इसकी जगह आप वसीयत का बंदोबस्त कर सकते हैं, या वैसे भी उत्तराधिकार के कानून के तहत सारी संपत्तियाँ वारिस को ही जाना है। अगर आप को लगता है कि आपको बुढ़ापे में अपनी बेटी या बेटे या दोनों के यहाँ रहना पड़ सकता है तो किसी एक के नाम संपत्ति ना हस्तांतरित करें आगे चलकर विवाद हो सकता है,ऐसी परिस्थिति के लिए योग्य वकील के माध्यम से वसीयत तैयार कर लेवें। या अगर आप ट्रस्ट बनाना चाहें तो संपत्ति ट्रस्ट में डाल के ट्रस्ट के मुख्य उद्देश्य में आप अपनी और अपने परिवार की देखभाल डाल सकते हैं।

जवानी के समय में ही बीमा सुविधा का अध्ययन कर अपना योग्य बीमा करा लेवें। आप मेडिकल बीमा तो जवानी के समय से ही अवश्य कराएं और जांच कर लें कि कौन सी कंपनी ज्यादे उम्र तक स्वास्थ्य बीमा कवर कर रही है उसी का बीमा कराएं। इस बीमा मे सस्ता या महंगा मत देखें यह देखें की यह कॅशलेस हो, नजदीक के सारे अच्छे हॉस्पिटल इसमें शामिल हो और बुढ़ापे के और अन्य क्रिटिकल बीमारियाँ इसमें कवर हों। इस बीमा के साथ साथ बहुत सी कंपनियाँ पेंशन बीमा भी उपलब्ध करा रही हैं, बुढ़ापे में जब अशक्त हो जाते हैं उस समय भी आपके पास आर्थिक ताकत होनी चाहिए ताकि आपकी वैल्यू हमेशा बनी रहे। भविष्य कि बेसिक जरूरतों का ध्यान रखते हुए पेंशन बीमा भी करा लेना चाहिए, ताकि एक मासिक तय राशि आपको बुढ़ापे में मिलती रहे । बीमा को बहुत से लोग विनियोग कि तरह इस्तेमाल करते हैं, जबकि बीमा पूरी तरह से जोखिम का विषय है और इसका इस्तेमाल उसी के लिए करना चाहिए। विनियोग बीमा के जगह आपको टर्म बीमा कराना चाहिए जिसकी प्रीमियम राशि काफी कम रखकर आप करोड़ों में बीमा करा सकते हैं। ऐसे समय में आपके बाद इस राशि का उपयोग आपकी आश्रित पत्नी पति या संतान कर सकते हैं। आप अपने बीमा में नॉमिनी का उल्लेख जरूर करें। अगर पति का बीमा है तो पत्नी का नाम और पत्नी का बीमा है तो पति का नाम, उसके बाद ही संतान का नाम। आपके पास जितने बैंक खाते हैं उसमे आप अपने पति या पत्नी का नाम नॉमिनी में जरूर डालें।

बुढ़ापे में जब आप अशक्त हो जातें हैं तो आप काम बिलकुल नहीं कर पते हैं,ऐसे समय के लिए जवानी में कुछ ऐसी संपत्तियाँ बना लें जिसकी किराए कि राशि बुढ़ापे में भी आपके पास आ जाए। बुढ़ापे में कोई भी कागज दस्तखत करने से पहले और अगर पढ़ना संभव न हो तो किसी नजदीकी विश्वासी व्यक्ति से एक बार पेपर जरूर पढ़ा लेवें। आप अपने संपत्ति, विनियोग एवं बैंक खाते के पेपर बहुत ही संभाल कर रखें और उसकी एक लिस्ट भी रखें। इसकी जानकारी हमेशा आपके किसी नजदीकी विश्वासपात्र को जरूर रहनी चाहिए, और संभव हो तो इसकी जानकारी आपके सीए एवं वकील को भी रहना चाहिए। आप अगर आयकर विवरणी दाखिल करते हैं तो कोशिश करिए की आपकी सारी पैतृक एवं स्वयं अर्जित दोनों संपत्तियाँ बैलेन्स शीट में दिखाई गई हों। अगर आप के पास कंपनी के शेयर या कोई और विनियोग पत्र हो तो उसे किसी को एंडोर्से करने से बचना चाहिए। किसी भी तरह के पावर ऑफ अटॉर्नी पे दस्तखत करने से पहले खुद पढ़ लें या किसी विश्वासी से पढ़ा लें। अपनी देनदारी और लेनदारी की लिस्ट हमेशा तैयार रखें और अपने वारिसों को बता देवें।

भारत में अभी यह सुविधा नहीं है लेकिन मेरा मानना है की बीमा कंपनियों को ओल्ड एज होम बीमा पॉलिसी लानी चाहिए। जो भी व्यक्ति चाहे इस बीमा को ले सकता है और बुढ़ापे में 65 साल के बाद उसे ता उम्र बीमा कंपनी की तरफ से ओल्ड एज होम सुविधा प्रदान कराने का विकल्प रहेगा अगर वह बीमित व्यक्ति बुढ़ापे में उस ओल्ड एज होम का इस्तेमाल करना चाहता है तो , और अगर नहीं चाहता है तो अच्छी ही बात है इसका मतलब की उसका परिवार,बच्चे पोते बुढ़ापे में उसकी बराबर से देखभाल कर रहें है। इस ओल्ड एज होम बीमा में सिर्फ उसका रहना खाना ही नहीं, नर्सिंग एवं सभी स्वास्थ्य सुविधाएं भी शामिल होनी चाहिए भले ही इसके लिए प्रीमियम की राशि शुरू में ही ले ली जाए। अगर इस संबंध में सरकार को कोई कानून या व्यवस्था बनानी पड़े तो जरूर बनानी चाहिए। बचपन तो सुरक्षित होना ही चाहिए हालांकि उस समय माँ बाप का सर पे हाथ रहता है, मगर बुढ़ापा तो अवश्य सुरक्षित रहना चाहिए क्यूँ की तब माँ बाप का सर पे हाथ नहीं रहता है।

सरकार को भी ओल्ड एज होम के बारे में विशेष योजना बनानी चाहिए क्यूँ की जिनके बच्चे देश के बाहर रह रहें हैं और वृद्दावस्था में वह अकेले रहने को अभिशप्त हैं तो एकाकीपन और तनाव घेर लेता है, स्वास्थ्य संबंधी एवं अन्य समस्याएँ आ जाती हैं ऐसे समय में अगर वह ग्रुप में बेहतर देखभाल और स्वास्थय सुविधावों के दायरे में रहते हैं तो उनका जीवन का अंतिम पड़ाव आरामदायक हो सकता है और वो भी पूरे स्वाभिमान के साथ। और अगर ओल्ड एज होम नहीं भी जाना चाहें तो उपरोक्त बताई गई युक्तियों के साथ आप अपनी आर्थिक योजना बना सकते हैं जिससे इस पड़ाव में भी आप अपने पैरों पे खड़ा रहें और आपको किसी के सामने हाथ न फैलाना पड़े।

पंकज जायसवाल

लेखक आर्थिक एवं सामाजिक विश्लेषक हैं

 

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