पुष्प की अभिलाषा बनाम विधायक की अभिलाषा

पुष्प की अभिलाषा बनाम विधायक की अभिलाषा
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बचपन में अपठित गद्य या पद्य की हिंदी में परीक्षा होती थी और उपरोक्त शीर्षक एक अपठित पद्य को देना पड़ता था, ठीक वही हाल आज विधायक चुनाव का हुआ है। 99% लोगों को मालूम ही नहीं है कि विधायक काम क्या होता है, और यह फैक्ट है चाहे तो सर्वे करा के कोई न्यूज़ चैनल देख ले।

किसी को लगता है कि मेरी फॅमिली जमींदार रही है और मौजूदा दौर में विधायक शब्द जमींदारी का पर्यायवाची है तो विधायकी जन्मसिद्द अधिकार है, ऊ तो लड़ना अनिवार्य है नहीं तो ऐसे लोगों का वश चले तो वसीयत के हिसाब से विधायकी चलाएं।

कुछ ऐसे जमींदार टाइप विधायक के पटीदार होते हैं जिनको लगता है विधायकी भी पट्टीदारी की प्रॉपर्टी का मामला है , काँहे ऊ काँहे न् हम।

कुछ ऐसे होते हैं जो तनी 2 नंबर से पैसा कमा के तीन चार चेला चपाटी पान के गुटका खिला के फंसाये रहते हैं, और ये गुटखा वीर सुबह शाम बाली की तरह इनका बल जगाये रहते हैं। भइया सुमोइया ख़रीदा गइल बा तानी रैफलवा ख़रीदा जात। और अब रैफलवा ख़रीदा गइल बा, अब आपके चेयरमैनी नांही नीक लागी सीधे विधायकी लड़ीं।

कुछ ऐसे होते हैं जो नव धनाढ्य होते हैं और उन्हें सामजिक पहचान की जरूरत होती है। वो विधायकी चांस से जीतने के लिए लड़ते हैं और उनका 15 वर्षीय योजना रहता है। शुरू के 10 साल वो अपनी पहचान और प्रोफाइल में ही पूंजी बर्बाद कर देते हैं।

कुछ ऐसे होते हैं जो बाहर से खूब पैसा कमा के आये रहते हैं और उनसे अगला लक्ष्य जब पूछा जाता है तो बोलते हैं बस विधायकी ओसे निच्चे का।

कुछ ऐसे होते हैं जो जिंदगी भर लड़ते आंदोलन करते रहते हैं और उनके लिये चुनाव एक आवश्यक रस्म अदायगी बन जाता है जिसे वह चाहकर भी छोड़ नहीं पाते हैं।

कुछ ऐसे होते हैं जो अपने ही नशे में चुनाव लड़ते हैं, इन्हें किसी बाहुबली को हराना रहता है और दिन भर अपना वोट गिन गिन खुश होते रहते हैं।

कुछ होते हैं जो एकदम पढ़े लिखे आदर्शवादी होते हैं, ये बस प्रतीक के रूप में ही लड़ना चाहते हैं ताकि इनकी प्रोफाइल बनी रहे।

कुछ इसलिए लड़ना चाहते हैं या इन्हें लड़ाया जाता है ताकि किसी का वोट काट सकें या किसी को हरा सकें।

कुछ इसलिए खड़ा होते हैं कि इन्हें बैठने के लिए पैसा मिल जाये। और कुछ इसलिए खड़ा होते हैं कि पार्टी से मिले पैसे को बचा लें।

अब बताइये इनका प्राथमिक उद्देश्य क्या है। जनता इन इच्छाओं के बीच कहाँ है। फिर भी जनता ऐसे लोगों को चुनती रहती है। यकीन मानिए इसमें से 99% को नहीं पता विधायक का काम होता है सिर्फ विधान बनाने में अपना वोट देना और सदन में मुद्दे के माध्यम से बहस करना।

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