1 देश 4 कर 6 दर 33 कानून 1 बाजार

आजकल टीवी पे विज्ञापन देखा कि अमिताभ बच्चन साहब बड़े आसानी से समझा जाते हैं की जीएसटी क्या होता है। एक दूसरे विज्ञापन में पल्लवी जोशी भी बताती हैं कि जीएसटी टैक्स के रूप में कितना सरल है। यहाँ हम इस लेख के माध्यम से विवेचना करेंगे कि जो विज्ञापनों में दिखाया गया वह कितना सरल है और उसके पीछे के निहितार्थ कितने हैं। प्रचार में कहा गया कि एक देश का एक कर है। लेकिन कानूनी दृष्टि से देखें तो कुल 4 प्रकार के कर हैं। पहला सीजीएसटी दूसरा एसजीएसटी तीसरा यूटीजीएसटी और चौथा आईजीएसटी। यहाँ अगर राज्य के अंदर ही आपूर्ति है तो सीजीएसटी और एसजीएसटी/यूटीजीएसटी ही लगेगा और अगर राज्य के बाहर आपूर्ति है तो आइजीएसटी लगेगा। सारे करों के पीछे जीएसटी शब्द जुड़ा है लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि यह एक ही कर है। क्यूँ कि सीजीएसटी का क्रेडिट आप एसजीएसटी/यूटीजीएसटी के लिए नहीं प्रयोग कर सकते हैं और एसजीएसटी/यूटीजीएसटी क्रेडिट का प्रयोग आप सीजीएसटी भुगतान के लिए नहीं कर सकते हैं। हाँ आईजीएसटी क्रेडिट का प्रयोग सभी तरह के जीएसटी भुगतान के लिए किया जा सकता है और सभी प्रकार के अन्य जीएसटी क्रेडिट का उपयोग आईजीएसटी भुगतान के लिए किया जा सकता है।

इस प्रकार आप देख सकते हैं कि किसी भी बिल में कम से कम या तो सीजीएसटी एवं एसजीएसटी/यूटीजीएसटी लगेगा या आईजीएसटी लगेगा और इसमें क्रेडिट लेने के लिए कुछ मर्यादाएं हैं, तो फिर यह एक कर कैसे हो गया। यह तो नाम से ही 4 प्रकार का है और अगर प्रभावी तरीके से देखेंगे तो यह कम से कम 2 प्रकार का है। हालांकि पूर्व की तुलना में यह काफी राहत देने वाला है क्यूँ की पूर्व में एक ही सप्लाई चेन में पहले उत्पाद शुल्क वैट सीएसटी चुंगी सब लगते थे , अलग अलग विभाग से वास्ता पड़ता था अब उन सब की जगह पे उपरोक्त कर ही लगेंगे और क्रेडिट लेने के कुछ प्रतिबंध भी कम हुए हैं।

अब आते हैं एक कर एक दर, हालांकि सरकार के तरफ से ऐसा कोई बड़ा विज्ञापन नहीं आया था कि एक कर एक दर होगा लेकिन मीडिया में बहुत चर्चा इस बात की थी। लेकिन जब जीएसटी के रेट जारी किए गए तो ये कुल 6 रेट थे 0%, 0.25%, 5%, 12%, 18% 28% इसके ऊपर सिन गुड्स पे सेस की भी बात है, मतलब जाहिर है की यह सामान्य रूप से एक कर एक दर नहीं है जिसका की मीडिया ने बहुत प्रचार किया था। लेकिन एक मामले में यह एक कर एक दर है , वह है की एक वस्तु विशेष पे जहां पहले अलग अलग राज्य अपने हिसाब से अलग अलग कर दर रखते थे वहीं अब उस वस्तु विशेष पे सारे देश में एक ही दर होगा। अतः वस्तु विशेष स्तर पर यह एक दर का कानून है।

अब आते हैं एक कर एक कानून पे, दरअसल जीएसटी मॉडेल एक बनाया गया लेकिन कानून एक नहीं है। इस मॉडेल को आधार मानकर प्रत्येक विधानसभा और संसद को अपने यहाँ जीएसटी कानून को पास करना था। और इस प्रकार कानून पास करते करते केंद्र सरकार ने सीजीएसटी एवं यूटीजीएसटी एक्ट पास किया 31 राज्य सरकारों ने अलग अलग एसजीएसटी एक्ट पास किया इस प्रकार यह 33 कानून पास हुए एक जीएसटी मॉडेल को आधार मानकर। यहाँ देखने लायक है की सीजीएसटी कानून भी हूबहू जीएसटी मॉडेल की तर्ज पर संसद में नहीं पास हुए हैं थोड़े बहुत मामूली अंतर है, उसी तरह राज्यों में भी कानून पास करते वक़्त थोड़े बहुत बदलाव किए गए, हालांकि बेसिक मॉडेल इन सब क़ानूनों का लगभग जीएसटी मॉडेल के अनुसार ही है। अब अगर किसी को कई राज्यों मे व्यापार करना है तो ऐसा नहीं है की एक ही कानून पढ़ने से काम चल जाएगा उसे उस राज्य विशेष का एसजीएसटी कानून के हिसाब पढ़ना ही पड़ेगा।

अब आते हैं एक बाजार के निर्माण पे। एक बाजार का तो निर्माण हुआ है एवं कर को लेकर एक समरूपता रहेगी, और थोड़ी बहुत भिन्नता को छोड़कर सभी राज्यों में कर की प्रणाली समान ही रहेगी, लेकिन बाजार का जो अनुशासन है अब वह बहुत ही आदर्श स्थिति की मांग करेगा। इस बाजार मे आप जरा सा चुके या लापरवाह हुए तो आप बाजार से बाहर हुए। आपकी कर कानून पालन करने का अनुशासन अव्वल दर्जे का चाहिए, आपका लेखा तंत्र का तकनीकी पहलू मजबूत होना चाहिए। आपके लेखाकार दक्ष होने चाहिए तभी आप इस बाजार में टिक पाओगे अन्यथा व्यावसायिक जीवन मुश्किल है। एक बाजार की लागत पे इस समय बाजार मे असमंजस की भी स्थिति है, जबसे जीएसटी के रेट जारी हुए हैं कई व्यापारी अपने स्टॉक को निपटाने में लगे हुए हैं तो कई ने खरीद बंद कर दिया है। पूरा बाजार सावधान की मुद्रा में सांस रोके इस एक बाजार का इंतेजार कर रहा है।

इस संघीय भारत में जीएसटी का जो स्वरूप पास किया गया वह पूर्ण एवं सक्षम पंचायती राज के उद्देश्यों के विपरीत है। कहाँ पूर्ण एवं सक्षम पंचायती राज के उद्देश्यों में वित्तीय रूप से सक्षम पंचायत होने चाहिए अब पंचायतों के चुंगी लगाने के अधिकार को खत्म कर दिया गया है। मुंबई जैसे महानगर पालिका में जहां यह एक बड़ा आय का जरिया था उसे जीएसटी मे शामिल कर इसके निर्णय का अधिकार जीएसटी काउंसिल को दे दिया गया। कायदे से सरकार को पंचायतों को मजबूत करने के लिए सीजीएसटी और एसजीएसटी की तरह पंचायतों के लिए भी एक कर दर की व्यवस्था करना चाहिए। और जो जीएसटी की कुल दर सीजीएसटी और एसजीएसटी मे आधा आधा बांटा गया है उसमें से कुछ हिस्सा पंचायत के लिए भी रख लिया जाता तो अच्छा रहता और बिल मे सीजीएसटी , एसजीएसटी एवं एक पंचायत जीएसटी भी लग जाता तो कुछ बुरा नहीं होता, ऐसे झटके से पंचायतों के अधिकार को छिन लेना पूर्ण एवं सक्षम पंचायती राज के मूल भावना के खिलाफ है।

हालांकि ऐसा नहीं है की जीएसटी एक विचार के रूप में अच्छा नहीं है लेकिन भारत जैसे बड़े देश में इतनी जल्दबाज़ी से लागू करना भारी पड़ सकता है। आप अंतिम समय तक दर और नियमावली को अंतिम रूप दे रहे हो, फॉर्म और सॉफ्टवेयर तैयार हो रहे हैं, तो 1 जुलाई से यह प्रभावी तरीके से लागू कैसे हो जाएगा? देश को थोड़ा समय देना चाहिए। देश का 90% कर का व्यवहार वकीलों के माध्यम से होता है, दूरस्थ क्षेत्र के वकील जो व्यापारी के सबसे नजदीकी और सुलभ सलाहकार होते हैं अभी वह सीखने के स्थिति में हैं ऐसे में लागू करना व्यापारियों को अनजाने में कर का अपराधी बनाने जैसा है। तमाम आलोचनावों के बाद जीएसटी का एक अच्छा पहलू यह है की इससे महंगाई के कम होने की संभावना है, और इससे किसान मजदूर और वेतनभोगी जनता को राहत मिलने की आशा है।

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