विकास के नक्शे पे पूर्वाञ्चल “विशेष” हो : नए निज़ाम से नई उम्मीदें

28 साल बाद प्रदेश में और केंद्र में एक ही पार्टी की सरकार है और देश के पीएम भी पूर्वाञ्चल से सांसद हैं तो प्रदेश और विकास में सुनियोजित तरीके से पिछड़े पूर्वाञ्चल को विकास के नक्शे पे नए सीएम से बड़ी उम्मीदें हैं। नए सीएम को विकास की बयार जो लखनऊ से पश्चिम की तरफ ही बढ़ती है उसे पूरब की तरफ भी मोड़ना होगा। आज से 28 साल पहले जब केवल श्रम पलायन होता था आज श्रम के साथ साथ प्रतिभा पलायन बहुत ज़ोरों से हैं, अतः नए सीएम को चुनौतियाँ भी नई हैं। किसानों की संख्या और जोत छोटे होते जा रहें हैं, रोजगार के लिए पलायन हो रहा है और पूर्वाञ्चल के कस्बे, गाँव और शहर में बूढ़े होते माता पिता का एकाकीपन बढ़ता जा रहा है। आज भी किसी क्रिटिकल इलाज के लिए लोगों को दिल्ली और मुंबई भागना पड़ता है और शहर के हिस्से ट्रेफिक से चरमरा रहे हैं। शिक्षा के लिए जगह जगह इंटर कॉलेज और डिग्री कॉलेज तो खुले लेकिन उतने तकनीकी संस्थान और रोजगार के केंद्र नहीं खुले जिस कारण एक यूथ का बड़ा तबका घर बार छोड़कर लखनऊ, नोएडा, दिल्ली और पुणे शिफ्ट होता जा रहा है।
चरमराते सामाजिक ढांचे के बीच विकास की तरफ टकटकी लगाए बूढ़े माँ बाप की आंखे कभी मोबाइल के बटन , तो कभी बिजली के स्विच तो कभी रोज सुबह की अखबार में सूबे के सीएम की योजनावों की तरफ लगी रहती है शायद किसी सीएम की कोई घोषणा उन्हे इस बुढ़ापे में अपने पोते से रोज खेलने दे। इस समस्या को कोई तब तक नहीं समझ सकता है जब तक सीएम पूर्वाञ्चल का न हो, जिसने हजारों आँखों को इन्सेफेलाइटिस से पथराते न देखा हो, जिसने किसानों को अपना जमीन होंडा बटैया करते न देखा हो, जिसने तपती गर्मी में पूरी रात पसीने में खुद को काटा न हो और जिसने यहाँ की गड्ढों के बीच सड़क पे यात्रा न की हो।
यूपी के नए सीएम को यहाँ की आर्थिक सामाजिक और भौगोलिक स्थिति की बराबर समझ चाहिए। विकास के लिए दरअसल पूर्वाञ्चल से सीएम ही नहीं इसका अलग विकास बोर्ड ही चाहिए जो यहाँ के विकास के लिए सरकार से संवाद के लिए सक्षम प्राधिकरण हो। यूपी के बड़े आकार को देखते हुए राज्य या केंद्र के बजट पूर्वाञ्चल के लिए अलग से ही बनने चाहिए, नहीं तो हमेशा की तरह यूपी के लिए आए बजट का बड़ा हिस्सा पश्चिम की तरफ ही खर्च हो जाएगा।

विश्व की सर्वोत्तम भूमि होने के बावजूद यह क्षेत्र लैंड लॉक है और और इसे ध्यान मे न रखकर योजना बनाने से यह क्षेत्र पिछड़ता जा रहा है जबकि समुद्री तटों के किनारे बसे प्रदेशों में धड़ाधड़ समुद्री पोर्ट और एयरपोर्ट खुलते जा रहें हैं। गुजरात का कच्छ इलाका जो अपने बंजरपन के लिए जाना जाता था , उसे गुजरात की सरकार ने उस क्षेत्र के अध्ययन करने के बाद वहाँ के हिसाब से प्लान बनाया, आज वहाँ दो कमर्शियल एयरपोर्ट के साथ मुन्द्रा, कांदला, भुज, अदानी समुद्री पोर्ट बनाए, वहाँ जहां रहने लायक वातावरण न हो देश का सर्वोत्तम टुरिस्ट स्पॉट बनाया। यूपी के नए निजाम को भी इस तरफ सोचना होगा। यहाँ के लैंड लॉक को तोड़ते हुए वाराणसी फ़ैज़ाबाद और गोरखपुर में अंतर्राष्ट्रीय मानक के पैसेंजर एयरपोर्ट बनाने होंगे और इन एयरपोर्ट पे कार्गो टर्मिनल विकसित करने होंगे। जगह जगह सप्लाइ चैन और कोल्ड स्टोरेज को दुरुस्त करना पड़ेगा इन्हे प्रोत्साहित करना पड़ेगा। इन कार्गो टर्मिनल को रेल्वे, रोडवेज और अन्य परिवहन एवं कोल्ड स्टोरेज से जोड़ते हुए पूर्वाञ्चल में पैदा हो रहे कृषि एवं उत्पादों और प्रतिभावों को विश्व बाजार से कनेक्ट करना होगा। सरकार की विभिन्न संस्थानो को मिलाकर एक नोडल संस्थान बनाना जो कृषि उत्पादों के साथ अन्य विश्व प्रसिद्ध चीजों का ऑनलाइन एकीकृत डाटाबेस बनाए, जिसमे इनकी जानकारी,उपलब्धता के साथ आपूर्तिकर्ता की भी जानकारी रहे, ताकि राष्ट्रीय के साथ वैश्विक खरीददार भी इस ऑनलाइन डाटाबेसके माध्यम से आपूर्तिकर्ता को ऑर्डर दे देवें और कार्गो एयरपोर्ट एवं सपोर्टिंग सप्लाइ चेन मैनेजमेंट के द्वारा उसकी आपूर्ति प्राप्त कर सकें।

कृषि इंजीनियरिंग मे दक्ष युवाओं को कृषि उद्यम मे वैंचर पूंजी का प्रोत्साहन कर कृषि क्रांति लायी जा सकती है। जैसे आईआईटी और आईआईएम मे इंकुबिटेशन केंद्र होते हैं जहां तकनीकी दक्ष युवा को एंटरप्रेनूरशिप के लिए प्रोत्साहित किया जाता है और सरकारी या निजी निवेश प्राप्त किए जाते हैं वैसे प्रयोग कृषि मे भी हो सकते हैं।

पूरे देश और विदेश में सबसे अधिक तकनीकी दक्ष लोग यहीं से गए हैं जबकि पानी और खाने के लिहाज से यह विश्व का सर्वोत्तम स्थान है, तकनीकी वाणिज्यिक हब, इंकुबिटेशन केंद्र, आईटी सिटी जैसे केंद्र यहाँ खोलने होंगे जिससे यहाँ कृषि भूमि का कम से कम उपयोग हो और पलायन बंद हो।

कृषि में प्रोत्साहन के लिए किसानों के लिए नए बाजार और केंद्र और प्रदेश की सम्पूर्ण योजनावों को यहाँ की आबादी के हिसाब से इम्प्लीमेंट कराना होगा ताकि उस मद के पैसे पश्चिम में न भाग जाएँ।

इन्सेफेलाइटिस मुक्त क्षेत्र बनाते हुए इस क्षेत्र को मेडिकल को रेगुलेट करने के लिए कानून लाना चाहिए ताकि अच्छे अस्पतालों और जांच केंद्र के अभाव मे निजी अस्पतालों और डाक्टरों के द्वारा की जा रही लूट बंद हो इसमें शुल्क नियमन से लेकर आचार संहिता भी शामिल हो।

पूर्वाञ्चल पूरे दुनिया के हिन्दुवों और बौद्धों के सबसे पवित्रतम क्षेत्र मे आता है यह क्षेत्र इसको ध्यान मे रखते हुए अयोध्या, मगहर, गोरखनाथ, रामग्राम, कपिलवस्तु, कुशीनगर, सारनाथ, वाराणसी, चुनार , दुग्द्धेश्वर नाथ आदि स्थानों का एक टुरिस्ट सर्किट बनाना चाहिए और ज्यादे से ज्यादे 5 स्टार होटलों का निर्माण करना चाहिए ताकि विश्व टुरिस्ट ट्रेफिक इस तरफ आकर्षित हो और यहाँ के स्थानीय व्यापार फले फूलें।


इन सब के साथ यहाँ पे 24 घंटे बिजली पहली प्राथमिकता में होनी चाहिय ताकि उद्योगों से लेकर छोटे छोटे दुकानदार तक अपनी दुकान दिन मे चला सकें और जनजीवन ठप्प न हों ।

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