कस्बे और GST

*प्रश्न : ये जीएसटी क्या है?*

जीएसटी वस्तुवों एवं सेवाओं की आपूर्ति पे लगने वाला कर है। इसके दो भाग होंगे पहला स्टेट जीएसटी (SGST) एवं दूसरा सेंट्रल जीएसटी  (CGST)। इसलिए अब यूपी मे आपूर्ति के वक़्त बिल पर जो कर लगेगा वह UPGST एवं CGST बराबर बराबर लगेगा।

*प्रश्न : वस्तुवों एवं सेवाओं पर एक ही तरह के कर लगेंगे या अलग अलग लगेंगे?*
नहीं वस्तु हो या सेवा हो सब पर यही दोनों कर लगेंगे। हाँ अगर राज्य के बाहर को कोई खरीद बिक्री करते हैं तो इन दोनों UPGST एवं CGST की जगह IGST लगेगा।

*प्रश्न : क्या यह सिर्फ बिक्री पे लगेगा या अन्य सौदों पे लगेगा?*

नए जीएसटी कानून में पूर्व की भांति बिक्री, उत्पादन, सेवा, एंट्री पे टैक्स लगाने की व्यवस्था समाप्त कर दी गई है। अब प्रत्येक व्यापारी को सप्लाई पर जीएसटी देना होगा भले ही वह खुद से अपने डिपो या एजेंट या गोदाम में माल भेजे। हां अगर उसका डिपो या एजेंट या गोदाम एक ही राज्य में है उसका अलग से जीएसटी पंजीयन नहीं है है तो जीएसटी बिना लगाए भेज सकता है लेकिन दूसरे राज्य में अपने डिपो या एजेंट या गोदाम में भी IGST लगा के ही माल भेजना होगा भले माल दूसरे को न बेच रहें हों आप।

*प्रश्न : इसमें किसके और कौन कौन से कर खत्म हो रहे हैं?*

जीएसटी के माध्यम से वस्तुवों के एक उपभोग शृंखला में उत्पादक से लेकर उपभोक्ता तक पहुँचते पहुँचते अधिकतम निम्न प्रकार के कर लगते थे। BCD, CVD, SAD, Octroi, Excise, VAT/CST अब यह सब खत्म हो जाएंगे और इसके जगह सिर्फ जीएसटी लगेगा। अब उत्पादक स्तर पर ही लागत कम हो जाएगी और थोक विक्रेतावों को माल सस्ते मे मिलेगा, कई कर विभागों की जगह अब सिर्ग SGST एवं CGST विभाग से ही वास्ता पड़ेगा। हाँ सेवा कर वाले व्यवसाय में सिर्फ एक ही टैक्स खत्म होगा, इसके अलावा राज्य के अन्य कर लक्जरी टैक्स, मनोरंजन टैक्स भी कात्म हो जाएगा, लेकिन महानगर पालिकावों के प्रॉपर्टी टैक्स और राज्य के स्टैम्प शुल्क बरकरार रहेंगे।

*प्रश्न : क्या यह सही मे एक कानून एक कर एक दर है?*

जीएसटी एक मॉडेल कानून है, जिसके पैटर्न पर प्रदेश के हर राज्यों को अपने यहाँ इसे स्टेट जीएसटी के तौर पर कानून पास करना पड़ेगा। जैसे यूपी मे UPGST , तो गोवा मे गोवा GST रहेगा। इस प्रकार 29 राज्यों के 29 राज्य जीएसटी कानून होंगे, केंद्र शासित प्रदेश के अपने जीएसटी कानून होंगे, हाँ लेकिन उनका पैटर्न सेंट्रल जीएसटी लॉं के आधार पर ही होगा। एक दर एक श्रेणी के वस्तुवों पर ही रहेगा इस प्रकार 5 दरें हैं 0%, 5%, 12%, 18% एवं 28%। ज्वेलरी पे नई दर आएगी, और जो सिन गूड्स होते हैं उनपर 28% के ऊपर भी सेस लगेगा।

*प्रश्न : कौन कौन सी चीजें जीएसटी के दायरे से बाहर है?*

पहले तो एक बात समझ लीजिये ज़ीरो रेट होना और दायरे से बाहर होना दो अलग अलग चीजें हैं। ज़ीरो रेट का मतलब होता है की आप पे जीएसटी लागू है लेकिन फिलहाल रेट ज़ीरो है जिसे बाद में सरकार बाद मे बढ़ा भी सकती है लेकिन दायरे से बाहर होना मतलब असपे जीएसटी कानून लागू नहीं है जैसे मानव उपभोग वाले अल्कोहल, पेट्रोलियम उत्पाद, प्राकृतिक गैस, हवाई जहाज मे लगने वाले ईंधन एवं बिजली। मूल कृषक को करदाता की परिभाषा से बाहर रक्खा गया है।

*प्रश्न : इस जीएसटी से महंगाई पर क्या असर पड़ेगा?*

इससे बहुत सी चीजों की महंगाई कम होगी ख़ासकर जीवन के जरूरत वाली चीजों के क्यूँ की कर पर कर लगने वाली व्यवस्था का अंत हो जाएगा।

*प्रश्न : जीएसटी निम्न वर्ग, मध्यम वर्ग और उच्च वर्ग पे कैसे प्रभाव डालेगा?*

एक उपभोक्ता के रूप में जीएसटी निम्न वर्ग के लिए फायदेमंद होगा क्यूँ की चीजें सस्ती होंगी। मध्य वर्ग के लिए फायदेमंद होगा यदि वह लक्जरी वस्तुवों के उपभोक्ता नहीं हैं। उच्च वर्ग के लिए थोड़ा महंगा पड़ेगा यदि वह लक्जरी वस्तुवों का उपभोग ज्यादे करते हैं। हाँ कुछ ऐसी सेवाएँ जैसे मोबाइल एवं टेलीफ़ोन बिल आदि समान रूप से सबको महंगी होंगी।

*प्रश्न : इस जीएसटी से व्यापारियों पर क्या प्रभाव पड़ेगा?*

इस जीएसटी से व्यापारियों के कागजी काम एवं व्यवसाय मे अनुशासन अनिवार्य हो जाएगा। अब वही व्यापारी रह जाएगा जो कानून के दायरे मे रहते हुए समय समय पे कागजी कारवाई पूरी करता है। इसमें काले धन के व्यापारी खत्म हो जाएंगे और कर को लेकर चोरी तो नहीं लेकिन लापरवाही बरतने वाले व्यापारियों को यह जीएसटी भारी पड़ेगा।

*प्रश्न : सिसवा निचलौल जैसे देश के अन्य कस्बों पर जीएसटी का क्या प्रभाव है?*

सिसवा निचलौल जैसे जो देश के छोटे क़स्बे हैं वह मूलतः थोक, फुटकर एवं कृषि व्यापार ज्यादे होता है। यहाँ कोई चीज बहुत सस्ती भी हो जाए तो मार्केट मे व्यवसाय का अभूतपूर्व उछाल नहीं होता है क्यूँ की 90% खरीद इनके जरूरत की ही होती है, विलासिता की वस्तुएं 10% से अधिक नहीं बिकती हैं।  इसलिए सस्ताई तो होगी लेकिन सस्ताई से कोई व्यापार नहीं बढ़ेगा , व्यापारियों की कागजी औपचारिकता बढ़ जाएगी। उन्हे नॉलेज का वैसा सपोर्ट एवं इन्फ्रा भी नहीं प्राप्त है जैसा की मेट्रो एवं बड़े शहरों में है। बिजली एवं इंटरनेट की भी समस्या रहेगी। जीएसटी के जानकार और दक्ष अकाउंटेंट की भारी कमी इन्हे भारी पड़नी वाली है। दरअसल जीएसटी का इन्फ्रा तहसील एवं क़स्बे स्तर तक तैयार नहीं है जबकि यह लागू गांवो तक है

*प्रश्न : गाँव एवं किसानों पर जीएसटी का क्या प्रभाव है?*

ग्रामीण व्यापारियों पे तो जीएसटी लागू होगा यदि उनका व्यापार सालाना सभी श्रोतों से , किराया से एवं अन्य जगहों से मिलाकर 20 लाख से ज्यादे है । जीएसटी कानून मे वास्तविक कृषि कार्य करने वाले कृषक को करदाता की परिभाषा से बाहर रक्खा गया है, मतलब उसके ऊपर जीएसटी नहीं लागू होगा। 

*प्रश्न : इस जीएसटी के लिए सरकार के स्तर पर और व्यापार के स्तर पे क्या तैयारी है?*

सरकार की तैयारी लगभग पूरी है, जीएसटी पोर्टल, GSP एवं ASP तैयार हैं। सरकार ने सुविधा केंद्र एवं टीआरपी की भी व्यवस्था की है, लेकिन व्यापारियों के स्तर पे जागरूकता का अभाव है। समय बहुत कम है , व्यापारी वर्ग जितना गंभीरता से इसे लेना चाहिए ले नहीं रहे हैं। सरकार को तहसील स्तर पर सर्विस टैक्स एक्साइज़ एवं वैट विभाग साथ मे एक सीए/वकील को एक साथ जा के शहरों मे तो जोन बाँट के करे ही करे हर ब्लॉक एवं तहसील स्तर पर कम से कम तीन बार सभा करे, तीन बार इसलिए की व्यापारी हो सकता है की एक बार में नहीं आ पाएँ। और तीनों विभाग एक साथ इसलिए की वैट विभाग को पूर्व के सेवाकर एवं उत्पाद शुल्क के बारे मे नहीं पता और सेवा कर को  वैट के बारे में नहीं पता होगा, यदि तीनों एक साथ रहेंगे तो अपने अपने बदलाव के प्रभाव बता पाएंगे।  

*प्रश्न : सिसवा निचलौल जैसे देश के अन्य कस्बों को कैसे तैयार रहना चाहिए इसके लिए?*

कमर कस के तैयार रहना चाहिए सबको। यह ऐसा नहीं है की सिर्फ शहरों मे लागू है। व्यापारियों को अपने वकीलों एवं अकाउंटेंट से तुरंत मीटिंग कर उनसे आग्रह करना चाहिए की वह इसकी तैयारी करें और उन्हे जानकारी देवें। व्यापारियों के साथ साथ वहाँ अकाउंटेंट, सीए एवं वकीलों को सज्ज होना बहुत जरूरी है। जिस तरह से कागजी कारवाई बढ़ी है 50000 की आबादी के कस्बों मे दक्ष 20 अकाउंटेंट भी कम पड़ेंगे। अब ऐसा नहीं है की सब कुछ अधिकारी के विवेक पर निर्भर है सरकार ने लगभग सब काम कम्प्युटर पर कर दिया है । एक गलती पे फीस एवं ब्याज तुरंत लगनी है और कम्प्युटर द्वारा कागज पे लगे इस भार को अधिकारी भी अपने विवेकाधिकार का इस्तेमाल कर नहीं खत्म कर सकता है और इसकी ब्याज और फीस अपील मे भी माफ नहीं हो सकता है क्यूँ की यह कानूनी प्रावधान है। सरकार ने मानवीय हस्तक्षेप इस व्यवस्था मे न्यूनतम कर दिया है, अगर कोई कहे की कर अधिकारी मानवीय आधार पर रियायत दे सकते हैं तो यह संभव ही नहीं है, सब कुछ कम्प्युटर और सिस्टम ही करेगा, इसलिए इसे हल्के और लापरवाही मे नहीं लिए जाने लायक है। व्यापारियों को सज्ज रहना ही पड़ेगा अब और कोई राह नहीं है।

*प्रश्न : काले धन पे ईसपे क्या प्रभाव पड़ेगा ?*

काले धन का व्यापार लगभग बंद ही हो जाएगा, क्यूँ की सौदे की कोई भी शृंखला अगर कर के दायरे में आ गई तो पूरी शृंखला खुलने वाली है । सरकार ने ऐसी व्यवस्था कर दी है की व्यापार के लाभ हानी खाता मे वेतन को छोडकर लगभग सब मद पे जीएसटी है, अगर आपने खर्चे का जीएसटी बिल लिया है तो आपने खर्च के माध्यम से जीएसटी भरा है, और अगर नहीं लिया है तो अपंजीकृत व्यापारी का पूरा नाम पता बताते हुए रिटर्न मे उसका भी जीएसटी भरिए।

*प्रश्न : जीएसटी से अर्थ व्यवस्था पर क्या प्रभाव पड़ेगा?*

महंगाई तो कम होगी, लेकिन शुरुवाती 3 वर्षों मे देश की अर्थव्यवस्था जाम हो जाएगी। सरकार के स्तर पे तो तैयारी हो गई है लेकिन मेट्रो के बड़े व्यवसायिक घरानों को छोडकर छोटे व्यापारी, छोटे शहरों एवं कस्बों के व्यापारी इसके लिए तैयार नहीं है। टेबल के दूसरे तरफ देश का 90% टैक्स इन्फ्रा वकीलों एवं अकाउंटेंट और मुनीमों के पास है और सेल्स टैक्स मे तो 95% इनके पास है और इनके ट्रेनिंग और प्रशिक्षण के लिए कोई एकीकृत कार्यक्रम इनके स्तर पर नहीं चलाये गए हैं जैसा की सीए इंस्टीट्यूट ने चलाया है। इस टैक्स इन्फ्रा का तैयार न होना देश को भारी पड़ने वाला है।

*प्रश्न : कस्बों के वह व्यापारी जो दिल्ली या अन्य राज्यों से माल खरीदते हैं या बेचते हैं उनपे क्या प्रभाव पड़ेगा? जैसे रेडीमेड कपड़े के व्यापारी या गल्ले के व्यापारी या दवा के व्यापारी।*

पहला प्रभाव तो यह पड़ेगा की यह अंतरराज्यीय व्यापार की श्रेणी मे आएगा तो इनको 20 लाख की लिमिट वाली छूट नहीं मिलेगी और अगर इन्होने दूसरे राज्य से मसलन दिल्ली या बिहार से 1 रुपये की भी खरीद बिक्री की हो चाहे वो ज़ीरो रेट का हो या करमुक्त हो , इन्हे जीएसटी में पंजीयन कराना ही पड़ेगा। और इनके सौदों पर IGST लगेगा। अगर माल की वैल्यू 50000 से ज्यादे है तो माल ई-वे बिल के माध्यम से ही ट्रांसपोर्ट से आएगा।

*प्रश्न : कस्बों के वह व्यापारी जिनका टर्नओवर 20 लाख से कम है क्या वह वाकई जीएसटी से बाहर हैं?*

यह लिमिट की छूट कुछ शर्तों के साथ है साधारण 20 लाख की लिमिट नहीं है। उदाहरण के तौर पे निम्न अगर कोई दूसरे राज्य से 1 भी रुपए का व्यापार करता है , पहले से कोई  वैट, सर्विस टैक्स या एक्साइज़ का कोई पंजीयन हो , उसे कोई जीएसटी रीवर्स चार्ज मे भरना हो, अनिवासी हो, जिसको जीएसटी कानून के तहत टीडीएस काटना अनिवार्य है जैसे ऑनलाइन व्यापार वालों को, वह एजेंट, इनपुट सर्विस डिस्ट्रीब्यूटर हो आदि आदि तो यहाँ 20 लाख की छूट का कोई मायने नहीं उसे पंजीयन कराना ही पड़ेगा। 

*प्रश्न : इस 20 लाख की गणना के लिए क्या क्या जोड़ा जाएगा?*

इसमे एक व्यक्ति के द्वारा पूरे भारत में की गई समस्त कर योग्य, कर मुक्त सप्लाई, निर्यात  यहाँ तक की उस सप्लाई को भी जोड़ा जाएगा जिसे जीएसटी के दायरे से बाहर रखा गया है । मतलब 20 लाख की लिमिट की गणना के लिए जीएसटी के दायरे से बाहर वाली आपूर्ति को भी लिया जाएगा। इस टोटल मे जीएसटी की राशि एवं रिवर्स चार्ज जिस राशि पे लगता है उस टोटल को नहीं जोड़ा जाएगा।
 
*प्रश्न : पंजीकृत व्यापारियों के दैनंदिनी के जो खर्च अपंजीकृत व्यापारियों से होते हैं, उन पर कैसा प्रभाव पड़ेगा?*

पंजीकृत व्यापारियों को ऐसे व्यापारिक खर्चों पे जीएसटी खुद से खुद को बिल जारी कर के भरना अनिवार्य है और रिटर्न मे इस अपंजीकृत खर्चे के विवरण के साथ उस अपंजीकृत व्यापारी का नाम पता सब डीटेल भरना अनिवार्य है। इससे कोई अपंजीकृत व्यापारी अब बच नहीं पाएगा क्यूँ की खर्चों को क्लेम करने हेतु इस सूचना की ज़िम्मेदारी वह खर्चा करने वाले व्यापारियों के ऊपर सरकार ने डाल दिया है।

*प्रश्न : जीएसटी मे कितने रिटर्न भरने पड़ेंगे?*

सामान्यतया व्यापारियों को महीने मे तीन और वार्षिक 1 रिटर्न भरने पड़ेंगे तो कुल 37 रिटर्न वर्ष के होंगे। अगर कोंपोजीशन वाला व्यापारी है तो त्रैमासिक 4 रिटर्न और वार्षिक 1 कुल 17 रिटर्न भरने पड़ेंगे। जो व्यापारी जीएसटी टीडीएस काटेगा उसे 12 रिटर्न और भरने पड़ेंगे तो उसे कुल 49 रिटर्न पड़ेंगे। सामान्यतया महीने की 10 तारीख तक व्यापारी को अपना आउटवर्ड रिटर्न भरना है 11 तारीख से आउटवर्ड रिटर्न भरना सिस्टम ब्लॉक कर देगा, फिर 11 से उन्हे इनवर्ड रिटर्न 15 तक भरना पड़ेगा। दोनों भरते वक़्त व्यापारी के खरीद और उसके आपूर्तिकर्ता द्वारा 10 तारीख वाले आउटवर्ड रिटर्न मे अगर कोई मिस मैच पाया जाता है तो 17 तक उसे सही कर के 20 तारीख तक टैक्स का भुगतान कर के 20 को तीसरा मासिक रिटर्न भरना होगा। दूसरे और तीसरे रिटर्न मे ज्यादे चीजें नहीं भरनी पड़ेंगी क्यूँ की कर लगे खरीद उसके पास उसके सप्लायर द्वारा भरे गए रिटर्न से औटोमेटिक आ जाएंगी, हाँ अगर उनका सप्लायर चूका तो रिटर्न मिस मैच बताएगा और अगर उस सप्लायर ने  नही भरा तो व्यापारी को वह भी खुद ही भरना पड़ेगा। 

*प्रश्न : रिटर्न फ़ारमैट में कुछ बदलाव हुए हैं क्या ?*

हाँ बदलाव हुए हैं। पूर्व की भांति मासिक त्रैमासिक या अर्धवार्षिक कुल बिक्री एवं कुल खरीद कुल कर का डीटेल नहीं भरना है अब फुटकर व्यापारियों के अलावा सबको बिलवाइज़ ही रिटर्न भरना है और बिल की एक एक जानकारी भरना है। अब वस्तुवों एवं सेवाओं का एचएसएन कोड लिखना है। फुटकर व्यापारी को वस्तुवों की श्रेणीवार उनका एचएसएन कोड लिखते हुए रिटर्न भरना है मतलब वस्तु एवं सेवावार टोटल आधारित पर भरना है। रिटर्न के लिए डाटा का साइज़ बहुत बढ़ जाएगा यदि व्यापार की वस्तुवों की संख्या ज्यादे हुई या बिल की संख्या ज्यादे हुई ऐसी दशा मे व्यापारियों को इस लोड को देखते हुए अपना वर्क फोर्स बढ़ाना पड़ेगा।

*प्रश्न : जीएसटी मे खुद के ब्रांच या डिपो पे माल भेजने पर सुना है जीएसटी लगेगा।*
हाँ यह सच है क्यूँ की जीएसटी मे टैक्स बिक्री पे नहीं सप्लाई पे हैं और यदि आप अपने डिपो या ब्रांच पे भी सप्लाई करते हैं तो आपको जीएसटी लगा के ही सप्लाई करना पड़ेगा इसे व्यापार मे वर्किंग पूंजी का समस्या आएगी। इसमे थोड़ी सी एक रियायत है है की अगर आपका एक ही प्रदेश मे डिपो है और माल प्रदेश के बाहर नहीं जा रहा है और इस राज्य के अंदर डिपो का अलग से नया पंजीयन नहीं है और एक ही जीएसटी पंजीयन मे अतिरिक्त व्यापार स्थल दिखाएँ है तो बिना जीएसटी लगाए भी माल भेज सकते हैं लेकिन यदि प्रदेश से बाहर अपने डिपो या गोदाम पे भेज रहे हैं या प्रदेश के अंदर ही अलग पंजीयन वाले स्थान पर भेज रहे हैं तो जीएसटी लगाना पड़ेगा। 

*प्रश्न : इनपुट टैक्स क्रेडिट कैसे मिलेगा जीएसटी में ?*

इनपुट क्रेडिट लेने का नियम थोड़ा कठिन है। व्यापारी को पूर्व की भांति बिल होने के आधार पर क्रेडिट नहीं मिलेगा। अब इनपुट क्रेडिट कम्प्युटर ही बताएगा। और यह क्रेडिट आधारित होगा व्यापारी के सप्लायर द्वारा इसका भुगतान और रिटर्न जमा करने के बाद। अगर कम्प्युटर नहीं बताएगा तो क्रेडिट नहीं मिलेगा। क्रेडिट लेने के लिए सारे कागजी औपचरिकताए भी पहले से बढ़ गई हैं।

*प्रश्न : 30 जून को जो स्टॉक पड़ा हुआ है उसपर बचा हुआ इनपुट क्रेडिट की क्या स्थिति होगी ?*

इन सारे स्टॉक पर क्रेडिट फॉरवर्ड हो जाएगा बशर्ते जीएसटी का समय से पंजीयन करा ले। यह क्रेडिट वस्तुवों के व्यापारियों को ही मिलेगी। नियम यह है की अगर कोई व्यक्ति जीएसटी के लिए देय होने की तिथि से 30 दिनों के अंदर पंजीयन करा लेता है तो उसके पास पड़े माल पे भरे गए वैट या अब लगने वाले जीएसटी का इनपुट क्रेडिट मिलेगा अन्यथा नहीं

*प्रश्न : सेवा कर का इनपुट क्रेडिट जो की 30 जून को बचा हुआ है , की क्या स्थिति होगी ?*

अगर सेवा प्रदाता ने जीएसटी मे पंजीयन करा लिया है तो मिलेगा अन्यथा नहीं। नियम यह है की अगर कोई व्यक्ति जीएसटी के लिए देय होने की तिथि से 30 दिनों के अंदर पंजीयन करा लेता है तो उसके भरे गए सेवा कर  या अब लगने वाले जीएसटी का इनपुट क्रेडिट मिलेगा अन्यथा नहीं

*प्रश्न : ऐसी कौन सी चीज थी जो पहले जीएसटी के दायरे में नहीं थी अब आ गई ?*

पहले 1.50 करोड़ तक के व्यापारी को एक्साइज़ मे पंजीयन जरूरी नहीं था अब है। पहले लोगों को अपने उन व्यापारिक खर्चों को जो की अपंजीकृत व्यापारी से करते थे वैट नहीं देना पड़ता था मसलन चाय पानी, भाड़ा इत्यादि अब सब पर भरना पड़ेगा। पहले डिपो ट्रान्सफर पर टैक्स नहीं था अब है। पहले सिर्फ बिक्री और उत्पादन पे टैक्स था अब सिर्फ और सिर्फ सप्लाई पे है बिक्री और उत्पादन के कोई मायने नहीं है जीएसटी में। बिना सिले कपड़ों पे नोटिफ़िकेशन आने वाले हैं ईसपे भी लग सकता है।  ये मान लीजिये मानव उपभोग वाले अल्कोहल, पेट्रोलियम उत्पाद, प्राकृतिक गैस, हवाई जहाज मे लगने वाले ईंधन,बिजली एवं मूलतः कृषक को छोड़कर सब पे जीएसटी है।

*प्रश्न : क्या पेट्रोल पम्प के व्यापारी इससे बाहर हैं, उन्हे जीएसटी मे पंजीयन नहीं कराना पड़ेगा ?*

आजकल पेट्रोल के व्यापारी तो सिर्फ पेट्रोल बेचते नहीं है मोबिल समेत बहुत सी चीजें बेचते हैं और 20 लाख की लिमिट की गणना के लिए तो जीएसटी के दायरे से बाहर वाली चीजों को भी तो जोड़ना पड़ेगा। इसलिए उन्हे पंजीयन कराना पड़ेगा और पेट्रोल छोड़कर अन्य चीजों पे तो जीएसटी भरना पड़ेगा।

*प्रश्न : ईंट भटठे के व्यापारियों पे इसका क्या असर पड़ेगा ?*

ये सब लोग जीएसटी के दायरे में आएंगे। पूर्व की व्यवस्था खत्म।

*प्रश्न : रेडीमेड एवं बिना सिले कपड़ों के व्यापारियों पर इसका क्या प्रभाव पड़ेगा ?*
रेडीमेड वाले तो है हीं, बिना सिले कपड़ों पे नोटिफ़िकेशन आने वाले हैं । रेडीमेड दवा के व्यापारी जो दूसरे प्रदेशों दिल्ली सूरत अहमदाबाद से माल खरीदते हैं इन्हे तो पंजीयन कराना ही पड़ेगा भले ही आपूर्ति का टोटल 20 लाख से कम। इनपे लगने वाले कर का दर का टेबल सरकार ने जारी कर दिया है उसको यह देख सकते हैं। अगर माल की वैल्यू 50000 से ज्यादे है तो माल ई-वे बिल के माध्यम से ही ट्रांसपोर्ट से आएगा।

*प्रश्न : यात्री एवं माल भाड़े पे चल रही गाड़ियों या टॅक्सी  पे जीएसटी लगेगा या ये दायरे से बाहर हैं ?*

ये सब लोग जीएसटी के दायरे में आएंगे। इसे सेवा माना जाएगा।

*प्रश्न : लाभ हानि खाते के कौन सा मद जीएसटी से अछूता रहेगा ?*

वेतन को छोडकर लगभग सब।

*प्रश्न : माल भाड़ा ट्रांसपोर्ट में भी सुना है कुछ बदलाव हुआ है, जैसे यहाँ के व्यापारी गोरखपुर या दिल्ली से माल मंगाते हैं ?*

हाँ माल तो मंगा सकते हैं लेकिन 50000 से ऊपर के माल पे ई-वे बिल लगेगा जिसे इलेक्ट्रोनिकली ऑनलाइन ही जेनेरेट करना पड़ेगा। अगर रास्ते मे गाड़ी खराब होती है गाड़ी बदलनी पड़ती है तो नया ई-वे बिल जेनेरेट करना पड़ेगा। यह ई-वे बिल सभी तरह के परिवहन साधनों पे लगेगा चाहे टेम्पो हो या ट्रक है। किलोमीटर के हिसाब से ई-वे बिल की वैलिडिटी है अगर 100 km तक जाना है तो एक दिन की 100 से 300 km जाना है तो 3 दिन की वैलिडिटी, 300 से 500 केएम जाना है तो 5 दिन की वैलिडिटी, 500 से 1000 km जाना है तो 10 दिनों की वैलिडिटी और 1000 km से अगर अधिक जाना है तो अधिकतम 15 दिन की वैलिडिटी। अगर बीच मे किसी कारण वश वैलिडिटी वाले दिन से ज्यादे दिन लगने वाले हैं तो ऑनलाइन दुबारा ई-वे बिल जेनेरेट करना पड़ेगा उस गाड़ी के लिए। यह ई-वे बिल की बाध्यता सोने चाँदी को ले जाने पे भी रहेगी भले ही वो आप वजन मे 15-20 ग्राम हो। 

*प्रश्न : सुना है माल भाड़ा वाली गाड़ियों को कोई डिवाइस लगाना पड़ेगा?*

हाँ 50000 से अधिक माल ले जानी वाली गाड़ियों को अपनी गाड़ी पे रेडियो फ्रिक्वेन्सी डिवाइस लगाना पड़ेगा चाहे वह टेम्पो हो या ट्रक हो या पीक-अप हो।

*प्रश्न : क्या ई-वे बिल की औपचारिकता अपंजीकृत व्यापारियों पे लगी होगी?*

हाँ यह सभी तरह के माल के परिवहन पे लागू होगी चाहे पंजीकृत हो या अपंजीकृत व्यापारी का हो। पंजीकृत व्यापारी को तो चाहे सप्लाई हो या सप्लाई के अलावा हो या अपंजीकृत से मंगा रहे हों उन्हे यह औपचारिकता तो करनी ही है।

*प्रश्न : क्या स्कूल, ट्रस्ट, समिति, धर्मशाला और मंदिर पर भी जीएसटी है ?*

हाँ सब पर जीएसटी है जो दायरे से बाहर वाली लिस्ट में नहीं है। सिर्फ और सिर्फ एक ही परीक्षण है की क्या आप दायरे वाली लिस्ट में है या नहीं। फिलहाल सरकार ने शिक्षा और हैल्थ केयर को जीएसटी से बाहर रक्खा है। लेकिन ध्यान दीजिएगा दवाइयाँ नहीं बाहर हैं। स्कूल अगर कोई और व्यवसाय करता है तो उसपे जीएसटी है। मंदिर मे पुजा करते हैं तो दान पात्र वाले पैसे पे जीएसटी नहीं है लेकिन यदि आप किसी पूजा विशेष, पास या वीआईपी लाइन या पैसा देकर दर्शन करते हैं तो उसपे जीएसटी है।

*प्रश्न : अगर अपने दुकान का माल निजी उपयोग मे लाते हैं तो क्या उसपे भी जीएसटी देना पड़ेगा ?*

हाँ देना पड़ेगा, यहाँ तक की आप अपने स्टाफ को खाना खिलते हैं उसपे भी जीएसटी देना है और इसके लिए तीसरे को तो बिल नहीं कर सकते तो खुद से खुद को बिल निर्गत करना पड़ेगा।

*प्रश्न : यह ईलेक्ट्रोनिक कॅश लेजर , ईलेक्ट्रोनिक क्रेडिट लेजर और पेमेंट की क्या व्यवस्था है ?*

अगर आप कर का भुगतान करते हैं तो यह ईलेक्ट्रोनिक कॅश लेजर में जा के पार्क हो जाएगा। आपका सप्लायर कर का भुगतान करने के बाद समय से रिटर्न भरता है तो यह भुगतान आटोमेटिक ईलेक्ट्रोनिक क्रेडिट लेजर में जाएगा। जीएसटी नियम के मुताबिक जो जीएसटी देय 10 तारीख के रिटर्न से मे हैं उसे 20 तारीख वाले रिटर्न मे ज़ीरो करना ही है और इसके लिए उसे क्रेडिट और कॅश लेजर में पार्क बैलेन्स का प्रयोग करना पड़ेगा। यहाँ ध्यान देने योग्य तथ्य है की सिर्फ चालान से पेमेंट कर देना ही पेमेंट नहीं माना जाएगा, यह राशि तो जा के ईलेक्ट्रोनिक कॅश लेजर मे डिपॉज़िट हो जाएगा। जब तक व्यापारी पोर्टल पे जा के इसे ईलेक्ट्रोनिक कॅश लेजर से डेबिट नहीं करेगा कर का भुगतान नहीं माना जाएगा।  

*प्रश्न : सिसवा एवं निचलौल के व्यापारियों के लिए आपका क्या संदेश है ?*

यह बातचीत सामान्य जानकारी के लिए है और मेरे पास संभव उपलब्ध जानकारी के ही आधार पर है। अपने मामले विशेष के लिए अपने सलाहकार से निजी तौर पे संपर्क करें। इसे किसी भी तरह से राय के तौर पर न लें, आपके केस को केस विशेष के आधार पर आपका सलहकर ही बता सकता है। हर व्यापारी छोटा हो या बड़ा जीएसटी को गंभीरता से लें। इसकी तैयारी अभी से चालू कर दें। अपने वकील और सीए से लगातार संपर्क में रहें। अपने व्यापार की अकाउंटिंग चालू कर दें। अपने अकाउंटेंट के ट्रेनिंग पे खर्चा करें। अगर रिटेनर पर अकाउंटेंट हैं तो उसे ट्रेनिंग के लिए प्रोत्साहित करें। पहले से पंजीकृत व्यापारी अपना जीएसटी नंबर ले लें।

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